*रामपुर और समहुता में सोशल ऑडिट हुई संपन्न* *सोशल ऑडिट में रही कर्मियों की भरमार* *ग्राम पंचायत सचिव रामपुर की रही मनमानी समस्त अभिलेख लेकर रह गायब* *जितेन्द्र श्रीवास्तव सुल्तानपुर* जनपद सुल्तानपुर के विकास खण्ड प्रतापपुर कमैचा अंतर्गत चल रही चार ग्राम सभाओं की खुली बैठक आज तमाम कमियों के बीच सम्पन्न हुई सोशल ऑडिट कर रहे ब्लाक कोऑर्डिनेटर दिनेश प्रताप सिंह अपनी पांच सदस्यो की टीम के साथ ग्राम सभा रामपुर के 20 कामों की दो दिवसीय जांच कर आज समीक्षा बैठक ग्राम सचिवालय पर की जिसमें एक प्राथमिक विद्यालय के बाउंड्री वाल का चल रहा है जो पूर्ण नहीं पाया गया और सचिवालय के पास बना शौचालय का गड्ढा देखने में अपूर्ण लगा लेकिन प्रधान हरेन्द्र प्रताप सिंह ने यह बताया कि कोई ट्रक बैक हो रही थी जिसके कारण यह गड्ढा खराब हो गया जब ब्लॉक कोऑर्डिनेटर से बात की गई तो उन्होंने यह बताया कि नागरीय सूचना बोर्ड कहीं नहीं पाया गया है जबकि प्रधान का कहना है कि मेरे द्वारा कार्य शुरू होने से पहले ही सभी बोर्ड लगवाया गया था मौके पर है या नहीं मुझे नहीं पता है,उनसे ऑडिट के वक्त मौजूद फाइल उपस्थित के बारे मे जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने यह आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत सचिव धर्मेंद्र दुबे ने हमारे आग्रह के बाद भी उपस्थित नहीं हुए और ऑडिट की खबर सुनने के बाद भी सभी फाइल यहाँ से उठा ले गए टीम द्वारा पत्रकारों के पूँछने पर बताया गया की एक भी नागरिक सूचना बोर्ड नहीं लगा है ना ही उसका पेमेंट ही हुआ है ना ही किसी कार्य मे noc ही लगी है, प्रधान ने बताया की बोर्ड चोरी हो गया है बिना सेक्रेटरी के प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती है कोतवाली प्रभारी कहते है की आप सचिव का हस्ताक्षर मुहर लगवा कर लाइये,।इस संबंन्ध में खण्ड विकास अधिकारी को भी बताया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई परंतु सोशल आडिट टीम को कहीं भी निशान देही नहीं मिली जहां पर बोर्ड स्थापित किया गया हो बिना बोर्ड के ही भुगतान होना भी संदेह के घेरे में है वही ग्राम सभा सचिव धर्मेंद्र दुबे समस्त कार्यों की फाइल उठाकर अपने साथ ले गए जिससे सोशल आडिट टीम को आज वह फाइल देखने को और जनता जनार्दन को दिखाने के लिए नहीं मिली।यह सोशल आडिट मात्र ग्राम वासियो को या तों वेकुकूफ बनाने के लिए किया जा रहा या फिर ग्राम सभाओ के पैसे की लूट किया जाने के लिए,।वही ग्राम सभा साढापुर में खुली बैठक क्या पूरी ऑडिट ही हजम कर गए सूत्रों से मिली जानकारी और नाम ना लिखने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया की एक जाने माने अख़बार के स्थानीय पत्रकार के द्वारा यहाँ जो कुछ कार्य हुआ भी है वो ठेके पर किया गया है ना की मनरेगा मजदूरी से पूर्व मे लगे कुछ ऑनलाइन हाजिरी के देता से जब कुछ ग्रामीणों से नाम बता के मजदूरों के बारे मे पूंछा गया तों पता चला की यहाँ जिसकी हाजरी लगी है वो या तों यहाँ के रहने वाले ही नहीं है या तों बाहर कही रहते है लेकिन अख़बार के स्थानीय पत्रकार के कार्य कराये जाने और ब्लॉक पर अच्छी पकड़ होने के वजह से ब्लॉक के अधिकारी भी कोई कार्यवाही करने से हिचकते है,यही कारण है की यहाँ यहाँ ना ऑडिट हुई ना ही खुली बैठक यहाँ तक की इस ग्राम सभा मे कार्य भी भगवान भरोसे ही रहा,। ग्राम सभा समाहुता कला में भी सोशल ऑडिट जो अपने समय पर हो रही थी ब्लॉक कोऑर्डिनेटर दयाशंकर सिंह