सिसई : मकुंदा गांव के कीचड़मय सड़क की हालत पर आक्रोशित हुए ग्रामीण ; बैठक कर जल्द ही सड़क नहीं बनने पर दी आन्दोलन की चेतावनी सिसई (गुमला)। सिसई प्रखण्ड क्षेत्र के बरगांव पंचायत अंतर्गत मकुंदा गांव पहुंच के लिए कच्ची सड़क की दयनीय स्थिति पर गांव के ग्रामीण जनप्रतिनिधि व प्रशासन के प्रति खासा नाराज हैं। बरगांव देवी मण्डप से मकुंदा गांव तक लगभग एक किलोमीटर कच्ची सड़क है जो बरसात में पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो गई है। जिससे आए दिन दुर्घटना हो रही है। कई ग्रामीणों का एवं स्कूली बच्चों का गिर के हाथ पैर टूट चुके हैं। इसपर ग्रामीणों द्वारा गुरुवार को एक बैठक कर निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा जल्द ही सड़क का निर्माण नहीं कराया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा और एनएचएआई को जाम कर आवागमन को बाधित किया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात में चार महीनों तक हमलोगों को आने जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोई वाहन गांव तक आ नहीं पाती है। अगर गलती से कोई वाहन आ भी जाए तो कीचड़ में ही फंस जाती है। यहां तक कि बाइक और साइकिल वालों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। कीचड़ के कारण बच्चों का स्कूल जाना भी बंद हो गया है यदि गांव में कोई बीमार हो जाए तो एक किलोमीटर पक्की सड़क तक ले जाने के लिए खटिया में लाद कर ले जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति हो गई है। ग्रामीणों का ये भी कहना है कि पिछले 15 वर्षों से जनप्रतिनिधि और प्रशासन से सड़क निर्माण कराने का गुहार लगाया जा रहा है लेकिन कोई हमारी नहीं सुन रहा है। चुनाव का समय जब आता है तो सांसद विधायक मुखिया सभी लोग वोट मांगने के लिए चले आते हैं और वोट लेने के लिए बड़े बड़े वादे करते हैं उस वक्त यही कहते हैं कि हम जीत जाएंगे तो सड़क को पक्की करा देंगे लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद कोई जनप्रतिनिधि गांव में झांकने तक नहीं आते हैं। इसलिए हम सभी ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया है कि सड़क के लिए अब हम आंदोलन करेंगे। साथ ही किसी भी उम्मीदवार को तबतक वोट नहीं देंगे जबतक सड़क का निर्माण नहीं कराएंगे और गांव का विकास नहीं कराएंगे। इसपर पंचायत के मुखिया सुनीता कुमारी का कहना है कि सड़क बनाने के लिए कई बार प्रखण्ड प्रशासन व जिला प्रशासन को लिखित में आवेदन दिया गया है। लेकिन प्रशासन की ओर से अबतक कोई पहल नहीं किया गया है मैं पंचायत की मुखिया होने के नाते ग्रामीणों के हर दुख सुख में इनके साथ खड़ी हूं। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर कीचड़ युक्त सड़क पर धान रोपनी भी किया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जिला अध्यक्ष जवाहिर जयसवाल ने कहा कि गांव की सड़क का ये दुर्दशा हो गया है कि ग्रामीणों का चलना दुभर है और इस पर प्रशासन मौन है ये मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है, पानी, बिजली, सड़क, विद्यालय इन सभी चीजों पर मनुष्य का विशेष अधिकार है और इससे गांव की विकास को गति मिलती है सरकार को इसपर विशेष ध्यान देना चाहिए। मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जिला अध्यक्ष जवाहिर जायसवाल, बरगांव पंचायत उत्तरी मुखिया सुनीता कुमारी, निर्मला उरांव, लक्ष्मी उरांव, शनियारो देवी, निर्मल टोप्पो, लवकुमार जायसवाल, चौठी उरांव, फुलमनी उरांव, सागर साहू, ऐनुल खान, लछन लोहरा, मंगलेश्वर पाहन, बसंत गिरी, आशा देवी विशेश्वर उरांव, बसंत लोहरा सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।
