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दिल्ली विधानसभा में गूंजा "समान काम, समान वेतन" का मुद्दा, रविंद्र सिंह तोमर की पहल पर सरकार हरकत में नई दिल्ली, 1 सितम्बर। दिल्ली विधानसभा में आज कर्मचारी हितों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया। मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली सरकार के विभागों मैं कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों और बीएसईएस विद्युत वितरण कंपनी मैं कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारीयों के लिए "समान काम, समान वेतन" लागू करने की मांग का पत्र माननीय विधानसभा उपाध्यक्ष को सौंपा। मांग की गंभीरता को देखते हुए माननीय विधानसभा उपाध्यक्ष ने तुरंत संज्ञान लिया और दिल्ली सरकार को इसपर कार्रवाई के निर्देश दिए। विधानसभा उपाध्यक्ष ने ऊर्जा मंत्री और संबंधित विभागीय अधिकारियों को फ़ौरन आवश्यक कदम उठाने और मांग पर अमल करने के स्पष्ट आदेश दिए। कर्मचारियों और मजदूरों को न्याय दिलाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे माननीय श्री रविंद्र सिंह तोमर को मजदूर वर्ग का संरक्षक बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता है कि जो कर्मचारी दिल्ली और देश की रीढ़ माने जाते हैं, उन्हें उनका उचित हक और सम्मान दिलाया जाए। यह कदम न सिर्फ आउटसोर्स कर्मचारियों के हक में बड़ी राहत दिलाने वाला साबित हो सकता है बल्कि इससे "समान काम, समान वेतन" की लंबे समय से चली आ रही मांग को भी मजबूती मिल सकती है। कर्मचारी संगठनों ने इसे बड़ा फैसला बताते हुए उम्मीद जताई है कि अब जल्द ही जमीन पर ठोस बदलाव देखने को मिलेंगे। साथ ही कर्मचारी संगठनों ने यह उम्मीद भी जताई है कि अगर यह समान काम और समान वेतन दिल्ली सरकार लागू करती है तो यह पूरे देश के लिए पूरे भारत देश के लिए एक मॉडल साबित होगी और जल्द ही हमें उम्मीद है कि मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह तोमर जी, समान काम एवं समान वेतन पूरे देश में लागू करवा के रहेंगे!

on 4 September
user_मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग
मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग
Local Politician Gwalior•
on 4 September

दिल्ली विधानसभा में गूंजा "समान काम, समान वेतन" का मुद्दा, रविंद्र सिंह तोमर की पहल पर सरकार हरकत में नई दिल्ली, 1 सितम्बर। दिल्ली विधानसभा में आज कर्मचारी हितों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया। मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली सरकार के विभागों मैं कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों और बीएसईएस विद्युत वितरण कंपनी मैं कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारीयों के लिए "समान काम, समान वेतन" लागू करने की मांग का पत्र माननीय विधानसभा उपाध्यक्ष को सौंपा। मांग की गंभीरता को देखते हुए माननीय विधानसभा उपाध्यक्ष ने तुरंत संज्ञान लिया और दिल्ली सरकार को इसपर कार्रवाई के निर्देश दिए। विधानसभा उपाध्यक्ष ने ऊर्जा मंत्री और संबंधित विभागीय अधिकारियों को फ़ौरन आवश्यक कदम उठाने और मांग पर अमल करने के स्पष्ट आदेश दिए। कर्मचारियों और मजदूरों को न्याय दिलाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे माननीय श्री रविंद्र सिंह तोमर को मजदूर वर्ग का संरक्षक बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता है कि जो कर्मचारी दिल्ली और देश की रीढ़ माने जाते हैं, उन्हें उनका उचित हक और सम्मान दिलाया जाए। यह कदम न सिर्फ आउटसोर्स कर्मचारियों के हक में बड़ी राहत दिलाने वाला साबित हो सकता है बल्कि इससे "समान काम, समान वेतन" की लंबे समय से चली आ रही मांग को भी मजबूती मिल सकती है। कर्मचारी संगठनों ने इसे बड़ा फैसला बताते हुए उम्मीद जताई है कि अब जल्द ही जमीन पर ठोस बदलाव देखने को मिलेंगे। साथ ही कर्मचारी संगठनों ने यह उम्मीद भी जताई है कि अगर यह समान काम और समान वेतन दिल्ली सरकार लागू करती है तो यह पूरे देश के लिए पूरे भारत देश के लिए एक मॉडल साबित होगी और जल्द ही हमें उम्मीद है कि मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय आयोग के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रविंद्र सिंह तोमर जी, समान काम एवं समान वेतन पूरे देश में लागू करवा के रहेंगे!

