*चन्द्र ओर सूर्य ग्रहण का भौतिक और आध्यात्मिक महत्व।* छबड़ा:भारत वर्ष एक भौतिकता के साथ-साथ आध्यात्मिक देश भी है।यहां पर सभी धर्मों को फलने-फूलने का अवसर मिला है,यही से सम्पूर्ण विश्व में अध्यात्म के ज्ञान का प्रकाश फैला,बुरे कर्मों के प्रभाव से सब मिट जावेगें लेंकिन भारतीय सनातन के ज्ञान से यह संसार सदा रोशन होता रहेगा।भारत देश में हिन्दू ,सनातन धर्म के मतावलम्बियों द्वारा कई साधनात्मक दृष्टिकोण से समय-समय पर कई तीज,त्यौहार,पर्व,उत्सव,व्रत,उपहास किये जाते रहे है।ज्योतिष और तंत्र के कई महान ज्ञाताओ नें शास्त्रों में उल्लेख के द्वारा सकारात्मक निर्देश प्रदान किये है वैसे ही ग्रहण काल के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने और कुछ को न करने का निर्देश दिये गये है।आध्यात्मिक विद्वानों का मानना था कि ग्रहण का समय एक अत्यंत शक्तिशाली और संवेदनशील काल होता है जिसका उपयोग साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जा सकता है। *ग्रहण काल मेंक्या करना चाहिए?*साधना और मंत्र जाप:विद्वानों के अनुसार,ग्रहण काल मंत्र सिद्धि ओर नाम जप के लिए सबसे उत्तम समय होता है।इस दौरान किए गए मंत्र ओर नाम जाप का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। *ग्रहण में तांत्रिक क्रियाएं*: तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए यह समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान की गई तांत्रिक क्रियाएं तुरंत फल देती हैं लेंकिन जग के कल्याणार्थ की गयीं साधनाओं का ही फल शुभ होता है,क्रूरता का परिणाम इस समय बुरा होता है। *ग्रहण में ,यथा शक्ति दान भी करें:*दान:ग्रहण समाप्त होने के बाद अनाज,वस्त्र और धन का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।इससे ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। *स्नान*:ग्रहण समाप्त होने पर पवित्र नदियों या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।यह शुद्धि का प्रतीक है। *ध्यान*: इस समय का उपयोग आत्म-चिंतन और ध्यान के लिए करना चाहिए,जिससे मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है। *ग्रहण काल में,क्या नहीं करना चाहिए?* खाना-पीना: ग्रहण शुरू होने से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए।ग्रहण के दौरान भोजन पचने में कठिनाई होती है और माना जाता है कि यह अशुद्ध हो जाता है। *शयन* (सोना): ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए।इस समय को जागृत अवस्था में रहकर साधना या ध्यान में बिताना चाहिए। *शुभ कार्य:नए कार्य की शुरुआत, विवाह,मुंडन या किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य इस दौरान नहीं करना चाहिए। *देवताओं की मूर्ति को स्पर्श करना* : ग्रहण के समय मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। *गर्भवती महिलाएं*: गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।उन्हें ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही चाकू,कैंची या सुई जैसी नुकीली वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।संक्षेप में विद्वानों ने ग्रहण को एक नकारात्मक घटना के बजाय एक सकारात्मक अवसर के रूप में देखने की सलाह दी है,जिसका उपयोग आध्यात्मिक और तांत्रिक शक्तियों को जागृत करने के लिए किया जा सकता है।लेकिन किसी अंधविश्वास का सहारा नही लेवें,ईश्वर के नाम का सुमरण ही सर्वश्रेष्ठ है,जीवन में तप,सेवा,सुमरण ओर समर्पण के साथ सबके कल्याण की प्रार्थना करें,जैसा कर्म होगा फल भी वैसा ही प्राप्त होगा।जय गुरुदेव।।