सिसई : मकुंदा गांव के कीचड़मय सड़क की हालत पर आक्रोशित हुए ग्रामीण ; बैठक कर जल्द ही सड़क नहीं बनने पर दी आन्दोलन की चेतावनी सिसई (गुमला)। सिसई प्रखण्ड क्षेत्र के बरगांव पंचायत अंतर्गत मकुंदा गांव पहुंच के लिए कच्ची सड़क की दयनीय स्थिति पर गांव के ग्रामीण जनप्रतिनिधि व प्रशासन के प्रति खासा नाराज हैं। बरगांव देवी मण्डप से मकुंदा गांव तक लगभग एक किलोमीटर कच्ची सड़क है जो बरसात में पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो गई है। जिससे आए दिन दुर्घटना हो रही है। कई ग्रामीणों का एवं स्कूली बच्चों का गिर के हाथ पैर टूट चुके हैं। इसपर ग्रामीणों द्वारा गुरुवार को एक बैठक कर निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा जल्द ही सड़क का निर्माण नहीं कराया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा और एनएचएआई को जाम कर आवागमन को बाधित किया जाएगा। ग्रामीणों
का कहना है कि बरसात में चार महीनों तक हमलोगों को आने जाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कोई वाहन गांव तक आ नहीं पाती है। अगर गलती से कोई वाहन आ भी जाए तो कीचड़ में ही फंस जाती है। यहां तक कि बाइक और साइकिल वालों को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। कीचड़ के कारण बच्चों का स्कूल जाना भी बंद हो गया है यदि गांव में कोई बीमार हो जाए तो एक किलोमीटर पक्की सड़क तक ले जाने के लिए खटिया में लाद कर ले जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति हो गई है। ग्रामीणों का ये भी कहना है कि पिछले 15 वर्षों से जनप्रतिनिधि और प्रशासन से सड़क निर्माण कराने का गुहार लगाया जा रहा है लेकिन कोई हमारी नहीं सुन रहा है। चुनाव का समय जब आता है तो
सांसद विधायक मुखिया सभी लोग वोट मांगने के लिए चले आते हैं और वोट लेने के लिए बड़े बड़े वादे करते हैं उस वक्त यही कहते हैं कि हम जीत जाएंगे तो सड़क को पक्की करा देंगे लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद कोई जनप्रतिनिधि गांव में झांकने तक नहीं आते हैं। इसलिए हम सभी ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया है कि सड़क के लिए अब हम आंदोलन करेंगे। साथ ही किसी भी उम्मीदवार को तबतक वोट नहीं देंगे जबतक सड़क का निर्माण नहीं कराएंगे और गांव का विकास नहीं कराएंगे। इसपर पंचायत के मुखिया सुनीता कुमारी का कहना है कि सड़क बनाने के लिए कई बार प्रखण्ड प्रशासन व जिला प्रशासन को लिखित में आवेदन दिया गया है। लेकिन प्रशासन की ओर से अबतक कोई पहल नहीं किया गया है मैं पंचायत की मुखिया होने के नाते ग्रामीणों
के हर दुख सुख में इनके साथ खड़ी हूं। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर कीचड़ युक्त सड़क पर धान रोपनी भी किया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के जिला अध्यक्ष जवाहिर जयसवाल ने कहा कि गांव की सड़क का ये दुर्दशा हो गया है कि ग्रामीणों का चलना दुभर है और इस पर प्रशासन मौन है ये मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है, पानी, बिजली, सड़क, विद्यालय इन सभी चीजों पर मनुष्य का विशेष अधिकार है और इससे गांव की विकास को गति मिलती है सरकार को इसपर विशेष ध्यान देना चाहिए। मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जिला अध्यक्ष जवाहिर जायसवाल, बरगांव पंचायत उत्तरी मुखिया सुनीता कुमारी, निर्मला उरांव, लक्ष्मी उरांव, शनियारो देवी, निर्मल टोप्पो, लवकुमार जायसवाल, चौठी उरांव, फुलमनी उरांव, सागर साहू, ऐनुल खान, लछन लोहरा, मंगलेश्वर पाहन, बसंत गिरी, आशा देवी विशेश्वर उरांव, बसंत लोहरा सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।
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- Post by Parkashnageasiya Parkashnageasiya1
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- Post by Manoj Singh1
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