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Yuvraj Singh
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- Post by Anoopshukla1
- #hardoi- सत्ता से जुड़े भूमाफियाओं ने भाजपा बूथ अध्यक्ष की जमीन पर किया कब्ज़ा, पांच दशकों से विवादित जमीन पर भाजपा बूथ अध्यक्ष का है कब्ज़ा, न्यायालय में भी उक्त विवादित जमीन का मामला चल रहा विचाराधीन, विरोध पर भूमाफियाओं ने भाजपा बूथ अध्यक्ष के परिवार को कोतवाली में कराया बंद, पीड़ित परिवार ने पुलिस पर भी लगाया गंभीर आरोप, भूमाफियाओं की सह पर पुलिस ने पीड़ित भाजपा बूथ अध्यक्ष के परिवार के पुरुषों व महिलाओं को जमकर पीटा, शाहाबाद कोतवाली के बुधबाजार का मामला,4
- Breaking News भाजपा संगठन के कार्यक्रम में PM मोदी,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह CM योगी आदित्यनाथ सहित उत्तर प्रदेश के सभी 120 राष्ट्रीय परिषद् के सदस्य निर्वाचित!! राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने की प्रक्रिया हेतु यह मामला भी संपन्न!!1
- Post by बलराम बाग बेलाग1
- Post by राम जी दीक्षित पत्रकार3
- Post by Sadaf khatoon1
- श्री राम कथा अष्टम दिवस कथा व्यास परम पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी भक्ति में बाधक बनता है लालच। शबरी पर कृपा कर श्रीराम ने दिया सामाजिक समरसता का संदेश। कथा व्यास: परमपूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज श्रीराम कथा में पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने श्रोताओं से कहा कि शबरी की भक्ति से प्रभावित होकर श्रीराम ने उसके जूठे बेर खाकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया। इसके अतिरिक्त सीता हरण, जटायु मोक्ष, शबरी भेंट एवं हनुमान मिलन के प्रसंगों को भाव-विभोर होकर सुनाया, जिससे सभी श्रोता भाव-विभोर हो गए। श्रीराम कथा में प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। कथा के दौरान व्यास जी ने स्वर्ण मृग (सोने का हिरण) की घटना का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन करते हुए कहा कि जब भक्ति भगवान से विमुख होकर केवल भौतिक साधनों की ओर आकर्षित हो जाती है, तब जीव को भगवान-प्राप्ति के लिए भटकना ही पड़ता है। जैसे—माता सीता जानकी सोने का हिरण नहीं चाहती थीं, परंतु सोने के प्रति आकर्षण के कारण वे प्रभु श्रीराम जैसे ‘सोने’ को भूल गईं। जटायु के प्रसंग की व्याख्या करते हुए व्यास जी ने कहा कि जो दूसरों की सेवा में लगा रहता है, उसकी चिंता स्वयं भगवान करते हैं। जैसे—जटायु ने माता सीता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए, तब प्रभु श्रीराम ने उस गिद्ध जाति के पक्षी को उठाकर अपनी गोद में बैठाया और हृदय से लगाया। इसी कारण श्री तुलसीदास जी ने जटायु को ‘मानस में परम बड़भागी’ कहा है। जटायु को भगवान के हाथों मोक्ष प्राप्त हुआ और वह सीधे स्वर्गलोक को गया। इसी प्रकार शबरी भगवान की अनन्य भक्त थीं। श्रीराम यह जानते हुए भी कि वह भीलनी जाति की हैं, उनके जूठे बेर प्रेमपूर्वक खाए और सामाजिक समरसता का महान संदेश दिया। भगवान की साधना में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं होता। भगवान श्रीराम ने शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश भी दिया। व्यास जी ने सुग्रीव मिलन और बालि वध के प्रसंग के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया कि अधर्म कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः उसका पतन निश्चित है और धर्म की विजय सदा होती है। संवाददाता रवि गुप्ता4
- Post by Anoopshukla1