छुल्लक महाराज श्री चिदानंद जी की हुई समाधि निहार भूमि पर हुई अंतिम क्रियाये महिलाओं सहित सभी वर्ग के हजारो लोग हुई शामिल समाधि पूर्वक अंत समय मे डॉ शीलचन्द ने छुललक दीक्षा लेकर मृत्यु को बना दिया महोत्सव अशोकनगर। मुंगावली के वरिष्ठ समाज सेवी रहे डॉ शीलचन्द जैन सिंघई ने अपने अंत समय से पहले सब कुछ त्याग कर भगवान को याद करते हुए सल्लेखना पूर्वक समाधि मरण को प्राप्त कर इस संसार से विदाई ली। समाधि पूर्वक अंत समय मे डॉ शीलचन्द ने छुललक दीक्षा लेकर मृत्यु को महोत्सव के रूप में बना दिया जो कि जैन धर्म का अंतिम उद्देश्य होता है, जीबन भर की तपस्या एक तरफ ओर म्रत्यु के समय के भाव व तपस्या एक तरफ। कुछ दिन पूर्व ही अशोकनगर में विराजमान निर्यापक मुनि 108 श्री सुधा सागर जी महाराज से 10 प्रतिमा व्रत लेकर छुल्लक दीक्षा प्राप्त की थी,जिसके बाद मुनि श्री सुधा सागर जी ने चिदानंद जी नाम करण किया था। जिसके बाद डॉ शीलचन्द से छुल्लक चिदानंद बने महाराज ने सभी नियमो का पालन करते हुए इस संसार से मुक्त होने की राह पर चलते हुए आज सुबह भगवान की आराधना करते हुए संयम पूर्वक समाधि को प्राप्त किया। आपको बता दे कि डॉ शीलचन्द जी मुंगावली सिविल अस्पताल में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉ अनुजा जैन के दादा जी व मेडिकल संचालक एबं जैन औषद्यालय अध्यक्ष जितेंद्र जैन,त्रिलोक जैन व बनारस में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ धर्मेन्द्र जैन के पिता है। इनका पूरा परिवार हमेशा ही समाज सेवा व चिकित्सा के क्षेत्र में हमेशा लोगो की मदद के लिए तन मन धन से तैयार रहता है। अंतिम संस्कार की समस्त क्रियाये बाल ब्रह्मचारी मोनू भैया ने मंत्र उच्चारण के साथ सम्पन्न कराई।
छुल्लक महाराज श्री चिदानंद जी की हुई समाधि निहार भूमि पर हुई अंतिम क्रियाये महिलाओं सहित सभी वर्ग के हजारो लोग हुई शामिल समाधि पूर्वक अंत समय मे डॉ शीलचन्द ने छुललक दीक्षा लेकर मृत्यु को बना दिया महोत्सव अशोकनगर। मुंगावली के वरिष्ठ समाज सेवी रहे डॉ शीलचन्द जैन सिंघई ने अपने अंत समय से पहले सब कुछ त्याग कर भगवान को याद करते हुए सल्लेखना पूर्वक
समाधि मरण को प्राप्त कर इस संसार से विदाई ली। समाधि पूर्वक अंत समय मे डॉ शीलचन्द ने छुललक दीक्षा लेकर मृत्यु को महोत्सव के रूप में बना दिया जो कि जैन धर्म का अंतिम उद्देश्य होता है, जीबन भर की तपस्या एक तरफ ओर म्रत्यु के समय के भाव व तपस्या एक तरफ। कुछ दिन पूर्व ही अशोकनगर में विराजमान निर्यापक मुनि 108 श्री सुधा सागर जी महाराज से 10 प्रतिमा
व्रत लेकर छुल्लक दीक्षा प्राप्त की थी,जिसके बाद मुनि श्री सुधा सागर जी ने चिदानंद जी नाम करण किया था। जिसके बाद डॉ शीलचन्द से छुल्लक चिदानंद बने महाराज ने सभी नियमो का पालन करते हुए इस संसार से मुक्त होने की राह पर चलते हुए आज सुबह भगवान की आराधना करते हुए संयम पूर्वक समाधि को प्राप्त किया। आपको बता दे कि डॉ शीलचन्द जी मुंगावली सिविल अस्पताल में
पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉ अनुजा जैन के दादा जी व मेडिकल संचालक एबं जैन औषद्यालय अध्यक्ष जितेंद्र जैन,त्रिलोक जैन व बनारस में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ धर्मेन्द्र जैन के पिता है। इनका पूरा परिवार हमेशा ही समाज सेवा व चिकित्सा के क्षेत्र में हमेशा लोगो की मदद के लिए तन मन धन से तैयार रहता है। अंतिम संस्कार की समस्त क्रियाये बाल ब्रह्मचारी मोनू भैया ने मंत्र उच्चारण के साथ सम्पन्न कराई।
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