दबंग के आगे बेबस सिस्टम सार्वजनिक रास्ता चढ़ा कब्जे की भेंट सरकार के बुलडोज़र पर सवाल—क्या कार्रवाई सिर्फ़ कमज़ोरों और धर्म विशेष तक सीमित है? जनापुर गांव में सार्वजनिक रास्ते पर हुआ अवैध कब्जा अब सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई नीति पर बड़ा सवाल बन चुका है। वर्ष 2018 से लगातार दी जा रही शिकायतों के बावजूद गांव के दबंग द्वारा किए गए पक्के अवैध निर्माण पर आज तक कोई बुलडोज़र नहीं चला। दबंग ने सार्वजनिक रास्ते को खुलेआम कब्जे में लेकर उसे निजी जागीर बना लिया, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना रहा । यही वजह है कि अब यह मामला सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहुचर्चित “बुलडोज़र एक्शन” पर सवाल उठा रहा है। ग्रामीणों का सवाल साफ है— क्या बुलडोज़र सिर्फ़ कमज़ोरों, गरीबों और धर्म विशेष के लोगों के लिए ही है? क्या रसूखदार और दबंग कानून से ऊपर हैं? यह रास्ता दर्जनों परिवारों के लिए जीवनरेखा था। किसानों के खेत इसी रास्ते से जुड़े थे, स्कूली बच्चे इसी से आते-जाते थे। रास्ता बंद होने से खेती प्रभावित हुई, बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ी, लेकिन अफसरों की फाइलें वर्षों से धूल फांक रही हैं।ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध कब्जे की जानकारी प्रशासन को समय-समय पर दी गई। अधिकारी मौके पर पहुंचे, निरीक्षण भी किया गया, मगर कार्रवाई सिर्फ काग़ज़ों तक सीमित रही। इससे यह आशंका और गहरी होती जा रही है कि दबंग को सत्ता और सिस्टम का संरक्षण प्राप्त है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जब ग्रामीणों ने कब्जे का विरोध किया तो उन्हें धमकाया गया, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सवाल उठता है कि जब आम आदमी बोले तो मुकदमे, और जब दबंग कब्जा करे तो खामोशी—यह कैसा कानून का राज है? अगर सरकार ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर सच में अमल करती है, तो फिर 2018 से चले आ रहे इस अवैध कब्जे पर अब तक बुलडोज़र क्यों नहीं चला? क्या कानून की धार रसूख के आगे कुंद हो जाती है? सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि यदि रास्ता बंद होने के कारण किसी दिन कोई बड़ा हादसा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा—स्थानीय प्रशासन, जिला प्रशासन या प्रदेश सरकार? ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि सार्वजनिक रास्ते को तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाए और दोषियों के साथ-साथ उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो, जिन्होंने वर्षों तक आंखें मूंदे रखीं। अब सवाल सिर्फ जनापुर का नहीं है, सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र न्याय समान है या चयनित? अब देखना यह है कि सरकार इस सवाल का जवाब कार्रवाई से देती है या चुप्पी से।
दबंग के आगे बेबस सिस्टम सार्वजनिक रास्ता चढ़ा कब्जे की भेंट सरकार के बुलडोज़र पर सवाल—क्या कार्रवाई सिर्फ़ कमज़ोरों और धर्म विशेष तक सीमित है? जनापुर गांव में सार्वजनिक रास्ते पर हुआ अवैध कब्जा अब सिर्फ एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई नीति पर बड़ा सवाल बन चुका है। वर्ष 2018 से लगातार दी जा रही शिकायतों के बावजूद गांव के दबंग द्वारा किए गए पक्के अवैध निर्माण पर आज तक कोई बुलडोज़र नहीं चला। दबंग ने सार्वजनिक रास्ते को खुलेआम कब्जे में लेकर उसे निजी जागीर बना लिया, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना रहा । यही वजह है कि अब यह मामला सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बहुचर्चित “बुलडोज़र एक्शन” पर सवाल उठा रहा है। ग्रामीणों का सवाल साफ है— क्या बुलडोज़र सिर्फ़ कमज़ोरों, गरीबों और धर्म विशेष के लोगों के लिए ही है? क्या रसूखदार और दबंग कानून से ऊपर हैं? यह रास्ता दर्जनों परिवारों के लिए जीवनरेखा था। किसानों के खेत इसी रास्ते से जुड़े थे, स्कूली बच्चे इसी से आते-जाते थे। रास्ता बंद होने से खेती प्रभावित हुई, बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ी, लेकिन अफसरों की फाइलें वर्षों से धूल फांक रही हैं।ग्रामीणों का आरोप है कि अवैध कब्जे की जानकारी प्रशासन को समय-समय पर दी गई। अधिकारी मौके पर पहुंचे, निरीक्षण भी किया गया,
