*जो जनहित में लड़ा नहीं,फूंको उस चढ़ी जवानी को। वह खून नहीं बल्कि पानी है, धिक्कार है यैसे प्राणी को।* क्या श्रृष्टि सृजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले शिल्पकारो की चेतना मर चुकी है या अपने संवैधानिक हक अधिकार एवं सामाजिक न्याय के लिए एकजुट लड़ाई लड़ने से डरते हो या फूट डालो राज करो पालिसी तुम्हारे जेहन से निकल नहीं पा रही है। जरा सोचो कि 1931 के अंतिम जातिय जनगणना में तुम्हारी गीनती शिल्पकार समूह के अंतर्गत की गई जिसमें कलाकृत निर्माणकर्ता के तौर पर समकक्ष की 26 जातियों/उपजातियों को एक साथ रखा गया और उसी राष्ट्रीय मूल जनगणना को आधार बनाकर अनुसूचित जाति संविधान 1950 का निर्माण हुआ तथा अश्पृश्यता व असमानता की शिकार इन जातियों को बराबरी का दर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से अनुसूचित का स्थान मिला। गोरे अंग्रेजों से निजात पाकर धीरे धीरे भारत देश जब विकास की मुख्यधारा से अपने आप को जोड़ना शुरू किया तो वहीं से ये काले अंग्रेज अपने तानाशाही हुकुमत को स्थापित करने के लिए कूचरचित षड़यंत्रों का सहारा लिए तथा अशिक्षा भूखमरी और चरम गरीबी आदि का फायदा उठाकर हर स्तर से हम शिल्पकारो के दमन की कहानी शुरू हुई और हमारे मेहनतकश कलाकार पुर्वजों का खून चूसने से भी जब मन नहीं भरा इन अत्याचारियों का तो बड़े आदमी बनाने का झांसा देते हुए असंवैधानिक रुप से पिछड़ी सूची में ढकेल दिया गया, जहां लठैत व सक्षम काश्तकारों के आगे हम भूमिहीन मजदुरा वर्गों की हैसियत, रक्षा सुरक्षा,मान सम्मान व तरक्की आदि सामने है। जागरुकता का दौर आया,हमारी नयी पीढ़ी पढ़ लिखकर अपना इतिहास व संवैधानिक अधिकार खोजना शुरू की।राजनैतिक नफा नुकसान को देखते हुए अंततः 31 दिसंबर 2016 को हमें पिछड़ी सूची से पुनः बाहर निकाला तो गया किन्तु वोट और सत्ता के साजीश में जाति प्रमाण पत्र के आनलाइन एन आई सी पोर्टल पर आज भी हम पिछड़ी सूची में है और हक अधिकार का दोहन व शोषण बरकरार है। यैसे में हमारे लोडरो के उदासीनता के चलते 17 अतिपिछड़ी जातियों का बहुप्रतीक्षित रिजर्वेशन प्रकरण ठंडे बस्ते में जाता देख 28 दिसंबर 2024 से अतिपिछड़ा एकीकरण महाअभियान द्वारा नये सिरे से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराने एवं पिछड़ी पर रोक लगाने की संवैधानिक लड़ाई शुरू हुई तथा परिणामस्वरूप पर्याप्त साक्ष्य एवं सबूतों के आधार पर 27 फरवरी 2025 को तत्कालीन जिलाधिकारी संतकबीरनगर श्री महेन्द्र सिंह तंवर ने अनुच्छेद 341 के अनुपालनार्थ श्रृष्टि सृजन के मुख्य शिल्पी कुम्हार को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने एवं पिछड़ी पर रोक लगाने का स्पष्ट आदेश जारी किए ताकि इसी आधार पर आगे सभी वंचित अतिपिछड़ो को आरक्षण का लाभ मिल सके। यूं तो वंचित अतिपिछड़े उपेक्षित वर्गों के आरक्षण का मामला जब भी सामने आता है तो सबसे पहले बसपा समर्थित संगठन विरोध में आगे आते हैं किन्तु इस बार उनके साथ साथ आरक्षण के नाम पर प्रकाश में आए अपने ही बीच के तथाकथित लीडर क्षति पहुंचाने पर उतारू हो गए कि कहीं अनिल प्रजापति अतिपिछड़ो के बड़े चेहरे के