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जब World की सबसे छोटी और सबसे लंबी Mahila का हुआ मिलन 😱 #motivation #facts #exploremore #latestnews #KunwarAdityaSingh #FacebookPage #facebookreel #viralvideochallenge #smilechallenge
Kunwar Aditya Singh
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- माघ पूरी तरह समाप्त हो चुका है फाल्गुन लग गया है लेकिन प्रयागराज मे स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओ की भीड़ बिल्कुल भी कम नहीं हो रही है, लगातार शहर मे भारी भीड़ प्रवेश कर रही है, यह आज की संगम नोज की स्थिति है जिसमे साफ साफ देखा जा सकता है की कितनी अधिक भीड़ है, प्रशासन के द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगातार वाच टावर से नज़र रखी जा रही है और भीड़ को एकत्रित ना होने के लिए लगातार एनाउन्समेंट भी किया जा रहा है |1
- महाकुंभ में आए राज्यसभा सांसद डॉ. के. लक्ष्मण ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के लिए अच्छी व्यवस्था की है। दक्षिण भारत से हजारो-लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आ रहे हैं... सनातन धर्म में अपनी आस्था के लिए बहुत से लोग यहां आ रहे हैं,1
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- कैंसर देखभाल में प्रगति को बढ़ावा देने के विषय पर शुआट्स में उच्च स्तरीय राजनीतिक शिखर सम्मेलन के जरिए शुआट्स में दिखेगा 20 से 21 फरवरी को बुद्धजीवियों का संगम। Mahakumbh की धरती पर नैनी सुआट्स मे डाक्टरो, बुद्धजीवियों, राजनीतिज्ञों का दिखेगा संगम,20 से 21फरवरी। प्रयागराज। महाकुंभ 2025 मेले की दिव्यता भव्यता के संगम में डुबकी लगाने वालों का महाकुंभनगर की धरती पर पूरे देश के लोगों का संगम दिख रहा है ऐसे में पीएम मोदी के महाकुंभ की पृष्ठभूमि से प्रेरित होकर एकता और सामूहिक उद्देश्य का प्रतीक को ध्यान में रखते हुए, संगमनगरी में वैश्विक बुद्धिजीवी 20-21 फरवरी 2025 को शुआट्स, प्रयागराज में हाई-लेवल पॉलिटिकल समिटः एक्विटी इन एक्शन कैंसर देखभाल में प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए वैशिक स्तर बुद्धजीवियों,राजनीतिज्ञों,डाक्टरों संगम होगा। सम्मेलन का उद्घाटन विश्वविद्यालय सभागार में 20 फरवरी को सुबह 9.30 बजे होगा। जहां आयरलैंड के महामहिम राजदूत श्री केविन केली और स्विट्जरलैंड की महामहिम राजदूत माया जौहरी टिसाफी सहित विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिगण, नीति निर्मातागण, प्रख्यात डॉक्टर, बुद्धिजीवी, विशेषज्ञ आदि उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन, इंटरनेशनल कैंसर पेशेंट कोएलिशन (आईसीपीसी)-एक वैश्विक रोगी-नेतृत्व वाला संगठन द्वारा आयोजित होगा जिसकी मेजबानी कुलपति प्रो. डा. राजेन्द्र बी. लाल के मार्गनिर्देशन में सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) द्वारा की जायेगी। इस ऐतिहासिक आयोजन का लक्ष्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कैंसर देखभाल में गहरी असमानताओं को संबोधित करने के लिए सहयोग, नवाचार और नीति संरेखण को बढ़ावा देना है। शिखर सम्मेलन के संयोजकगण प्रो. (डॉ.) जोनाथन ए. लाल, प्रति कुलपति (शैक्षिक), शुआट्स, बोर्ड सदस्य, आईसीपीसी तथा प्रो. डेनिस होर्गन, महासचिव, आईसीपीसी