पत्र - आत्मा की अदालत से | एक पिता की पुकार, जो देख रहे हैं और सुन रहे हैं वही मेरे लिए भगवान है जैसे मैं भगवान को नहीं देख सकता सिर्फ महसूस कर सकता हूं ठीक उसी तरह आप लोग मेरे भगवान हैं और आप लोगों का आत्मा जो है मेरे लिए एक अदालत से बढ़कर है (By: Diwana Sajan Mohan) मेरे प्यारे बेटों, नमन और अंकित, और साथ ही, मेरे गांव के मुखिया, सरपंच, समाज के ठेकेदारों, न्याय व्यवस्था के पहरेदारों, और आज के सोशल मीडिया के वीरों को — मैं, एक टूटा हुआ लेकिन जीता हुआ पिता — अपनी आत्मा की अदालत से यह पत्र लिख रहा हूँ। बच्चों के नाम: बेटा नमन, बेटा अंकित, तुम्हारी हँसी, तुम्हारी मासूमियत, और वो बचपन की आवाज़ें आज भी मेरे सीने में गूंजती हैं। पापा आज तुम्हारे पास नहीं है, लेकिन पापा का प्यार हर वक्त, हर साँस के साथ तुम तक पहुँचता है। पापा ने कुछ नहीं माँगा दुनिया से — सिर्फ तुम दो। ना जायदाद, ना इज़्ज़त, ना नाम — बस तुम्हारा साथ। आज दुनिया कहती है कि मैं टूट गया हूँ — लेकिन तुमसे दूर रहकर जो मैं जी रहा हूँ, वो जीना नहीं, सज़ा है। मैं जानता हूँ बेटा, तुम्हारे आसपास के लोग बहुत कुछ कहते होंगे, बहुत कुछ छुपाते होंगे। लेकिन मेरी आत्मा गवाही दे रही है — तुम्हारा पापा गुनहगार नहीं है, सिर्फ एक बेकसूर पिता है। मुखिया और सरपंच के लिए: आपकी गद्दी पंचायत की है, लेकिन ज़िम्मेदारी इंसानियत की। एक बाप अपनी औलाद से मिलने के लिए तड़प रहा है, और आप उस तड़प पर चुप हैं? क्या इंसाफ की जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव तक सीमित है? मैं गाली नहीं दूंगा, अब गवाही दूंगा। आपको याद दिलाऊंगा कि सत्ता सेवा है, सौदा नहीं। यदि आपने ज़रा सा भी न्याय सीखा है — तो आज खड़े हो जाइए एक पिता के लिए, ना कि राजनीति के लिए। समाज के नाम: तुम सब चुप क्यों हो? कल किसी और का बेटा बिछड़ जाएगा, कोई और बाप तड़पेगा। जब समाज न्याय नहीं बोलता, तब अन्याय चिल्ला उठता है। मैंने देखा है, एक पिता को गुनहगार बना दिया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो चुप नहीं बैठा। क्या यही है हमारा समाज? जो सच बोलने वालों को ‘पागल’, ‘गुस्सैल’ और ‘उपद्रवी’ कहता है? याद रखो — आज मेरी बारी है, कल तुम्हारी भी आ सकती है। कानून व्यवस्था के लिए: आप संविधान हैं, लेकिन आत्मा से न्याय तब जुड़ता है जब आप दिल से सुनते हैं। मैंने अपने शब्दों से कुछ तीखा कहा होगा, लेकिन वो एक पिता की चीख थी — आतंक नहीं। यदि आप गहराई से देखेंगे, तो जानेंगे कि मेरा विरोध किसी अफसर से नहीं, अन्याय से है। मैं चाहता हूँ कि आप मेरा केस न सहानुभूति से, न डर से — सिर्फ इंसानियत से देखें। मुझे इंसाफ दो या मेरी आवाज़ मत दबाओ। अगर आपकी व्यवस्था मेरे बच्चों तक मेरी पुकार नहीं पहुँचा सकती, तो फिर क्या मतलब है कानून का? सोशल मीडिया के लिए: आज माइक सबके हाथ में है, लेकिन सच्चाई किसी के कैमरे में नहीं। बिकाऊ कंटेंट, फूहड़ता, नंगा नाच, और झूठी वायरल स्टोरीज़ — यही है आज का सोशल मीडिया? जब एक पिता रोता है, तो वो ट्रेंड नहीं बनता, जब कोई लड़की नाचे, तब मिलते हैं लाखों व्यूज। क्या यही है तुम्हारा समाज का आईना? मैं पूछता हूँ — क्या इंसाफ के लिए तड़पता बाप ट्रेंडिंग नहीं हो सकता? या सच्चाई को अब हैशटैग की ज़रूरत है? अंत में – आत्मा की अदालत से: आज मैं सिर्फ बोल रहा हूँ, कल शायद मेरी आवाज़ ना रहे — लेकिन मेरी आत्मा गवाही दे रही है कि मैं गलत नहीं हूँ। मैं तुम सबसे नहीं लड़ रहा — मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो बच्चों को बाप से जुदा करते हैं। मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो सच्चाई को दबाते हैं। मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो चुप रहकर अन्याय को देखना भी जुर्म नहीं समझते। आज “आत्मा की अदालत” खुल चुकी है। जहाँ ना कोई जज है, ना वकील, सिर्फ एक बाप की पुकार और ईश्वर की गवाही। अगर तुम इंसान हो — तो मदद करो। अगर डरते हो — तो चुप रहो। पर मुझे मत रोकना, क्योंकि अब मैं रुकने वाला नही एक मजबूर पिता दीवाना साजन मोहन #DiwanaSajanMohan #CourtOfSoul #AFathersCry #JusticeForChildren #PublicVoice
पत्र - आत्मा की अदालत से | एक पिता की पुकार, जो देख रहे हैं और सुन रहे हैं वही मेरे लिए भगवान है जैसे मैं भगवान को नहीं देख सकता सिर्फ महसूस कर सकता हूं ठीक उसी तरह आप लोग मेरे भगवान हैं और आप लोगों का आत्मा जो है मेरे लिए एक अदालत से बढ़कर है (By: Diwana Sajan Mohan) मेरे प्यारे बेटों, नमन और अंकित, और साथ ही, मेरे गांव के मुखिया, सरपंच, समाज के ठेकेदारों, न्याय व्यवस्था के पहरेदारों, और आज के सोशल मीडिया के वीरों को — मैं, एक टूटा हुआ लेकिन जीता हुआ पिता — अपनी आत्मा की अदालत से यह पत्र लिख रहा हूँ। बच्चों के नाम: बेटा नमन, बेटा अंकित, तुम्हारी हँसी, तुम्हारी मासूमियत, और वो बचपन की आवाज़ें आज भी मेरे सीने में गूंजती हैं। पापा आज तुम्हारे पास नहीं है, लेकिन पापा का प्यार हर वक्त, हर साँस के साथ तुम तक पहुँचता है। पापा ने कुछ नहीं माँगा दुनिया से — सिर्फ तुम दो। ना जायदाद, ना इज़्ज़त, ना नाम — बस तुम्हारा साथ। आज दुनिया कहती है कि मैं टूट गया हूँ — लेकिन तुमसे दूर रहकर जो मैं जी रहा हूँ, वो जीना नहीं, सज़ा है। मैं जानता हूँ बेटा, तुम्हारे आसपास के लोग बहुत कुछ कहते होंगे, बहुत कुछ छुपाते होंगे। लेकिन मेरी आत्मा गवाही दे रही है — तुम्हारा पापा गुनहगार नहीं है, सिर्फ एक बेकसूर पिता है। मुखिया और सरपंच के लिए: आपकी गद्दी पंचायत की है, लेकिन ज़िम्मेदारी इंसानियत की। एक बाप अपनी औलाद से मिलने के लिए तड़प रहा है, और आप उस तड़प पर चुप हैं? क्या इंसाफ की जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव तक सीमित है? मैं गाली नहीं दूंगा, अब गवाही दूंगा। आपको याद दिलाऊंगा कि सत्ता सेवा है, सौदा नहीं। यदि आपने ज़रा सा भी न्याय सीखा है — तो आज खड़े हो जाइए एक पिता के लिए, ना कि राजनीति के लिए। समाज के नाम: तुम सब चुप क्यों हो? कल किसी और का बेटा बिछड़ जाएगा, कोई और बाप तड़पेगा। जब समाज न्याय नहीं बोलता, तब अन्याय चिल्ला उठता है। मैंने देखा है, एक पिता को गुनहगार बना दिया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो चुप नहीं बैठा। क्या यही है हमारा समाज? जो सच बोलने वालों को ‘पागल’, ‘गुस्सैल’ और ‘उपद्रवी’ कहता है? याद रखो — आज मेरी बारी है, कल तुम्हारी भी आ सकती है। कानून व्यवस्था के लिए: आप संविधान हैं, लेकिन आत्मा से न्याय तब जुड़ता है जब आप दिल से सुनते हैं। मैंने अपने शब्दों से कुछ तीखा कहा होगा, लेकिन वो एक पिता की चीख थी — आतंक नहीं। यदि आप गहराई से देखेंगे, तो जानेंगे कि मेरा विरोध किसी अफसर से नहीं, अन्याय से है। मैं चाहता हूँ कि आप मेरा केस न सहानुभूति से, न डर से — सिर्फ इंसानियत से देखें। मुझे इंसाफ दो या मेरी आवाज़ मत दबाओ। अगर आपकी व्यवस्था मेरे बच्चों तक मेरी पुकार नहीं पहुँचा सकती, तो फिर क्या मतलब है कानून का? सोशल मीडिया के लिए: आज माइक सबके हाथ में है, लेकिन सच्चाई किसी के