स्मृति शेष,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,। किशोर कुमार की जन्म जयंती 4 अगस्त पर विशेष ,,,,,,,,,,,,,। उनके गीत ही उनकी उपस्थिति का कराते हैं आभाष। ,,,,, जी हाँ हम बात कर रहे हैं पार्श्व गायक किशोर कुमार(खंडवा वाले )। 4 अगस्त 1929 को खंडवा के गांगुली परिवार में जन्मे आभाष यानी किशोर कुमार की उत्कट अभिनय क्षमता व बेजोड़ गायकी का सफर ,, बढ़ती का नाम दाढ़ी तथा चलती का नाम गाड़ी,, के समान चलता रहा। गायकी तथा अभिनय के क्षेत्र के अपना रुतबा जमाने वाले इस कलाकार ने जिंदगी के सफर को बेहद ही जिंदादिली के साथ जिया। उनका आज 96 वाँ जन्मदिन दिवस है। 9 और 6 अंक उनकी प्रतिभा को दर्शाता है। दोनों अंकों में से किसी एक को पलटने से दोनों एक जैसे ही हो जाते है इसी तरह किशोर डा के जीवन में गायन और अभिनय की भी यही स्थिति थी। ,,,,,,,,,,,,, गंभीर बात भी हंसी में कहने की कला,,,,,,,,, ऐसा कहा जाता है कि हर जीनियस व्यक्तित्व कुछ सिरफिरा होता है लेकिन, यही सिरफिरापन उस व्यक्ति की सबसे अलग एक विशिष्ट पहचान होती है। ऐसी ही पहचान के धनी थे सुरों के बेताज बादशाह जाने माने पार्श्व गायक और अभिनेता-निर्माता किशोर कुमार। किशोर दा ने अपने फिल्मी जीवन में गायकी तथा अभिनय में एक उम्दा मुकाम हासिल किया। गंभीर से गंभीर बात को भी हँसी में कह जाना उनके जीवन की एक कला थी। ,,,,,,,,,, बहुत तीव्र था विनोद बोध ,,,,,,,,,,,,, किशोर कुमार को महज एक मजाकिया,मसखरा अदाकार मानना नाइंसाफी होगी। बेशक उनका विनोद बोध बहुत तीव्रता लिए था और इसे उन्होंने फ़िल्म जीवन और गायन में अक्सर प्रकट भी किया । या यूं कहें कि वे एक बेहद बेचैन किस्म की रूह थे। एक व्यक्ति की तरह किशोर तनिक जटिल नजर आते थे उनकी तमाम नाटकीयता, अटपटापन और अपने किस्म के नए निरालेपन से सभी चौक जाते थे। किशोर दा एक आला दर्जे के मनोरंजनकार थे। लोगों को उन्होंने हँसाया और रुलाया भी खूब। अगर वे गा रहे होते थे तो उसका एक गहरा अर्थ हुआ करता था। वे त्रासदी और कामदी (कॉमेडी) का समन्वय बिंदु थे। यह अलग बात है कि यह तलाशना हमेशा मुश्किल रहा कि त्रासदी कहां शुरू और कामदी कहाँ खत्म हो गई। उनके संवेदनशील मन में एक ही समय में कई किस्म की चाहतें पल रहीं होती थीं। ,,,,,,,,, एक यादगार मुलाकात ,,,,,,,,,, अपने जीवन में यूडलिंग करने वाली इस चक्रम शख्सियत से 28 अक्टूबर 1986 को सुबह खंडवा में उनके पुश्तैनी निवास गौरीकुंज में मुलाकात का मौका मुझे मिला। उन दिनों वे बम्बई की कोलाहल व आपाधापी के माहौल से आजीज होकर शेष जीवन खंडवा में बिताने का निश्चय कर खंडवा के मकान को व्यवस्थित कराने आए हुए थे। तभी उनके साथ गुजरे पलों को आपके साथ साझा करने का अवसर है। ,,,,,,,,, सार्थक बातचीत ,,,,,,,, गौरीकुंज के चौकीदार ने जैसे ही हमें अंदर बुलाया तो किशोर दा बड़े ही सहृदयता से पास ही रखी लकड़ी की बेंच की ओर इशारा करते हुए बैठने का कहकर स्वयं भी उस समय की गोदरेज की फोल्डिंग चेयर खोल कर बैठते हुए बोले- कहो कैसे आना हुआ। उस समय मेरे साथ एक पत्रकार साथी रमेश सोमानी (अब स्वर्गीय) भी थे। उनकी इस खुशमिजाजी देख मैंने पूछ लिया- दादा हम तो सोच रहे थे कि शायद आप मिलने से इंकार कर देंगे पर आपसे मिलकर ऐसा नहीं लगता कि आपके बारे में जो सनकी, झक्की जैसी कही जाने