राहुल का गांधी होना:- ( पिंकी मोरे ) राहुल गांधी होना इतना आसान नहीं है , समंदर से बड़ा जिगरा चाहिए। राहुल गांधी के पास एक ऐसा कलेजा है जो सदैव सत्ता से लड़ता रहा है , फिर चाहे अपनी सरकार में जनप्रतिनिधि कानून का अध्यादेश फाड़ना रहा हो या नरेन्द्र मोदी की सरकार की जनविरोधी नीतियों का लगातार विरोध रहा हो। भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में भट्टा पारसौल से शुरू हुई लड़ाई आजतक जारी है और सतत विचारधारा की लड़ाईं लड़ते विरोधियों ने राहुल गांधी ने अपने ऊपर एक एक करके 30 से अधिक मुकदमे दर्ज करा लिए। राहुल गांधी के मुंह से कुछ भी निकला , एक मुकदमा, जहां मौका देखा दूसरा मुकदमा, कहीं कहीं एक ही बात पर कई कई जगह मुकदमें। बलात्कार का मुकदमा, पास्को ऐक्ट के तहत मुकदमा, राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने के लिए मुकदमा,भ्रष्टाचार का मुकदमा, वैचारिक लड़ाई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हकीकत बताने पर मानहानि के 10 मुकदमे, ईडी के दर्ज मामले, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर तमाम मुकदमे, और अब यह "जान से मारने के प्रयास" का मुकदमा। और ऐसे 6 मुकदमों में वह ज़मानत पर बाहर हैं। राहुल गांधी पर बस हत्या और UAPA के तहत एफआईआर दर्ज होना ही बाकी रह गया है, मुझे उम्मीद है कि सत्ता प्रतिष्ठान एक दिन यह भी कराएगी क्योंकि यह राहुल गांधी है जो कांग्रेस के इतिहास में वह अकेला शख्स है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुनबे से अकेला लड़ रहा है और संघ के लिए स्पष्ट रूप से खतरा है। राहुल गांधी के पास संघ को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण भी है और स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ स्पष्ट रणनीति भी है जो यदि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बने तो संघ मुश्किल में आ जाएगा , यही बात संघ भी समझता है। राहुल गांधी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लड़ाई आर पार की लड़ाई है। यही कारण है कि राहुल गांधी इनके आक्रमण पर सबसे अधिक रहते हैं, कभी आंख मारने का आरोप तो कभी स्मृति ईरानी को चुम्मा देने का आरोप। कभी देश के गृहमंत्री द्वारा राहुल गांधी के चरित्र पर आन कैमरा आरोप और उन्हें शादी शुदा बताना। दरअसल राहुल गांधी कोई ऐसे ही नहीं बन जाता , उसके लिए कलेजा चाहिए, कोई और बंदा होता तो अब तक टूट जाता। मैंने राहुल गांधी को बहुत करीब से देखा और समझा है , और उनसे 2-3 घंटे बत्तमीज़ी की हद तक 1 टू 1 बहस की है , वह बंदा इतना सहनशील है कि मेरे तमाम हाईपर सवालों पर भी बस मुस्कुराता रहा , कांग्रेस की पूर्व में हुई गलतियों को मानता रहा और स्विकार करता रहा कि कांग्रेस से गलतियां इस लिए हुईं क्योंकि कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक संघी भरे पड़े हैं, मैं कांग्रेस में उनसे लड़ रहा हूं, और मुझे यकीन दिलाता रहा कि "राहुल की कांग्रेस ऐसी नहीं होगी ,आप देखना।" उस आधार पर दावे के साथ कह सकता हूं कि कल संसद के मकर द्वार पर जो कुछ हुआ, राहुल गांधी का उससे कोई लेना-देना नहीं, यह उनके खिलाफ एक और साजिश है जिससे अंबेडकर-अंबेडकर-अंबेडकर कर के अंबेडकर के अपमान पर फंसे गृहमंत्री अमित शाह को कवर किया जा सके। मुझे पूरा यकीन है कि राहुल गांधी ने यदि धक्का मुक्की की होती तो विश्वास कीजिए कि वह बंदा इतना सच्चा है कि सामने आकर कह देता कि "हां धक्का मुक्की हुई है और इसी में मैंने भी धक्का दिया जिससे कुछ सांसद घायल हो गए।" परिणाम चाहे कुछ भी होता राहुल गांधी को इसका डर नहीं, क्योंकि वह सच्चा इंसान है। दरअसल इस गिरोह