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*वो खुश नशीब है जिन्होंने रेनॉट्स नोवा के प्रोडक्ट पर किया विश्वास।* *रेनॉट्स से हेल्थ ओर वेहल्थ दोनों पावें।* कहानी अपनी-अपनी दोस्तों 9साल से बच्चे नहीं हो रहे थे... Renatus से सूने आंगन में बच्चे की किलकारी गूंज उठी। 👉Renatus जब शरीर में जाता है तो जहां जो प्रॉब्लम होती है, वहीं जाकर उसे दुरुस्त करता है इसीलिए सबकुछ ठीक होने में वक्त तो लगता है।रेनॉट्स नोवा में होम डिलीवरी प्रोडक्ट ओर काम के इच्छुक व्यक्ति महिला-पुरुष के रजिस्ट्रेशन उपलब्ध है आज ही अपने आधार कार्ड,पैनकार्ड के साथ ईमेल ओर रजिटर्ड मोबाइल नम्बर भेजे ओर घर बैठे काम करने के लुई सम्पर्क करें।#"*कीर्ति लॉइफ केअर, वेलनेस सेंटर इंद्रा कॉलोनी छबड़ा जिला-बारां-325220 राजस्थान सम्पर्क ओर वाट्सप -7742139222*"#
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Alakh Jyoti Yog Present
*वो खुश नशीब है जिन्होंने रेनॉट्स नोवा के प्रोडक्ट पर किया विश्वास।* *रेनॉट्स से हेल्थ ओर वेहल्थ दोनों पावें।* कहानी अपनी-अपनी दोस्तों 9साल से बच्चे नहीं हो रहे थे... Renatus से सूने आंगन में बच्चे की किलकारी गूंज उठी। 👉Renatus जब शरीर में जाता है तो जहां जो प्रॉब्लम होती है, वहीं जाकर उसे दुरुस्त करता है इसीलिए सबकुछ ठीक होने में वक्त तो लगता है।रेनॉट्स नोवा में होम डिलीवरी प्रोडक्ट ओर काम के इच्छुक व्यक्ति महिला-पुरुष के रजिस्ट्रेशन उपलब्ध है आज ही अपने आधार कार्ड,पैनकार्ड के साथ ईमेल ओर रजिटर्ड मोबाइल नम्बर भेजे ओर घर बैठे काम करने के लुई सम्पर्क करें।#"*कीर्ति लॉइफ केअर, वेलनेस सेंटर इंद्रा कॉलोनी छबड़ा जिला-बारां-325220 राजस्थान सम्पर्क ओर वाट्सप -7742139222*"#
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- *धन बचा लो,तन बचा लो लेकिन मन के विचारों से तो आजाद हो जाओ।* "*सत्यमेव जयते" पर अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग की गुरूवारीय सत्संग सभा समपन्न।*" *बिना क्रिया मुर्दा इंसान,यह बुरी ओर अच्छी केवल विचारों की गणना भर है। विचार प्रकट करने की इच्छा हमेशा जाग्रत रहनी चाहिए।* छबड़ा:अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,आर्य समाज रोड़ इंद्रा कॉलोनी केंद्र से "सत्यमेव जयते" विषय को लेकर योगाध्यक्ष शंकर लाल नागर उर्फ स्वामी ध्यान गगन की अध्यक्षता ओर राम दयाल खांखरा के मुख्य आतिथ्य में अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,इंद्रा कॉलोनी छबड़ा से जुड़े साधकों के बीच कुटुंब एप पर विचार सत्संग वार्ता आयोजित हुयीं।प्रमुख वक्ता अध्यक्ष नागर ने वार्ता से प्रथम वार्ता की भूमिका में कहा कि आदिकाल से वर्तमान तक कि यात्रा में मनुष्य केवल अपनी सोच में रहता आया हैअधिकतर मनुष्य की सोच धन बचा लूं,तन बचा लूं,में रही है।