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लोकेशन : देहरादून, उत्तराखंड दिनांक: 3 अगस्त हिंदू रक्षा दल के सदस्यों ने मुस्लिम रेहड़ी-पटरी वालों के ठेलों में तोड़फोड़ की और चेतावनी दी कि "मुल्ला-मौलवी को अनुमति नहीं दी जाएगी।" उन्होंने रेहड़ी-पटरी वालों पर एक हिंदू रेहड़ी-पटरी वाले को बेदखल करने और उसकी दुकान पर मांस रखने का आरोप लगाया, और झूठा दावा किया कि वे हिंदुओं और उनके त्योहारों की जासूसी करने के लिए रेहड़ी-पटरी लगा रहे थे।
MAKKI TV NEWS
लोकेशन : देहरादून, उत्तराखंड दिनांक: 3 अगस्त हिंदू रक्षा दल के सदस्यों ने मुस्लिम रेहड़ी-पटरी वालों के ठेलों में तोड़फोड़ की और चेतावनी दी कि "मुल्ला-मौलवी को अनुमति नहीं दी जाएगी।" उन्होंने रेहड़ी-पटरी वालों पर एक हिंदू रेहड़ी-पटरी वाले को बेदखल करने और उसकी दुकान पर मांस रखने का आरोप लगाया, और झूठा दावा किया कि वे हिंदुओं और उनके त्योहारों की जासूसी करने के लिए रेहड़ी-पटरी लगा रहे थे।
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- पुलियो मुक्त भारत के गठन पर सिपाहीजला में प्रेस वार्ता** आजाद भारत के निर्माण के उद्देश्य से शनिवार की दोपहर सिपाहीजला जिला प्रशासन कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. संवाददाता सम्मेलन में सिपाहीजला जिले के जिलाधिकारी डॉ. सिद्धार्थ शिव जुसवाल और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देबाशीष दास उपस्थित थे। संवाददाता सम्मेलन में जिला आयुक्त डॉ. सिद्धार्थ शिव जुसवाल ने बताया कि 21 अगस्त से 23 अगस्त तक जिले के शून्य से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों के बीच विशेष पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम अपनाया गया है. इस कार्यक्रम के माध्यम से जिले के हर बच्चे को टीकाकरण के दायरे में लाने के लक्ष्य के साथ प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि जिले के सुदूरवर्ती इलाकों से लेकर शहरी इलाकों तक हर टीकाकरण केंद्र पर पर्याप्त उपाय किये गये हैं, ताकि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाये. उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अभिभावकों की जागरूकता एवं सहयोग बहुत जरूरी है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ देबाशीष दास ने पत्रकारों को टीकाकरण कार्यक्रम के तकनीकी पहलुओं और स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों के बारे में जानकारी दी. ---1
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- বাংলাদেশি ক্রিকেটারকে কোটি টাকার চুক্তি, অথচ উপেক্ষিত ত্রিপুরার প্রতিভা—প্রশ্ন তুললেন মহারাজা প্রদ্যোৎ মানিক্য” ত্রিপুরার রাজপরিবারের সদস্য ও টিপরা মথা দলের নেতা মহারাজা প্রদ্যোৎ মানিক্য এক সামাজিক মাধ্যমের পোস্টে ক্রিকেট ও জাতীয় মর্যাদা নিয়ে গুরুত্বপূর্ণ প্রশ্ন তুলেছেন। তিনি বলেন, একদিকে বাংলাদেশি এক ক্রিকেটার কোটি টাকার চুক্তি পাচ্ছেন, অন্যদিকে ভারতের প্রতিভাবান