*गौमाता की दुर्दशा पर सियासत भारी: बलौदाबाजार में गौवंश की मौत, पत्रकारों पर दबाव* बलौदाबाजार :- प्रदेश में गौवंश की सेवा के नाम पर राजनीति तो ज़ोर-शोर से हो रही है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। बलौदाबाजार जिले के ग्राम पंचायत रिसदा में गौवंश की दुर्दशा ने सरकार की कथनी और करनी में फर्क को उजागर कर दिया है। स्थानीय पत्रकारों द्वारा गांव में मरते गौवंश की तस्वीर और हालात जब उजागर किए गए, तो एक बार फिर सवाल उठा — गौमाता की असली चिंता किसे है? ज्ञात हो कि रिसदा गांव में बीते दिनों गौवंश की मौत केवल इसलिए हो गई क्योंकि उन्हें न तो समय पर चारा मिला, न ही पानी और न ही कोई चिकित्सकीय देखभाल। स्थानीय लोगों के अनुसार फसल सुरक्षा के मद्देनज़र मवेशियों को एक जगह एकत्रित कर रखा गया है किन्तु उचित प्रबंधन के अभाव एवं चारा पानी की अव्यवस्था के कारण मवेशी की मौत हुई है। इस मुद्दे को जब पत्रकारों ने मीडिया में उजागर किया, तो बजाय समस्या के समाधान के, पत्रकारों पर ही दबाव और धमकी का सिलसिला शुरू हो गया। बात यहाँ तक पहुंच गयी की बलौदाबाजार सरपंच संघ ने इस पूरे मामले में जिला कलेक्टर को आवेदन सौंपते हुए पत्रकारों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। सरपंचों ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि गौवंश की जिम्मेदारी केवल पंचायतों की नहीं हो सकती, और मीडिया को ऐसी खबरें नहीं चलानी चाहिए जिससे पंचायतों की छवि धूमिल हो। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि राज्य सरकार के पास गौवंश संरक्षण की कोई ठोस और प्रभावी नीति नहीं है, और जब कोई इसकी वास्तविकता को उजागर करता है तो उसे दबाने का प्रयास किया जाता है। *गौमाता की दुर्दशा पर राजनीति, ज़मीनी हकीकत कहीं और* राजनीति में 'गौसेवा' को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर गौशालाएं बदहाल हैं, बजट नदारद है और प्रशासन जिम्मेदारी से भाग रहा है। सड़क दुर्घटनाओं में मरते मवेशी, खुले में घूमती गायें, और बीमार हालत में तड़पते बेजुबान — यही है आज की गौसेवा की असल तस्वीर। जब पत्रकार सच्चाई को सामने लाते हैं, तब उन्हें धमकाना, उन पर राजनीतिक दबाव बनाना, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। यदि सरकार और प्रशासन यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि गौवंश की जिम्मेदारी किसकी है, तो कम से कम पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए। *लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर चोट* पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। यदि वे समाज की वास्तविक समस्याओं को उठाते हैं और उनके बदले उन्हें धमकी, बदनामी और प्रशासनिक दबाव झेलना पड़े, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। गौवंश की दुर्दशा पर रिपोर्टिंग करना अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है। *गौमाता की आड़ में राजनीति, ज़मीनी सच्चाई में दुर्दशा* गौमाता की सेवा के नाम पर वोट माँगने वालों से जनता अब जवाब चाहती है। यह प्रश्न केवल गायों की रक्षा का नहीं है, बल्कि नैतिकता, उत्तरदायित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों का भी है। यदि बेजुबानों की पीड़ा उठाने वाला पत्रकार ही निशाने पर होगा, तो फिर कौन आवाज़ उठाएगा? गौवंश की रक्षा की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? क्या यह केवल सरपंचों की है? क्या जिला प्रशासन इससे अछूता रह सकता है? क्या राज्य सरकार केवल घोषणाओं और नारों तक सीमित रह सकती है?गायों की सेवा केवल चुनावी नारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। जब तक सड़कों पर तड़पती एक भी गौमाता की तस्वीर दिखती है, तब तक समाज, सरकार और हम सभी को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है।
