क्रोध में व्यक्ति अंधा हो जाता है, क्रोध ज्वलंन शील पदार्थ की तरह है --मुनिश्री सानंद सागर जी क्षमा ही सबसे बड़ा आभूषण है, मन में क्षमा दान होना चाहिए -- मुनिश्री सजग सागर जी हमने चातुर्मास के साथ मिथ्यात्व का आपरेशन किया तो अब क्षमा का धर्म आ गया। क्षमा जिसमें है वह क्षमा भाव रखता है। क्रोध ज्वलंतशील पदार्थ की तरह है।यह दोनों भवों में दुःख देता है। मृदुमति जी और पुष्पा दीदी बहुत ही विद्वान हैं। उत्तम क्षमा महान है। क्षमादान से मुक्ति का रास्ता खुलता है। पहले क्षमा, प्रार्थना, फिर पूजा है तो वहां सानंद होगा ही। क्रोध आने के अनेक कारण हैं। इच्छा की पूर्ति नहीं होने पर क्रोध आ जाता है।क्रोध में व्यक्ति अंधा हो जाता है। क्षमा ही सबसे बड़ा आभूषण है, मन में क्षमा भाव होना चाहिए। श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व के पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म पर आशीष वचन देते हुए मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर मुनिराज ने कही। सानंद सागर जी ने कहा आजकल सेठ जी टेंशन में और नौकर फेशन में। सभी आत्मा का कल्याण चाहते हैं। क्रोध का कारण मन चाहा नहीं होना।भोजन बनाते समय भाव निर्मल होना चाहिए।मौन पूर्वक आहार देवें, ध्यान से काम करें। कभी भी अपशब्द नहीं कहें, अंधे के पुत्र अंधे होते हैं यह कहने पर महाभारत हो गई थी। मेहनत का पैसा, पारितोषिक अवश्य देना चाहिए।क्रोध में लोग जान दे देते हैं। जहां क्रोध वहां दुर्गति होती है और जहां क्षमा है, वहां सदगति होगी। मानसिक अस्त-व्यस्तता से क्रोध आता है। परेशान व्यक्ति को अच्छी शिक्षा भी बुरी लगती है। अस्वस्थ होने वाले व्यक्ति बच्चों के समान है। आजकल गुरु के क्या हाल मुनिश्री सानंद सागर जी ने कहा ऐसे भी गुरु है जो शिष्या से ही शादी कर लेते हैं कहा गुरु -शिष्य का रिश्ता।आज कल गुरु के गले में हाथ डाल कर शिष्य चल रहे हैं। परिवार में विघटन का कारण मन की इच्छा पूरी नहीं होना। तामशिक भोजन से क्रोध आता है। पहले न्याय नीति से युद्ध होते थे, लेकिन उसमें भी मायाचारी होती थी। अश्वत्थामा ने अर्जुन के पांच पुत्रों को मार दिया, द्रोपदी ने उसे गुरु पुत्र होने पर क्षमा करने को कहा। क्षमा शब्द सुनते ही अश्वत्थामा के मन में ग्लानि हुई कि मैंने सोते हुए बच्चों को मार दिया।अपन वीतरागता के पूजक है। श्रेष्ठता की पूजा है। द्रोपदी के मन में क्षमा भाव आगया। वह पूज्यनीय हो गई। उसने शत्रु को क्षमा दान कर दिया। आज स्वार्थ के लिए लड़ाई हो रही है। छल -कपट कर रहे हैं। मुनिश्री सजग सागर जी ने कहा कि उत्तम क्षमा दसलक्षण पर्व आ गया है, क्षमा ही सबसे बड़ा आभूषण होता है। हम कितनी ही पूजन कर ले पर मन में क्षमा भाव नही तो सब बेकार है। करोड़ों माला जपने का बाद भी मन में क्रोध भाव है तो हमारी जाप किसी काम की नही रह जाती है। क्षमा के बगैर संयम धर्म नही आता है। सगे भाई भी प्रापर्टी के लालच में लड़ाई- झगड़ा कर लेते है। हम अपना विवेक का परिचय दे कितना ही तप कर लो कितने ही प्रतिमा के व्रत अंगीकार कर लो पर क्षमा धर्म के बिना सब अधूरे होते है। अपनी आत्मा को पवित्र करने के लिए यह दसलक्षण पर्व आपको जगाने आये है। आप इन पर्वो में तप धारण कर क्रोध पर काबू पाना है क्रोध को जिन्होंने काबू कर लिए है। वे मोक्ष मार्ग को प्राप्त कर चुके है। हमारे मन मे भी क्षमा दान होना चाहिए, बड़ी से बड़ी विपत्तियां भी क्षमा दान से ही टल जाती है ,सबका हित सोचो कल्याण होगा। *उत्तम मार्दव धर्म की आराधना* 29 अगस्त शुक्रवार को पर्यूषण महापर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की आराधना की जाएगी।आचार्य विद्यासागर प्रामाणिक पाठशाला के बच्चों द्वारा रात्रि साढ़े आठ बजे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।