वाली बातें सच हैं। तभी बीच में ही रोकते हुए बोले-देखो भई, प्यार से प्यार लात से लात वाली बात है। किसी से मुलाकात करना, बतियाने पर रोक नहीं है, पर पता नहीं पत्रकारों से क्यों मुझे मिलने का मन नहीं करता। खासकर फिल्मी पत्र पत्रिकाओं के खबरनवीसों से। उनका उद्देश्य होता है कि कोई आदमी बड़ा हो जाए तो उसे कैसे गिराना। यह खूबी बम्बई के फिल्मी पत्रकारों में है। क्योंकि वे उलजुलूल बातें लिखते हैं। पत्रकार देवयानी का विशेष रूप से जिक्र किया व फ़िल्म पत्रिका स्टार डस्ट को बेकार डस्ट तथा स्टार एंड स्टाइल को बकवास स्टाइल बताया था । किशोर दा बोले, देखो भई, हाथी चले बाजार, कुत्ते भूके हजार वाली बात है। अच्छी बात पूछो अच्छा जवाब देंगे। ,,,,,,,,,,, लता अवार्ड पाकर खुश थे ,,,,,,,,, मुलाक़ात के दौरान मई 1986 में लता मंगेशकर अवार्ड मिलने के संबंध में उनके विचार क्या हैं पूछने पर प्रसन्नता उनके चेहरे से झलक रही थी। खुशी जाहिर करते कहा- मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। ,,,,,,,,,,,, अपनत्व तो खंडवा में ही है ,,,,,,,,,, खंडवा में ही जीवन के बाकी दिन बिताने की बात पर किशोर दा बोले अपनत्व तो खंडवा में है अपनों के बीच। बस अब माता(गौरी बाई) पिता(कुंजबिहारी) की स्मृति में एक सभागार खंडवा में बनाना और शेष जिंदगी यहीं सुकून से बिताना यही तमन्ना है। अब तो खाना और गाना दोनों ही लिमिट में कर दिया है। कम खाना ज्यादा जीना वाला सिद्धांत अपनाया है। कबीर के दोहे गुनगुनाता रहता हूं। खंडवा की आबोहवा तथा यहां के इंसान अच्छे हैं। ,,,,,,,,,,,, गाना या संगीत अच्छा है ,,,,,,,,,, उस दौर में भी वे गानों के गिरते स्तर को लेकर चिंतित थे। उन्होंने कहा था कि आजकल के गायकों में अपना खुद का कुछ नहीं है। कॉपीराइट हैं। नए गायक पैसा कमाना चाहते हैं। म्यूजिक डायरेक्टर तथा गायकों की प्रतिस्पर्धा में क्वालिटी बिगड़ गई है। म्यूजिक में एक शक्ति होती है। गाना या संगीत अच्छी चीज है। संगीत के प्रति जानवर में भी फिलिंग होती है। ,,,,,,,,,,,,, चाय का दौर ,,,,,,,,,,,, किशोर दा बातचीत के सिलसिले को विराम देते हुए बोले- अब थोड़ी चाय हो जाए और चौकीदार को बुलाकर कहा, देखो चाय लाओ और हाँ ध्यान रखना कड़क मीठी लाना। इसी बीच उनके भाई अनूप कुमार भी आ गए थे ।चाय की चुस्कियां लेने के दौरान उनसे पूछा कि लोग आपको कंजूस कहते हैं तो उन्होंने कहा- देखो, जीवन में मेरी एक बात गांठ बांध लेना। पैसा है तो सब है। दुनिया में कोई किसी का दोस्त नहीं। भलाई करना मतलब गाली लेना है। मैंने जिसकी भी मदद की उसने मुझे कभी उपकृत नहीं किया। सही भी है,,, याद करते उन्होंने गुनगुनाया ,, पांच रुपैया बारह आना,,। आज किशोर दा खंडवा वाले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हवाओं में, दूर गगन की छाँव में उनके घुले स्वर,,, हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम,,, सुनाई देते रहेंगे। सुरों के बेजोड़ बादशाह को सादर नमन। ,,,,,,,,,,, कैसे किशोर होगी किशोर दा की जन्म स्थली ,,,,,,,,,,, किशोर के गाए गाने गाकर तो सभी अपने को किशोरवय में पाते है लेकिन किशोर दा की खंडवा स्थित जन्म स्थली जिसका उपेक्षा के कारण दिन प्रतिदिन क्षरण बदस्तूर जारी है यह बहुत दुखद है। इसे सहेजना, संवारना और यादगार बनाना केवल खंडवावासियों और किशोर प्रेमियों का ही नहीं बल्कि समस्त संगीतप्रेमियों का भी कर्तव्य है। ,,,,,,,,,,, @@@@@@@ निशिकांत मंडलोई पत्रकार व फोटोग्राफर 107, सत्यदेवनगर इंदौर। संपर्क,, 9300302524, @@@@@@@
