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- अरावली बचाओ संकल्प के साथ मनाया शाहपुरा विधायक का 39वां जन्मदिन अरावली बचाओ संकल्प के साथ मनाया । विधायक ने बताया कि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिश पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर को दिए गए निर्णय में 100 मीटर से नीचे की पहाड़ियों को अरावली का हिस्सा न मानने का प्रावधान किया गया है। इससे अरावली क्षेत्र को गंभीर खतरा उत्पन्न होगा। अरावली पर्वतमाला को नुकसान पहुंचा तो इससे जनजीवन संकट में पड़ सकता है। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए विधायक मनीष यादव ने अपने जन्मदिन को अरावली संरक्षण के संकल्प के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। जन्मदिन के अवसर पर रक्तदान शिविर में हजारों युनिट रक्त एकत्र हुआ,मनोहरपुर स्थित शैरी रिसॉर्ट,वंडरलैंड वाटर पार्क के पास, टोल प्लाजा क्षेत्र में किया गया, जिसमें दो दर्जन से अधिक ब्लड बैंक भाग लिए। गौरतलब है कि विधायक मनीष यादव द्वारा पिछले 16 वर्षों से लगातार रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इस अवधि में अब तक लगभग 17,689 यूनिट रक्त का संग्रहण किया जा चुका है, जिससे 21,000 से अधिक परिवारों को जीवनरक्षक सहायता मिली है। इसके अतिरिक्त, विधायक की सोशल मीडिया के माध्यम से की गई अपीलों के जरिए 8 हजार से अधिक लोगों को लाइव SDP (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा चुकी है।1
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- शाहपुरा विधायक मनीष यादव के जन्मदिन पर उमड़ा जनसैलाब#शाहपुरा#मनोहरपुर#जयपुर,#1
- Post by मंदिर हनुमान घड़ी पे हल1
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- धौलपुर सर मथुरा की न्यूज़ खबर नगर पालिका भ्रष्टाचार कर है1
- अरावली जंगलों ओर बीकानेर क्षेत्र में पेड़ कटाई कारण और प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स आईरा न्यूज बीकानेर इकबाल खान, राजस्थान के अरावली पर्वत श्रृंखला के जंगलों को काटने का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से जुड़ा है, जहां 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को 'अरावली' की परिभाषा से बाहर कर दिया गया। यह तकनीकी व्याख्या खनन और विकास परियोजनाओं का रास्ता खोल रही, जिससे पर्यावरणीय संरक्षण कमजोर हो रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला रेगिस्तान के विस्तार को बढ़ावा देगा, लेकिन सरकारें आर्थिक विकास के नाम पर आगे बढ़ रही। *कटाई के प्रमुख कारण* खनन की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट पर आधारित 100 मीटर ऊंचाई की सीमा स्वीकार की, जिससे अरावली के 90% हिस्से (कम ऊंचाई वाले) में खनन, निर्माण और भूमि अधिग्रहण संभव हो गया। यह 23 साल पुराने संरक्षण आदेश को कमजोर करता है, जहां खनन माफिया सक्रिय हो सकते हैं। नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स: सौर ऊर्जा कंपनियां भूमि हासिल करने के लिए पेड़ काट रही, खासकर बीकानेर और जोधपुर जैसे जिलों में। सरकार का लक्ष्य 2030 तक सौर क्षमता बढ़ाना है, लेकिन पर्यावरणीय ऑडिट की कमी से जंगल प्रभावित। विकास और बुनियादी ढांचा: सड़कें, सब-स्टेशन और हाइड्रो-सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि साफ की जा रही, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने के बजाय पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचा रही। वहां लगने वाले प्रोजेक्ट्स सौर ऊर्जा प्लांट्स: बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर में बड़े सोलर फार्म्स, जहां खेजड़ी जैसे पेड़ काटे जा रहे। सरकार ने 9 सोलर-हाइड्रो प्रोजेक्ट्स मंजूर किए, जो 500,000 से अधिक पेड़ों को प्रभावित करेंगे। खनन और निर्माण: कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पत्थर खदानें, रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसे हरियाणा-राजस्थान सीमा पर। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट के बावजूद, खनन को प्राथमिकता मिल रही। अन्य विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित क्षेत्रों में बफर जोन के बाहर सड़कें और सब-स्टेशन, जो दिल्ली-एनसीआर की ऊर्जा जरूरतें पूरी करेंगे, लेकिन रेगिस्तान विस्तार का खतरा बढ़ा रहा। पर्यावरण कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट में अपील कर धरना प्रदर्शन कर है।कि कटाई रोककर सख्त नियम लागू हों, वरना जल संकट और प्रदूषण गंभीर हो जाएगा।1