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  • कई वर्षों से अचलनाथ मानव सेवा संस्थान के संस्थापक अरविंद चौहान जी के द्वारा ग्वालियर चंबल संभाग में गरीबों की कर रहे निस्वार्थ सेवा...........👀🌹 ग्वालियर महाराज बाड़ा पर ठंड से राहत पहुंचाने के उद्देश्य से रोड पर सोए हुए ग़रीब जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरण ....। अचलनाथ मानव सेवा संस्थान के द्वारा संस्थापक:- अरविंद चौहान ।
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    कई वर्षों से अचलनाथ मानव सेवा संस्थान के संस्थापक अरविंद चौहान जी के द्वारा ग्वालियर चंबल संभाग में गरीबों की कर रहे निस्वार्थ सेवा...........👀🌹
ग्वालियर महाराज बाड़ा पर
ठंड से राहत पहुंचाने के उद्देश्य से रोड पर सोए हुए ग़रीब जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरण ....। अचलनाथ मानव सेवा संस्थान के द्वारा 
संस्थापक:- 
अरविंद चौहान ।
    user_GWALIOR PRAVAH NEWS
    GWALIOR PRAVAH NEWS
    Voice of people Gwalior•
    5 hrs ago
  • ग्वालियर में शासकीय ज़मीन पर अतिक्रमण, दबंगों का आतंक—गरीब परिवार को घर छोड़ने पर किया मजबूर ग्वालियर शहर में शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों के आतंक से त्रस्त एक गरीब परिवार को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। पीड़ित परिवार ने हमारे संवाददाता से बातचीत में अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि दबंगों की धमकियों और दबाव के कारण उनका सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। पीड़ित का कहना है कि उन्होंने न्याय की आस में हर संभव दरवाज़ा खटखटाया—एसपी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, स्थानीय पुलिस थाना और नगर निगम तक लिखित आवेदन दिए। अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम शासकीय ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और विरोध करने पर परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है। न्याय न मिलने से निराश होकर आज पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आया और अपनी आपबीती सुनाई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने दबंगों को और ताकत दी है, जिसके चलते उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा। अब सवाल यह है कि जब एक गरीब परिवार सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाने के बाद भी न्याय से वंचित रह जाए, तो भरोसा किस पर करे? क्या शासकीय ज़मीन पर हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन सख़्त कदम उठाएगा, या दबंगों का आतंक यूँ ही चलता रहेगा? प्रशासन से मांग: शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए। पीड़ित परिवार को सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए। मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो। मीडिया के माध्यम से उठी इस आवाज़ के बाद अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पीड़ित परिवार को मिलेगा न्याय—या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
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    ग्वालियर में शासकीय ज़मीन पर अतिक्रमण, दबंगों का आतंक—गरीब परिवार को घर छोड़ने पर किया मजबूर
ग्वालियर शहर में शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों के आतंक से त्रस्त एक गरीब परिवार को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। पीड़ित परिवार ने हमारे संवाददाता से बातचीत में अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि दबंगों की धमकियों और दबाव के कारण उनका सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
पीड़ित का कहना है कि उन्होंने न्याय की आस में हर संभव दरवाज़ा खटखटाया—एसपी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, स्थानीय पुलिस थाना और नगर निगम तक लिखित आवेदन दिए। अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम शासकीय ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और विरोध करने पर परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है।
न्याय न मिलने से निराश होकर आज पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आया और अपनी आपबीती सुनाई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने दबंगों को और ताकत दी है, जिसके चलते उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा।
अब सवाल यह है कि जब एक गरीब परिवार सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाने के बाद भी न्याय से वंचित रह जाए, तो भरोसा किस पर करे? क्या शासकीय ज़मीन पर हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन सख़्त कदम उठाएगा, या दबंगों का आतंक यूँ ही चलता रहेगा?
