*कलियुग के भगवान भी फर्जी काम करने लगे* *चिकित्सा जगत में फर्जीवाड़ा: तीन डॉक्टर गिरफ्तार* • विदेश से एमबीबीएस, भारत में FMGE में फेल... फिर 16 लाख में खरीदे नकली सर्टिफिकेट; करौली और दौसा मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप का खुलासा *विशेष संवाददाता* जयपुर, 4 दिसम्बर। एसओजी ने एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामले का भंडाफोड़ करते हुए मेडिकल सिस्टम में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एसओजी विशाल बंसल ने बताया कि विदेश से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद भारत में अनिवार्य फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) पास न करने वाले तीन व्यक्तियों को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। *कैसे हुआ फर्जीवाड़े का पर्दाफाश* एडीजी बंसल ने बताया कि एसओजी को सूचना मिली थी कि डॉ० पियूष कुमार त्रिवेदी निवासी दौसा ने FMGE परीक्षा में बार-बार असफल होने के बावजूद एक आपराधिक गिरोह की मदद से फर्जी FMGE सर्टिफिकेट तैयार करवा लिया। इसी फर्जी प्रमाणपत्र के दम पर उसने एनएमसी (NMC) से इंटर्नशिप की अनुमति प्राप्त की और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज, करौली में इंटर्नशिप के लिए आवंटन भी मिल गया था। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद एसओजी ने प्रकरण दर्ज कर गहन जांच शुरू की। *₹16 लाख में खरीदे फर्जी दस्तावेज़* जांच में सामने आया कि आरोपी डॉ० पियूष ने जॉर्जिया से एमबीबीएस की डिग्री ली थी, लेकिन भारत में प्रैक्टिस करने के लिए अनिवार्य FMGE परीक्षा में वह 2022, 2023 और 2024 में लगातार तीन बार असफल रहा। बार-बार फेल होने पर उसने अपने परिचित डॉ० देवेन्द्र सिंह गुर्जर से संपर्क किया। देवेन्द्र ने अपने साथी डॉ० शुभम गुर्जर एवं अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर पियूष को ₹16 लाख के बदले फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट और एनएमसी रजिस्ट्रेशन दिलवाया। एसओजी की गहन जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि यह गोरखधंधा केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं था। डॉ० शुभम गुर्जर ने खुद भी फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट के आधार पर राजीव गांधी अस्पताल, अलवर में और डॉ० देवेन्द्र सिंह गुर्जर ने भी इसी गिरोह के माध्यम से नकली प्रमाणपत्र प्राप्त किया और राजकीय मेडिकल कॉलेज, दौसा में अपनी इंटर्नशिप पूर्ण की। *आगे की कार्रवाई: नेटवर्क की खोज* एसओजी ने गिरफ्तार तीनों आरोपियों डॉ० पियूष, डॉ० शुभम और डॉ० देवेन्द्र को न्यायालय में पेश कर पुलिस अभिरक्षा प्राप्त की जा रही है। एसओजी अब इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक जाने की तैयारी में है। जांच का दायरा फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट तैयार करने वाले मुख्य नेटवर्क, इसमें शामिल बिचौलियों और फर्जी डिग्री के आधार पर इंटर्नशिप कर चुके अन्य डॉक्टर्स की पहचान पर केंद्रित है। एसओजी ने साफ किया है कि मेडिकल सेक्टर की पवित्रता और आमजन की सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
*कलियुग के भगवान भी फर्जी काम करने लगे* *चिकित्सा जगत में फर्जीवाड़ा: तीन डॉक्टर गिरफ्तार* • विदेश से एमबीबीएस, भारत में FMGE में फेल... फिर 16 लाख में खरीदे नकली सर्टिफिकेट; करौली और दौसा मेडिकल कॉलेज से इंटर्नशिप का खुलासा *विशेष संवाददाता* जयपुर, 4 दिसम्बर। एसओजी ने एक अत्यंत संवेदनशील और गंभीर मामले का भंडाफोड़ करते हुए मेडिकल सिस्टम में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एसओजी विशाल बंसल ने बताया कि विदेश से मेडिकल की डिग्री लेने के बाद भारत में अनिवार्य फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) पास न करने वाले तीन व्यक्तियों को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इंटर्नशिप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। *कैसे हुआ फर्जीवाड़े का पर्दाफाश* एडीजी बंसल ने बताया कि एसओजी को सूचना मिली थी कि डॉ० पियूष कुमार त्रिवेदी निवासी दौसा ने FMGE परीक्षा में बार-बार असफल होने के बावजूद एक आपराधिक गिरोह की मदद से फर्जी FMGE सर्टिफिकेट तैयार करवा लिया। इसी फर्जी प्रमाणपत्र के दम पर उसने एनएमसी (NMC) से इंटर्नशिप की अनुमति प्राप्त की और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज, करौली में इंटर्नशिप के लिए आवंटन भी मिल गया था। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद एसओजी ने प्रकरण दर्ज कर गहन जांच शुरू की। *₹16 लाख में खरीदे फर्जी दस्तावेज़* जांच में सामने आया कि आरोपी डॉ० पियूष ने जॉर्जिया से एमबीबीएस की डिग्री ली थी, लेकिन भारत में प्रैक्टिस करने के लिए अनिवार्य FMGE परीक्षा में वह 2022, 2023 और 2024 में लगातार तीन बार असफल रहा। बार-बार फेल होने पर उसने अपने परिचित डॉ० देवेन्द्र सिंह गुर्जर से संपर्क किया। देवेन्द्र ने अपने साथी डॉ० शुभम गुर्जर एवं अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर पियूष को ₹16 लाख के बदले फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट और एनएमसी रजिस्ट्रेशन दिलवाया। एसओजी की गहन जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि यह गोरखधंधा केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं था। डॉ० शुभम गुर्जर ने खुद भी फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट के आधार पर राजीव गांधी अस्पताल, अलवर में और डॉ० देवेन्द्र सिंह गुर्जर ने भी इसी गिरोह के माध्यम से नकली प्रमाणपत्र प्राप्त किया और राजकीय मेडिकल कॉलेज, दौसा में अपनी इंटर्नशिप पूर्ण की। *आगे की कार्रवाई: नेटवर्क की खोज* एसओजी ने गिरफ्तार तीनों आरोपियों डॉ० पियूष, डॉ० शुभम और डॉ० देवेन्द्र को न्यायालय में पेश कर पुलिस अभिरक्षा प्राप्त की जा रही है। एसओजी अब इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक जाने की तैयारी में है। जांच का दायरा फर्जी एफएमजीई सर्टिफिकेट तैयार करने वाले मुख्य नेटवर्क, इसमें शामिल बिचौलियों और फर्जी डिग्री के आधार पर इंटर्नशिप कर चुके अन्य डॉक्टर्स की पहचान पर केंद्रित है। एसओजी ने साफ किया है कि मेडिकल सेक्टर की पवित्रता और आमजन की सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर अपराध में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
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