स्मृति शेष,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,। किशोर कुमार की जन्म जयंती 4 अगस्त पर विशेष ,,,,,,,,,,,,,। उनके गीत ही उनकी उपस्थिति का कराते हैं आभाष। ,,,,, जी हाँ हम बात कर रहे हैं पार्श्व गायक किशोर कुमार(खंडवा वाले )। 4 अगस्त 1929 को खंडवा के गांगुली परिवार में जन्मे आभाष यानी किशोर कुमार की उत्कट अभिनय क्षमता व बेजोड़ गायकी का सफर ,, बढ़ती का नाम दाढ़ी तथा चलती का नाम गाड़ी,, के समान चलता रहा। गायकी तथा अभिनय के क्षेत्र के अपना रुतबा जमाने वाले इस कलाकार ने जिंदगी के सफर को बेहद ही जिंदादिली के साथ जिया। उनका आज 96 वाँ जन्मदिन दिवस है। 9 और 6 अंक उनकी प्रतिभा को दर्शाता है। दोनों अंकों में से किसी एक को पलटने से दोनों एक जैसे ही हो जाते है इसी तरह किशोर डा के जीवन में गायन और अभिनय की भी यही स्थिति थी। ,,,,,,,,,,,,, गंभीर बात भी हंसी में कहने की कला,,,,,,,,, ऐसा कहा जाता है कि हर जीनियस व्यक्तित्व कुछ सिरफिरा होता है लेकिन, यही सिरफिरापन उस व्यक्ति की सबसे अलग एक विशिष्ट पहचान होती है। ऐसी ही पहचान के धनी थे सुरों के बेताज बादशाह जाने माने पार्श्व गायक और अभिनेता-निर्माता किशोर कुमार। किशोर दा ने अपने फिल्मी जीवन में गायकी तथा अभिनय में एक उम्दा मुकाम हासिल किया। गंभीर से गंभीर बात को भी हँसी में कह जाना उनके जीवन की एक कला थी। ,,,,,,,,,, बहुत तीव्र था विनोद बोध ,,,,,,,,,,,,, किशोर कुमार को महज एक मजाकिया,मसखरा अदाकार मानना नाइंसाफी होगी। बेशक उनका विनोद बोध बहुत तीव्रता लिए था और इसे उन्होंने फ़िल्म जीवन और गायन में अक्सर प्रकट भी किया । या यूं कहें कि वे एक बेहद बेचैन किस्म की रूह थे। एक व्यक्ति की तरह किशोर तनिक जटिल नजर आते थे उनकी तमाम नाटकीयता, अटपटापन और अपने किस्म के नए निरालेपन से सभी चौक जाते थे। किशोर दा एक आला दर्जे के मनोरंजनकार थे। लोगों को उन्होंने हँसाया और रुलाया भी खूब। अगर वे गा रहे होते थे तो उसका एक गहरा अर्थ हुआ करता था। वे त्रासदी और कामदी (कॉमेडी) का समन्वय बिंदु थे। यह अलग बात है कि यह तलाशना हमेशा मुश्किल रहा कि त्रासदी कहां शुरू और कामदी कहाँ खत्म हो गई। उनके संवेदनशील मन में एक ही समय में कई किस्म की चाहतें पल रहीं होती थीं। ,,,,,,,,, एक यादगार मुलाकात ,,,,,,,,,, अपने जीवन में यूडलिंग करने वाली इस चक्रम शख्सियत से 28 अक्टूबर 1986 को सुबह खंडवा में उनके पुश्तैनी निवास गौरीकुंज में मुलाकात का मौका मुझे मिला। उन दिनों वे बम्बई की कोलाहल व आपाधापी के माहौल से आजीज होकर शेष जीवन खंडवा में बिताने का निश्चय कर खंडवा के मकान को व्यवस्थित कराने आए हुए थे। तभी उनके साथ गुजरे पलों को आपके साथ साझा करने का अवसर है। ,,,,,,,,, सार्थक बातचीत ,,,,,,,, गौरीकुंज के चौकीदार ने जैसे ही हमें अंदर बुलाया तो किशोर दा बड़े ही सहृदयता से पास ही रखी लकड़ी की बेंच की ओर इशारा करते हुए बैठने का कहकर स्वयं भी उस समय की गोदरेज की फोल्डिंग चेयर खोल कर बैठते हुए बोले- कहो कैसे आना हुआ। उस समय मेरे साथ एक पत्रकार साथी रमेश सोमानी (अब स्वर्गीय) भी थे। उनकी इस खुशमिजाजी देख मैंने पूछ लिया- दादा हम तो सोच रहे थे कि शायद आप मिलने से इंकार कर देंगे पर आपसे मिलकर ऐसा नहीं लगता कि आपके बारे में जो सनकी, झक्की जैसी कही जाने वाली बातें सच हैं। तभी बीच में ही रोकते हुए बोले-देखो भई, प्यार से प्यार लात से लात वाली बात है। किसी से मुलाकात करना, बतियाने पर रोक नहीं है, पर पता नहीं पत्रकारों से क्यों मुझे मिलने का मन नहीं करता। खासकर फिल्मी पत्र पत्रिकाओं के खबरनवीसों से। उनका उद्देश्य होता है कि कोई आदमी बड़ा हो जाए तो उसे कैसे गिराना। यह खूबी बम्बई के फिल्मी पत्रकारों में है। क्योंकि वे उलजुलूल बातें लिखते हैं। पत्रकार देवयानी का विशेष रूप से जिक्र किया व फ़िल्म पत्रिका स्टार डस्ट को बेकार डस्ट तथा स्टार एंड स्टाइल को बकवास स्टाइल बताया था । किशोर दा बोले, देखो भई, हाथी चले बाजार, कुत्ते भूके हजार वाली बात है। अच्छी बात पूछो अच्छा जवाब देंगे। ,,,,,,,,,,, लता अवार्ड पाकर खुश थे ,,,,,,,,, मुलाक़ात के दौरान मई 1986 में लता मंगेशकर अवार्ड मिलने के संबंध में उनके विचार क्या हैं पूछने पर प्रसन्नता उनके चेहरे से झलक रही थी। खुशी जाहिर करते कहा- मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। ,,,,,,,,,,,, अपनत्व तो खंडवा में ही है ,,,,,,,,,, खंडवा में ही जीवन के बाकी दिन बिताने की बात पर किशोर दा बोले अपनत्व तो खंडवा में है अपनों के बीच। बस अब माता(गौरी बाई) पिता(कुंजबिहारी) की स्मृति में एक सभागार खंडवा में बनाना और शेष जिंदगी यहीं सुकून से बिताना यही तमन्ना है। अब तो खाना और गाना दोनों ही लिमिट में कर दिया है। कम खाना ज्यादा जीना वाला सिद्धांत अपनाया है। कबीर के दोहे गुनगुनाता रहता हूं। खंडवा की आबोहवा तथा यहां के इंसान अच्छे हैं। ,,,,,,,,,,,, गाना या संगीत अच्छा है ,,,,,,,,,, उस दौर में भी वे गानों के गिरते स्तर को लेकर चिंतित थे। उन्होंने कहा था कि आजकल के गायकों में अपना खुद का कुछ नहीं है। कॉपीराइट हैं। नए गायक पैसा कमाना चाहते हैं। म्यूजिक डायरेक्टर तथा गायकों की प्रतिस्पर्धा में क्वालिटी बिगड़ गई है। म्यूजिक में एक शक्ति होती है। गाना या संगीत अच्छी चीज है। संगीत के प्रति जानवर में भी फिलिंग होती है। ,,,,,,,,,,,,, चाय का दौर ,,,,,,,,,,,, किशोर दा बातचीत के सिलसिले को विराम देते हुए बोले- अब थोड़ी चाय हो जाए और चौकीदार को बुलाकर कहा, देखो चाय लाओ और हाँ ध्यान रखना कड़क मीठी लाना। इसी बीच उनके भाई अनूप कुमार भी आ गए थे ।चाय की चुस्कियां लेने के दौरान उनसे पूछा कि लोग आपको कंजूस कहते हैं तो उन्होंने कहा- देखो, जीवन में मेरी एक बात गांठ बांध लेना। पैसा है तो सब है। दुनिया में कोई किसी का दोस्त नहीं। भलाई करना मतलब गाली लेना है। मैंने जिसकी भी मदद की उसने मुझे कभी उपकृत नहीं किया। सही भी है,,, याद करते उन्होंने गुनगुनाया ,, पांच रुपैया बारह आना,,। आज किशोर दा खंडवा वाले हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हवाओं में, दूर गगन की छाँव में उनके घुले स्वर,,, हवाओं पे लिख दो हवाओं के नाम,,, सुनाई देते रहेंगे। सुरों के बेजोड़ बादशाह को सादर नमन। ,,,,,,,,,,, कैसे किशोर होगी किशोर दा की जन्म स्थली ,,,,,,,,,,, किशोर के गाए गाने गाकर तो सभी अपने को किशोरवय में पाते है लेकिन किशोर दा की खंडवा स्थित जन्म स्थली जिसका उपेक्षा के कारण दिन प्रतिदिन क्षरण बदस्तूर जारी है यह बहुत दुखद है। इसे सहेजना, संवारना और यादगार बनाना केवल खंडवावासियों और किशोर प्रेमियों का ही नहीं बल्कि समस्त संगीतप्रेमियों का भी कर्तव्य है। ,,,,,,,,,,, @@@@@@@ निशिकांत मंडलोई पत्रकार व फोटोग्राफर 107, सत्यदेवनगर इंदौर। संपर्क,, 9300302524, @@@@@@@