ক্রিকেটার মণি শংকর মুরাসিং-এর মতো খেলোয়াড়রা উপেক্ষিত থেকে যাচ্ছেন। মহারাজা প্রদ্যোৎ মানিক্যের প্রশ্ন—ভারত কি তার নিজস্ব প্রতিভাদের যথাযথ সম্মান দিচ্ছে? পাশাপাশি তিনি প্রতিবেশী দেশের সঙ্গে সম্পর্ক ও সংখ্যালঘুদের পরিস্থিতি নিয়েও উদ্বেগ প্রকাশ করেন। এই প্রসঙ্গে তিনি উল্লেখ করেন, টিপরা মথা দলই কেন একাধিক ইস্যুতে প্রকাশ্যে কথা বলছে, যখন অন্যরা নীরব—তা নিয়েও জাতির আত্মসম্মান ও জাতীয় পরিচয় নিয়ে ভাবনার আহ্বান জানান তিনি। 👉 এই মন্তব্য ঘিরে রাজনৈতিক ও ক্রীড়ামহলে শুরু হয়েছে নতুন বিতর্ক।1
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- পৌষ মাসের শুরুতে, শীতও পড়েছে বেশ জমজমাট। বিশেষ করে গ্রামাঞ্চলে রাত আর ভোর এখন কুয়াশায় মাখামাখি৷ শেষ রাতে কম্বল মুড়ি দিয়ে সবাই একটু ঘুম নিতে চায়৷ ঠিক তখনই কাজ শুরু হয় শিউলিদের৷ রাত থাকতেই ঘুম থেকে ওঠা, বেশ কিছু মাটির পাত্র নিয়ে কম্বল ছেড়ে বেরিয়ে পড়া৷শুরু হয় অনেক কাজ,গাছে উঠা থেকে৷ আগের দিন গাছে লাগানো পাত্র থেকে রস নিতে হবে৷ সেই রস আবার আগুনে জাল দিতে হবে৷ তৈরি করতে হবে বাঙালির জিভে জল আনা খেজুর গুড়৷ পাটালি হোক বা ঝোলা, খেজুর গুড় শীতের সময় বঙ্গ জীবনের অঙ্গ৷ বড়লোক বা গরিব, প্রতিটি বাড়িতে এই সময় খেজুর গুড় ঢুকবেই৷ বেশি অথবা কম হতে পারে৷ সেই গুড়ের তৈরি পায়েস, পিঠে একবার মুখে দিলেই, আহ! সেই স্বাদের ভাগ হয় না৷ তাই এই সময় প্রচণ্ড ব্যস্ততা পুরাতন মালদার যাত্রাডাঙা গ্রাম পঞ্চায়তের ঈশ্বরগঞ্জ গ্রামে৷ এই গ্রামের কয়েক ঘর বাসিন্দা প্রতি বছর শীতের সময় খেজুর গুড় তৈরি করেন৷ ডিসেম্বরের প্রথম থেকেই গুড় তৈরি হয়৷ কাজ চলে হোলি পর্যন্ত৷ খাটুনি অনেক এই কাজে৷ ১০ লিটার খেজুর রস থেকে এক কিলো গুড় তৈরি হয়৷ সেই গুড় বাজারে বিকোয় ৩০০ থেকে ৪০০ টাকা কেজি দরে৷ বাজারে অবশ্য এর থেকেও কম দামে খেজুর গুড় পাওয়া যায়৷ কিন্তু সেই গুড়ে মিশে থাকে চিনি অথবা অন্যকিছু৷ তার স্বাদ ঈশ্বরগঞ্জে তৈরি গুড়ের মতো নয়৷ সকালে ওই গ্রামে গুড় তৈরি করছিলেন এদিন বিজয় সরকার৷ জানালেন, ‘খেজুরের রস সংগ্রহ করার ঝক্কিও বিশেষ কম নয়৷ প্রথমে গাছ কাটতে হয়৷ সেই জায়গায় পাত্র ঝোলাতে হয়৷ সকালে ওই পাত্রে সংগৃহীত রস নিয়ে আসতে হয়৷ তারপর জাল দিয়ে গুড় তৈরি৷ আমাদের নিজের গাছ নেই৷ এবার ১০০টির বেশি খেজুর গাছ লিজে নিয়েছি৷ মালিকদের কাউকে গুড় দিতে হয়, কাউকে বা টাকা৷ এক কিলো গুড় তৈরিতে প্রায় ১০ লিটার রস লাগে৷ আমাদের পরিবার দীর্ঘদিন ধরে এই কাজে যুক্ত৷ জ্ঞান হওয়ার পর থেকে বাবাকে এই কাজ করতে দেখেছি৷ এখন আমরা করছি৷ পরিবারের সবাই এই কাজ করে৷ আমরা ছ’ভাই৷ তিন ভাই একসঙ্গে থাকি৷ দু’ভাই এই কাজ করি৷ এক ভাই ভিনরাজ্যে কাজ করে৷ ডিসেম্বরের ১ তারিখ থেকেই কাজ শুরু করেছি৷ চলবে হোলি পর্যন্ত৷ গ্রামের ১৭-১৮ জন গুড় তৈরি করে৷ কিন্তু আমরা এখনও পর্যন্ত সরকারি কোনও সহায়তা পাইনি৷ সেটা পেলে আমাদের আরেকটু ভালো হত ব্যবসাকে আরও বড় ভাবে তুলে ধরা যেত ।1
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