वंदे भारत न्यूज़ बिहार शरीफ नालंदा प्रेस रिलीज 3/1/25 बिहारशरीफ नालन्दा। राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले को भारतीय नारीवाद की जननी माना जाता है। रामदेव चौधरी बिहारशरीफ :- बिहारशरीफ के अस्पताल चौक स्थित अतिपिछड़ा/ दलित/ अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में माता सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए हर्षोल्लास के साथ जयंती मनाई गई। इस मौके पर अतिपिछड़ा/ दलित/ अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले एक महाराष्ट्रीयन कवियित्री,शिक्षिका और समाज सुधारक थी।सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। इनके पिता का नाम खान्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में ज्योतिबा राव फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले ने अहमदनगर में सिंधिया फर्रार के स्कूल में पढ़ाई की,जहां उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण के लिए एक कोर्स भी किया। सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका और प्रधानाध्यापिका थी और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में पुणे के भिड़े वाडा में देश का पहला लड़कियों का स्कूल खोला था। सावित्रीबाई ने महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए महिला सेवा मंडल की स्थापना की थी। सावित्रीबाई ने बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया था और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की थी। सावित्रीबाई को भारतीय नारीवाद की जननी माना जाता है। सावित्रीबाई के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया है। सावित्रीबाई की जयंती 3 जनवरी, बालिका दिवस के रूप में मनाई जाती है। साल 2015 में उनके सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय कर दिया गया। जब 1897 में नालासोपारा के क्षेत्र में ब्यूबोनिक प्लेग उभरा,तो सावित्रीबाई और उनके दत्तक पुत्र यशवंत ने इसे प्रभावित व्यक्तियों के इलाज के लिए एक क्लीनिक बनाया। यह सुविधा पुणे के पश्चिम उपनगरों में संक्रमण मुक्त वातावरण में बनाई गई थी। सावित्रीबाई ने पांडुरंग बाबाजी गायकवाड़ के बेटे को बचाने के प्रयास में वीरता पूर्वक अपना जीवन बलिदान कर दिया। मुंढवा के बाहर महार बस्ती में प्लेग की चपेट में आने का पता चलने के बाद सावित्रीबाई फुले गायकवाड़ के बेटे के पास गई और उन्हें अस्पताल ले गई। सावित्रीबाई फुले इस प्रतिक्रिया के दौरान प्लेग की चपेट में आ गई और 10 मार्च 1897 को रात 9:00 बजे उनका निधन हो गयी। इस अवसर पर उपस्थित सभी ने एक स्वर से कहा कि सावित्रीबाई फुले के रास्ते पर ही चलकर भारत एक शिक्षित देश बन सकता है। इस अवसर पर अतीपिछड़ा/ दलित/अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के जिला महासचिव उमेश पंडित जिला उपाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद आशुतोष कुमार मौर्य अधिवक्ता अवधेश कुमार रंजन कुमार सुख नारायण भैया जी सनी कुमार राजेश ठाकुर आदि लोगों उपस्थित थे। रामदेव चौधरी अतिपिछड़ा/दलित/अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीयध्यक्ष सह फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष वंदे भारत न्यूज़ बिहार शरीफ नालंदा लाइक सब्सक्राइब एवं शेयर करें हमारे यूट्यूब चैनल को
वंदे भारत न्यूज़ बिहार शरीफ नालंदा प्रेस रिलीज 3/1/25 बिहारशरीफ नालन्दा। राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले को भारतीय नारीवाद की जननी माना जाता है। रामदेव चौधरी बिहारशरीफ :- बिहारशरीफ के अस्पताल चौक स्थित अतिपिछड़ा/ दलित/ अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के तत्वाधान में माता सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित करते हुए हर्षोल्लास के साथ जयंती मनाई गई। इस मौके पर अतिपिछड़ा/ दलित/ अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने कहा कि राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले एक महाराष्ट्रीयन कवियित्री,शिक्षिका और समाज सुधारक थी।सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। इनके पिता का नाम खान्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1841 में ज्योतिबा राव फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले ने अहमदनगर में सिंधिया फर्रार के स्कूल में पढ़ाई की,जहां उन्होंने शिक्षक प्रशिक्षण के लिए एक कोर्स भी किया। सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका और प्रधानाध्यापिका थी और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में पुणे के भिड़े वाडा में देश का पहला लड़कियों का स्कूल खोला था। सावित्रीबाई ने महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए महिला सेवा मंडल की स्थापना की थी। सावित्रीबाई ने बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया था और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की थी। सावित्रीबाई को भारतीय नारीवाद की जननी माना जाता है। सावित्रीबाई के सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया है। सावित्रीबाई की जयंती 3 जनवरी, बालिका