मेले में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के स्टॉल पर रोजाना 50 से अधिक युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर पंजीकरण करवा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर युवा 25 से 30 साल की उम्र के हैं। इनमें से काफी युवा कॉलेज के छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ अपना उद्योग खड़ा करना चाहते हैं। नई राह की तलाश कर रहे युवाओं को भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला रोजगार की दिशा दिखा रहा है। मेले में ऐसे कई युवा उद्यमी आए हैं जिन्हें सरकार की तरफ से मिले आर्थिक मदद से व्यापार खड़ा किया। अब दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। मेले में युवाओं को सरकारी मदद की जानकारी भी दी जा रही है। मेले में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के स्टॉल पर रोजाना 50 से अधिक युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर पंजीकरण करवा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर युवा 25 से 30 साल की उम्र के हैं। इनमें से काफी युवा कॉलेज के छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ अपना उद्योग खड़ा करना चाहते हैं। वहीं बुधवार को खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार खादी इंडिया पवेलियन पर पहुंचे। यहां उन्होंने उद्यमियों से मुलाकात की जिन्होंने सरकारी मदद से अपना काम शुरू किया और अब दूसरे को रोजगार दे रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खादी वैश्विक ब्रांड बन चुकी है। उन्होंने पवेलियन में स्थापित देशी चरखा, पेटी चरखा, विद्युत चालित कुम्हारी चॉक, कच्ची घानी तेल निकालने की प्रक्रिया, मंदिर में पूजा के लिए उपयोग किए हुए पुष्पों को री-साईकल कर बनाई गई अगरबत्ती-धूपबत्ती बनाने के सजीव प्रदर्शन देखे। ट्रेड फेयर में खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष मनोज कुमार के साथ गुड़ बनाने वाले युवा उद्यमी अवधेश - फोटो : अमर उजाला खादी इंडिया पवेलियन में लगे 225 स्टालों पर भारतवर्ष के अलग-अलग क्षेत्रों के कारीगरों द्वारा निर्मित उत्पादों द्वारा भारत की समृद्ध विरासत, शिल्प कौशल और हस्त कला को प्रदर्शित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खादी क्रांति ने पिछले 10 सालों में खादी और ग्रामोद्योग के कारोबार को 1 लाख 55 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंचा दिया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 10.17 लाख नये लोगों को रोजगार मिला है। नई पीढ़ी हैंडलूम में तलाश रही रोजगार स्वदेशी हैंडलूम की मांग विदेशों में बढ़ने से नई पीढ़ी एक बार फिर से इसे रोजगार मानने लगी है। बड़ी संख्या में ऐसे युवा हैं जो इसे छोड़ना चाहते थे, अब इसमें रोजगार देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश पवेलियन में आजमगढ़ से आए हैंडलूम सिल्क साड़ी बनाने वाले ताबिश बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण विदेशों में मांग बढ़ी है। इन साड़ियों को बनाने में कई दिन का समय लग जाता है। इसे बनाने का तरीका भी अलग होता है। घुटने तक पैर जमीन में होते हैं। साड़ी बनाते समय हाथ और पैर एक साथ चलते हैं। छोटी सी गलती भी साड़ी का रूप बिगाड़ सकती है। उनका कहना है कि आज इसकी मांग विदेशों में भी काफी है। इस साड़ी की कीमत एक हजार से लाखों तक चली जाती है। बच्चों के दांत और आंखें मिल रहीं कमजोर व्यापार मेले में घूमने आ रहे बच्चों के आंख और दांत कमजोर मिल रहे हैं। मेले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्टॉल लगाया है। यहां 18 साल तक के बच्चों की जांच भी हो रही है। जांच के दौरान उनकी आंख और दांत को भी देखा जा रहा है। रोजाना 70 से 80 बच्चों की जांच में काफी बच्चे की आंख व दांत कमजोर मिल रहे हैं। इन्हें घर के पास जिला अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। स्टॉल पर बच्चों की जांच करवा रहे डॉ. दीप्ति खन्ना ने कहा कि बच्चे के जन्म से लेकर बड़े होने तक पांच स्तर पर जांच होती हैं। हर स्तर पर अस्पताल की व्यवस्था है। सरकार की कोशिश है कि हर बच्चे की जांच हो। जांच के दौरान यदि उनके दिल में छेद या दूसरी गंभीर बीमारी मिले तो उसका भी इलाज मुफ्त उपलब्ध करवाया जाए।