अपनी टीम के साथ मौजूद रहे आवास के पात्र दो लोगों का भुगतान नहीं हो पाया है एक फाइल देखने को इसलिए नहीं मिली कि वह पेमेंट के लिए गई थी और इस बीच एपीओ मनरेगा का स्थानांतरण हो गया था नए एपीओ से ऑडिट टीम ने बात किया तों बताया गया की कल हम फाइल दें देंगे वैसे भी जहां पर कोई भी विशेष काम नहीं हुआ था महज 20 लाख के काम में जिसमें 3 लाख 50 का भुगतान आवास की मजदूरी का था और बाकी काम का भुगतान था वही प्रधान ने बड़ी मायूसी के साथ उपजिलाधिकारी और खण्ड विकास अधिकारी के ऊपर दर्द भरी बातें बताई जो सचिवालय को लेकर काफी हैरान व परेशान करने वाली बात थी काफी जद्दो जेहद के बाद कुछ काम हो भी पाया और पूर्व प्रधान ने सचिवालय के काम को उच्चन्यायालय के आदेश पर रुकवा दिया जिससे उसमें लगी सामग्री का ना ही भुगतान हो पाया और ना ही (गिट्टी मोरंग सरिया सीमेंट का ) प्रधान ने अपनी लाचारी और बेबसी का हाल बताया मजदूर रोज घर आते हैं कहां से भुगतान करूं किराए के कमरे में आज भी सचिवालय का संचालन हो रहा है जो काफी चिंता का विषय है। सोशल ऑडिट सदरपुर में भी हो रही थी जहां ब्लॉक रिसोर्स पर्सन विजय सिंह अपनी टीम के साथ मौजूद थे सूचना बोर्ड नहीं मिला यह किसी एक जिले की समस्या नहीं अपितु पूरे उत्तर प्रदेश की समस्या है बिना बोर्ड लगाए ही भुगतान हो रहा है तमाम फाइलों का रंग गुलाबी है बहुत ही गंभीर सवाल है सरकार की मंशा के अनुरूप कहीं किसी भी प्रकार का कार्य नहीं हो रहा है। इसी क्रम में मुख्य विकास अधिकारी सुल्तानपुर से भी बात की गई उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया वही नामित नोडल अधिकारियों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ मिले।
*रामपुर और समहुता में सोशल ऑडिट हुई संपन्न* *सोशल ऑडिट में रही कर्मियों की भरमार* *ग्राम पंचायत सचिव रामपुर की रही मनमानी समस्त अभिलेख लेकर रह गायब* *जितेन्द्र श्रीवास्तव सुल्तानपुर* जनपद सुल्तानपुर के विकास खण्ड प्रतापपुर कमैचा अंतर्गत चल रही चार ग्राम सभाओं की खुली बैठक आज तमाम कमियों के बीच सम्पन्न हुई सोशल ऑडिट कर रहे ब्लाक कोऑर्डिनेटर दिनेश प्रताप सिंह अपनी पांच सदस्यो की टीम के साथ ग्राम सभा रामपुर के 20 कामों की दो दिवसीय जांच कर आज समीक्षा बैठक ग्राम सचिवालय पर की जिसमें एक प्राथमिक विद्यालय के बाउंड्री वाल का चल रहा है जो पूर्ण नहीं पाया गया और सचिवालय के पास बना शौचालय का गड्ढा देखने में अपूर्ण लगा लेकिन प्रधान हरेन्द्र प्रताप सिंह ने यह बताया कि कोई ट्रक बैक हो रही थी जिसके कारण यह गड्ढा खराब हो गया जब ब्लॉक कोऑर्डिनेटर से बात की गई तो उन्होंने यह बताया कि नागरीय सूचना बोर्ड कहीं नहीं पाया गया है जबकि प्रधान का कहना है कि मेरे द्वारा कार्य शुरू होने से पहले ही सभी बोर्ड लगवाया गया था मौके पर है या नहीं मुझे नहीं पता है,उनसे ऑडिट के वक्त मौजूद फाइल उपस्थित के बारे मे जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने यह आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत सचिव धर्मेंद्र दुबे ने हमारे आग्रह के बाद भी उपस्थित नहीं हुए और ऑडिट की खबर सुनने के बाद भी सभी फाइल यहाँ से उठा ले गए टीम द्वारा पत्रकारों के पूँछने पर बताया गया की एक भी नागरिक सूचना बोर्ड नहीं लगा है ना ही उसका पेमेंट ही हुआ है ना ही किसी कार्य मे noc ही लगी है, प्रधान ने बताया की बोर्ड चोरी हो गया है बिना सेक्रेटरी के प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकती है कोतवाली प्रभारी कहते है की आप सचिव का हस्ताक्षर मुहर लगवा कर लाइये,।