क्रोध में व्यक्ति अंधा हो जाता है, क्रोध ज्वलंन शील पदार्थ की तरह है --मुनिश्री सानंद सागर जी क्षमा ही सबसे बड़ा आभूषण है, मन में क्षमा दान होना चाहिए -- मुनिश्री सजग सागर जी हमने चातुर्मास के साथ मिथ्यात्व का आपरेशन किया तो अब क्षमा का धर्म आ गया। क्षमा जिसमें है वह क्षमा भाव रखता है। क्रोध ज्वलंतशील पदार्थ की तरह है।यह दोनों भवों में दुःख देता है। मृदुमति जी और पुष्पा दीदी बहुत ही विद्वान हैं। उत्तम क्षमा महान है। क्षमादान से मुक्ति का रास्ता खुलता है। पहले क्षमा, प्रार्थना, फिर पूजा है तो वहां सानंद होगा ही। क्रोध आने के अनेक कारण हैं। इच्छा की पूर्ति नहीं होने पर क्रोध आ जाता है।क्रोध में व्यक्ति अंधा हो जाता है। क्षमा ही सबसे बड़ा आभूषण है, मन में क्षमा भाव होना चाहिए। श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर पर्वाधिराज दसलक्षण महापर्व के पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म पर आशीष वचन देते हुए मुनिश्री सजग सागर जी एवं सानंद सागर मुनिराज ने कही। सानंद सागर जी ने कहा आजकल सेठ जी टेंशन में और नौकर फेशन में। सभी आत्मा का कल्याण चाहते हैं। क्रोध का कारण मन चाहा नहीं होना।भोजन बनाते समय भाव निर्मल होना चाहिए।मौन पूर्वक आहार देवें, ध्यान से काम करें। कभी भी अपशब्द नहीं कहें, अंधे के पुत्र अंधे होते हैं यह कहने पर महाभारत हो गई थी। मेहनत का पैसा, पारितोषिक अवश्य देना चाहिए।क्रोध में लोग जान दे देते हैं। जहां क्रोध वहां दुर्गति होती है और जहां क्षमा है, वहां सदगति होगी। मानसिक अस्त-व्यस्तता से क्रोध आता है। परेशान व्यक्ति को अच्छी शिक्षा भी बुरी लगती है। अस्वस्थ होने वाले व्यक्ति बच्चों के समान है। आजकल गुरु के क्या हाल मुनिश्री सानंद सागर जी ने कहा ऐसे भी गुरु है जो शिष्या से ही शादी कर लेते हैं कहा गुरु -शिष्य का रिश्ता।आज कल गुरु के गले में हाथ डाल कर शिष्य चल रहे हैं। परिवार में विघटन का कारण मन की इच्छा पूरी नहीं होना। तामशिक भोजन से क्रोध आता है। पहले न्याय नीति से युद्ध होते थे, लेकिन उसमें भी मायाचारी होती थी। अश्वत्थामा ने अर्जुन के पांच पुत्रों को मार दिया, द्रोपदी ने उसे गुरु पुत्र होने पर क्षमा करने को कहा। क्षमा शब्द सुनते ही अश्वत्थामा के मन में ग्लानि हुई कि मैंने सोते हुए बच्चों को मार दिया।अपन वीतरागता के पूजक है। श्रेष्ठता की पूजा है। द्रोपदी के मन में क्षमा भाव आगया। वह पूज्यनीय हो गई। उसने शत्रु को क्षमा दान कर दिया। आज स्वार्थ के लिए लड़ाई हो रही है। छल -कपट कर रहे हैं। मुनिश्री सजग सागर जी ने कहा कि उत्तम क्षमा दसलक्षण पर्व आ गया है, क्षमा ही सबसे बड़ा आभूषण होता है। हम कितनी ही पूजन कर ले पर मन में क्षमा भाव नही तो सब बेकार है। करोड़ों माला जपने का बाद भी मन में क्रोध भाव है तो हमारी जाप किसी काम की नही रह जाती है। क्षमा के बगैर संयम धर्म नही आता है। सगे भाई भी प्रापर्टी के लालच में लड़ाई- झगड़ा कर लेते है। हम अपना विवेक का परिचय दे कितना ही तप कर लो कितने ही प्रतिमा