*सफलता की कहानी* *डबरी निर्माण से बदली किस्मत: जल संरक्षण ने खोले आजीविका के नए द्वार* *एमसीबी/16 दिसंबर 2025/* ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती है और खेती की सबसे बड़ी आवश्यकता है-पानी। जब पानी उपलब्ध होता है, तो खेत हरे-भरे होते हैं, किसान आश्वस्त होता है और गांव में समृद्धि का रास्ता खुलता है। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के ग्राम पंचायत बुलाकीटोला में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत किया गया डबरी निर्माण कार्य इसी परिवर्तन की एक प्रेरक और अनुकरणीय कहानी है। *परियोजना की पृष्ठभूमि* ग्राम पंचायत बुलाकीटोला के निवासी शुभकरण सिंह/रामाधार सिंह एक साधारण किसान हैं, जिनकी आजीविका मुख्यतः कृषि पर निर्भर रही है। क्षेत्र वर्षा आधारित कृषि वाला है, जहाँ सिंचाई की स्थायी व्यवस्था का अभाव लंबे समय से किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। मानसून पर अत्यधिक निर्भरता के कारण फसल उत्पादन अस्थिर रहता था और जल की कमी के चलते किसान एक ही फसल तक सीमित रह जाते थे। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा के अंतर्गत 3.00 लाख की स्वीकृत राशि से हितग्राही के खेत में डबरी निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया। इस कार्य का उद्देश्य केवल एक संरचना बनाना नहीं था, बल्कि जल संरक्षण, सिंचाई सुविधा और आजीविका संवर्धन को एक साथ साकार करना था। *डबरी निर्माण की आवश्यकता* डबरी निर्माण से पूर्व हितग्राही की खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर थी। अल्प वर्षा या असमय बारिश से फसलें प्रभावित हो जाती थीं। पानी की कमी के कारण सब्जी या दूसरी फसल लेना संभव नहीं हो पाता था। इससे न केवल कृषि उत्पादन सीमित रहता था, बल्कि परिवार की आय भी कम रहती थी। गांव में उपलब्ध परंपरागत जल स्रोत पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में खेत स्तर पर जल संरक्षण की आवश्यकता महसूस की गई, जिससे वर्षा जल को संग्रहित कर आवश्यकता के समय उपयोग किया जा सके। डबरी निर्माण इस समस्या का सबसे व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान सिद्ध हुआ। *कार्यान्वयन प्रक्रिया* डबरी निर्माण कार्य को ग्राम पंचायत बुलाकीटोला द्वारा तकनीकी स्वीकृति एवं मार्गदर्शन के अनुसार क्रियान्वित किया गया। कार्य की मांग, पात्रता और स्थल की उपयुक्तता का आकलन कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। मापदंडों के अनुरूप गहराई, चौड़ाई और जल धारण क्षमता सुनिश्चित की गई। इस कार्य में स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिला, जिससे मनरेगा का मूल उद्देश्य रोजगार के साथ परिसंपत्ति निर्माण भी पूर्ण हुआ। निर्माण कार्य समयबद्ध एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया गया। *डबरी निर्माण के पश्चात परिवर्तन* डबरी निर्माण के बाद खेत में वर्षा जल का प्रभावी संग्रह संभव हुआ। इससे सिंचाई के लिए स्थायी जल स्रोत उपलब्ध हो गया। जहां पहले जल की कमी से फसलें प्रभावित होती थीं, वहीं अब पर्याप्त पानी होने से खेती में नया आत्मविश्वास आया। डबरी से प्राप्त जल का उपयोग कर हितग्राही अब धान के साथ-साथ गोभी, मिर्च, टमाटर और बैंगन जैसी सब्जी फसलों का उत्पादन कर रहा है। पहले जहाँ केवल एक फसल ली जाती थी, अब दो फसलों का उत्पादन संभव हो सका है। *आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव* डबरी निर्माण कार्य का सबसे बड़ा प्रभाव हितग्राही की आर्थिक स्थिति पर पड़ा। वर्तमान में लगभग 4 से 5.60 एकड़ क्षेत्र में दो फसलों की खेती की जा रही है। इससे कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस परिवर्तन के फलस्वरूप हितग्राही की मासिक आय 7,000 से 10,000 तक पहुँच गई है, जो पहले की तुलना में कहीं अधिक है। बढ़ी हुई आय से परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सामाजिक दृष्टि से भी यह कार्य प्रेरणादायक सिद्ध हुआ है। गांव के अन्य किसान भी अब जल संरक्षण एवं डबरी निर्माण जैसे कार्यों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। *पहले