*गौमाता की दुर्दशा पर सियासत भारी: बलौदाबाजार में गौवंश की मौत, पत्रकारों पर दबाव* बलौदाबाजार :- प्रदेश में गौवंश की सेवा के नाम पर राजनीति तो ज़ोर-शोर से हो रही है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। बलौदाबाजार जिले के ग्राम पंचायत रिसदा में गौवंश की दुर्दशा ने सरकार की कथनी और करनी में फर्क को उजागर कर दिया है। स्थानीय पत्रकारों द्वारा गांव में मरते गौवंश की तस्वीर और हालात जब उजागर किए गए, तो एक बार फिर सवाल उठा — गौमाता की असली चिंता किसे है? ज्ञात हो कि रिसदा गांव में बीते दिनों गौवंश की मौत केवल इसलिए हो गई क्योंकि उन्हें न तो समय पर चारा मिला, न ही पानी और न ही कोई चिकित्सकीय देखभाल। स्थानीय लोगों के अनुसार फसल सुरक्षा के मद्देनज़र मवेशियों को एक जगह एकत्रित कर रखा गया है किन्तु उचित प्रबंधन के अभाव एवं चारा पानी की अव्यवस्था के कारण मवेशी की मौत हुई है। इस मुद्दे को जब पत्रकारों ने मीडिया में उजागर किया, तो बजाय समस्या के समाधान के, पत्रकारों पर ही दबाव और धमकी का सिलसिला शुरू हो गया। बात यहाँ तक पहुंच गयी की बलौदाबाजार सरपंच संघ ने इस पूरे मामले में जिला कलेक्टर को आवेदन सौंपते हुए पत्रकारों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। सरपंचों ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि गौवंश की जिम्मेदारी केवल पंचायतों की नहीं हो सकती, और मीडिया को ऐसी खबरें नहीं चलानी चाहिए जिससे पंचायतों की छवि धूमिल हो। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि राज्य सरकार के पास गौवंश संरक्षण की कोई ठोस और प्रभावी नीति नहीं है, और जब कोई इसकी वास्तविकता को उजागर करता है तो उसे दबाने का प्रयास किया जाता है। *गौमाता की दुर्दशा पर राजनीति, ज़मीनी हकीकत कहीं और* राजनीति में 'गौसेवा' को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर गौशालाएं बदहाल हैं, बजट नदारद है और प्रशासन जिम्मेदारी से भाग रहा है। सड़क दुर्घटनाओं में मरते मवेशी, खुले में घूमती गायें, और बीमार हालत में तड़पते बेजुबान — यही है आज की गौसेवा की असल तस्वीर। जब पत्रकार सच्चाई को सामने लाते हैं, तब उन्हें धमकाना, उन पर राजनीतिक दबाव बनाना, लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है। यदि सरकार और प्रशासन यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि गौवंश की जिम्मेदारी किसकी है, तो कम से कम पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए। *लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर चोट* पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है। यदि वे समाज की वास्तविक समस्याओं को उठाते हैं और उनके बदले उन्हें धमकी, बदनामी और प्रशासनिक दबाव झेलना पड़े, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है। गौवंश की दुर्दशा पर रिपोर्टिंग करना अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है। *गौमाता