- UUser9574Harsud, East Nimar😡on 5 August
- RSS का मैसेज-योगी पर सवाल उठाया तो बागी मानेंगे:हिंदुओं में एकता रखें, अनबन की खबरें कंट्रोल करें, RSS-BJP मीटिंग से संदेश मोदी के बाद योगी ? ... देखिए राजनीतिक बहस राजपथ न्यूज़ पर...https://www.facebook.com/share/v/1DUkPowqNp/1
- Post by Shivnarayan Maskole1
- सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने देवास पुलिस की संवेदनशील पहल, दुर्घटना-संभावित एवं जानलेवा स्थानों पर चेतावनी पोस्टर लगाकर आमजन को किया जा रहा है जागरूक देवास,देवास पुलिस द्वारा जिले में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निरंतर विभिन्न स्तरों पर प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पुलिस अधीक्षक देवास पुनीत गेहलोद के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) जयवीर सिंह भदौरिया एवं उप पुलिस अधीक्षक (एल-आर) संजय शर्मा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी देवास बैंक नोट प्रेस अमित सोलंकी के नेतृत्व में एक संवेदनशील एवं जनहितकारी पहल की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत जिले के उन स्थानों पर, जहाँ पूर्व में सड़क दुर्घटनाओं में व्यक्तियों की मृत्यु अथवा गंभीर चोट की घटनाएं घटित हुई हैं, देवास पुलिस द्वारा चेतावनी एवं जागरूकता संबंधी पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इन पोस्टरों के माध्यम से आम जनता को सतर्क रहने, वाहन सावधानीपूर्वक चलाने तथा सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। इसी अनुक्रम में दिनांक 05.12.2025 एवं 06.12.2025 को ग्राम बिलावली एवं ग्राम खटाम्बा में हुई दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में दो व्यक्तियों की गंभीर रूप से घायल होने के पश्चात मृत्यु हो गई थी। उक्त दोनों दुर्घटनास्थलों पर थाना बीएनपी पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में दुर्घटना चेतावनी संबंधी पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि वहां से गुजरने वाले वाहन चालक सतर्क रहें एवं भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। देवास पुलिस आम नागरिकों से अपील करती है कि वे वाहन चलाते समय गति सीमा का पालन करें, हेलमेट व सीट बेल्ट का उपयोग अनिवार्य रूप से करें, नशे की हालत में वाहन न चलाएं तथा यातायात नियमों का पूर्णतः पालन कर स्वयं एवं दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। देवास पुलिस — सुरक्षित यातायात, सुरक्षित जीवन1