मेले में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के स्टॉल पर रोजाना 50 से अधिक युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर पंजीकरण करवा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर युवा 25 से 30 साल की उम्र के हैं। इनमें से काफी युवा कॉलेज के छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ अपना उद्योग खड़ा करना चाहते हैं। नई राह की तलाश कर रहे युवाओं को भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला रोजगार की दिशा दिखा रहा है। मेले में ऐसे कई युवा उद्यमी आए हैं जिन्हें सरकार की तरफ से मिले आर्थिक मदद से व्यापार खड़ा किया। अब दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। मेले में युवाओं को सरकारी मदद की जानकारी भी दी जा रही है। मेले में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के स्टॉल पर रोजाना 50 से अधिक युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल कर पंजीकरण करवा रहे हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर युवा 25 से 30 साल की उम्र के हैं। इनमें से काफी युवा कॉलेज के छात्र हैं जो पढ़ाई के साथ अपना उद्योग खड़ा करना चाहते हैं। वहीं बुधवार को खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार खादी इंडिया पवेलियन पर पहुंचे। यहां उन्होंने उद्यमियों से मुलाकात की जिन्होंने सरकारी मदद से अपना काम शुरू किया और अब दूसरे को रोजगार दे रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में खादी वैश्विक ब्रांड बन चुकी है। उन्होंने पवेलियन में स्थापित देशी चरखा, पेटी चरखा, विद्युत चालित कुम्हारी चॉक, कच्ची घानी तेल निकालने की प्रक्रिया, मंदिर में पूजा के लिए उपयोग किए हुए पुष्पों को री-साईकल कर बनाई गई अगरबत्ती-धूपबत्ती बनाने के सजीव प्रदर्शन देखे। ट्रेड फेयर में खादी ग्रामोद्योग के अध्यक्ष मनोज कुमार के साथ गुड़ बनाने वाले युवा उद्यमी अवधेश - फोटो : अमर उजाला खादी इंडिया पवेलियन में लगे 225 स्टालों पर भारतवर्ष के अलग-अलग क्षेत्रों के कारीगरों द्वारा निर्मित उत्पादों द्वारा भारत की समृद्ध विरासत, शिल्प कौशल और हस्त कला को प्रदर्शित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खादी क्रांति ने पिछले 10 सालों में खादी और ग्रामोद्योग के कारोबार को 1 लाख 55 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंचा दिया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में 10.17 लाख नये लोगों को रोजगार मिला है। नई पीढ़ी हैंडलूम में तलाश रही रोजगार स्वदेशी हैंडलूम की मांग विदेशों में बढ़ने से नई पीढ़ी एक बार फिर से इसे रोजगार मानने लगी है। बड़ी संख्या में ऐसे युवा हैं जो इसे छोड़ना चाहते थे, अब इसमें रोजगार देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश पवेलियन में आजमगढ़ से आए हैंडलूम सिल्क साड़ी बनाने वाले ताबिश बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण विदेशों में मांग बढ़ी है। इन साड़ियों को बनाने में कई दिन का समय लग जाता है। इसे बनाने का तरीका भी अलग होता है। घुटने तक पैर जमीन में होते हैं। साड़ी बनाते समय हाथ और पैर एक साथ चलते हैं। छोटी सी गलती भी साड़ी का रूप बिगाड़ सकती है। उनका कहना है कि आज इसकी मांग विदेशों में भी काफी है। इस साड़ी की कीमत एक हजार से लाखों तक चली जाती है। बच्चों के दांत और आंखें मिल रहीं कमजोर व्यापार मेले में घूमने आ रहे बच्चों के आंख और दांत कमजोर मिल रहे हैं। मेले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने स्टॉल लगाया है। यहां 18 साल तक के बच्चों की जांच भी हो रही है। जांच के दौरान उनकी आंख और दांत को भी देखा जा रहा है। रोजाना 70 से 80 बच्चों की जांच में काफी बच्चे की आंख व दांत कमजोर मिल रहे हैं। इन्हें घर के पास जिला अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। स्टॉल पर बच्चों की जांच करवा रहे डॉ. दीप्ति खन्ना ने कहा कि बच्चे के जन्म से लेकर बड़े होने तक पांच स्तर पर जांच होती हैं। हर स्तर पर अस्पताल की व्यवस्था है। सरकार की कोशिश है कि हर बच्चे की जांच हो। जांच के दौरान यदि उनके दिल में छेद या दूसरी गंभीर बीमारी मिले तो उसका भी इलाज मुफ्त उपलब्ध करवाया जाए।
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