और बाद की स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण* *पहले-* वर्षा पर पूर्ण निर्भरता, केवल एक फसल, सीमित आय, जल की निरंतर कमी। *बाद में-* स्थायी जल स्रोत उपलब्ध, दो फसलों का उत्पादन, आय में निरंतर वृद्धि, आत्मनिर्भरता की ओर कदम, मनरेगा की भूमिका। यह सफलता कहानी इस बात का प्रमाण है कि मनरेगा केवल मजदूरी योजना नहीं, बल्कि स्थायी परिसंपत्ति निर्माण और ग्रामीण आजीविका सुदृढ़ीकरण का सशक्त माध्यम है। डबरी जैसी संरचनाएँ लंबे समय तक लाभ देती हैं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाती हैं। ग्राम पंचायत बुलाकीटोला में किया गया यह डबरी निर्माण कार्य जल संरक्षण, कृषि विकास और ग्रामीण समृद्धि का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह परियोजना दर्शाती है कि यदि योजनाओं का सही क्रियान्वयन, तकनीकी गुणवत्ता और लाभार्थी की सहभागिता सुनिश्चित की जाए, तो छोटे-छोटे कार्य भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। शुभकरण सिंह/रामाधार सिंह की यह कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि यह उस नीति, नीयत और व्यवस्था की सफलता है, जो ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। यह सफलता कहानी आने वाले समय में अन्य ग्राम पंचायतों और किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगा
*सफलता की कहानी* *डबरी निर्माण से बदली किस्मत: जल संरक्षण ने खोले आजीविका के नए द्वार* *एमसीबी/16 दिसंबर 2025/* ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती है और खेती की सबसे बड़ी आवश्यकता है-पानी। जब पानी उपलब्ध होता है, तो खेत हरे-भरे होते हैं, किसान आश्वस्त होता है और गांव में समृद्धि का रास्ता खुलता है। छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के ग्राम पंचायत बुलाकीटोला में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत किया गया डबरी निर्माण कार्य इसी परिवर्तन की एक प्रेरक और अनुकरणीय कहानी है। *परियोजना की पृष्ठभूमि* ग्राम पंचायत बुलाकीटोला के निवासी शुभकरण सिंह/रामाधार सिंह एक साधारण किसान हैं, जिनकी आजीविका मुख्यतः कृषि पर निर्भर रही है। क्षेत्र वर्षा आधारित कृषि वाला है, जहाँ सिंचाई की स्थायी व्यवस्था का अभाव लंबे समय से किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है। मानसून पर अत्यधिक निर्भरता के कारण फसल उत्पादन अस्थिर रहता था और जल की कमी के चलते किसान एक ही फसल तक सीमित रह जाते थे। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 में मनरेगा के अंतर्गत 3.00 लाख की स्वीकृत राशि से हितग्राही के खेत में डबरी निर्माण कार्य स्वीकृत किया गया। इस कार्य का उद्देश्य केवल एक संरचना बनाना नहीं था, बल्कि जल संरक्षण, सिंचाई सुविधा और आजीविका संवर्धन को एक साथ साकार करना था। *डबरी निर्माण की आवश्यकता* डबरी निर्माण से पूर्व हितग्राही की खेती पूरी तरह वर्षा पर निर्भर थी। अल्प वर्षा या असमय बारिश से फसलें प्रभावित हो जाती थीं। पानी की कमी के कारण सब्जी या दूसरी फसल लेना संभव नहीं हो पाता था। इससे न केवल कृषि उत्पादन सीमित रहता था, बल्कि परिवार की आय भी कम रहती थी। गांव में उपलब्ध परंपरागत जल स्रोत पर्याप्त नहीं थे। ऐसे में खेत स्तर पर जल संरक्षण की आवश्यकता महसूस की गई, जिससे वर्षा जल को संग्रहित कर आवश्यकता के समय उपयोग किया जा सके। डबरी निर्माण इस समस्या का सबसे व्यावहारिक और टिकाऊ समाधान सिद्ध हुआ। *कार्यान्वयन प्रक्रिया* डबरी निर्माण कार्य को ग्राम पंचायत बुलाकीटोला द्वारा तकनीकी स्वीकृति एवं मार्गदर्शन के अनुसार क्रियान्वित किया गया। कार्य की मांग, पात्रता और स्थल की उपयुक्तता का आकलन कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। मापदंडों के अनुरूप गहराई, चौड़ाई और जल धारण क्षमता सुनिश्चित की गई। इस कार्य में स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिला, जिससे मनरेगा का मूल उद्देश्य रोजगार के साथ परिसंपत्ति निर्माण भी पूर्ण हुआ। निर्माण कार्य समयबद्ध एवं गुणवत्ता के साथ पूर्ण किया गया। *डबरी