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हमारे गांव करणी जागीर में भागवत कथा समापन महोत्सव में भक्तजनों का जनसैलाब, सभी भक्तजनों का"धन्यवाद" 🙏
Surendra Kumar Meena
हमारे गांव करणी जागीर में भागवत कथा समापन महोत्सव में भक्तजनों का जनसैलाब, सभी भक्तजनों का"धन्यवाद" 🙏
- DDDhanaraj DhanarajChhipabarod, Baran🙏20 hrs ago
- Surendra Kumar MeenaChhipabarod, Baran🙏1 day ago
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- *छीपाबडौद उपखण्ड अधिकारी को धाकड़ महासभा की ओर से सौंपा पप्पू धाकड़ के हमलावरों को गिरफ्तार करनें की मांग को लेकर ज्ञापन।* *अखिल भारतीय धाकड़ महा सभा शाखा छबड़ा ने समाज बंधुओं(नागर, मालव,किराड़) का जताया आभार कहा इसी तरह सब शिकायते भूल समाज एकता रही तो जीत समाज की होगी।* *किसी भी स्वार्थ पूर्ति के लिए कोई सामाजिक एकता खण्डित करता है तो समाज के युवा उन असामाजिक तत्वों पर निगाह रखे और उन्हें दरकिनार करें,जो समाज के बल पर राजनीतिक रोटियां तो सेक सकते है पर समाज की एकता और विकास के लिए कुछ नही करते।* *युवा समाज बन्धु आगे आये और राजनीतिक मंचो को छोड़ सामाजिक मंचों की ओर बड़े और समाज के युवाओं को सामाजिक उत्थान की ओर मोड़े,उन्हें नई दिशा और सोच प्रदान करें,जिससे वर्तमान में बढ़ रही समाज की कर्ज लेकर घी खानें ओर खिलाने की प्रथाएं जिनमें महंगी शादी,विवाह,जन्मदिन,मृत्युभोज के साथ धार्मिक आयोजनों,ग्रामों उतो के चबूतरे,जगराते,नशावृत्ति आदि कुरीतियों को हटाया जा सके।समाज के कर्ण धार सबसे पहले समाज सुधार कर तन,मन और धन से समाज मजबूत बनें इस ओर काम करें। इसके लिए समाज द्वारा जो दिखावा ओर एक दिन के आयोजनों की शान ओर शौकत के लिए मंहगे गार्डन,बफर डिनर बुक कर पैसा पानी की तरह खर्च किया जा रहा है उस ओर ध्यान दिया जा रहा है।समाज मे जो लोग धनवान है वो अपने पैसे को एक सामाजिक कोष बनाकर समाज की नई पीढ़ी के नव निर्माण हेतु स्वयं या समाज के बैनर तले सामाजिक उत्थान की संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन करा,उनमें संभव हो तो सरकारी सहायता लेकर उच्च शिक्षा के विद्यालय,कॉलेज आदि खोले,उनमें सामाजिक चिकित्सा केंद्र,पशुधन संरक्षण,कृषि अनुसंधान केंद्र,खोले बनवावे,स्वयं खड़े होकर समाज के छात्रावासों का नव निर्माण,विकास करें जिनमें हमारे बालक पढ़े ओर हमारे सामाजिक आयोजन ऐसे स्थानों पर कम खर्च में हो सके। साथ ही ऐसे सामाजिक संस्थानों में हमारे समाज के बेरोजगार पढ़े-लिखे लोगों को नोकरियों में प्रवेश के लिए निःशुल्क कोचिंग उपलब्ध करावें। जिससे समाज के बालक डॉक्टर,इंजीनियर ओर प्रशासनिक सेवाओ में अधिकारी बन समाज और राष्ट्र का विकास कर सके।वो सबल बनेंगे तो उन्हें निजी और राजकीय संस्थानों में रोजगार मिलेगा। जिससे कृषि आधारित समाज के बालको को अन्य क्षेत्रो में भी जाने से कृषि पर आश्रित मानवीय भार कम होगा।आज बड़े पदों पर समाज के बहुत कम युवा मौजूद है।हम ओबीसी में जरूर है पर उसमें भी सरकार ने क्रीमीलेयर(धनवान) की परत चढ़ा दी गयी है,जबकि धाकड़ वर्ग कृषि प्रदान वर्ग है और कृषि आज भी मौषम के अनुसार जुवां ही है। हमें ओबीसी वर्ग का कोई लाभ किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक नही दिया यदि हम भी अन्य आरक्षित समाजों की तरह मांग करते तो आज हमारा भी कम से कम 10 % धाकड़ कृषक आरक्षित कोटा होता।कोठा होता तो हमारे उतने प्रतिशत बालक तो उच्च पदों की सेवा में अधिकारी बनते। लेकिन हमने अब ऐसे समय भी हमारे समाज के विकास के लिए उन्नति के कल्प विकसित नही किए गये तो आगे भावी पीढ़ी केवल कृषि मजदूरी के बल पर कैसे प्रोग्रेस करेगी ओर हमें कैसे याद रख सकेगी।हम तो अभी भी दलगत राजनीति के शिकार होकर दलबन्दी कर पार्टियों के गुलाम बने हुए है।हम मिलकर कोई ऐसा सामाजिक मंचो से मिल चिन्तन क्यों नही कर सकते जिससे हमारा वजूद स्वतंत्र हो सकें। हम परमात्मा रूपी सर्व शक्ति समपन्न शरीर पाकर भी हम किसी की शरण क्यों जावें।कलयुग में शरण समाज रूपी किले के पास होती है घट्टी के पाठो की ओर बड़ेगे ओर दूसरों की शरण जावोगे तो दूर पड़ जावोगे ओर हमारा मरण हो जावेगा।क्या हम हमारे समाज को हमारा सुरक्षा कवच नही समझते कारण आज भाई-भाई से बात नही कर रहा और पड़ोसी को भाई बता रहा जो घर मे बैठ उसकी इज्जत के राज पता कर लाभ उठा लेता है जब उसके समझ मे आता है कि भाई-भाई लड़े भले टूट सका क्या नाता।हमें आज समाज के ध्वज तले ही रहना है जिससे जब जिसे सहायता की जरूरत पड़ेगी वो हमारे समाज के संगठन के पास आवे हम मिलकर उसकी मदद करेगें।यदि कोई न्याय की लड़ाई के लिए अन्य समाज के बन्धु भी आवेंगे तो हम मानव है और बड़े रूप में हमारा समाज भी मानवीय समाज ही रहेगा।हम ऐसी रणनीति के सदस्य बने तो समाज आगे बढ़ सकेगा।हम एक दूसरे की बुराई नही देखे केवल अच्छाई ही देखें।हमें इस एकता के साथ अन्य समाजों के साथ भी गुण ग्रहीता के साथ जुड़ना है और उनकी अच्छी बातों को ग्रहण कर उनके द्वारा चलाये जा रहे सत्यमेव जयते के अभियानों का भी समर्थन करना है जिससें सर्व समाजो के साथ सामूहिक एकता बढ़ेगी।जिससे राष्ट्रीय एकता का सूत्र भी मजबूत होगा।समाज का मतलब जाति प्रथा नही है समाज का अर्थ है यह सम्पूर्ण मानव समाज जो विभिन्न वर्गों में विभाजित हो गया है।इस पृथ्वी पर आदिकाल से दो वर्ग थे।एक देवता और एक दानव वर्ग दोनों ही एक पिता की संतानें है,दानव वर्ग लेता है और देवता वर्ग हमेशा देता है इसे सब समझे और फिर दोस्ती करें।दानव ओर मानव दोनों ही दल वर्तमान में अपनी-अपनी सत्ता पृथ्वी पर कायम करने के लिए संघर्षरत है। मानव जब दानव बन दानवों का समर्थन करते है तो आपको ओर हमको कौन बचा सकता है।अपराधी ओर अपराध दोनों ही किसी न किसी समाज के मानव ही होते है।जो जैसी खुराक लेगा वो वैसा ही बन जावेगा,हम धरती पर मानव बनें तो हमे मानवों के पाले में ही रहना है।अपने आप की पहचान करें और धरती पर शांति कायम करने में सहयोगी बनें राम ने भी रावण पर,पशु,पक्षी,रीछ,नर,वानर के सहयोग से सीता का पता लगाकर रावण का वध कर विभीषण को राज्य सौंप लंका वासियों को सुखी कर दिया था।आज देश मे अपराध बढ़ रहे है जिन्हें हम रोक नही पा रहे क्यों?चिन्तन-मनन करोगे तो हम सब धरती के वासी ही अपराधों के लिए दोषी है,हम ही हमारे विभिन्न समाजों में पैदा हो रहे अपराधियों को पनाह देते है जो समाज के साथ आगे बढ़कर देश के लिए भी घातक सिद्ध हो रहे है। क्यों नही अपराधी किस्म के लोगो को उनका जन्मदाता समाज ही बहिष्कृत कर अपराध रोक देवें इससे सरकार के सुरक्षा तंत्र को भी सहयोग मिलेगा।सुरक्षा तंत्र में लगे व्यक्ति भी पार्टियों के गुलाम बनने की जगह कानून की रक्षा करने के गुलाम(नोकर) बने तो उनका भी लोकतंत्र में मोक्ष का मार्ग होगा। सर्व समाज में जनमित आत्माएं,जिसे में जाति समाज की आत्मा के स्थान पर मानव समाज की आत्मा कहना ज्यादा उचित समझूँगा,अपनी आत्मा से पूछे,जीवन थोड़ा है मृत्यु सबकी होनी है लेकिन सच्चाई के पाले में रहकर ही जीवन जिए तो उनका मानव बन धरती पर जन्म लेना सार्थक होगा।दानवों को सजा मिले,मानवों को राहत मिल सके इसके लिए हमे सदैव घर,परिवार,समाज और राष्ट्र के नव निर्माण के लिए महाभारत से ज्यादा रामायण से सीख लेनी चाहिए।हमें जन्म लेकर मृत्यु तक तप,सेवा,सुमरण ओर समपर्ण से निर्णय ओर संकल्प कर धरती पर रामराज्य की ओर बढ़ना चाहिए,यदि हम दानवी लोगो का साथ देते रहे तो मानवता की ओर कभी नही लौट सकेगें एक दिन धरती से हम लुप्त हो जायेगे हां हम उस समय मौजूद नही होगें,नई पीढ़ी हमारे विचार बचाये रखेगी तो वो आपके स्वतंत्र इतिहास को याद कर सकेगी।याद रखों महलों की ग़ुलामी से झोपड़ी की आजादी ज्यादा अच्छी होती है,महलों में केवल मूर्ति पूजन होता है झोपड़ियों में राम के दर्शन होगें।धाकड़ एकता कायम रहे।जय हिंद-धाकड़ कलम की आवाज़ के विचार अपने है किसी का सहमत,असहमत होना आवश्यक नही है।🙏✍️2
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- Khanpur jhalawar1