और कार्यकारी निदेशक, ईएपीएम हैं। प्रो. जोनाथन ए. लाल ने सम्मेलन के महत्व को साझा किया। प्रो. डेनिस होर्गन महासचिव, आईसीपीसी, प्रो. गैब्रिएला प्रवेट्टोनी, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के पूर्ण प्रोफेसर, यूरोपीय ऑन्कोलॉजी संस्थान, मिलान, प्रो. हेशान एल्घाजाली, अध्यक्ष, मिस्र कैंसर सोसायटी और प्रमुख, एमएएसआरआई मेडिकल रिसर्च सेंटर, डॉ. एडेला मैगहियर, स्वतंत्र वरिष्ठ स्वास्थ्य नीति सलाहकार, एडवांसिंग अर्ली स्क्रीनिंग एंड डायग्नोस्टिक्स भी ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित हुए और कैंसर देखभाल में प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकी सुझाव और रणनीतियां साझा कीं। डॉ. रमाकांत दुबे, निदेशक पब्लिक रिलेशन, प्रो. (डॉ.) सी.जे. वेस्ली, अपर कुलसचिव, डॉ. अखिलेश बिंद, डॉ. विजय त्रिपाठी ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में संबोधित किए जाने वाले विभिन्न मुद्दों को साझा किया। एशिया-प्रशांत में सटीक ऑन्कोलॉजी की तात्कालिकता सटीक ऑन्कोलॉजी (च्तमबपेपवद व्दबवसवहल), जो व्यक्तिगत आनुवंशिक प्रोफाइल के आधार पर उपचार प्रदान करती है, ने कैंसर देखभाल में वैश्विक स्तर पर क्रांति ला दी है, लेकिन इसकी असमान पहुँच चिंता का विषय बनी हुई है। वैश्विक विश्लेषण के अनुसार: - उच्च आय वाले एशिया-प्रशांत देश (जैसे जापान, दक्षिण कोरिया) में केंद्रीकृत जीनोमिक डेटाबेस, नेक्स्ट-जनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) के लिए प्रतिपूर्ति, और मजबूत अनुसंधान इकोसिस्टम उपलब्ध हैं। - निम्न और मध्यम आय वाले देश (एल.एम.आई.सी.एस) (जैसे भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस) अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे, उच्च लागत, व प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी जैसी सिस्टेमिक बाधाओं का सामना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, चीन का ‘प्रेसीशन मेडिसिन इनीसिएटिव’ तेजी से प्रगति कर रहा है, लेकिन इसकी पहुँच शहरी अकादमिक केंद्रों तक सीमित है, जिससे ग्रामीण आबादी वंचित रह रही है। भारत में, जहाँ 2025 तक हर साल 1.57 मिलियन कैंसर से मौतें होने का अनुमान है, जीनोम इण्डिया प्रोजेक्ट और नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन जैसे प्रयास जीनोमिक परीक्षण को लोकतांत्रिक बनाने का लक्ष्य रखते हैं। लेकिन अभी भी चुनौतियाँ बनी हुई हैं दक्षिणपूर्व एशिया में सिर्फ 30 प्रतिशत उन्नत नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर के मरीजों को बायोमार्कर परीक्षण मिलता है, जबकि यूरोप और अमेरिका में यह दर 70 प्रतिशत तक है। समिट के उद्देश्यः वैश्विक अंतर्दृष्टियों को क्षेत्रीय कार्रवाई में बदलना 1. क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना - एक ‘क्षेत्रीय टास्क फोर्स’ का शुभारंभ, जो कैंसर नीतियों को संरेखित करने और सर्वाेत्तम प्रथाओं को साझा करने पर केंद्रित होगा। - दक्षिण कोरिया का के एण्ड मास्टर कार्यक्रम, जो राष्ट्रव्यापी जीनोमिक प्रोफाइलिंग पहल है, क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक मॉडल बन सकता है। उद्धरणः ‘‘समानता कोई विकल्प नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी है। एशिया-प्रशांत घोषणा यह सुनिश्चित करेगी कि सभी देशों की जवाबदेही तय की जाए ताकि वे पिछड़े समुदायों को जीवनरक्षक देखभाल प्रदान करें।’’ - प्रो. (डॉ.) जोनाथन ए. लाल, प्रति कुलपति, शुआट्स और बोर्ड सदस्य, आईसीपीसी ‘‘सहयोग प्रगति की नींव है। जब हम नीति-निर्माताओं, चिकित्सकों और रोगियों को एकजुट करते हैं, तो हम उन बाधाओं को तोड़ सकते हैं जो समान स्वास्थ्य देखभाल में बाधा डालती हैं।’’- प्रो. डेनिस होर्गन, महासचिव, आईसीपीसी 2. कैंसर डायग्नोस्टिक्स और उपचार में नवाचार को बढ़ावा देना - थाईलैंड का एआई-संचालित प्रारंभिक पहचान कार्यक्रम, जिसने चयनित क्षेत्रों में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से होने वाली मृत्यु दर को 20 प्रतिशत तक कम किया। - वियतनाम की अंतर्राष्ट्रीय बायोबैंकों के साथ साझेदारी, जिसने स्थानीय कैंसर (जैसे लीवर और नासोफेरींजियल कार्सिनोमा) के लिए जीनोमिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया। इंटरएक्टिव सेगमेंटः लाइव पोलिंग सत्र में यह पहचाना जाएगा कि एल.एम.आई.सी.एस के लिए कौन सी तकनीक प्राथमिकता होनी चाहिए जैसे पोर्टेबल सीक्वेंसिंग डिवाइस या एआई-संचालित पैथोलॉजी प्लेटफॉर्म। 3. सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से संसाधनों को जुटाना - यूरोपीय संघ की ‘इनोवेटिव हेल्थ इनीशिएटिव’ और ऑस्ट्रेलिया की 193 मिलियन डॉलर प्रॉसपेक्ट परियोजना यह दर्शाती हैं कि कैसे पीपीपी मॉडल को बढ़ाया जा सकता है। - मलेशिया का एस्ट्रा जेनेका के साथ सहयोग, जिससे लक्षित कैंसर उपचार अधिक किफायती हुए। 4. रोगियों और समुदायों को सशक्त बनाना - फिलीपींस कैंसर कोएलिशन फाउंडेशन जैसे रोगी अधिवक्ता समूहों का समर्थन । - ‘मॉलिक्युलर ट्यूमर बोर्ड’ की स्थापना से रोगियों को उनके उपचार निर्णयों में अधिक भागीदारी मिले। उद्धरण: रोगी केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि भागीदार भी है। उनकी आवाज को नीतियों को आकार देने में शामिल किया जाना चाहिये। - डॉ. साधना द्विवेदी, प्रमुख, पीएलिटिव केयर, कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल। 5. एशिया-प्रशांत कैंसर देखभाल घोषणा (ए.पी.डी.सी.सी.) को औपचारिक रूप देना - सटीक ऑन्कोलॉजी को 2030 तक राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण योजनाओं में एकीकृत करना। - स्वास्थ्य बजट का 5 प्रतिशत जीनोमिक अवसंरचना और प्रशिक्षण में निवेश करना। प्रत्याशित परिणामः दृष्टि से वास्तविकता तक - 20 से अधिक देशों की क्षेत्रीय टास्क फोर्स जो नीतियों को संरेखित करने और दवा अनुमोदनों को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित होगी। - 500 मिलियन डॉलर पीपीपी फंड जो एआई-संचालित स्क्रीनिंग कार्यक्रमों और ग्रामीण नैदानिक केंद्रों का समर्थन करेगा। - रोगी सशक्तिकरण चार्टर जो नैदानिक परीक्षणों और नीति डिजाइन में रोगी प्रतिक्रिया को एकीकृत करेगा। ‘‘कुंभ मेला हमें सिखाता है कि सामूहिक कार्य बड़े बदलाव ला सकता है। हमें कैंसर के खिलाफ लड़ाई में भी ऐसा ही करने की जरूरत है।’’ - प्रो. राजेंद्र बी. लाल, कुलपति, शुआट्स, प्रयागराज। प्रो. जोनाथन ए. लाल, प्रति कुलपति(शैक्षिक)शुआट्स, प्रयागराज। पवनदेव,लोकप्रिय, टीवी पत्रकार,प्रयागराज।1
- Gaama aale1
- जय श्री राम2