अनुमण्डल के विभिन्न सरकारी विद्यालयों के सक्षमता पास नियोजित शिक्षकों ने आपने ही विद्यालय में क्या राज्यकर्मी के रूप में योगदान। शिक्षको ने कहा:मानसिक रूप से थे तनाव में,अब मनोयोग से करेंगे कार्य। विगत कई वर्षों से सरकार एवं नियोजित शिक्षको के बीच चली आरही खींच तान समाप्त हुआ और बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में साक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों को पिछले सप्ताह ही नियुक्ति पत्र जारी कर दिया था एवं नियुक्ति पत्र के साथ ही यह भी निर्देश जारी किया था वह अपने ही पदस्थापित विद्यालय में राज्य कर्मी के रूप में योगदान करेंगे। पूर्व में बहुत से नियोजित शिक्षक बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में उत्तीर्ण होकर अन्यत्र विद्यालयों में भी पदस्थापित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री बिहार सरकार नीतीश कुमार ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अध्यापक नियुक्ति परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान गांधी मैदान में घोषणा की थी कि नियोजित शिक्षकों को भी राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा और इसके लिए शिक्षा विभाग में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के माध्यम से साक्षमता परीक्षा का आयोजन किया था जिसमें बहुत सारे शिक्षकों में साक्षमता परीक्षा में उतीर्णता प्राप्त किया था। साक्षमता परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान ही सरकार ने तीन जिले का विकल्प मांगा था और साक्षमता परीक्षा में प्राप्तांक के आधार पर शिक्षकों को अलग-अलग जिलों में काउंसलिंग भी करवाया गया था लेकिन पदस्थापन को लेकर पिछले दिनों विधानसभा के शीतकालीन सत्र में काफी जोरदार हंगामा हुआ था और सरकार इस मामले पर बहुत गंभीर थी। और अंततः साक्षमता पास बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों को अपने ही पदस्थापित विद्यालय में राज्य कर्मी के रूप में योगदान करने के लिए 1 जनवरी से 7 जनवरी तक का समय दिया। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ शैक्षणिक परिषद के जिला संयोजक अविनाश शास्त्र ने बताया कि विगत कई महीनो से साक्षमता पास नियोजित शिक्षक काफी मानसिक रूप से परेशान थे कई शिक्षकों को दूसरे जिले में काउंसलिंग के लिए भेज दिया गया था इसको लेकर शैक्षणिक वातावरण में काफी गिरावट आई थी अब जब सरकार के द्वारा यह घोषणा हो गई है एवं नियोजित शिक्षक अपने ही विद्यालय में राज्य कर्मी के रूप में जब योगदान कर चुके हैं तो राज्य के विद्यालय शिक्षा में काफी गुणात्मक सुधार होगा और शिक्षक भी मनोयोग से मानसिक तनाव से हटकर शिक्षा एवं समाज को नई दिशा देने में अपना योगदान सुनिश्चित करेंगे।
अनुमण्डल के विभिन्न सरकारी विद्यालयों के सक्षमता पास नियोजित शिक्षकों ने आपने ही विद्यालय में क्या राज्यकर्मी के रूप में योगदान। शिक्षको ने कहा:मानसिक रूप से थे तनाव में,अब मनोयोग से करेंगे कार्य। विगत कई वर्षों से सरकार एवं नियोजित शिक्षको के बीच चली आरही खींच तान समाप्त हुआ और बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में साक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण नियोजित शिक्षकों को पिछले सप्ताह ही नियुक्ति पत्र जारी कर दिया था एवं नियुक्ति पत्र के साथ ही यह भी निर्देश जारी किया था वह अपने ही पदस्थापित विद्यालय में राज्य कर्मी के रूप में योगदान करेंगे। पूर्व में बहुत से नियोजित शिक्षक बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में उत्तीर्ण होकर अन्यत्र विद्यालयों में भी पदस्थापित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री बिहार सरकार नीतीश कुमार ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अध्यापक नियुक्ति परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान गांधी मैदान में घोषणा की थी कि नियोजित शिक्षकों को भी राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाएगा और इसके लिए शिक्षा विभाग में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के माध्यम से साक्षमता परीक्षा का आयोजन किया था जिसमें बहुत सारे शिक्षकों में साक्षमता परीक्षा में उतीर्णता प्राप्त किया था। साक्षमता परीक्षा फॉर्म भरने के दौरान ही सरकार ने तीन जिले का विकल्प मांगा था और साक्षमता परीक्षा में प्राप्तांक के आधार पर शिक्षकों को अलग-अलग जिलों में काउंसलिंग भी करवाया गया था लेकिन पदस्थापन को लेकर पिछले दिनों विधानसभा के शीतकालीन सत्र में काफी जोरदार हंगामा हुआ था और सरकार इस मामले पर बहुत गंभीर थी। और अंततः साक्षमता पास बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों को अपने ही पदस्थापित विद्यालय में राज्य कर्मी के रूप में योगदान करने के लिए 1 जनवरी से 7 जनवरी तक का समय दिया। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ शैक्षणिक परिषद के जिला संयोजक अविनाश शास्त्र ने बताया कि विगत कई महीनो से साक्षमता पास नियोजित शिक्षक काफी मानसिक रूप से परेशान थे कई शिक्षकों को दूसरे जिले में काउंसलिंग के लिए भेज दिया गया था इसको लेकर शैक्षणिक वातावरण में काफी गिरावट आई थी अब जब सरकार के द्वारा यह घोषणा हो गई है एवं नियोजित शिक्षक अपने ही विद्यालय में राज्य कर्मी के रूप में जब योगदान कर चुके हैं तो राज्य के विद्यालय शिक्षा में काफी गुणात्मक सुधार होगा और शिक्षक भी मनोयोग से मानसिक तनाव से हटकर शिक्षा एवं समाज को नई दिशा देने में अपना योगदान सुनिश्चित करेंगे।
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