रूप में उभर न जाएं और हमारे गुमराहपना का खेल आम आवाम के सामने न आ जाएं। राजनैतिक दबाव में जिलाधिकारी महोदय का तबादला आनन फानन में करवाकर प्रकरण कमिश्नरी अपील में लंबित तो करा दिया गया किन्तु आगे के लिए सोचने में असमर्थ लोग यह नहीं समझ पाएं कि जो व्यक्ति संविधान सम्मत शोध करके वगैर किसी नेतागिरी के देश की सियासत में हाहाकार मचाने का माद्दा रखता हो वह मौका पाते ही क्या कुछ नहीं कर सकता। अतः शिल्पकार मझवार तुरैहा आदि समूहों की सभी वंचित जातियों/ उपजातियों के जागरूक बड़े वरिष्ठों नौजवान क्रांतिकारी साथियों माताओं एवं बहनों से निवेदन पुर्वक कहना चाहता हूं कि इतनी बड़ी लड़ाई अब मेरे अकेले बस की नहीं रही बल्कि इन धनबली प्रभावशालियों एवं इच्छाधारी मठाधीशों से लड़ते-लड़ते थकने लगा हूं और पारिवारिक भरण पोषण पर सही से ध्यान न दें पाने के कारण लोग काफी दिक्कत में है, इतने पर यदि जिसके लिए लड़ रहा हूं वह मेरा समाज तन मन धन से यथासंभव सहयोग के लिए आगे नहीं आता है तो संघर्ष कमजोर पड़ जाएगा और सदियों से हमारे हक अधिकार पर डाका डालने वाले ये अत्याचारी हमारी हत्या भी करवा सकते हैं जिसके लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन को लिखित प्रार्थना पत्र भी अंदेशा के आधार पर दिया हूं आगे आप सबका मार्गदर्शन शिरोधार्य होगा।🙏
*जो जनहित में लड़ा नहीं,फूंको उस चढ़ी जवानी को। वह खून नहीं बल्कि पानी है, धिक्कार है यैसे प्राणी को।* क्या श्रृष्टि सृजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले शिल्पकारो की चेतना मर चुकी है या अपने संवैधानिक हक अधिकार एवं सामाजिक न्याय के लिए एकजुट लड़ाई लड़ने से डरते हो या फूट डालो राज करो पालिसी तुम्हारे जेहन से निकल नहीं पा रही है। जरा सोचो कि 1931 के अंतिम जातिय जनगणना में तुम्हारी गीनती शिल्पकार समूह के अंतर्गत की गई जिसमें कलाकृत निर्माणकर्ता के तौर पर समकक्ष की 26 जातियों/उपजातियों को एक साथ रखा गया और उसी राष्ट्रीय मूल जनगणना को आधार बनाकर अनुसूचित जाति संविधान 1950 का निर्माण हुआ तथा अश्पृश्यता व असमानता की शिकार इन जातियों को बराबरी का दर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से अनुसूचित का स्थान मिला। गोरे अंग्रेजों से निजात पाकर धीरे धीरे भारत देश जब विकास की मुख्यधारा से अपने आप को जोड़ना शुरू किया तो वहीं से ये काले अंग्रेज अपने तानाशाही हुकुमत को स्थापित करने के लिए कूचरचित षड़यंत्रों का सहारा लिए तथा अशिक्षा भूखमरी और चरम गरीबी आदि का फायदा उठाकर हर स्तर से हम शिल्पकारो के दमन की कहानी शुरू हुई और हमारे मेहनतकश कलाकार पुर्वजों का खून चूसने से भी जब मन नहीं भरा इन अत्याचारियों का तो बड़े आदमी बनाने का झांसा देते हुए असंवैधानिक रुप से पिछड़ी सूची में ढकेल दिया गया, जहां लठैत व सक्षम काश्तकारों के आगे हम भूमिहीन मजदुरा वर्गों की हैसियत, रक्षा सुरक्षा,मान सम्मान व तरक्की आदि सामने है। जागरुकता का दौर आया,हमारी नयी पीढ़ी पढ़ लिखकर अपना इतिहास व संवैधानिक अधिकार खोजना शुरू की।