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अश्लील के प्रति बिहार पुलिस का बड़ा कदम सही है या गलत अपनी राय कॉमेंट बॉक्स में दे
SUDHANSU KUMAR
अश्लील के प्रति बिहार पुलिस का बड़ा कदम सही है या गलत अपनी राय कॉमेंट बॉक्स में दे
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जगदंबे आदिशक्ति दुर्गा भवानी एवं हनुमान जी महाराज शनिदेव भगवान मंगल देव की हवन पूजन करने से मनुष्य जीवन की सभी बाधाएं स्वत नष्ट हो जाती है।मनुष्य जीवन की उत्पत्ति करने वाले देवी देवताओं को किसी सामग्री या किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं पड़ती, देवी देवताओं को अपने पुत्र पुत्री की श्रद्धा भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं।मेरी उत्पत्ति नहीं होती तो हम यह नहीं जान पाते कि यह शंकर भगवान है, यह विष्णु भगवान हैं, यह ब्रह्मा जी हैं,यह दुर्गा जी हैं, यह सरस्वती जी हैं,यह लक्ष्मी जी हैं, जब मेरी उत्पत्ति इस धरती पर हुई, तब मैं जाना यह धरती है, यह आकाश है ,यह पेड़ है ,यह पौधे हैं ,यह ब्रह्मा जी है, यह विष्णु भगवान है ,यह महेश भगवान है, यह लक्ष्मी है,यह पार्वती है, यह सरस्वती हैं, यह माता जगदंबे दुर्गा आदि शक्ति भवानी है, यह हनुमान जी हैं,आदि देवी-देवता है, इसलिए मेरी उत्पत्ति करने वाले ही मेरे जन्मदाता माता पिता ही भगवान है, इनसे बड़ा भगवान धरती पर कोई है ही नहीं। आपको बताते चलें कि हर मनुष्य की अंतरात्मा में एक आदि अदृश्य शक्ति निवास करती है। जब आप कोई ऐसा गलत कार्य करने चलते हैं वह सर्वप्रथम आपको सचेत करती है। आपकी लालची रूपी भावना को वह आपके अंदर से दूर भगाने के लिए अथक प्रयास करती है। किंतु उस लालची रूपी भावना को आपकी बल मिल जाती है और वह आपको आपके ही बल से ग्रसित कर लेती है और आपको गलत कार्य करवा देता है। अध्यात्म ऐसा मार्ग है जिसके सामने आज तक कोई विज्ञान नहीं टिक पाई है। अभी-अभी आपके बीच से कोरोना गई नहीं है। जब आई थी तब देखे होंगे देश-विदेश के सभी वैज्ञानिक इससे बचाव की दवा तैयार करने में लगे हुए थे किंतु सफलता प्राप्त नहीं हुई थी। इसलिए जिन लोगों के मुख से आप सुनते हैं कि भगवान नहीं है यह उनकी गलत धारणा है। उनके चक्कर में पड़ कर हम अपने जीवन की अनमोल समय को क्यों बर्बाद करें। दूसरी बिंदु में मैं बता दूं हर दिन हर समय मनुष्य जीवन के लिए हमारे पूर्वजों ने शुभ फल देने वाला ही बनाया है। किंतु हम अपने करनी का फल भोगने लगते हैं तो कहते हैं अमुक दिन खराब है अमुक समय खराब है किंतु ऐसा है ही नहीं। इसी विषय को लेकर आप यदि हमारे ब्राह्मण देव के पास जाते हैं तो वह अपने पात्रा के अनुसार अपनी प्राप्त विद्या ज्ञान से वह आंकने लगते हैं और आप यदि कर्ज से लगे हुए हैं तो आपको बताया जाता है मंगल देव आपसे नाराज हैं, आप विपत्ति के शिकार हुए हैं तो आपको बताया जाता है शनि देव महाराज खराब है आपके घर के कुल देवता नाराज हैं। इन बढ़ाओ से मुक्ति का जब राय लेते हैं तो ब्राह्मण देव की ओर से कहा जाता है मुक्ति तो मिलेगी इसमें कोई दो मत नहीं है किंतु यह यह यज्ञ आपको कराना होगा। इतनी रकम की खर्च आएगी। उसमें 5 7 10 ब्राह्मण होंगे जिनको आपको दक्षिणा देना होगा। जो समस्याएं हमने दर्शाया है उसमें से किसी एक समस्या का निराकरण हेतु हम समझते हैं की बहुत काम बहुत कम तो 20000 से ऊपर का ही खर्च आना चाहिए। इस खर्च को हम बेवजह अपनी गाढ़ी कमाई से अर्जी धन को व्यर्थ में गवां देते हैं। मैं आपको दावे के साथ कह सकता हूं ईश्वर को यानि भगवान को देवी देवता को अपने कुल देवता को शनि देव महाराज को हनुमान जी को मंगल देव को मनाने का उनको प्रसन्न करने का एक ही आपके पास अनमोल रतन है वह है आपका श्रद्धा भाव विश्वास से किया गया पूजा। आपकी श्रद्धा भाव विश्वास से किया गया पूजा