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- *राजकीय आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय, केकड़ी में संस्कृत संभाषा “प्रबोधनवर्ग” एवं शास्त्रीय च्यवनप्राश निर्माण का सफल आयोजन* *केकड़ी 21 दिसंबर (पब्लिक बोलेगी न्यूज़ नेटवर्क)* *राजकीय आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय, केकड़ी में संस्कृत भारती – चित्तौड़ प्रांत के तत्वावधान में संस्कृत संभाषा “प्रबोधनवर्ग” कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दिनांक 20 एवं 21 दिसंबर 2025 को दो दिवसीय रूप में आयोजित हुआ, जिसमें भारत की देवभाषा संस्कृत में संवाद एवं व्यवहारिक अभ्यास कराया गया।* *कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय के बी.ए.एम.एस. (प्रथम एवं द्वितीय वर्ष) तथा बी.एन.वाई.एस. (प्रथम वर्ष) के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। संस्कृत संभाषा सत्रों में विद्यार्थियों को सरल, सहज एवं व्यवहारिक संस्कृत बोलने के लिए प्रेरित किया गया, जिससे संस्कृत भाषा के प्रति रुचि एवं आत्मविश्वास में वृद्धि हुई।* *इस अवसर पर संस्कृत भारती – चित्तौड़ प्रांत से पधारे विद्वानों ने विद्यार्थियों से प्रत्यक्ष संवाद किया। कार्यक्रम में* *डॉ. हरिओमशरण शर्मा (वर्ग संयोजक)* • *डॉ. मधुसूदन शर्मा (प्रांत मंत्री)*, *श्री महेश चन्द्र शर्मा (प्रांताध्यक्ष) एवं* *देवराज जी (जिला प्रमुख)* *द्वारा संस्कृत भाषा की महत्ता, भारतीय संस्कृति में इसकी भूमिका तथा आयुर्वेद एवं योग के शास्त्रों में संस्कृत के अनिवार्य स्थान पर सारगर्भित मार्गदर्शन प्रदान किया गया।* *महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. गिरिराज साहू के कुशल निर्देशन में कार्यक्रम के साथ-साथ एक विशेष शैक्षणिक गतिविधि के रूप में बी.ए.एम.एस. द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा रसशास्त्र विभाग के अंतर्गत च्यवनप्राश निर्माण का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी सम्पन्न हुआ। विद्यार्थियों ने चरक संहिता में वर्णित शास्त्रीय विधि के अनुसार ताजा जड़ी-बूटियों एवं ताजे आंवले का उपयोग कर च्यवनप्राश का निर्माण किया।* *च्यवनप्राश निर्माण कार्य डॉ. दुर्गा प्रसाद एवं डॉ. कमलेश कुमार गुर्जर के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। इस गतिविधि में विद्यार्थियों ने अत्यंत उत्साह, अनुशासन एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ भाग लेते हुए आयुर्वेदिक औषध निर्माण की पारंपरिक एवं प्रामाणिक प्रक्रिया को निकट से समझा।* *कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता, संवाद क्षमता का विकास तथा आयुर्वेदिक शास्त्रों के व्यावहारिक ज्ञान को सुदृढ़ करना रहा। यह आयोजन भाषा, संस्कृति एवं चिकित्सा विज्ञान के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण सिद्ध हुआ।* *कार्यक्रम की सफलता पर महाविद्यालय प्रशासन, संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों ने संस्कृत भारती – चित्तौड़ प्रांत का आभार व्यक्त किया एवं भविष्य में ऐसे और भी शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की इच्छा प्रकट की।*6
- Post by रमेश सिंह1
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