प्रशासन से मांग:
शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए।
पीड़ित परिवार को सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए।
मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो।
मीडिया के माध्यम से उठी इस आवाज़ के बाद अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पीड़ित परिवार को मिलेगा न्याय—या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
    user_मीडिया लाइन
    मीडिया लाइन
    Journalist Gwalior•
    7 hrs ago
  • सनातनियों से विशेष आग्रह है अपने बच्चों को जोकर नहीं बनाए बल्कि अपने संस्कार, सभ्यता एवं संस्कृति को बनाए रखना है।
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    सनातनियों से विशेष आग्रह है अपने बच्चों को जोकर नहीं बनाए बल्कि अपने संस्कार, सभ्यता एवं संस्कृति को बनाए रखना है।
    user_विकास वर्मा
    विकास वर्मा
    Journalist Datia•
    4 hrs ago
  • लाडली बहनों को 2028 तक पांच हजार भी देने को तैयार हैं : मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कही ये बात.........
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    लाडली बहनों को 2028 तक पांच हजार भी देने को तैयार हैं : मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कही ये बात.........
    user_Shayar Ali
    Shayar Ali
    Journalist Datia•
    18 hrs ago
  • राजापुर से पढ़कर आ रहा है टीचर कि उनाव रोड पर हार्ट अटैक से मौत
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    राजापुर से पढ़कर आ रहा है टीचर कि उनाव रोड पर हार्ट अटैक से मौत
    user_राजेंद्र  पटवा
    राजेंद्र पटवा
    Journalist Datia•
    22 hrs ago
  • झांसी के टहरोली तहशील का मामला दबंग कोटेदार की मनमानी से ग्रामीण परेशान, राशन के बदले दे रहा पैसे तहसील गरौठा के क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करवा बुजुर्ग डोडीया में एक दबंग कोटेदार की मनमानी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार द्वारा लोगों का अंगूठा लगवा कर राशन अंदर ही रख लेता है और कहता है कि ₹12 किलो के हिसाब से पैसे ले जाओ राशन नहीं मिलेगा जिससे गरीब और जरूरतमंद परिवारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोटेदार कभी दुकान बंद रखता है तो कभी सर्वर खराब होने का बहाना बनाकर राशन वितरण टाल देता है। कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनसे अंगूठा लगवा लिया जाता है, लेकिन राशन नहीं दिया जाता। और कभी राशन देता भी है तो उसमें से 2 किलो निकाल लेता है और कहता है कि यह हमारी मेहनत का है जहां शिकायत करनी है कर दो जब लोग विरोध करते हैं तो कोटेदार दबंगई दिखाते हुए अभद्र व्यवहार करता है और धमकी तक दे देता है। ग्रामीणों के अनुसार, राशन न मिलने के कारण गरीब परिवारों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। मजदूरी करने वाले परिवार बाजार से महंगे दामों पर अनाज खरीदने को मजबूर हैं। महिलाओं और बुजुर्गों ने बताया कि सप्लाई विभाग में शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी से मांग की है कि कोटेदार की जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि पात्र लोगों को उनका हक मिल सके। वहीं, सप्लाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिकायत मिलने पर मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल दबंग कोटेदार की मनमानी से क्षेत्र के लोग परेशान हैं और प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
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    झांसी के टहरोली तहशील का मामला 
दबंग कोटेदार की मनमानी से ग्रामीण परेशान, राशन के बदले दे रहा पैसे
तहसील गरौठा के क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करवा बुजुर्ग डोडीया में एक दबंग कोटेदार की मनमानी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार द्वारा लोगों का अंगूठा लगवा कर राशन अंदर ही रख लेता है और कहता है कि ₹12 किलो के हिसाब से पैसे ले जाओ राशन नहीं मिलेगा जिससे गरीब और जरूरतमंद परिवारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कोटेदार कभी दुकान बंद रखता है तो कभी सर्वर खराब होने का बहाना बनाकर राशन वितरण टाल देता है। कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनसे अंगूठा लगवा लिया जाता है, लेकिन राशन नहीं दिया जाता। और कभी राशन देता भी है तो उसमें से 2 किलो निकाल लेता है और कहता है कि यह हमारी मेहनत का है जहां शिकायत करनी है कर दो जब लोग विरोध करते हैं तो कोटेदार दबंगई दिखाते हुए अभद्र व्यवहार करता है और धमकी तक दे देता है।
ग्रामीणों के अनुसार, राशन न मिलने के कारण गरीब परिवारों के सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है। मजदूरी करने वाले परिवार बाजार से महंगे दामों पर अनाज खरीदने को मजबूर हैं। महिलाओं और बुजुर्गों ने बताया कि सप्लाई विभाग में शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