के आगे सभी मंत्र सभी सामग्रियां फेल हो जाती है। आप खुद विद्वान हैं आपके अंदर ईश्वर ने यानि भगवान ने बहुत बड़ी ज्ञान का सागर आपका हृदय के अंदर बनाया है। जिसे आप स्वयं से मान लीजिए आप कर्ज से लगे हुए हैं तो आप मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए अपनी श्रद्धा भाव भक्ति से मंत्र हवन करना शुरू कर दीजिए हवन के साथ आपका श्रद्धा भाव विभोर उनके प्रति उनके चरणों में समर्पित होना चाहिए। अपने निश्चित रूप से कर्ज से छुटकारा पाने लगेंगे, घर के कुल देवता नाराज हैं आप अपने घर के कुल देवता के नाम से हवन शुरू कर दीजिए आपके घर के कुल देवता प्रसन्न हो जाएंगे। आपसे शनि देव महाराज नाराज हैं आप शनिदेव महाराज के नाम से या आपसे हनुमान जी नाराज हैं या दुर्गा जी नाराज है जो आपसे नाराज हैं उनके नाम से हवन कर दीजिए निश्चित रूप से वह प्रसन्न हो जाएंगे और उन समस्याओं से आप मुक्ति पा लेंगे। आपका काफी धन व्यर्थ में खर्च होने से बच जाएंगे। इस खर्च को आप अपने बच्चों को बच्चियों को शिक्षा देने पर खर्च कीजिए यह सभी आडंबरों से आप ही नहीं आपके आने वाले वंश भी मुक्ति पा लेंगे। ग्रंथ के अनुसार चलिए तो कोई भी विद्वान ग्रंथ की रचना करने से पहले तो त्वमेव माता च पिता त्वमेव आगे आदि संबंधित शब्दों को दशा देते हैं। इसका सीधा सा अर्थ है आपका भगवान आपकी माता-पिता है उनसे बड़ा भगवान इस धरती पर कोई है ही नहीं। माता-पिता की सेवा करने से आपके जीवन का उद्धार हो जाना है यह बिल्कुल कंफर्म में बातें बोल रहा हूं। मंगलवार हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक बहुत ही फलदायक दिन माना गया है तो चलिए हम इसको मान भी लेते हैं। हमारे जीवन में यदि घनघोर कोई विपत्ति आई है या कोई परेशानी आया है तो मंगलवार को हम उपवास रह भी सकते हैं उपवास रहने से शरीर की विकारें भी दूर होती है। हम उसमें कुछ आगे बढ़ जाते हैं। हम अपने अंतरात्मा के अनुसार शुद्ध मन भाव से अपने कुल देवता अपने इष्ट देव के नाम से हवन करना शुरू कर देंगे कम से कम एक माला भी हवन कर लेंगे तो निश्चित उसका फल हमको भी मिलेगा और उसकी धुआं जब अंतरिक्ष की ओर जाएगी तो हमारे अंतरिक्ष को भी शुद्धिकरण कर देगा। यहां तक मैं बता दूं की हवन से बड़ा कोई यज्ञ नहीं होता। आज हमारे गांव में समाज में पंचायत में राज्य में देश में जितने शिक्षा से वंचित लोग हैं उन्हीं के यहां आप अधिकतर संख्या में देखते होंगे आज आमुख देवता का पूजन कार्यक्रम है तो महामृत्युंजय पूजन करवा रहे हैं यही सब देखने को मिलेगा जिसमें खर्च कम से कम 1 लाख से ऊपर की आती है। इसका जीता जागता उदाहरण मैं आपको बता दूं तो ईश्वर ने नहीं उसे वक्त हमारे पूर्वजों के बीच शिक्षा की कमी थी, शिक्षित व्यक्तियों ने जिस पुस्तक का निर्माण किया, हमें उसे पुस्तक की पाठ पढ़ाकर चलने पर बेबस कर दिया। उदाहरण के तौर पर देखिए अगर ब्राह्मण देव आपके यहां पूजा कराने आते हैं शादी ब्याह कराने आते हैं यज्ञ कराने आते हैं आप उनको यदि दक्षिणा नहीं प्रदान करते हैं तो वह आपसे नाराज होकर चले जाते हैं। 2 दिन 4 दिन बाद आपके यहां आते हैं यजमान दक्षिण बाकी रह गया है वह दे दीजिए नहीं तो ईश्वर नाराज हो जाएंगे आपके यज्ञ करने का फल आपको प्राप्त नहीं होगा। हमारे होशियार लोगों ने इन ब्राह्मण देवों को जीने का यह एक मार्ग बना दिया। यह उनकी दक्षिणा नहीं होती है, आप इनको मजदूरी समझ लीजिए। उन्होंने जितना देर आपके यहां वेद पढ़ाने में समय लगाया है तो निश्चित रूप से आपका कर्तव्य बनता है कि उनकी मजदूरी भुगतान कर दें। यदि आप इस भंवर जाल में नहीं फंसना चाहते हैं तो आप स्वयं ईश्वर को प्रसन्न करने की दिशा में अध्यात्म मार्ग को अपनायें। आपका जीवन निश्चित रूप से मंजिल को प्राप्त कर लेगा और उन देवी देवताओं के आप प्रिये बन जाएंगे।1