महुआ फूल सूखने के बाद महंगा विकता है। एक मात्र पेड़ जिसका फूल फल से कई गुना कीमती और बहु उद्देशीय होता है। ये महुआ का पेड़ है जिसमें मार्च महीने में फूल आते हैं और सूरज की रोशनी पाकर प्रतिदिन फूल जमीन पर गिरते हैं। इन्हें उठाकर सुखाया जाता है और फिर बेच दिया जाता है। इसका प्रारंभिक उपयोग डुबरी बनाकर खाने में होता है जो गर्मियों में किसान के घर में नाश्ता के लिए बनाई जाती है। सूखने के बाद इनको सड़ाया जाता है और फिर उबालकर वाष्प की बूंदों को बर्तन में एकत्रित कर शराब बनाई जाती है, जिसे पुलिस पकड़ लेती है। महुआ का मेरी ज़िंदगी में पढ़ाई के प्रति बहुत योगदान है लगभग 100 वर्ष पुराना पेड़ जो बंटवारे में पिता जी को मिल गया था। मार्च महीने में परीक्षा का समय होता था तो अम्मा मुझे सुबह से ही महुआ की सुरक्षा के लिए जगा देती थी ताकि गाय, भैंस, बकरी जमीन में पटे महुआ को न खाएं और मैं वहीं पढ़ता रहूँ। परीक्षा देकर वापस आते थे तो घर मे ताला लगा मिलता था और अम्मा के गले में चाबी (उघन्नी) होती थी जिसके मिलने का स्थान गुल्ली तरे (महुआ के पेड़ के नीचे) होता था। सूखा महुआ बेचकर कभी बहन के लिए पायल, घर के लिए बर्तन आते थे जो एक पहचान के रूप में रहें। जून जुलाई में महुआ में फल लगते हैं जिन्हें गुलेन्दा (गुल्ली) बोलते हैं जिसके बीज से तेल निकलता है लेकिन फूल की तुलना में संग्रहण में जटिलता व विक्रय में सस्ता रहता है। इसे गाय बहुत पसंद करती है। जिसका भी मेरे जीवन को शानदार बनाने में योगदान रहा है समय-समय पर गुणगान करने का प्रयास करता रहता हूँ। जो किया वो लिख दिया। बन्दे में एक दोष न हो, बंदा ऐहसान फरामोश न हो। #seasonalflowers #seasonalfruits #mahua #महुआ #पेड़ #जंगल #forestphotography #tribalart #आदिवासी
महुआ फूल सूखने के बाद महंगा विकता है। एक मात्र पेड़ जिसका फूल फल से कई गुना कीमती और बहु उद्देशीय होता है। ये महुआ का पेड़ है जिसमें मार्च महीने में फूल आते हैं और सूरज की रोशनी पाकर प्रतिदिन फूल जमीन पर गिरते हैं। इन्हें उठाकर सुखाया जाता है और फिर बेच दिया जाता है। इसका प्रारंभिक उपयोग डुबरी बनाकर खाने में होता है जो गर्मियों में किसान के घर में नाश्ता के लिए बनाई जाती है। सूखने के बाद इनको सड़ाया जाता है और फिर उबालकर वाष्प की बूंदों को बर्तन में एकत्रित कर शराब बनाई जाती है, जिसे पुलिस पकड़ लेती है। महुआ का मेरी ज़िंदगी में पढ़ाई के प्रति बहुत योगदान है लगभग 100 वर्ष पुराना पेड़ जो बंटवारे में पिता जी को मिल गया था। मार्च महीने में परीक्षा का समय होता था तो अम्मा मुझे सुबह से ही महुआ की सुरक्षा के लिए जगा देती थी ताकि गाय, भैंस, बकरी जमीन में पटे महुआ को न खाएं और मैं वहीं पढ़ता रहूँ। परीक्षा देकर वापस आते थे तो घर मे ताला लगा मिलता था और अम्मा के गले में चाबी (उघन्नी) होती थी जिसके मिलने का स्थान गुल्ली तरे (महुआ के पेड़ के नीचे) होता था। सूखा महुआ बेचकर कभी बहन के लिए पायल, घर के लिए बर्तन आते थे जो एक पहचान के रूप में रहें। जून जुलाई में महुआ में फल लगते हैं जिन्हें गुलेन्दा (गुल्ली) बोलते हैं जिसके बीज से तेल निकलता है लेकिन फूल की तुलना में संग्रहण में जटिलता व विक्रय में सस्ता रहता है। इसे गाय बहुत पसंद करती है। जिसका भी मेरे जीवन को शानदार बनाने में योगदान रहा है समय-समय पर गुणगान करने का प्रयास करता रहता हूँ। जो किया वो लिख दिया। बन्दे में एक दोष न हो, बंदा ऐहसान फरामोश न हो। #seasonalflowers #seasonalfruits #mahua #महुआ #पेड़ #जंगल #forestphotography #tribalart #आदिवासी
- Arif nabbi Mubarak 🥵🥵🥵1
- आरती करने का अधिकार सब का होना चाहिए या फिर किसी का भी नहीं 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 acharyadhirendrakrishnashastri iambageshwardhamsarkar1
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- Post by S1
- बागेश्वर धाम पंडित धीरेंद्र शास्त्री छतरपुर मध्य प्रदेश जिला | chhatarpuar mp se live 💛💚🤍1
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- मध्य प्रदेश में जोरदार बारिश दिसंबर के महीने में तेज बारिश अगले 4 दिन मध्य प्रदेश का मौसम।1
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