ऋषि कहते है बच सके तो बचा लो भाई लेकिन फिर भी यह तो खर्च हो ही जाती है,धन तुम से नही तो तुम्हारी आने वाली पीढ़ी से तुम्हरा जमा धन खर्च हो ही जायेगा ओर तुम्हारे शरीर रूपी तन को धीरे-धीरे काल,समय खत्म कर देगा फिर तुमने बचाने का यत्न कर किसे बचा लिया? दोस्तों बचाना है तो केवल उतना जिससे हम बचे ओर घर आया मेहमान बच जावें तो बचा लो जिसमें घर चल जावे अपना।शेष अपनी खर्च की सोच बदलो दुनियां स्वतः बदल जायेगी।धन और तन की चिन्ता छोड़ दो हम तो कहते है कि केवल मन के विचारों से ही आजाद हो जाओ।इस संसार में बिना क्रिया के इंसान मुर्दा है, इंसान की क्रिया बुरी ओर अच्छी केवल विचारों के प्रेषण से ही होती है।हम सब मे विचार प्रकट करने की इच्छा हमेशा जाग्रत रहनी चाहिए।गुरुवार को इसी सोच को बल प्रदान करने के लिये ऑनलाइन सत्संग सभा आयोजित की गयीं जिसमें सत्यमेव जयते को लेकर विचार प्रकट किए गये विचारों के प्रवाह में पूर्व सेवानिवृत सीबीईओ प्रेम सिंह मीणा से.नि.प्रधानाचार्य जगदीश चन्द्र शर्मा,ब्रजेश शर्मा,सत्य प्रकाश शर्मा,अनिल जैन ओशो सन्यासी ओर सतीश शर्मा नें भाग लिया सभी ने अपने विचार प्रकट किए योगाध्यक्ष नागर ने विचार प्रकट करते हुए कहा कि सत्यमेव जयते अर्थात "जीत सत्य की ही होती है।" लेकिन कब जब हम झूँठ के समर्थन की तरह सत्य का भी समर्थन करें तभी सत्यमेव जयते का महत्व और जीत हो सकती है। मित्रों इस सर्व समाजों के युग में हम सब मौजूद है यहां परिवार,समाज,राष्ट्र हित के किसी अच्छे-बुरे कर्म के प्रति लोगों की क्रिया ओर प्रतिक्रिया होती है इस समय आपको भी आसपास गठित हो रही घटनाओं के प्रति जागरूक होना चाहिए केवल चुप बैठने से ओर सुनते रहने से तो असत्य ही इस युग मे जीतता है आपको इस कलयुग में कर्म करने से ही अच्छे परिणाम मिल सकते क्यों,क्योकिं इस युग में हर मनुष्य के ऊपर काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद रूपी पांच शत्रु हावी है वो मुझमें भी है और आप मे भी है इनका किसी में ज्यादा तो किसी में कम रहता ही है कलयुग मनुष्य का हाथ सबसे पहले खुद के मुँह की तरफ ही आता है दूसरे के मुख यानी भलाई की ओर कम ही जाता है,यही कारण है कि यहां आज भी 80 प्रतिशत या तो नोकर बनना चाहते है या फ्री का लेना चाहते ओर यही क्रम गरीबी की ओर ले जाता है,हम देना नही चाहते ज्यादातर लेना ही चाहते है।जबकि लाभ की गणना के लिए भला करना होगा।क्योकि भला का उलट लाभ होता है।सतयुग,द्वापर,त्रेता युग के बाद यह कलयुग है इसे चौथे युग की संज्ञा दी गयी है।वैसे यह सृष्टि त्रि गुणात्मक है तो युग भी तीन ही प्रमुख है यह चौथा युग(कलयुग) तो परिवर्तन के लिए प्रकट हुआ माना गया है।इस युग में वो लोग जन्में है जो तीनों युगों में किसी कारण से जन्म नही ले सकें।