इस मामले में ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी से मांग की है कि कोटेदार की जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि पात्र लोगों को उनका हक मिल सके। वहीं, सप्लाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिकायत मिलने पर मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
फिलहाल दबंग कोटेदार की मनमानी से क्षेत्र के लोग परेशान हैं और प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
    user_प्रदीप यादव दादा पत्रकार बबीना झांसी
    प्रदीप यादव दादा पत्रकार बबीना झांसी
    Journalist Jhansi•
    1 hr ago
  • कैसे-कैसे लोग रहते हैं#🤣₹1200 नहीं दे पा रहे हैं#🤣🤣#हंसते मुस्कुराते रहा करो भाई साहब
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    कैसे-कैसे लोग रहते हैं#🤣₹1200 नहीं दे पा रहे हैं#🤣🤣#हंसते मुस्कुराते रहा करो भाई साहब
    user_Kshatr Pal shivhare
    Kshatr Pal shivhare
    Actor Jhansi•
    3 hrs ago
  • ग्वालियर में शासकीय ज़मीन पर अतिक्रमण, दबंगों का आतंक—गरीब परिवार को घर छोड़ने पर किया मजबूर ग्वालियर शहर में शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों के आतंक से त्रस्त एक गरीब परिवार को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। पीड़ित परिवार ने हमारे संवाददाता से बातचीत में अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि दबंगों की धमकियों और दबाव के कारण उनका सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। पीड़ित का कहना है कि उन्होंने न्याय की आस में हर संभव दरवाज़ा खटखटाया—एसपी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, स्थानीय पुलिस थाना और नगर निगम तक लिखित आवेदन दिए। अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम शासकीय ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और विरोध करने पर परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है। न्याय न मिलने से निराश होकर आज पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आया और अपनी आपबीती सुनाई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने दबंगों को और ताकत दी है, जिसके चलते उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा। अब सवाल यह है कि जब एक गरीब परिवार सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाने के बाद भी न्याय से वंचित रह जाए, तो भरोसा किस पर करे? क्या शासकीय ज़मीन पर हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन सख़्त कदम उठाएगा, या दबंगों का आतंक यूँ ही चलता रहेगा? प्रशासन से मांग: शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए। पीड़ित परिवार को सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए। मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो। मीडिया के माध्यम से उठी इस आवाज़ के बाद अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पीड़ित परिवार को मिलेगा न्याय—या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
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    ग्वालियर में शासकीय ज़मीन पर अतिक्रमण, दबंगों का आतंक—गरीब परिवार को घर छोड़ने पर किया मजबूर
ग्वालियर शहर में शासकीय भूमि पर अवैध अतिक्रमण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ दबंगों के आतंक से त्रस्त एक गरीब परिवार को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा। पीड़ित परिवार ने हमारे संवाददाता से बातचीत में अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि दबंगों की धमकियों और दबाव के कारण उनका सामान्य जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
पीड़ित का कहना है कि उन्होंने न्याय की आस में हर संभव दरवाज़ा खटखटाया—एसपी कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय, स्थानीय पुलिस थाना और नगर निगम तक लिखित आवेदन दिए। अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दबंगों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलेआम शासकीय ज़मीन पर कब्ज़ा जमाए हुए हैं और विरोध करने पर परिवार को डराया-धमकाया जा रहा है।
न्याय न मिलने से निराश होकर आज पीड़ित परिवार मीडिया के सामने आया और अपनी आपबीती सुनाई। परिवार का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने दबंगों को और ताकत दी है, जिसके चलते उन्हें अपने ही घर से बेदखल होना पड़ा।
अब सवाल यह है कि जब एक गरीब परिवार सभी संवैधानिक और प्रशासनिक रास्ते अपनाने के बाद भी न्याय से वंचित रह जाए, तो भरोसा किस पर करे? क्या शासकीय ज़मीन पर हो रहे अतिक्रमण पर प्रशासन सख़्त कदम उठाएगा, या दबंगों का आतंक यूँ ही चलता रहेगा?
प्रशासन से मांग:
शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए।
पीड़ित परिवार को सुरक्षा और पुनर्वास दिया जाए।
मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख़्त कार्रवाई हो।
मीडिया के माध्यम से उठी इस आवाज़ के बाद अब सबकी निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या पीड़ित परिवार को मिलेगा न्याय—या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
    user_मीडिया लाइन
    मीडिया लाइन
    Journalist Gwalior•
    7 hrs ago
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