निर्माण के पश्चात परिवर्तन* डबरी निर्माण के बाद खेत में वर्षा जल का प्रभावी संग्रह संभव हुआ। इससे सिंचाई के लिए स्थायी जल स्रोत उपलब्ध हो गया। जहां पहले जल की कमी से फसलें प्रभावित होती थीं, वहीं अब पर्याप्त पानी होने से खेती में नया आत्मविश्वास आया। डबरी से प्राप्त जल का उपयोग कर हितग्राही अब धान के साथ-साथ गोभी, मिर्च, टमाटर और बैंगन जैसी सब्जी फसलों का उत्पादन कर रहा है। पहले जहाँ केवल एक फसल ली जाती थी, अब दो फसलों का उत्पादन संभव हो सका है। *आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव* डबरी निर्माण कार्य का सबसे बड़ा प्रभाव हितग्राही की आर्थिक स्थिति पर पड़ा। वर्तमान में लगभग 4 से 5.60 एकड़ क्षेत्र में दो फसलों की खेती की जा रही है। इससे कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस परिवर्तन के फलस्वरूप हितग्राही की मासिक आय 7,000 से 10,000 तक पहुँच गई है, जो पहले की तुलना में कहीं अधिक है। बढ़ी हुई आय से परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सामाजिक दृष्टि से भी यह कार्य प्रेरणादायक सिद्ध हुआ है। गांव के अन्य किसान भी अब जल संरक्षण एवं डबरी निर्माण जैसे कार्यों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और इसे अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। *पहले और बाद की स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण* *पहले-* वर्षा पर पूर्ण निर्भरता, केवल एक फसल, सीमित आय, जल की निरंतर कमी। *बाद में-* स्थायी जल स्रोत उपलब्ध, दो फसलों का उत्पादन, आय में निरंतर वृद्धि, आत्मनिर्भरता की ओर कदम, मनरेगा की भूमिका। यह सफलता कहानी इस बात का प्रमाण है कि मनरेगा केवल मजदूरी योजना नहीं, बल्कि स्थायी परिसंपत्ति निर्माण और ग्रामीण आजीविका सुदृढ़ीकरण का सशक्त माध्यम है। डबरी जैसी संरचनाएँ लंबे समय तक लाभ देती हैं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाती हैं। ग्राम पंचायत बुलाकीटोला में किया गया यह डबरी निर्माण कार्य जल संरक्षण, कृषि विकास और ग्रामीण समृद्धि का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह परियोजना दर्शाती है कि यदि योजनाओं का सही क्रियान्वयन, तकनीकी गुणवत्ता और लाभार्थी की सहभागिता सुनिश्चित की जाए, तो छोटे-छोटे कार्य भी बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। शुभकरण सिंह/रामाधार सिंह की यह कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि यह उस नीति, नीयत और व्यवस्था की सफलता है, जो ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। यह सफलता कहानी आने वाले समय में अन्य ग्राम पंचायतों और किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगा
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- मैनपाट में नई उड़ान का रोमांच: पैरा मोटर से आसमान को छूने का अनुभव छत्तीसगढ़ की खूबसूरत वादियों में बसा मैनपाट अब सिर्फ ठंडी हवाओं और हरियाली के लिए ही नहीं, बल्कि साहसिक उड़ान के नए अनुभव के लिए भी जाना जाएगा। यहाँ शुरू हुआ है पैरा मोटर—एक ऐसा रोमांचक सफर, जो धरती से उठकर आसमान को छूने का सपना सच कर देता है। जिन्हें ऊँचाइयों से डर नहीं, बल्कि खुला आसमान बुलाता है, उनके लिए मैनपाट का यह अनुभव किसी उत्सव से कम नहीं। जैसे ही पैरा मोटर हवा में उठता है, नीचे फैलती पहाड़ियाँ, घुमावदार रास्ते और हरियाली किसी जीवित चित्रकला की तरह दिखने लगती है। उस पल इंसान खुद को पक्षी समझने लगता है—न कोई सीमा, न कोई बंधन। छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा अनुभव देने वाला यह पैरा मोटर साहसिक पर्यटन को नई पहचान दे रहा है। प्रशिक्षित पायलटों के साथ सुरक्षित उड़ान, आधुनिक उपकरण और खुला नीला आकाश—सब मिलकर इस सफर को यादगार बनाते हैं। अगर आप भी मैनपाट की धरती से आसमान की ओर उड़ान भरना चाहते हैं, अपने भीतर के साहस को आज़माना चाहते हैं और जिंदगी को एक नई ऊँचाई से देखना चाहते हैं—तो मैनपाट आइए, पैरा मोटर का मज़ा लीजिए और अपने उड़ने के सपने को सच कीजिए। सुनील गुप्ता की रिपोर्ट #viralpost2025 #सरगुजापुलिस #सीतापुर_समाचार #surgujanews #sitapursamachar #agrawalsamaj #AgrawalCommunity #अग्रवंश #paramotor #paragliding #adventure #mainpat_tourism1