की आड़ में राजनीति, ज़मीनी सच्चाई में दुर्दशा* गौमाता की सेवा के नाम पर वोट माँगने वालों से जनता अब जवाब चाहती है। यह प्रश्न केवल गायों की रक्षा का नहीं है, बल्कि नैतिकता, उत्तरदायित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों का भी है। यदि बेजुबानों की पीड़ा उठाने वाला पत्रकार ही निशाने पर होगा, तो फिर कौन आवाज़ उठाएगा? गौवंश की रक्षा की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? क्या यह केवल सरपंचों की है? क्या जिला प्रशासन इससे अछूता रह सकता है? क्या राज्य सरकार केवल घोषणाओं और नारों तक सीमित रह सकती है?गायों की सेवा केवल चुनावी नारों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। जब तक सड़कों पर तड़पती एक भी गौमाता की तस्वीर दिखती है, तब तक समाज, सरकार और हम सभी को आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है।
- श्री सीमेंट कंपनी प्रबंधन कर रहे हैं मजदूरों पर शोषण | आज बलौदा बाजार जिला के श्री सीमेंट प्लांट में जो एक सप्ताह से सात सुत्रीय मांग को लेकर धरना प्रदर्शन मे 1300 कर्मचारी गेट बाहर शांती पूर्ण बैठे हुए थे लेकिन आज सभी मजदूरों ने अपने अपने बीबी बच्चे को लेकर आये हुए थे जिससे कंपनी प्रबंधन पर दबाव बनाने की कोशिश किया गया फिर भी कंपनी प्रबंधन मजदूरों के हक अधिकार को देने से ईनकार कर रहे थे और उसके बाद एंटक युनियन राष्ट्रीय अध्यक्ष दिलीप वर्मा कंपनी प्रबंधन से घंटो से मीटिंग मे बैठकर चर्चा विमर्श किया गया तो कंपनी प्रबंधन ने बोला कि जो मजदूरों पर F I R दर्ज हैं उसे वापस लिया गया और मजदूरों पर चार्ज शीट वापश लिया, और कारण बताओ,युनिरन के सदस्य पर सेवा समाप्ति के आदेश को भी वापसी लिया गया |1
- नक्शा पास करने के नाम पर रिश्वतखोरी का भंडाफोड़… बोदरी नगर पालिका में एसीबी का छापा, बाबू रंगेहाथ गिरफ्तार… आज बुधवार की साम 7 बजे नगर पालिका बोदरी से मिली जानकारी अनुसार बोदरी। नगर पालिका बोदरी में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने बुधवार की दोपहर 3.30 छापा मारकर उप अभियंता के सहायक को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी सहायक पर आरोप है कि उसने भवन का नक्शा पास करने के एवज में आवेदक से रिश्वत की मांग की थी और बाबू के साथ मिलकर अवैध रकम वसूल रहा था। सूत्रों के अनुसार, पीड़ित व्यक्ति ने रिश्वत मांगे जाने की शिकायत एसीबी से की थी। शिकायत की पुष्टि के बाद एसीबी ने योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और जैसे ही आरोपी ने रिश्वत की रकम ली, टीम ने मौके पर दबिश देकर उसे पकड़ लिया। इस कार्रवाई से नगर पालिका कार्यालय में हड़कंप मच गया। एसीबी की टीम ने मौके से आवश्यक दस्तावेज जब्त कर लिए हैं और पूछताछ का दायरा बढ़ा दिया गया है। कार्रवाई के बाद टीम द्वारा नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) से भी गहन पूछताछ की जा रही है। माना जा रहा है कि इस पूरे मामले में अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी जांच के दायरे में आ सकती है। पूछताछ और साक्ष्यों के आधार पर जल्द ही पूरे प्रकरण का खुलासा किया जाएगा। इस कार्रवाई को नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल एसीबी की टीम ने बुधवार साम 5.30 बजे रिश्वतखोर बाबू और सी एम ओ को पूछ ताछ के लिए साथ ले गए हैं इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है इसकी जानकारी ए सी बी टीम द्वारा जारी किय गय प्रेस विज्ञप्ति से मिल पाएगी1
