आर पी स्कूल ढढ़नी भानमल राय, गाजीपुर उत्तर प्रदेश शैक्षणिक भ्रमण -26 / 10 / 2024, शनिवार द्वितीय स्थान ~~~~ माँ तारा चंडी धाम सासाराम में माँ तारा विंध्य पर्वत श्रेणी की कैमूर पहाड़ी की प्राकृतिक गुफा में विराजमान हैं। देवी प्रतिमा के बगल में बारहवीं सदी के खरवार वंशी राजा महानायक प्रताप धवलदेव ने अपने पुत्र शत्रुधन द्वारा यहाँ एक बड़ा शिलालेख लिखवाया है। जैसा तंत्रशास्त्रों और प्रतिमा विज्ञान में माँ तारा का रूप वर्णित है वैसे ही माँ तारा की प्रतिमा में चार हाथ हैं। दाहिने हाथो में खड्ग और कैंची है जबकि बायें में मुंड और कमल है। शव पर बायाँ पैर आगे है। कद छोटा है , लम्बोदर और नील वर्ण है। कटी में ब्याघ्र चर्म लिपटा है। माँ तारा मंदिर परिसर में अवस्थित माँ तारा और सूर्य की प्रतिमायें तथा बाहर रखी अग्नि की खंडित प्रतिमा ये सभी गुप्त काल के अंत की या परवर्ती गुप्त कालीन हैं। यहाँ खरवार राजा द्वारा शिलालेख लिखवाने का अर्थ है कि ताराचंडी देवी की प्रसिद्धि उसी समय फैल चुकी थी।
आर पी स्कूल ढढ़नी भानमल राय, गाजीपुर उत्तर प्रदेश शैक्षणिक भ्रमण -26 / 10 / 2024, शनिवार द्वितीय स्थान ~~~~ माँ तारा चंडी धाम सासाराम में माँ तारा विंध्य
पर्वत श्रेणी की कैमूर पहाड़ी की प्राकृतिक गुफा में विराजमान हैं। देवी प्रतिमा के बगल में बारहवीं सदी के खरवार वंशी राजा महानायक प्रताप
धवलदेव ने अपने पुत्र शत्रुधन द्वारा यहाँ एक बड़ा शिलालेख लिखवाया है। जैसा तंत्रशास्त्रों और प्रतिमा विज्ञान में माँ तारा का रूप वर्णित है
वैसे ही माँ तारा की प्रतिमा में चार हाथ हैं। दाहिने हाथो में खड्ग और कैंची है जबकि बायें में मुंड और कमल है।
शव पर बायाँ पैर आगे है। कद छोटा है , लम्बोदर और नील वर्ण है। कटी में ब्याघ्र चर्म लिपटा है। माँ तारा मंदिर
परिसर में अवस्थित माँ तारा और सूर्य की प्रतिमायें तथा बाहर रखी अग्नि की खंडित प्रतिमा ये सभी गुप्त काल के अंत की या
परवर्ती गुप्त कालीन हैं। यहाँ खरवार राजा द्वारा शिलालेख लिखवाने का अर्थ है कि ताराचंडी देवी की प्रसिद्धि उसी समय फैल चुकी थी।