*चन्द्र ओर सूर्य ग्रहण का भौतिक और आध्यात्मिक महत्व।* छबड़ा:भारत वर्ष एक भौतिकता के साथ-साथ आध्यात्मिक देश भी है।यहां पर सभी धर्मों को फलने-फूलने का अवसर मिला है,यही से सम्पूर्ण विश्व में अध्यात्म के ज्ञान का प्रकाश फैला,बुरे कर्मों के प्रभाव से सब मिट जावेगें लेंकिन भारतीय सनातन के ज्ञान से यह संसार सदा रोशन होता रहेगा।भारत देश में हिन्दू ,सनातन धर्म के मतावलम्बियों द्वारा कई साधनात्मक दृष्टिकोण से समय-समय पर कई तीज,त्यौहार,पर्व,उत्सव,व्रत,उपहास किये जाते रहे है।ज्योतिष और तंत्र के कई महान ज्ञाताओ नें शास्त्रों में उल्लेख के द्वारा सकारात्मक निर्देश प्रदान किये है वैसे ही ग्रहण काल के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने और कुछ को न करने का निर्देश दिये गये है।आध्यात्मिक विद्वानों का मानना था कि ग्रहण का समय एक अत्यंत शक्तिशाली और संवेदनशील काल होता है जिसका उपयोग साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जा सकता है। *ग्रहण काल मेंक्या करना चाहिए?*साधना और मंत्र जाप:विद्वानों के अनुसार,ग्रहण काल मंत्र सिद्धि ओर नाम जप के लिए सबसे उत्तम समय होता है।इस दौरान किए गए मंत्र ओर नाम जाप का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। *ग्रहण में तांत्रिक क्रियाएं*: तंत्र साधना करने वाले साधकों के लिए यह समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान की गई तांत्रिक क्रियाएं तुरंत फल देती हैं लेंकिन जग के कल्याणार्थ की गयीं साधनाओं का ही फल शुभ होता है,क्रूरता का परिणाम इस समय बुरा होता है। *ग्रहण में ,यथा शक्ति दान भी करें:*दान:ग्रहण समाप्त होने के बाद अनाज,वस्त्र और धन का दान करना बहुत
शुभ माना जाता है।इससे ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। *स्नान*:ग्रहण समाप्त होने पर पवित्र नदियों या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।यह शुद्धि का प्रतीक है। *ध्यान*: इस समय का उपयोग आत्म-चिंतन और ध्यान के लिए करना चाहिए,जिससे मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है। *ग्रहण काल में,क्या नहीं करना चाहिए?* खाना-पीना: ग्रहण शुरू होने से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए।ग्रहण के दौरान भोजन पचने में कठिनाई होती है और माना जाता है कि यह अशुद्ध हो जाता है। *शयन* (सोना): ग्रहण के समय सोना नहीं चाहिए।इस समय को जागृत अवस्था में रहकर साधना या ध्यान में बिताना चाहिए। *शुभ कार्य:नए कार्य की शुरुआत, विवाह,मुंडन या किसी भी प्रकार का कोई शुभ कार्य इस दौरान नहीं करना चाहिए। *देवताओं की मूर्ति को स्पर्श करना* : ग्रहण के समय मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। *गर्भवती महिलाएं*: गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।उन्हें ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही चाकू,कैंची या सुई जैसी नुकीली वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए।संक्षेप में विद्वानों ने ग्रहण को एक नकारात्मक घटना के बजाय एक सकारात्मक अवसर के रूप में देखने की सलाह दी है,जिसका उपयोग आध्यात्मिक और तांत्रिक शक्तियों को जागृत करने के लिए किया जा सकता है।लेकिन किसी अंधविश्वास का सहारा नही लेवें,ईश्वर के नाम का सुमरण ही सर्वश्रेष्ठ है,जीवन में तप,सेवा,सुमरण ओर समर्पण के साथ सबके कल्याण की प्रार्थना करें,जैसा कर्म होगा फल भी वैसा ही प्राप्त होगा।जय गुरुदेव।।
- Bhastrika pranayam1
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