- कभी आपने महसूस किया है कि बिना कुछ बोले ही किसी कमरे में घुसते ही मन बेचैन हो जाता है? विशेषज्ञों के अनुसार यह कोई भ्रम नहीं, बल्कि शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रिया है। सामने वाले की नकारात्मक या सकारात्मक ऊर्जा सीधे हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है। यही वजह है कि कुछ लोगों से मिलकर हम थक जाते हैं, जबकि कुछ के पास रहकर खुद को हल्का और प्रेरित महसूस करते हैं। #EnergyVibes #MindScience #MentalHealth #PositivePeople #EnergyDrain #LifeFacts #SelfGrowth #GoodVibesOnly1
- भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सह - मीडिया प्रभारी बने रेहान रजा रायपुर / भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव जी के सहमति से अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सह - मीडिया प्रभारी बने रेहान रजा रेहान रजा सरगुजा निवासी जो लगातार सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर कार्य करते रहे साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जान दरबार न्यूज़ के एडिटर भी है। प्रदेश सह मीडिया प्रभारी रेहान रजा के बनने से संगठन और मजबूत होगी और साथ ही मीडिया के तौर पर मजबूत स्तंभ माना जाता है। और साथ ही सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिए।1
- Post by Hari Sharma Sharma1
- गुरु घासीदास जयंती के उपलक्ष पर सतनाम संगठन द्वारा बोदरी चकरभाठा में निकाली गई भव्य शोभायात्रा बुधवार की रात 11:00 बजे सतनाम संगठन चकरभाठा के सदस्य देवेंद्र उगरे जी से मिली जानकारी के अनुसार सतनाम धर्म के प्रवर्तक, सामाजिक समरसता और मानव समानता के महान संदेशवाहक परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जी की जन्म जयंती के अवसर पर सतनाम संगठन चकरभाठा द्वारा बुधवार की साम 5 बजे से रात 10.30 बजे तक भव्य एवं गरिमामय शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर अचानकरपुर चौक से रेलवे इस्टेशन रोड पर उत्तम इन तक विशाल शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें समाज के लोगों ने उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग लिया। शोभा यात्रा में समाज के संरक्षक, अध्यक्ष, पदाधिकारीगण सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष, युवा एवं बच्चे शामिल हुए। पारंपरिक वेशभूषा में सजे युवक-युवतियों के दल द्वारा प्रस्तुत पंथी नृत्य ने नगरवासियों का मन मोह लिया। ढोल-मांदर की थाप पर नृत्य करते कलाकारों ने बाबा गुरु घासीदास जी की शिक्षाओं को जीवंत कर दिया। यात्रा के दौरान “मैखे-मैखे एक समान” के गगनभेदी नारों से पूरा नगर गूंज उठा, जिससे वातावरण भक्तिमय बन गया। शोभा यात्रा में शामिल बाबा गुरु घासीदास की भव्य झांकी आकर्षण का केंद्र रही, जिसे देखने के लिए मार्ग के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। जगह-जगह विभिन्न समाज के लोगों राजनीतिक पार्टियों और व्यापारियों द्वारा सोल्पाहार का वितरण भी किया गया शोभायात्रा में आसपास गांव के भी समाज के लोग इकट्ठा हुए डीजे धूमल की धुन पर शोभा यात्रा में समाज के लोग झूमते नजर आए साथ ही शौर्य प्रदर्शन भी किया गया1
- भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सह - मीडिया प्रभारी बने रेहान रजा रायपुर / भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव जी के सहमति से अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश सह - मीडिया प्रभारी बने रेहान रजा रेहान रजा सरगुजा निवासी जो लगातार सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर कार्य करते रहे साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जान दरबार न्यूज़ के एडिटर भी है। प्रदेश सह मीडिया प्रभारी रेहान रजा के बनने से संगठन और मजबूत होगी और साथ ही मीडिया के तौर पर मजबूत स्तंभ माना जाता है। और साथ ही सभी का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिए।1