राजनैतिक नफा नुकसान को देखते हुए अंततः 31 दिसंबर 2016 को हमें पिछड़ी सूची से पुनः बाहर निकाला तो गया किन्तु वोट और सत्ता के साजीश में जाति प्रमाण पत्र के आनलाइन एन आई सी पोर्टल पर आज भी हम पिछड़ी सूची में है और हक अधिकार का दोहन व शोषण बरकरार है। यैसे में हमारे लोडरो के उदासीनता के चलते 17 अतिपिछड़ी जातियों का बहुप्रतीक्षित रिजर्वेशन प्रकरण ठंडे बस्ते में जाता देख 28 दिसंबर 2024 से अतिपिछड़ा एकीकरण महाअभियान द्वारा नये सिरे से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत कराने एवं पिछड़ी पर रोक लगाने की संवैधानिक लड़ाई शुरू हुई तथा परिणामस्वरूप पर्याप्त साक्ष्य एवं सबूतों के आधार पर 27 फरवरी 2025 को तत्कालीन जिलाधिकारी संतकबीरनगर श्री महेन्द्र सिंह तंवर ने अनुच्छेद 341 के अनुपालनार्थ श्रृष्टि सृजन के मुख्य शिल्पी कुम्हार को अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने एवं पिछड़ी पर रोक लगाने का स्पष्ट आदेश जारी किए ताकि इसी आधार पर आगे सभी वंचित अतिपिछड़ो को आरक्षण का लाभ मिल सके। यूं तो वंचित अतिपिछड़े उपेक्षित वर्गों के आरक्षण का मामला जब भी सामने आता है तो सबसे पहले बसपा समर्थित संगठन विरोध में आगे आते हैं किन्तु इस बार उनके साथ साथ आरक्षण के नाम पर प्रकाश में आए अपने ही बीच के तथाकथित लीडर क्षति पहुंचाने पर उतारू हो गए कि कहीं अनिल प्रजापति अतिपिछड़ो के बड़े चेहरे के रूप में उभर न जाएं और हमारे गुमराहपना का खेल आम आवाम के सामने न आ जाएं। राजनैतिक दबाव में जिलाधिकारी महोदय का तबादला आनन फानन में करवाकर प्रकरण कमिश्नरी अपील में लंबित तो करा दिया गया किन्तु आगे के लिए सोचने में असमर्थ लोग यह नहीं समझ पाएं कि जो व्यक्ति संविधान सम्मत शोध करके वगैर किसी नेतागिरी के देश की सियासत में हाहाकार मचाने का माद्दा रखता हो वह मौका पाते ही क्या कुछ नहीं कर सकता। अतः शिल्पकार मझवार तुरैहा आदि समूहों की सभी वंचित जातियों/ उपजातियों के जागरूक बड़े वरिष्ठों नौजवान क्रांतिकारी साथियों माताओं एवं बहनों से निवेदन पुर्वक कहना चाहता हूं कि इतनी बड़ी लड़ाई अब मेरे अकेले बस की नहीं रही बल्कि इन धनबली प्रभावशालियों एवं इच्छाधारी मठाधीशों से लड़ते-लड़ते थकने लगा हूं और पारिवारिक भरण पोषण पर सही से ध्यान न दें पाने के कारण लोग काफी दिक्कत में है, इतने पर यदि जिसके लिए लड़ रहा हूं वह मेरा समाज तन मन धन से यथासंभव सहयोग के लिए आगे नहीं आता है तो संघर्ष कमजोर पड़ जाएगा और सदियों से हमारे हक अधिकार पर डाका डालने वाले ये अत्याचारी हमारी हत्या भी करवा सकते हैं जिसके लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन को लिखित प्रार्थना पत्र भी अंदेशा के आधार पर दिया हूं आगे आप सबका मार्गदर्शन शिरोधार्य होगा।🙏
- गोरखपुर में घर के बाहर खड़ी नगर निगम ठेकेदार के मुंशी की बाइक धू धू कर जली.. वाहन मलिक को पता चला तो होश उड़ गए... गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के बिछिया जंगल तुलसीराम में एक बाइक में आग लग गई। आग लगने की जानकारी होने पर वाहन मालिक की बाइक पूरी तरह जलकर राख हो चुकी थी। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है। लेकिन मौके पर देखने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है, कि किसी ने गाड़ी का लॉक खोलने की कोशिश कि गयी हो सकती है। वहीं वाहन स्वामी ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दी है, पुलिस मामले कि जांच में जुटी।2