- भैंसदेही पुलिस की बड़ी कार्यवाही अवैध विस्फोटक पदार्थ के साथ युवक गिरफ्तार भैंसदेही/मनीष राठौर ANCHOR - भैंसदेही पुलिस ने मुखबिर की सुचना पर अवैध विस्फोटक पदार्थ के साथ एक युवक को गिरफ्तार किया। पुलिस से मिली जानकारी अनुसार चिचोलीढाना निवासी राजेंद्र ढढोरे के खेत के मकान में अवैध रखें 100 नग टूयूब टाईप विस्फोटक पदार्थ पुलिस ने बरामद किए। युवक के पास इन्हें रखने के दस्तावेज नहीं पाएं जाने पर थाना प्रभारी ने बड़ी कार्यवाही करते हुए विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत् मामला दर्ज कर युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजा। वहीं थाना प्रभारी राजेश सातनकर ने बताया कि मुखबिर की सुचना पर चिचोलीढाना निवासी 35 वर्षीय युवक राजेन्द्र डढोरे के बगदरा रोड़ पर स्थित खेत में अवैध 100 नग टूयूब टाईप विस्फोटक पदार्थ सहित वायर बंडल बरामद किया गया। पुछताछ में युवक के पास विस्फोटक पदार्थ रखने के दस्तावेज नहीं पाएं जाने पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत् विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया। बाइट।। राजश सातनकर थाना प्रभारी भैंसदेही1
- ब्रेकिंग न्यूज़1
- Post by Manoj_bamniya_official1
- * *आत्मनिर्भर और विकसित भारत की कल्पना को साकार कर रहे हैं मुख्यमंत्री* पिछड़ा वर्ग मंत्री मप्र शासन एवं जिले की प्रभारी मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर जिला विकास सलाहकार सम्मेलन में l1
- सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने देवास पुलिस की संवेदनशील पहल, दुर्घटना-संभावित एवं जानलेवा स्थानों पर चेतावनी पोस्टर लगाकर आमजन को किया जा रहा है जागरूक देवास,देवास पुलिस द्वारा जिले में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु निरंतर विभिन्न स्तरों पर प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पुलिस अधीक्षक देवास पुनीत गेहलोद के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) जयवीर सिंह भदौरिया एवं उप पुलिस अधीक्षक (एल-आर) संजय शर्मा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी देवास बैंक नोट प्रेस अमित सोलंकी के नेतृत्व में एक संवेदनशील एवं जनहितकारी पहल की जा रही है। इस पहल के अंतर्गत जिले के उन स्थानों पर, जहाँ पूर्व में सड़क दुर्घटनाओं में व्यक्तियों की मृत्यु अथवा गंभीर चोट की घटनाएं घटित हुई हैं, देवास पुलिस द्वारा चेतावनी एवं जागरूकता संबंधी पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इन पोस्टरों के माध्यम से आम जनता को सतर्क रहने, वाहन सावधानीपूर्वक चलाने तथा सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। इसी अनुक्रम में दिनांक 05.12.2025 एवं 06.12.2025 को ग्राम बिलावली एवं ग्राम खटाम्बा में हुई दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में दो व्यक्तियों की गंभीर रूप से घायल होने के पश्चात मृत्यु हो गई थी। उक्त दोनों दुर्घटनास्थलों पर थाना बीएनपी पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में दुर्घटना चेतावनी संबंधी पोस्टर लगाए गए हैं, ताकि वहां से गुजरने वाले वाहन चालक सतर्क रहें एवं भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। देवास पुलिस आम नागरिकों से अपील करती है कि वे वाहन चलाते समय गति सीमा का पालन करें, हेलमेट व सीट बेल्ट का उपयोग अनिवार्य रूप से करें, नशे की हालत में वाहन न चलाएं तथा यातायात नियमों का पूर्णतः पालन कर स्वयं एवं दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। देवास पुलिस — सुरक्षित यातायात, सुरक्षित जीवन1