मगर कार्रवाई सिर्फ काग़ज़ों तक सीमित रही। इससे यह आशंका और गहरी होती जा रही है कि दबंग को सत्ता और सिस्टम का संरक्षण प्राप्त है। सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जब ग्रामीणों ने कब्जे का विरोध किया तो उन्हें धमकाया गया, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सवाल उठता है कि जब आम आदमी बोले तो मुकदमे, और जब दबंग कब्जा करे तो खामोशी—यह कैसा कानून का राज है? अगर सरकार ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर सच में अमल करती है, तो फिर 2018 से चले आ रहे इस अवैध कब्जे पर अब तक बुलडोज़र क्यों नहीं चला? क्या कानून की धार रसूख के आगे कुंद हो जाती है? सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि यदि रास्ता बंद होने के कारण किसी दिन कोई बड़ा हादसा होता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा—स्थानीय प्रशासन, जिला प्रशासन या प्रदेश सरकार? ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि सार्वजनिक रास्ते को तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाए और दोषियों के साथ-साथ उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो, जिन्होंने वर्षों तक आंखें मूंदे रखीं। अब सवाल सिर्फ जनापुर का नहीं है, सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र न्याय समान है या चयनित? अब देखना यह है कि सरकार इस सवाल का जवाब कार्रवाई से देती है या चुप्पी से।
- कम्बल वितरण कार्यक्रम और वार्षिक उत्सव जैसे आयोजनों में जब कोई जननेता जनता के बीच पहुँचता है, तो असली पहचान जनता के प्यार से होती है। डिडौली गाँव पहुँचे भूतपूर्व विधायक राकेश सिंह का जो स्वागत देखने को मिला, वह साधारण नहीं बल्कि अभूतपूर्व था। ऐसा स्नेह, ऐसा अपनापन बहुत कम लोगों के हिस्से आता है।1
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- भारतीय एविएशन सेक्टर में बढ़ेगा मुकाबला, तीन नई एयरलाइंस को मिली उड़ान की मंजूरी देश के हवाई बाजार में अल हिंद एयर, फ्लाईएक्सप्रेस और शंख एयर की एंट्री से प्रतिस्पर्धा तेज होगी। नई एयरलाइंस के आने से यात्रियों को अधिक विकल्प, बेहतर सेवाएं और किराए में राहत मिलने की उम्मीद है। #IndianAviation #NewAirlines #AviationNews #AirTravel #BreakingNews #BusinessNews #IndiaUpdates #FlightServices #AviationSector1
- Post by Aaj Subah Times1
- Lko Big Breaking राजधानी लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल उद्घाटन वीवीआईपी कार्यक्रम की सुरक्षा-व्यवस्था के दृष्टिगत संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था महोदय द्वारा दी गई बाइट!!1
- बड़े ही धूमधाम से मनाया गया अभय सिंह विधायक का जन्म दिवस1
- सुंदरपुर गांव में भीषण आग, घर की पूरी गृहस्थी खाक, एक युवक 60% झुलसा अमेठी कोतवाली क्षेत्र के सुंदरपुर गांव में मंगलवार को अचानक आग लगने से एक परिवार की पूरी गृहस्थी जलकर राख हो गई। आग इतनी तेजी से फैली कि घर में रखा अनाज, कपड़े, बिस्तर और अन्य जरूरी सामान कुछ ही देर में स्वाहा हो गया। आग की चपेट में आकर राम सजीवन पुत्र राजा राम गुप्ता गंभीर रूप से झुलस गया। परिजनों के मुताबिक राम सजीवन लगभग 60 प्रतिशत तक जल गया है। ग्रामीणों ने किसी तरह आग पर काबू पाने की कोशिश की और घायल युवक को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। घटना के बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई। आग लगने के कारणों का अभी स्पष्ट पता नहीं चल सका है। सूचना मिलने पर पुलिस और प्रशासन को भी अवगत कराया गया है। पीड़ित परिवार ने प्रशासन से मदद और मुआवजे की मांग की है। अमेठी से बृजेश मिश्रा की रिपोर्ट1
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- यह उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि श्रद्धेय अटल जी की पैतृक भूमि उत्तर प्रदेश में ही, आगरा जनपद का बटेश्वर है। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा भी उत्तर प्रदेश के कानपुर में अर्जित की थी और सार्वजनिक जीवन की शुरुआत भी उत्तर प्रदेश में, बलरामपुर जनपद से करते हुए, देश की संसद में सर्वाधिक समय तक उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। — मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी1