दीपावली को लेकर गतवर्ष की तरह इसबार भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पंचांगों में भेद और अलग-अलग मान्यता के चलते 20-21 में दोनों दिन दीवाली मनाने की तैयारियां हैं। पिछले साल भी हरिद्वार में दो दिन दीवाली मनाई गई थी। विवाद इसलिए हो रहा है कि दीपावली में अमावस्या होनी चाहिए और यह सूर्योदय से रात तक होनी चाहिए। क्योंकि लक्ष्मी व दीपावली पूजन रात में होता है लेकिन इसबार हो ये रहा है कि अमावस्या 20 अक्टूबर की दोपहर आ रही है और 21 की शाम को खत्म हो रही है।20 में अमावस्या सूर्योदय में नहीं है और 21 में रात में नहीं है। इसलिए इसे मनाने के अलग-अलग सिद्धांत और मान्यताओं का हवाला देकर दोनों दिन दीवाली मनाई जा रही है। वैदिक ग्रंथ धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, मुहूर्त चिंतामणि इत्यादि ग्रन्थों के अनुसार 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाना चाहिए। इन गृंथों के अनुसार जिस दिन प्रदोषकाल से लेकर रात तक अमावस्या तिथि मौजूद रहती है उस दिन दीवाली मनाई जा सकती है और ऐसा 20 अक्टूबर 2025 को ही हो रहा है। इसलिए दिवाली पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाया जाना चाहिए। वहीं कार्तिक अमावस्या का स्नान 21 अक्टूबर की सुबह उचित बताया जा रहा है क्योंकि इस दिन सूर्योदय में सुबह के समय अमावस्या तिथि रहेगी।इन ग्रंथों को मानने वालों के अनुसार लोग अपने ऑफिस, कार्यालयों में दिवाली की पूजा 21 अक्टूबर की सुबह लक्ष्मी पूजन के साथ कर सकेंगे। उधर भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी का कहना है कि करीब 62 वर्षों में ये परिस्थिति आती है। जब दीवाली त्यौहार में तिथि की वजह से मत भिन्नता होती है।1962, 1963 में भी ऐसा हीं हुआ था। 1963में तो दीवाली 17 अक्टूबर की और भाई दूज एक महीने बाद मनाई गई थी क्योंकि बीच में अधिक मास आ गया था। इसी प्रकार से 1900, 1901, 1837 में भी हुआ था। इन सभी दिनों में दीवाली के दिन रात्रि में अमावस नही थीं। 1901 में 11नवंबर को अमावस दोपहर 13. 04 पर हीं समाप्त हो गई थीं, परन्तु उसी दिन दीवाली मनाई गयी, क्योंकि एक सिद्धांत के अनुसार प्रतिपदा का मान जब भी अमावस से और चतुर्दशी से ज्यादा होगा तो प्रतिपदा से युक्त दीवाली होंगी। सोसायटी के अनुसार इसबार अमावस का कुल मान 26 घंटे 10 मिनट तक है। प्रतिपद़ा 26 घंटे 20 मिनट तक होंगी। चतुर्दशी 25 घंटे 53 मिनट तक रहेगी। अतः अमावस्या एवं प्रतिपदा युक्त दीवाली मानी जाएगी। इसीलिए 21 अक्टूबर को प्रतिपद युक्त अमावस्या में दीवाली होंगी, 20 को नहीं। अतः समस्त गृहस्थ 21 अक्टूबर को दीपावली पूजन करें।
दीपावली को लेकर गतवर्ष की तरह इसबार भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पंचांगों में भेद और अलग-अलग मान्यता के चलते 20-21 में दोनों दिन दीवाली मनाने की तैयारियां हैं। पिछले साल भी हरिद्वार में दो दिन दीवाली मनाई गई थी। विवाद इसलिए हो रहा है कि दीपावली में अमावस्या होनी चाहिए और यह सूर्योदय से रात तक होनी चाहिए। क्योंकि लक्ष्मी व दीपावली पूजन रात में होता है लेकिन इसबार हो ये रहा है कि अमावस्या 20 अक्टूबर की दोपहर आ रही है और 21 की शाम को खत्म हो रही है।20 में अमावस्या सूर्योदय में नहीं है और 21 में रात में नहीं है। इसलिए इसे मनाने के अलग-अलग सिद्धांत और मान्यताओं का हवाला देकर दोनों दिन दीवाली मनाई जा रही है। वैदिक ग्रंथ धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, मुहूर्त चिंतामणि इत्यादि ग्रन्थों के अनुसार 20 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाना चाहिए। इन गृंथों के अनुसार जिस दिन प्रदोषकाल से लेकर रात तक अमावस्या तिथि मौजूद रहती है उस दिन दीवाली मनाई जा सकती है और ऐसा 20 अक्टूबर 2025 को ही हो रहा है। इसलिए दिवाली पर्व 20 अक्टूबर को ही मनाया जाना चाहिए। वहीं कार्तिक अमावस्या का स्नान 21 अक्टूबर की सुबह उचित बताया जा रहा है क्योंकि इस दिन सूर्योदय में सुबह के समय अमावस्या तिथि रहेगी।इन ग्रंथों को मानने वालों के अनुसार लोग अपने ऑफिस, कार्यालयों में दिवाली की पूजा 21 अक्टूबर की सुबह लक्ष्मी पूजन के साथ कर सकेंगे। उधर भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी का कहना है कि करीब 62 वर्षों में ये परिस्थिति आती है। जब दीवाली त्यौहार में तिथि की वजह से मत भिन्नता होती है।1962, 1963 में भी ऐसा हीं हुआ था। 1963में तो दीवाली 17 अक्टूबर की और भाई दूज एक महीने बाद मनाई गई थी क्योंकि बीच में अधिक मास आ गया था। इसी प्रकार से 1900, 1901, 1837 में भी हुआ था। इन सभी दिनों में दीवाली के दिन रात्रि में अमावस नही थीं। 1901 में 11नवंबर को अमावस दोपहर 13. 04 पर हीं समाप्त हो गई थीं, परन्तु उसी दिन दीवाली मनाई गयी, क्योंकि एक सिद्धांत के अनुसार प्रतिपदा का मान जब भी अमावस से और चतुर्दशी से ज्यादा होगा तो प्रतिपदा से युक्त दीवाली होंगी। सोसायटी के अनुसार इसबार अमावस का कुल मान 26 घंटे 10 मिनट तक है। प्रतिपद़ा 26 घंटे 20 मिनट तक होंगी। चतुर्दशी 25 घंटे 53 मिनट तक रहेगी। अतः अमावस्या एवं प्रतिपदा युक्त दीवाली मानी जाएगी। इसीलिए 21 अक्टूबर को प्रतिपद युक्त अमावस्या में दीवाली होंगी, 20 को नहीं। अतः समस्त गृहस्थ 21 अक्टूबर को दीपावली पूजन करें।
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- “गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल” यह गाना सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी की पहचान बन चुका है। गली-गली, शहर-शहर गूंजने वाली इस आवाज़ को हर उम्र के लोगों ने सुना है। सोशल मीडिया पर अब इस गाने से जुड़े गायक का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग हैरान भी हैं और खुश भी। #ViralVideo #TrendingReels #IndianSongs #DailyLife #ReelIndia #GadiWala #InternetBreaks #ExplorePage1
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