कैमरे में नहीं। बिकाऊ कंटेंट, फूहड़ता, नंगा नाच, और झूठी वायरल स्टोरीज़ — यही है आज का सोशल मीडिया? जब एक पिता रोता है, तो वो ट्रेंड नहीं बनता, जब कोई लड़की नाचे, तब मिलते हैं लाखों व्यूज। क्या यही है तुम्हारा समाज का आईना? मैं पूछता हूँ — क्या इंसाफ के लिए तड़पता बाप ट्रेंडिंग नहीं हो सकता? या सच्चाई को अब हैशटैग की ज़रूरत है? अंत में – आत्मा की अदालत से: आज मैं सिर्फ बोल रहा हूँ, कल शायद मेरी आवाज़ ना रहे — लेकिन मेरी आत्मा गवाही दे रही है कि मैं गलत नहीं हूँ। मैं तुम सबसे नहीं लड़ रहा — मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो बच्चों को बाप से जुदा करते हैं। मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो सच्चाई को दबाते हैं। मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो चुप रहकर अन्याय को देखना भी जुर्म नहीं समझते। आज “आत्मा की अदालत” खुल चुकी है। जहाँ ना कोई जज है, ना वकील, सिर्फ एक बाप की पुकार और ईश्वर की गवाही। अगर तुम इंसान हो — तो मदद करो। अगर डरते हो — तो चुप रहो। पर मुझे मत रोकना, क्योंकि अब मैं रुकने वाला नही एक मजबूर पिता दीवाना साजन मोहन #DiwanaSajanMohan #CourtOfSoul #AFathersCry #JusticeForChildren #PublicVoice
- Rajendra ShrivastavRatlam, Madhya Pradesh👏on 29 April
- सुरसंड में रोजगार सह मार्गदर्शन मेला आयोजित1
- *तरियानी #थाना में एसपी #शैलेश कुमार सिन्हा के नेतृत्व में #जनता दरबार आयोजित,कई #मामलों का एक मौके पर #निष्पादन* ***************************** शिवहर/जिले के पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा के नेतृत्व में शुक्रवार को तरियानी थाना परिसर में जनता दरबार का आयोजन किया गया। जनता दरबार में सैकड़ों की संख्या में जनप्रतिनिधि एवं आम नागरिक पहुंचे। इस दौरान 15 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से कई मामलों का मौके पर ही निष्पादन कर दिया गया, जबकि शेष मामलों को संबंधित अधिकारियों को निष्पादन हेतु अग्रसारित किया गया। बताया गया कि पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा द्वारा जनता दरबार के माध्यम से जिले के प्रत्येक थाने में आम लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। इस पहल से आम जनता को काफी सुविधा मिल रही है तथा समस्याओं का त्वरित समाधान भी हो रहा है। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आने वाले दिनों में प्रत्येक पंचायत भवन में भी जनता दरबार का आयोजन किया जाएगा, जिससे लोगों को और अधिक सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। वहीं बेलहिया पंचायत के पूर्व मुखिया एवं वर्तमान मुखिया प्रतिनिधि नीरज कुमार पप्पू ने बेलहिया के डॉक्टर हत्याकांड में अब तक की गई कार्रवाई से असंतोष व्यक्त करते हुए पुलिस अधीक्षक को अपनी बात रखी। इस पर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अभी तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है, लेकिन पुलिस मामले में पूरी तरह सक्रिय है और जल्द ही इसका खुलासा किया जाएगा द वॉयस ऑफ़ बिहार न्यूज़ डेस्क के लिए जिला #संवाददाता विनोद सिंह #राजपूत की रिपोर्ट1