तो मित्रों बात यह है कि हम में से अब कौन सतयुग में प्रवेश करेगा यह अब हमारे ऊपर है,मेरा मत विवाद के लिए नही है,ध्यान से चिन्तन-मनन के लिए है,दोस्तों हमें जो शरीर मिला है यह हमारे मां-बाप की असीम कृपा से मिला है।इस देव दुर्लभ शरीर का पालन पोषण परमात्मा की कृपा से इस प्रकृति,वातावरण,वायुमंडल से निःशुल्क प्राप्त पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु,आकाश रूपी पंच तत्वों से मिला है और हमारी यात्रा इन्ही पंच तत्वों की कृपा से वर्तमान तक आ पहुंची है।इस शरीर मे जो ऊर्जा प्रवाहित हो रही है यह सब 'सत्यमेव जयते' पर आधारित है।जैसे हमारे शरीर मे तीन नाडियां(इड़ा,पिंगला,सुषम्ना)इनसे जुड़े साथ चक्र(मूलाधार,स्वाधिष्ठान, मणिपुर,अनाहत,विशुद्धि,आज्ञा ओर सहस्त्रार ) है इनमें तीन तत्व सत,रज,तम रमण करते है।इस से 72 हजार नाड़ियों के तार जुड़े हुए रहते है। जो हमारे आहार-विहार,आचार-विचार के सहयोग से अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद का सहारा लेकर कर्म को करवाते रहते है और फिर हमारा मुकाबला परिणाम के फल से होता है जो हमें अच्छे कर्म का अच्छा और बुरे कर्म का बुरे फल का स्वाद देते है।ध्यान रहें इस शरीर में प्राणों के साथ एक परमात्मा का बंदा चैतन्य आत्मा भी बैठा हुआ है जिसको हम कम ही पहचानते है इस आत्मा को आपके कर्म प्रभाव छू भी नही सकते ओर उसे तुम परमात्मा की तरह देख भी नही सकते वो सूक्ष्म से भी सूक्ष्म है,आप अपने पिछले जन्मों के कर्म के हिसाब से आत्मा रूप जन्मे है तो यहां स्पष्ठ है कि आप शरीर नही है आत्मा है।लेकिन हम किसे पूज रहे है केवल शरीर को हम किसकी सुन रहे है एक दूसरे शरीर की हम वास्तव में आत्मा की सुनते ही नही कारण की हम शरीर को ही महत्व देते आए है आत्मा को नही।आत्मा सत्य की आवाज ही सुनता है और शरीर असत्य के ही गुण गाता है।जैसे हम सब पिछले शरीरों से गरीबी,अमीरी के घरों में पैदा हुए है अभी आप अपना स्थान पहचान लेवें।हम गरीब ओर अमीर क्यों है ? यदि हम गरीब है तो हमने अमीर बनने के लिए अभी भी उचित कर्म नही किया।उचित यानी देने की क्रिया(स्वाहा) नही की गयी केवल लेनें ओर संग्रह में ही लगे रहें तो भिखारियों की गिनती में ही रहें।आज नही बन सके कोई बात नही अमीर बनना है तो तन,मन,धन से देनें की क्रिया शुरू कर देवें।नही दिया हमने अब भी नही दे रहे इसलिए हम आज भी गरीब है।हम यदि समय रहते हमारी ज्ञानेंद्रियों ओर कर्मेंद्रियों का सत्यमेव जयते के अनुसार प्रयोग करते तो हम भी अमीर बन सकते थे।शेष अगले अंक में नागर ने सबका आभार जताया और विचारों के मंथन के लिए अलख निरंजन ज्योति ज्योति ध्यान योग केंद्र के कुटुम्ब एप से जुड़ने ओर जोड़ने का आवाहन कर आज की सभा का समापन किया गया।4
- Post by Madhu Singh1
- श्री राम डिस्को ढोल अकलेरा मां महावीर सिह राव मों,96807379451
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