नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा में मां चंद्रघंटा की कृपा बनी रहेगी - हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक व्यास पं. श्रीहरि जी महाराज दैनिक हिंदुस्तान समाज दमोह विजय यादव दमोह। स्थानीय शिव शनि हनुमान मंदिर एस.पी.एम. नगर में 20 नवम्बर 2024 से 28 नवम्बर 2024 तक नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा पुराण एवं गौतम परिवार द्वारा आयोजित इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं। नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के तृतीय दिवस कि कथा में इस दिन विशेष रूप से मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, माना जाता है कि जो भी व्यक्ति मां चंद्रघंटा की पूरी श्रद्धा भक्ति से आराधना करता है वह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है, आइए विस्तार से जानते हैं मां चंद्रघंटा की कथा और उनके मनपंसद भोग के बारें में मॉ का तीसरा दिन जो मां चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है, इनके माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा गया है, साथ ही मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने पर हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है, साथ ही यह भी मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की कथा का पाठ करने से शरीर के सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं, हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज ने मां चंद्रघंटा की कथा कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा का पहला रूप मां शैलपुत्री और दूसरा मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप जो भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए माना जाता है, जब मां ब्रह्मचारिणी भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह आदिशक्ति के रूप में प्रकट होती है और चंद्रघंटा बन जाती हैं, मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब संसार में दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था, साथ ही उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता था, वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। ऐसे हुई मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति, जब देवताओं को महिषासुर इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से जो ऊर्जा निकली, उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं, उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया, इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। मां चंद्रघंटा का भोग मां दुर्गा के नौं रूपों को अलग-अलग तरह के भोग चढ़ाए जाते हैं, माना जाता है कि मां चंद्रघंटा को खीर बहुत पसंद है इसलिए मां को केसर या साबूदाने की खीर का भोग लगा सकते हैं, पंचामृत का मिश्रण इन सभी पांच गुणों का प्रतीक है, पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण होता है। यह मां चंद्रघंटा को अत्यंत प्रिय है, यह मिश्रण पांच पवित्र पदार्थों से बना होता है, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व है, दूध को शुद्धता और पोषण का भी प्रतीक माना जाता है, इसलिए आप मां चंद्रघंटा को कच्चा दूध भी चढ़ा सकते हैं, दही भी मां चंद्रघंटा को बहुत प्रिय है, आप दही को सादा या फिर फलों के साथ मिलाकर भी चढ़ा सकते हैं। *इसी बीच अजब धाम फतेहपुर से पधारे श्री छोटे सरकार जी जै जै सरकार ने कथा में पहुंच कर भक्तों को आशीर्वाद दिया।* यह आयोजन प्रतिदिन 20 नबंवर से 28 नवंबर तक कथा प्रतिदिन दोपहर 2ः30 बजे से शाम 6 बजे तक श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। तत्पश्चात शाम 6 बजे आरती एवं प्रसाद वितरण किया जावेगा। शहर में पहली बार श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से इस अवसर पर गौतम परिवार ने सभी से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ ले
नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा में मां चंद्रघंटा की कृपा बनी रहेगी - हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक व्यास पं. श्रीहरि जी महाराज दैनिक हिंदुस्तान समाज दमोह विजय यादव दमोह। स्थानीय शिव शनि हनुमान मंदिर एस.पी.एम. नगर में 20 नवम्बर 2024 से 28 नवम्बर 2024 तक नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा पुराण एवं गौतम परिवार द्वारा आयोजित इस आयोजन में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज के मुखारविंद से कथा की जा रही हैं। नव दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के तृतीय दिवस कि कथा में इस दिन विशेष रूप से मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है, माना जाता है कि जो भी व्यक्ति मां चंद्रघंटा की पूरी श्रद्धा भक्ति से आराधना करता है वह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है, आइए विस्तार से जानते हैं मां चंद्रघंटा की कथा और उनके मनपंसद भोग के बारें में मॉ का तीसरा दिन जो मां चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है, इनके माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा गया है, साथ ही मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने पर हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है, साथ ही यह भी मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की कथा का पाठ करने से शरीर के सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं, हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध कथा वाचक श्री हरि जी महाराज ने मां चंद्रघंटा की कथा कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा का पहला रूप मां शैलपुत्री और दूसरा मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप जो भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए माना जाता है, जब मां ब्रह्मचारिणी भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त कर लेती हैं तब वह आदिशक्ति के रूप में प्रकट होती है और चंद्रघंटा बन जाती हैं, मां दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब संसार में दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था, साथ ही उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन प्राप्त करना चाहता
था, वह स्वर्ग लोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। ऐसे हुई मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति, जब देवताओं को महिषासुर इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से जो ऊर्जा निकली, उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं, उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया, इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। मां चंद्रघंटा का भोग मां दुर्गा के नौं रूपों को अलग-अलग तरह के भोग चढ़ाए जाते हैं, माना जाता है कि मां चंद्रघंटा को खीर बहुत पसंद है इसलिए मां को केसर या साबूदाने की खीर का भोग लगा सकते हैं, पंचामृत का मिश्रण इन सभी पांच गुणों का प्रतीक है, पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण होता है। यह मां चंद्रघंटा को अत्यंत प्रिय है, यह मिश्रण पांच पवित्र पदार्थों से बना होता है, जिनमें से प्रत्येक का अपना महत्व है, दूध को शुद्धता और पोषण का भी प्रतीक माना जाता है, इसलिए आप मां चंद्रघंटा को कच्चा दूध भी चढ़ा सकते हैं, दही भी मां चंद्रघंटा को बहुत प्रिय है, आप दही को सादा या फिर फलों के साथ मिलाकर भी चढ़ा सकते हैं। *इसी बीच अजब धाम फतेहपुर से पधारे श्री छोटे सरकार जी जै जै सरकार ने कथा में पहुंच कर भक्तों को आशीर्वाद दिया।* यह आयोजन प्रतिदिन 20 नबंवर से 28 नवंबर तक कथा प्रतिदिन दोपहर 2ः30 बजे से शाम 6 बजे तक श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। तत्पश्चात शाम 6 बजे आरती एवं प्रसाद वितरण किया जावेगा। शहर में पहली बार श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है सभी धर्म प्रेमी बंधुओ से इस अवसर पर गौतम परिवार ने सभी से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ ले
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- Hatta ka Chandi Mata Mandir itna prasiddhi ki hai Jay Mata Di Jay man Chandi Jay Bundelkhand Jay Shri Shankar Bhagwan IP ✈️🇮🇳 prapt kare 2024 samapt ho chuka hai Follow me Jay Shri Ram Bajrangbali ki Jay Ho Gau Mata ki Jay Ho Ganga Mata ki Jay Ho #trendigreels #reels #instagram #virl #song #💕🥰❤️🥀💫😘___________ #जयमातादी #जयश्रीराम🚩 #💕🥰❤️🥀💫😘___________ #instagood #explorepage #photooftheday #shiv #mp #maa #hatta #damoh #mumbai #bhopal #gujarat #rajasthan #ujjain #ujjainmahakaaleshwar🕉🙏🏻🔥 ❤️❤️😍1
- सतगुरु चुनार भीज गयी रे /गायक बिरन प्रणाम /कार्यक्रम छेवला हटा जिला दमोह म. प्र.1