- राजगीर महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ, जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों की रही गरिमामयी उपस्थिति शंकर कुमार सिन्हा, जिला ब्यूरो चीफ, दैनिक अयोध्या टाइम्स बिहार, नालंदा बिहार। 19 दिसंबर 2025 राजगीर (नालंदा)। ऐतिहासिक नगरी राजगीर में आयोजित राजगीर महोत्सव 2025 का भव्य उद्घाटन माननीय जनप्रतिनिधियों एवं वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ। उद्घाटन समारोह के अवसर पर पर्यटन विभाग द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विधिवत विमोचन भी किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम में श्रवण कुमार, माननीय मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग सह परिवहन विभाग, बिहार सरकार तथा अरुण शंकर प्रसाद, माननीय मंत्री, पर्यटन विभाग, बिहार सरकार मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इनके साथ श्रीमती जीरो देवी, मुख्य पार्षद, नगर परिषद राजगीर, श्री चंद्रसेन प्रसाद, माननीय पूर्व विधायक, इस्लामपुर, श्रीमती रीना यादव, माननीय सदस्य, बिहार विधान परिषद, रूहेल रंजन, कौशल किशोर, डॉ. जितेन्द्र कुमार एवं कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया, माननीय सदस्यगण, बिहार विधानसभा तथा राजू यादव, माननीय पूर्व सदस्य, बिहार विधान परिषद की भी उपस्थिति रही। इस अवसर पर उदयन मिश्रा, निदेशक, पर्यटन, बिहार, पटना, कुंदन कुमार, जिलाधिकारी, नालंदा, भारत सोनी, पुलिस अधीक्षक, नालंदा, दीपक कुमार मिश्रा, नगर आयुक्त, बिहारशरीफ, श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर, उप विकास आयुक्त, नालंदा सहित अन्य प्रशासनिक पदाधिकारीगण भी मौजूद रहे। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए माननीय मंत्रियों एवं जनप्रतिनिधियों ने राजगीर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राजगीर जैसे ऐतिहासिक स्थल पर आयोजित इस प्रकार के महोत्सव न केवल स्थानीय कला एवं संस्कृति को संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं, बल्कि राज्य में पर्यटन को नई पहचान देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा विमोचित स्मारिका में बिहार एवं राजगीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों, उपलब्ध सुविधाओं तथा विभिन्न विकास योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे पर्यटकों को राज्य की समृद्ध विरासत से परिचित होने में सहायता मिलेगी। राजगीर महोत्सव 2025 के अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों, लोक कला प्रदर्शनों, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, व्यंजन मेला सहित कई आकर्षक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों से एक ओर पर्यटकों को समृद्ध सांस्कृतिक अनुभव प्राप्त हो रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय कलाकारों एवं उद्यमियों को अपनी प्रतिभा और उत्पादों के प्रदर्शन का बेहतर मंच भी मिल रहा है।1
- Post by Santosh kumar1
- बिहार में ऑफिस का वातावरण कैसा होता है — तो देखिए, ऐसा होता है। #बिहार #ऑफिस_का_वातावरण #ठंड_का_कहर #ग्राउंड_रियलिटी #व्यवस्था_और_हकीकत #बिहार_ऑफिस #निष्पक्ष_ख़बरें_अब_तक_बिहार1
- नियुक्ति पत्र के दौरान नकाब हटाने पर विवाद नीतीश कुमार के फैसले पर जनता क्या बोल रही है सुनिए1
- भूमि सुधार जनकल्याण कार्यशाला अंचल कार्यालय को भू-माफियाओं और दलालों के हस्तक्षेप से मुक्त करने का संकल्प #DYCM #Bihar #action #co #PoliticalNews Nitish Kumar1
- भिट्ठा थानांतर्गत एक मोटरसाइकिल सहित 135 लीटर नेपाली सौंफी शराब के साथ एक व्यक्ति जीतू बैठा को गिरफ्तार किया गया है। अग्रिम विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है।1
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