इस संबंन्ध में खण्ड विकास अधिकारी को भी बताया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो पाई परंतु सोशल आडिट टीम को कहीं भी निशान देही नहीं मिली जहां पर बोर्ड स्थापित किया गया हो बिना बोर्ड के ही भुगतान होना भी संदेह के घेरे में है वही ग्राम सभा सचिव धर्मेंद्र दुबे समस्त कार्यों की फाइल उठाकर अपने साथ ले गए जिससे सोशल आडिट टीम को आज वह फाइल देखने को और जनता जनार्दन को दिखाने के लिए नहीं मिली।यह सोशल आडिट मात्र ग्राम वासियो को या तों वेकुकूफ बनाने के लिए किया जा रहा या फिर ग्राम सभाओ के पैसे की लूट किया जाने के लिए,।वही ग्राम सभा साढापुर में खुली बैठक क्या पूरी ऑडिट ही हजम कर गए सूत्रों से मिली जानकारी और नाम ना लिखने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया की एक जाने माने अख़बार के स्थानीय पत्रकार के द्वारा
यहाँ जो कुछ कार्य हुआ भी है वो ठेके पर किया गया है ना की मनरेगा मजदूरी से पूर्व मे लगे कुछ ऑनलाइन हाजिरी के देता से जब कुछ ग्रामीणों से नाम बता के मजदूरों के बारे मे पूंछा गया तों पता चला की यहाँ जिसकी हाजरी लगी है वो या तों यहाँ के रहने वाले ही नहीं है या तों बाहर कही रहते है लेकिन अख़बार के स्थानीय पत्रकार के कार्य कराये जाने और ब्लॉक पर अच्छी पकड़ होने के वजह से ब्लॉक के अधिकारी भी कोई कार्यवाही करने से हिचकते है,यही कारण है की यहाँ यहाँ ना ऑडिट हुई ना ही खुली बैठक यहाँ तक की इस ग्राम सभा मे कार्य भी भगवान भरोसे ही रहा,। ग्राम सभा समाहुता कला में भी सोशल ऑडिट जो अपने समय पर हो रही थी ब्लॉक कोऑर्डिनेटर दयाशंकर सिंह अपनी टीम के साथ मौजूद रहे आवास के पात्र दो लोगों का भुगतान नहीं हो पाया है एक फाइल देखने को इसलिए नहीं मिली कि वह पेमेंट के लिए गई थी और इस बीच एपीओ मनरेगा का स्थानांतरण हो गया था नए एपीओ से ऑडिट टीम ने बात किया तों बताया गया की कल हम फाइल दें देंगे वैसे भी जहां पर कोई भी विशेष काम नहीं हुआ था महज 20 लाख के काम में जिसमें 3 लाख 50 का भुगतान आवास की मजदूरी का था और बाकी काम का भुगतान था वही प्रधान ने बड़ी मायूसी के साथ उपजिलाधिकारी और खण्ड विकास अधिकारी के ऊपर दर्द भरी बातें बताई जो सचिवालय को लेकर काफी हैरान व परेशान करने वाली बात थी काफी जद्दो जेहद के बाद कुछ काम हो भी पाया और पूर्व प्रधान ने सचिवालय के काम को उच्चन्यायालय के आदेश पर रुकवा दिया जिससे उसमें लगी सामग्री का ना ही भुगतान हो पाया और ना ही (गिट्टी मोरंग सरिया सीमेंट का ) प्रधान ने अपनी लाचारी और बेबसी का हाल बताया मजदूर रोज घर आते हैं कहां से भुगतान करूं किराए के कमरे में आज भी सचिवालय का संचालन हो रहा है जो काफी चिंता का विषय है। सोशल ऑडिट सदरपुर में भी हो रही थी जहां ब्लॉक रिसोर्स पर्सन विजय सिंह अपनी टीम के साथ मौजूद थे सूचना बोर्ड नहीं मिला यह किसी एक जिले की समस्या नहीं अपितु पूरे उत्तर प्रदेश की समस्या है बिना बोर्ड लगाए ही भुगतान हो रहा है तमाम फाइलों का रंग गुलाबी है बहुत ही गंभीर सवाल है सरकार की मंशा के अनुरूप कहीं किसी भी प्रकार का कार्य नहीं हो रहा है। इसी क्रम में मुख्य विकास अधिकारी सुल्तानपुर से भी बात की गई उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन भी दिया वही नामित नोडल अधिकारियों के मोबाइल फोन स्विच ऑफ मिले।
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