का यही चरित्र है , मुद्दों से घिरने के बाद नया प्रोपगंडा करना और झूठी कहानियां गढ़ना , और यह इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं। राम के बाबरी मस्जिद में पैदा होने की कहानी गढ़ी प्रोपगंडा किया, समाज में नरेटिव सेट किया और बाबरी मस्जिद छीन ली , और उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में उस जगह राम के पैदा होने के दावे को ही खारिज कर दिया। संदेशखाली में सामूहिक बलात्कार की कहानियां गढ़ी, महीनों सैकड़ों टेलीविजन के प्राइम टाइम में पैनल डिस्कशन हुआ और फिर पीड़ित महिलाओं ने सामने आकर कैमरे के सामने कहा कि भाजपा के नेताओं ने उनसे जबरदस्ती सादे काग़ज़ पर हस्ताक्षर कराए जबकि उनके साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसी संसद सत्र में इसका और उदाहरण देखिए, अडाणी पर घिरे तो जार्ज सोरस को ले आए और जब विदेश मंत्री एस जयशंकर के बेटे और तमिलनाडु के गवर्नर आर. एन. रवि की बेटी "शमिका रवि" द्वारा जॉर्ज सोरोस की संस्था से ग्रांट लेने के तथ्य सामने आए तो फिर एक ट्विस्ट किया और राज्यसभा में देश के सबसे बड़े और मंहगे वकीलों में से एक अभिषेक मनु सिंघवी के टेबल पर से ₹50 हजार की बरामदगी दिखा दी और जब अंबेडकर पर घिरे तो राहुल गांधी पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करा दिया। दरअसल यही इनका चरित्र है , मगर मैं राहुल गांधी को जितना समझा हूं, वह इस सबसे डरने वाले नहीं हैं बल्कि और मज़बूत होंगे और निखरेंगे , यद्यपि कि उन पर तमाम मुकदमे उन्हें डराने के लिए ही है। संसद का मुख्य द्वार "मकर द्वार" जहां लोकसभा अध्यक्ष के आदेश के अनुसार कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए ना वहां इकट्ठा होना चाहिए तो भाजपा के सांसदों ने मोटी मोटी लाठी में बंधे प्लेकार्ड लेकर क्या कर रहे थे ? राहुल गांधी का रास्ता रोक रहे थे। दरअसल देख के ही समझ में आता है कि पूरी पटकथा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लिखी और राहुल गांधी यदि ज़मीन में गिरे भाजपा सांसद प्रताप सारंगी को मानवता वस देखने नहीं जाते तो वह इस सबसे बच सकते थे। राहुल गांधी लगातार संसद के सीसीटीवी फुटेज को जारी करने की मांग कर रहे हैं, सीसीटीवी फुटेज अभी तक जारी नहीं हुआ। दरअसल 64,500 वर्ग मीटर में फैली नयी संसद की इमारत के चप्पे-चप्पे पर थर्मल इमेजिंग सिस्टम और फेस रिकग्निशन सिस्टम से लैस एडवांस 300 से अधिक हाई रिजॉल्यूशन के सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यह सीसीटीवी कैमरे 360 डिग्री घूमते रहते हैं अर्थात यह बहाना भी नहीं कि उस जगह कैमरे का एंगल सेट नहीं था। तो फिर सीसीटीवी फुटेज ओम बिड़ला जारी क्यों नहीं करते? नहीं करेंगे क्योंकि फिर पूरी स्क्रिप्ट ध्वस्त हो जाएगी और घायल सांसदों की बढ़ती पट्टियां खुल जाएंगी। दरअसल राहुल गांधी वर्तमान के अभिमन्यु है , उन्हें चक्रव्यूह में फंसाने के लिए के लिए पिछले 11 साल से लगातार कोशिशें हो रहीं हैं, मगर द्वापरयुग से कलयुग तक में गंगा में बहुत पानी बह चुका है। यद्यपि शकुनि अभी भी मौजूद है और यह लोग अब वही गलती करते जा रहे हैं। महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की दो लाइनें हैं जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है। द्वापर युग में कौरवों का विवेक मरा था और कलियुग में इनका। यह राहुल गांधी पर जितना आक्रमण करेंगे राहुल गांधी उतना मज़बूत होंगे, और इनके लिए एक दिन काल बनेंगे। बस देखते रहिए 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