- CM नीतीश कुमार के खिलाफ श्रीनगर में FIR | हिजाब विवाद पर इल्तिजा मुफ्ती का बड़ा एक्शन | Giriraj Singh बयान1
- जेल में बंद अनेक कैदियों ने दिखाए अपने अंदर छिपी प्रतिभाएं, बना डाला एक से बढ़कर एक कलाकृतियां #bichhiya jail #gorakhpur1
- यूपी – जिला महोबा के डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव बैंक में कैशियर मोहित खरे ने एक ग्राहक के नोट चुरा लिए और फिर गड्डी में नोट कम होने बता दिए। CCTV से सच्चाई सामने आई। कैशियर सस्पेंड हुआ। टर्मिनेशन के लिए हेडक्वार्टर को रिपोर्ट भेजी जा रही है।1
- Pramod Kumar Goswami. 20/12/20251
- परतावल में मनरेगा घोटाला! मृतकों, बुजुर्गों और दुकानदारों के नाम पर फर्जी भुगतान का आरोप . || Maharajganj News || Maharajganj || Aapan Maharajganj || Manrega . . #मनरेगा_घोटाला #परतावल #MahmmadaGramPanchayat #फर्जीवाड़ा #सरकारी_योजना #ग्रामीण_आरोप #MNREGA #भ्रष्टाचार #जांच_की_मांग1
- नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी, शातिर अभियुक्त गिरफ्तार गोरखपुर क्राइम रिपोर्ट....... गोरखपुर में नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं से ठगी करने वाले एक शातिर अभियुक्त को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गोरखपुर में शाहपुर थानाध्यक्ष चन्द्रभान सिंह के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने थाना शाहपुर पर पंजीकृत मुकदमा संख्या 536/2024 (धारा 419, 420, 467, 468, 471, 504, 506, 120 बी भादवि) से संबंधित वांछित अभियुक्त सुधीर कुमार मिश्रा को गिरफ्तार किया। नौकरी का लालच, फिर धमकी देने का आरोप लगाते हुए पीड़ित द्वारा दी गई तहरीर में नौकरी लगवाने का भरोसा दिलाकर उससे पैसे ऐंठ लिए। जब पीड़ित ने रकम वापस मांगी तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अभियुक्त की तलाश तेज की और आखिरकार उसे दबोच लिया। गिरफ्तार अभियुक्त सुधीर कुमार मिश्रा, मूल रूप से बिहार के सिवान जिले का रहने वाला है, जबकि उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में भी उसका पता सामने आया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि कहीं यह ठगी किसी बड़े गिरोह का हिस्सा तो नहीं और अब तक कितने लोगों को उसने नौकरी का झांसा देकर ठगा है। पुलिस ने अभियुक्त को न्यायालय में पेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही उसके आपराधिक इतिहास और अन्य संभावित पीड़ितों की जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे मांगने वालों से सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें।2
- संसद में संजय सिंह का बड़ा हमला | VB-G RAM G बिल को बताया काला कानून | AAP vs Modi Govt1
- मैं हमारे सारे मुस्लिम रहनुमाओं को कहना चाहता हूं कि नीतीश कुमार के खिलाफ एक्शन ले ~शाही इमाम पंजाब1