- Post by Hari Sharma Sharma1
- भगवती मानव कल्याण संगठन1
- “गाड़ी वाला आया, घर से कचरा निकाल” यह गाना सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी की पहचान बन चुका है। गली-गली, शहर-शहर गूंजने वाली इस आवाज़ को हर उम्र के लोगों ने सुना है। सोशल मीडिया पर अब इस गाने से जुड़े गायक का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग हैरान भी हैं और खुश भी। #ViralVideo #TrendingReels #IndianSongs #DailyLife #ReelIndia #GadiWala #InternetBreaks #ExplorePage1
- मुंगेली, 150 परिवार मौत के मुहाने पर, डर डर के जी रहे जिंदगी1
- दिनांक 16.12.25 थाना बिरसा क्षेत्र में लूट की घटना का खुलासा, दो आदतन अपराधी गिरफ्तार पशु तस्करी मे संलिप्त आरोपी अनिल उर्फ अनेक नागेश्वर को लूट कारित करने पर कडी कार्यवाही कर भेजा जेल , गौवंश का अपराध पूर्व से है पंजीबद्द थाना बिरसा, जिला बालाघाट अंतर्गत दिनांक 13.11.2025 को ग्राम सालेटेकरी लांजी रोड पर घटित लूट की घटना में बिरसा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए दो आदतन अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है । प्रार्थी दीनू वासुदेव पिता भरत वासुदेव, निवासी वार्ड क्रमांक 19, चौरेंगा, थाना सिमगा, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.) की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 275/2025, धारा 308(4),309 (4), 3(5) भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया । प्रार्थी ने बताया कि बोलेरो वाहन से आए आरोपियों ने चाकू दिखाकर डरा-धमकाते हुए नकद राशि एवं मोबाइल फोन की लूट की तथा प्रार्थी द्वारा क्रय की गई 02 कीमती भैसों को जंगल क्षेत्र में जबरन छोड़ दिया । विवेचना के दौरान आरोपी मनोज जंघेल एवं अनिल उर्फ अनेक नागेश्वर को गिरफ्तार किया गया । विवेचना में यह भी पाया गया कि गिरफ्तार आरोपी आदतन अपराधी हैं, आरोपी मनोज के विरूद्ध जानकारी के मुताबिक 05 एवं आऱोपी अनिल के विरूद्ध 09 पूर्व के अपराध जिनमे लूट, मारपीट, बलवा, अवैध वसूली एवं गौवंश संबंधी अपराध सहित कई गंभीर प्रकरण पंजीबद्ध हैं । आरोपियों से पूछताछ में घटना में छत्तीसगढ एवं महाराष्ट्र के आरोपियों की संलिप्तता भी सामने आई है, जो वर्तमान में फरार हैं, जिनकी तलाश हेतु पुलिस द्वारा दबिश दी जा रही है । गिरफ्तार आरोपी – • मनोज पिता संतोष जंघेल, उम्र 31 वर्ष, निवासी रामनगर, थाना गुडियारी, जिला रायपुर • अनिल उर्फ अनेक पिता नागेश्वर, उम्र 47 वर्ष, निवासी चिचटोला लॉजी, थाना लॉजी, जिला बालाघाट (म.प्र.) गिरफ्तार आरोपियों से लूटी गये नगदी, मोबाइल फोन, घटना में प्रयुक्त बोलेरो वाहन एवं अपराध के विषय मे कडी पूछताछ की जा रही है । उल्लेखनीय भूमिका- थाना प्रभारी बिरसा रेवल सिंह बरडे , उप निरी धनसिंह धुर्वे, आर विकाश श्रीवास , आर संपत उइके , आर राम सिंह अहाके , आर भरत परते एवं आर विनोद भलावी की उल्लेखनीय भूमिका रही ।1
- निशुल्क नेत्र जांच शिविर श्री गणेश विनायक फाउंडेशन और अल्ट्राटेक सीमेंट रावन के तत्वाधान में रखा गया पलारी ब्लाक के ग्राम पंचायत चुंचरूंगपुर में जिसमें स्कूली छात्र और बड़े बुजुर्ग भी बड़ी जनसंख्या में पहुंचे और आसपास के ग्राम पंचायत के ग्रामीण भी निशुल्क नेत्र जांच शिविर मे लाभ उठाने पहुंचे|1