राहुल का गांधी होना:- ( पिंकी मोरे ) राहुल गांधी होना इतना आसान नहीं है , समंदर से बड़ा जिगरा चाहिए। राहुल गांधी के पास एक ऐसा कलेजा है जो सदैव सत्ता से लड़ता रहा है , फिर चाहे अपनी सरकार में जनप्रतिनिधि कानून का अध्यादेश फाड़ना रहा हो या नरेन्द्र मोदी की सरकार की जनविरोधी नीतियों का लगातार विरोध रहा हो। भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में भट्टा पारसौल से शुरू हुई लड़ाई आजतक जारी है और सतत विचारधारा की लड़ाईं लड़ते विरोधियों ने राहुल गांधी ने अपने ऊपर एक एक करके 30 से अधिक मुकदमे दर्ज करा लिए। राहुल गांधी के मुंह से कुछ भी निकला , एक मुकदमा, जहां मौका देखा दूसरा मुकदमा, कहीं कहीं एक ही बात पर कई कई जगह मुकदमें। बलात्कार का मुकदमा, पास्को ऐक्ट के तहत मुकदमा, राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने के लिए मुकदमा,भ्रष्टाचार का मुकदमा, वैचारिक लड़ाई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हकीकत बताने पर मानहानि के 10 मुकदमे, ईडी के दर्ज मामले, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर तमाम मुकदमे, और अब यह "जान से मारने के प्रयास" का मुकदमा। और ऐसे 6 मुकदमों में वह ज़मानत पर बाहर हैं। राहुल गांधी पर बस हत्या और UAPA के तहत एफआईआर दर्ज होना ही बाकी रह गया है, मुझे उम्मीद है कि सत्ता प्रतिष्ठान एक दिन यह भी कराएगी क्योंकि यह राहुल गांधी है जो कांग्रेस के इतिहास में वह अकेला शख्स है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुनबे से अकेला लड़ रहा है और संघ के लिए स्पष्ट रूप से खतरा है। राहुल गांधी के पास संघ को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण भी है और स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ स्पष्ट रणनीति भी है जो यदि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बने तो संघ मुश्किल में आ जाएगा , यही बात संघ भी समझता है। राहुल गांधी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की लड़ाई आर पार की लड़ाई है। यही कारण है कि राहुल गांधी इनके आक्रमण पर सबसे अधिक रहते हैं, कभी आंख मारने का आरोप तो कभी स्मृति ईरानी को चुम्मा देने का आरोप। कभी देश के गृहमंत्री द्वारा राहुल गांधी के चरित्र पर आन कैमरा आरोप और उन्हें शादी शुदा बताना। दरअसल राहुल गांधी कोई ऐसे ही नहीं बन जाता , उसके लिए कलेजा चाहिए, कोई और बंदा होता तो अब तक टूट जाता। मैंने राहुल गांधी को बहुत करीब से देखा और समझा है , और उनसे 2-3 घंटे बत्तमीज़ी की हद तक 1 टू 1 बहस की है , वह बंदा इतना सहनशील है कि मेरे तमाम हाईपर सवालों पर भी बस मुस्कुराता रहा , कांग्रेस की पूर्व में हुई गलतियों को मानता रहा और स्विकार करता रहा कि कांग्रेस से गलतियां इस लिए हुईं क्योंकि कांग्रेस में ऊपर से नीचे तक संघी भरे पड़े हैं, मैं कांग्रेस में उनसे लड़ रहा हूं, और मुझे यकीन दिलाता रहा कि "राहुल की कांग्रेस ऐसी नहीं होगी ,आप देखना।" उस आधार पर दावे के साथ कह सकता हूं कि कल संसद के मकर द्वार पर जो कुछ हुआ, राहुल गांधी का उससे कोई लेना-देना नहीं, यह उनके खिलाफ एक और साजिश है जिससे अंबेडकर-अंबेडकर-अंबेडकर कर के अंबेडकर के अपमान पर फंसे गृहमंत्री अमित शाह को कवर किया जा सके। मुझे पूरा यकीन है कि राहुल गांधी ने यदि धक्का मुक्की की होती तो विश्वास कीजिए कि वह बंदा इतना सच्चा है कि सामने आकर कह देता कि "हां धक्का मुक्की हुई है और इसी में मैंने भी धक्का दिया जिससे कुछ सांसद घायल हो गए।" परिणाम चाहे कुछ