के व्रत अंगीकार कर लो पर क्षमा धर्म के बिना सब अधूरे होते है। अपनी आत्मा को पवित्र करने के लिए यह दसलक्षण पर्व आपको जगाने आये है। आप इन पर्वो में तप धारण कर क्रोध पर काबू पाना है क्रोध को जिन्होंने काबू कर लिए है। वे मोक्ष मार्ग को प्राप्त कर चुके है। हमारे मन मे भी क्षमा दान होना चाहिए, बड़ी से बड़ी विपत्तियां भी क्षमा दान से ही टल जाती है ,सबका हित सोचो कल्याण होगा। *उत्तम मार्दव धर्म की आराधना* 29 अगस्त शुक्रवार को पर्यूषण महापर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म की आराधना की जाएगी।आचार्य विद्यासागर प्रामाणिक पाठशाला के बच्चों द्वारा रात्रि साढ़े आठ बजे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे।
- Post by User84432
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- इंदौर। विधायक गोलू शुक्ला के बड़े बेटे-बहू ने तोड़ा नियम, खजराना गणेश के गर्भगृह में एक-दूसरे को माला पहनाई। छोटा बेटा भी तोड़ता रहा प्रोटोकॉल #indorelocal3
- Post by Mo.Shahid Lala1
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- *ठंड से सुरक्षा, जीवन की रक्षा* *जिले में नवजात शिशुओं की जान बचाने प्रशासन की पहल* खरगोन 18 दिसंबर 2025। जिले में नवजात शिशुओं को ठंड से होने वाली जटिलताओं से बचाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पहल की गई है। कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल के निर्देशन में जिले में संचालित 108 एम्बुलेंस एवं जननी एम्बुलेंस वाहनों में कंबलों की व्यवस्था की गई है, जिससे शिशुओं को सुरक्षित रूप से स्वास्थ्य संस्थाओं तक पहुंचाया जा सके। इस दौरान कलेक्टर सुश्री भव्या मित्तल ने कहा कि ठंड के मौसम में नवजात शिशुओं को उपचार अथवा रेफर किए जाने के दौरान हाइपोथर्मिया का खतरा रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए एम्बुलेंस वाहनों में कंबल उपलब्ध कराए गए हैं तथा वहां कार्यरत स्टाफ को नवजात शिशुओं की देखभाल के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि शिशुओं के शरीर का तापमान सुरक्षित रखा जा सके। कलेक्टर सुश्री मित्तल ने जिले के समस्त अभिभावकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों से अपील की कि नवजात शिशुओं को एम्बुलेंस में लाते-ले जाते समय उन्हें अच्छी तरह ढककर लाया जाए, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। जनजागरूकता एवं नवजात शिशुओं की सुरक्षा के उद्देश्य से रोटरी क्लब खरगोन द्वारा जिले में संचालित 108 एवं जननी एम्बुलेंस वाहनों के लिए 60 कंबल प्रदान किए गए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दौलत सिंह चौहान ने इस जनहितकारी पहल के लिए जिला प्रशासन एवं रोटरी क्लब का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।1
- Post by प्रेस क्लब अध्यक्ष बेटमा रणजीत मंडलोई1
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- MGNREGA पर घमासान, लोकसभा में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेश किया 'वीबी जी रामजी' बिल, केंद्र सरकार मनरेगा को खत्म करके नया ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ कानून लाने की तैयारी में है. कांग्रेस ने इसे महात्मा गांधी का अपमान बताया, पूरी डिबेट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें ....https://www.facebook.com/share/v/1U7emDyfDS/1