* एक प्रश्न, * अभिव्यक्ति की आजादी कह ले या स्वतंत्रता। दोनों तरफ से आज प्रश्न खडा किया * दिब्यांश डायरी * ने ? संसद में राहूल द्वारा अभिब्यक्ति की स्वतंत्रता में के बीच जो स्थिति संसद से बाहर और वैश्विक धरा पर भी। दिब्यांश ने प्रश्न बनाया * प्रश्न की समीक्षा में - मनुष्य - मानव - पुरुष - महापुरुष के बीच अभिब्यक्ति पर दृष्टि दौडाया - मनुष्य अपने स्वतंत्र अभिब्यक्ति * जैनेटिक वा संग * को मनन कर - फेर-बदल कर मनुष्य के अभिब्यक्ति में * मानव आदर्श का योग कर पुरुष के पर पथ अग्रणी होता है - मानव और पुरुष के बीच हि सकल जीवन का आदर्श है * उस समय पुरुष क्रम में अभिब्यक्ति आदर्श के आवरण मे होता हैं।। पश्चिम की बाह्य और आभ्यंतर शिक्षा और संस्कृति ने भारत के हिंदू परिवार को आदर्श बिहिन करने पर तुला है । आदर्श पाठशाला प्रथम घर है * राहूल * जिस समय मोदी को चोर चोर कह रहे थे * हिन्दू हिंसक , राम काल्पनिक, सनातन एड्स जैसी धारणा और वाणी सुन कर हमे लज्जा ---- । अभिब्यक्ति में कुछ बिशेष जुडा हों जो समाज में प्रशंसा के काबिल हों * उठने, चलने, बोलने, भोजन, शयन, प्रातः दैनिक चरण और आचरण में आदर्श अभिब्यक्ति का वरण हमे आदरणीय और प्रशंनिय बनायेगा - इसका दूसरा लाभ जब हम पुत्र रुप में अवतरित होगे उस समय यह सभी गुणों का योग बना रहेगा।। यह प्रणाली मनोविज्ञान हमारे भारत और उत्तरी ध्रुव में अधिक प्रतिष्ठित है आज भी - उत्तर और दक्षिण की दैनिक प्रायोगिक संस्कृति दर्शनीय - अनुकरणीय - और आदर्श अभिब्यक्ति है।
* एक प्रश्न, * अभिव्यक्ति की आजादी कह ले या स्वतंत्रता। दोनों तरफ से आज प्रश्न खडा किया * दिब्यांश डायरी * ने ? संसद में राहूल द्वारा अभिब्यक्ति की स्वतंत्रता में के बीच जो स्थिति संसद से बाहर और वैश्विक धरा पर भी। दिब्यांश ने प्रश्न बनाया * प्रश्न की समीक्षा में - मनुष्य - मानव - पुरुष - महापुरुष के बीच अभिब्यक्ति पर दृष्टि दौडाया - मनुष्य अपने स्वतंत्र अभिब्यक्ति * जैनेटिक वा संग * को मनन कर - फेर-बदल कर मनुष्य के अभिब्यक्ति में * मानव आदर्श का योग कर पुरुष के पर पथ अग्रणी होता है - मानव और पुरुष के बीच हि सकल जीवन का आदर्श है * उस समय पुरुष क्रम में अभिब्यक्ति आदर्श के आवरण मे होता हैं।। पश्चिम की बाह्य और आभ्यंतर शिक्षा और संस्कृति ने भारत के हिंदू परिवार को आदर्श बिहिन करने पर तुला है । आदर्श पाठशाला प्रथम घर है * राहूल * जिस समय मोदी को चोर चोर कह रहे थे * हिन्दू हिंसक , राम काल्पनिक, सनातन एड्स जैसी धारणा और वाणी सुन कर हमे लज्जा ---- । अभिब्यक्ति में कुछ बिशेष जुडा हों जो समाज में प्रशंसा के काबिल हों * उठने, चलने, बोलने, भोजन, शयन, प्रातः दैनिक चरण और आचरण में आदर्श अभिब्यक्ति का वरण हमे आदरणीय और प्रशंनिय बनायेगा - इसका दूसरा लाभ जब हम पुत्र रुप में अवतरित होगे उस समय यह सभी गुणों का योग बना रहेगा।। यह प्रणाली मनोविज्ञान हमारे भारत और उत्तरी ध्रुव में अधिक प्रतिष्ठित है आज भी - उत्तर और दक्षिण की दैनिक प्रायोगिक संस्कृति दर्शनीय - अनुकरणीय - और आदर्श अभिब्यक्ति है।