दिवस के रूप में मनाई जाती है। साल 2015 में उनके सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय कर दिया गया। जब 1897 में नालासोपारा के क्षेत्र में ब्यूबोनिक प्लेग उभरा,तो सावित्रीबाई और उनके दत्तक पुत्र यशवंत ने इसे प्रभावित व्यक्तियों के इलाज के लिए एक क्लीनिक बनाया। यह सुविधा पुणे के पश्चिम उपनगरों में संक्रमण मुक्त वातावरण में बनाई गई थी। सावित्रीबाई ने पांडुरंग बाबाजी गायकवाड़ के बेटे को बचाने के प्रयास में वीरता पूर्वक अपना जीवन बलिदान कर दिया। मुंढवा के बाहर महार बस्ती में प्लेग की चपेट में आने का पता चलने के बाद सावित्रीबाई फुले गायकवाड़ के बेटे के पास गई और उन्हें अस्पताल ले गई। सावित्रीबाई फुले इस प्रतिक्रिया के दौरान प्लेग की चपेट में आ गई और 10 मार्च 1897 को रात 9:00 बजे उनका निधन हो गयी। इस अवसर पर उपस्थित सभी ने एक स्वर से कहा कि सावित्रीबाई फुले के रास्ते पर ही चलकर भारत एक शिक्षित देश बन सकता है। इस अवसर पर अतीपिछड़ा/ दलित/अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के जिला महासचिव उमेश पंडित जिला उपाध्यक्ष महेंद्र प्रसाद आशुतोष कुमार मौर्य अधिवक्ता अवधेश कुमार रंजन कुमार सुख नारायण भैया जी सनी कुमार राजेश ठाकुर आदि लोगों उपस्थित थे। रामदेव चौधरी अतिपिछड़ा/दलित/अल्पसंख्यक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीयध्यक्ष सह फुटपाथ संघर्ष मोर्चा के जिला अध्यक्ष वंदे भारत न्यूज़ बिहार शरीफ नालंदा लाइक सब्सक्राइब एवं शेयर करें हमारे यूट्यूब चैनल को
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- वंदे भारत न्यूज़ बिहार शरीफ नालंदा आज दिनांक 05/01/2024 दिन रविवार को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी, जिला शाखा नालंदा प्रांगण में रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा साप्ताहिक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस साप्ताहिक स्वास्थ्य जांच शिविर में विशेष स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करा के चिकित्सकों द्वारा चिकित्सा परामर्श दिया गया । इस शिविर का उद्देश्य निसहाय और जरूरतमंद लोगों को निशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है शिविर में जांच करवाने आए लाभार्थियों ने रेड क्रॉस सोसाइटी के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि इस तरह के शिविर उनके लिए बहुत मददगार साबित हो रहे हैं यह स्वास्थ्य जांच शिविर आगे भी जारी रहेगा और हर रविवार को निशुल्क सेवा प्रदान की जाएगी इस शिविर में बिहार शरीफ के प्रख्यात डॉक्टरों के द्वारा 89 लोगों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं गई डॉ. श्याम बिहारी -शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश कुमार- फिजिशियन डॉ. प्रशांत कुमार- नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ गौतम कुमार- होम्योपैथिक चिकित्सा डॉ दीपा भारती डॉक्टर मोहम्मद शहजाद आलम - फिजियोथैरेपिस्ट इन डॉक्टरों ने विभिन्न रोगियों की जांच कर उन्हें उचित चिकित्सा परामर्श दिया और उनके स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं का समाधान किया तथा रेड क्रॉस सोसाइटी जिला शाखा नालंदा की तरफ से निशुल्क 45 लोगो का मधुमेह जाँच भी किया गया तथा डॉक्टर गौतम कुमार होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा 14 लोगों का निशुल्क स्वास्थ्य परामर्श एवं दवाई भी उपलब्ध कराई गई इस नेक कार्य के लिए भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी जिला शाखा नालंदा ने डॉक्टर गौतम कुमार के प्रति निष्ठा पूर्वक आभार प्रकट किया डॉ गौतम कुमार के द्वारा बताया गया कि प्रत्येक रविवार को होम्योपैथिक चिकित्सा भी जारी रहेगी एवं दवा वितरण भी किया गया तथा इस कड़ा के की ठंड को देखते हुए, रेड क्रॉस सोसाइटी, जिला शाखा नालंदा द्वारा साप्ताहिक स्वास्थ्य जांच शिविर में ज़रूरतमंद लोगों के लिए अलाव (आग) की व्यवस्था की गई, ताकि उनके ठंड से राहत मिले साथ ही, शिविर में ठंड से बचाव के लिए जरूरतमंदों को कंबल और स्वास्थ्य किट का भी वितरण किया गया। इस मानवीय पहल ने समाज के निश्हाय एवं जरूरतमंदों लोगो को राहत प्रदान की और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया तथा रेड क्रॉस सोसाइटी के कार्यकारिणी सदस्य एवं आजीवन सदस्यों भी पूरी सक्रियता के साथ उपस्थित रहे। सोसाइटी के सचिव राजेश कुमार, कोषाध्यक्ष अरविंद पंडित कार्यकारिणी सदस्य मोहम्मद अखलाक अहमद , चमेली वर्मा वं आजीवन सदस्यों मे राकेश कुमार पंकज ,प्रमोद पंडित ,प्रोफेसर स्वधर्म , अरविंद पंडित, नागेंद्र कुमार , अरुण कुमार सिंह,. ममता कुमारी ,एएनएम मुस्कान कुमारी , आकाश रौशन , डॉ. एस एम मुजफ्फर जमाल , अधिवक्ता शंभू कश्यप, धनंजय कुमार गिरी, संजय कुमार ने शिविर के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सभी सदस्यों ने मरीजों का पंजीकरण, कतारों का प्रबंधन और आवश्यक व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से संचालित करने में सहायता की एवं लोगों ने उनका समर्पण और सेवा भावना को इस शिविर की सफलता का आधार कहा।1
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