वीर अब्दुल हमीद की 60वीं शहादत दिवस पर हुआ भव्य आयोजन बिहारशरीफ के ऐतिहासिक टाउन हॉल सभागार में बुधवार को देश के वीर सपूत परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद की 60वीं शहादत दिवस समारोह धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। समारोह में विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और इस वीर जांबाज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि नरेश प्रसाद अकेला ने की। इस अवसर पर वक्ताओं ने अब्दुल हमीद के शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की गाथा को विस्तार से याद किया। उन्होंने कहा कि जिस समय 1965 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मन के शक्तिशाली पैटन टैंकों का सामना करने में भारतीय सेना को कठिनाई हो रही थी, उस समय सूबेदार अब्दुल हमीद ने अपने अदम्य साहस और रणकौशल से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उन्होंने कई दुश्मन टैंकों को नष्ट कर भारतीय सेना का मनोबल ऊँचा किया। अंततः इस वीर सपूत ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस मौके पर मोहमद असरफ भारती ने कहा कि मुसलमान वफादार हो सकता है, लेकिन गद्दार नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि शहीद अब्दुल हमीद का बलिदान सिर्फ किसी धर्म या समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष का गर्व है। वे उस विरासत के प्रतीक हैं जो यह संदेश देती है कि देश की मिट्टी सबसे ऊपर है और उसके लिए जान की बाजी लगाने से बड़ी कोई इबादत नहीं। भारती ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की कि शहीद की याद को स्थायी रूप से संजोने के लिए अब्दुल हमीद हॉस्पिटल और अब्दुल हमीद चौक की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे स्मारक नहीं बनेंगे, तब तक नई पीढ़ी सही मायनों में यह नहीं समझ पाएगी कि उनके बीच ऐसे अमर शहीद भी हुए थे, जिन्होंने धर्म-जाति से ऊपर उठकर सिर्फ भारत माता की सेवा की। वक्ताओं ने यह भी कहा कि शहीद अब्दुल हमीद जैसी विभूतियों को याद करना सिर्फ श्रद्धांजलि देना नहीं है, बल्कि उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना है। जिस प्रकार उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अदम्य साहस दिखाया, उसी तरह आज के नौजवानों को भी राष्ट्रहित के लिए आगे आना चाहिए। सभा में उपस्थित लोगों ने एक स्वर में कहा कि अब्दुल हमीद का बलिदान हमें यह सिखाता है कि देश की असली ताकत एकता और भाईचारा है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई—सभी समुदाय के लोग मिलकर ही भारत की रक्षा और उन्नति सुनिश्चित कर सकते हैं। अंत में, उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीद की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
वीर अब्दुल हमीद की 60वीं शहादत दिवस पर हुआ भव्य आयोजन बिहारशरीफ के ऐतिहासिक टाउन हॉल सभागार में बुधवार को देश के वीर सपूत परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद की 60वीं शहादत दिवस समारोह धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। समारोह में विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक एवं शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और इस वीर जांबाज को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य अतिथि नरेश प्रसाद अकेला ने की। इस अवसर पर वक्ताओं ने अब्दुल हमीद के शौर्य, बलिदान और देशभक्ति की गाथा को विस्तार से याद किया। उन्होंने कहा कि जिस समय 1965 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मन के शक्तिशाली पैटन
टैंकों का सामना करने में भारतीय सेना को कठिनाई हो रही थी, उस समय सूबेदार अब्दुल हमीद ने अपने अदम्य साहस और रणकौशल से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उन्होंने कई दुश्मन टैंकों को नष्ट कर भारतीय सेना का मनोबल ऊँचा किया। अंततः इस वीर सपूत ने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस मौके पर मोहमद असरफ भारती ने कहा कि मुसलमान वफादार हो सकता है, लेकिन गद्दार नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि शहीद अब्दुल हमीद का बलिदान सिर्फ किसी धर्म या समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष का गर्व है। वे उस विरासत के प्रतीक हैं जो यह संदेश देती
है कि देश की मिट्टी सबसे ऊपर है और उसके लिए जान की बाजी लगाने से बड़ी कोई इबादत नहीं। भारती ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मांग की कि शहीद की याद को स्थायी रूप से संजोने के लिए अब्दुल हमीद हॉस्पिटल और अब्दुल हमीद चौक की स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक ऐसे स्मारक नहीं बनेंगे, तब तक नई पीढ़ी सही मायनों में यह नहीं समझ पाएगी कि उनके बीच ऐसे अमर शहीद भी हुए थे, जिन्होंने धर्म-जाति से ऊपर उठकर सिर्फ भारत माता की सेवा की। वक्ताओं ने यह भी कहा कि शहीद अब्दुल हमीद जैसी विभूतियों को याद करना सिर्फ श्रद्धांजलि देना नहीं है,
बल्कि उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना है। जिस प्रकार उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अदम्य साहस दिखाया, उसी तरह आज के नौजवानों को भी राष्ट्रहित के लिए आगे आना चाहिए। सभा में उपस्थित लोगों ने एक स्वर में कहा कि अब्दुल हमीद का बलिदान हमें यह सिखाता है कि देश की असली ताकत एकता और भाईचारा है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई—सभी समुदाय के लोग मिलकर ही भारत की रक्षा और उन्नति सुनिश्चित कर सकते हैं। अंत में, उपस्थित सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीद की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
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