भी होता राहुल गांधी को इसका डर नहीं, क्योंकि वह सच्चा इंसान है। दरअसल इस गिरोह का यही चरित्र है , मुद्दों से घिरने के बाद नया प्रोपगंडा करना और झूठी कहानियां गढ़ना , और यह इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं। राम के बाबरी मस्जिद में पैदा होने की कहानी गढ़ी प्रोपगंडा किया, समाज में नरेटिव सेट किया और बाबरी मस्जिद छीन ली , और उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में उस जगह राम के पैदा होने के दावे को ही खारिज कर दिया। संदेशखाली में सामूहिक बलात्कार की कहानियां गढ़ी, महीनों सैकड़ों टेलीविजन के प्राइम टाइम में पैनल डिस्कशन हुआ और फिर पीड़ित महिलाओं ने सामने आकर कैमरे के सामने कहा कि भाजपा के नेताओं ने उनसे जबरदस्ती सादे काग़ज़ पर हस्ताक्षर कराए जबकि उनके साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसी संसद सत्र में इसका और उदाहरण देखिए, अडाणी पर घिरे तो जार्ज सोरस को ले आए और जब विदेश मंत्री एस जयशंकर के बेटे और तमिलनाडु के गवर्नर आर. एन. रवि की बेटी "शमिका रवि" द्वारा जॉर्ज सोरोस की संस्था से ग्रांट लेने के तथ्य सामने आए तो फिर एक ट्विस्ट किया और राज्यसभा में देश के सबसे बड़े और मंहगे वकीलों में से एक अभिषेक मनु सिंघवी के टेबल पर से ₹50 हजार की बरामदगी दिखा दी और जब अंबेडकर पर घिरे तो राहुल गांधी पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज करा दिया। दरअसल यही इनका चरित्र है , मगर मैं राहुल गांधी को जितना समझा हूं, वह इस सबसे डरने वाले नहीं हैं बल्कि और मज़बूत होंगे और निखरेंगे , यद्यपि कि उन पर तमाम मुकदमे उन्हें डराने के लिए ही है। संसद का मुख्य द्वार "मकर द्वार" जहां लोकसभा अध्यक्ष के आदेश के अनुसार कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए ना वहां इकट्ठा होना चाहिए तो भाजपा के सांसदों ने मोटी मोटी लाठी में बंधे प्लेकार्ड लेकर क्या कर रहे थे ? राहुल गांधी का रास्ता रोक रहे थे। दरअसल देख के ही समझ में आता है कि पूरी पटकथा भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लिखी और राहुल गांधी यदि ज़मीन में गिरे भाजपा सांसद प्रताप सारंगी को मानवता वस देखने नहीं जाते तो वह इस सबसे बच सकते थे। राहुल गांधी लगातार संसद के सीसीटीवी फुटेज को जारी करने की मांग कर रहे हैं, सीसीटीवी फुटेज अभी तक जारी नहीं हुआ। दरअसल 64,500 वर्ग मीटर में फैली नयी संसद की इमारत के चप्पे-चप्पे पर थर्मल इमेजिंग सिस्टम और फेस रिकग्निशन सिस्टम से लैस एडवांस 300 से अधिक हाई रिजॉल्यूशन के सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यह सीसीटीवी कैमरे 360 डिग्री घूमते रहते हैं अर्थात यह बहाना भी नहीं कि उस जगह कैमरे का एंगल सेट नहीं था। तो फिर सीसीटीवी फुटेज ओम बिड़ला जारी क्यों नहीं करते? नहीं करेंगे क्योंकि फिर पूरी स्क्रिप्ट ध्वस्त हो जाएगी और घायल सांसदों की बढ़ती पट्टियां खुल जाएंगी। दरअसल राहुल गांधी वर्तमान के अभिमन्यु है , उन्हें चक्रव्यूह में फंसाने के लिए के लिए पिछले 11 साल से लगातार कोशिशें हो रहीं हैं, मगर द्वापरयुग से कलयुग तक में गंगा में बहुत पानी बह चुका है। यद्यपि शकुनि अभी भी मौजूद है और यह लोग अब वही गलती करते जा रहे हैं। महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की दो लाइनें हैं जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है। द्वापर युग में कौरवों का विवेक मरा था और कलियुग में इनका। यह राहुल गांधी पर जितना आक्रमण करेंगे राहुल गांधी उतना मज़बूत होंगे, और इनके लिए एक दिन काल बनेंगे। बस देखते रहिए 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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- Post by प्रेस क्लब अध्यक्ष बेटमा रणजीत मंडलोई1
- Post by Kamlesh guthariya1
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