सीतापुर/सुनील गुप्ता/6/1/24 ये है तहसील कार्यालय सीतापुर। जहां प्रतिदिन 5000 से भी ज्यादा फरियादी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं अपने केस के लिए न्याय की उम्मीद में यहां हाजिरी लगाते हैं ।जहां सुबह से शाम तक लोगों को अपनी बारी आने का इंतजार रहता है ।और इस बीच में भूख प्यास से लेकर शौच तक की जरूरत हर एक आदमी को होती है। लेकिन विडंबना यह है कि यहां खाने के लिए तो आदमी होटल में चल देता है ,या घर से ले आता है ।लेकिन शौचालय के लिए आदमी घंटों घंटों तक अपने आप को रोक लेता है। वजह यह नहीं है यहां शौचालय नहीं है बल्कि वजह यह है कि यहां जो शौचालय है वह उपयोग के काबिल नहीं है। क्योंकि शौचालय के अंदर जो दृश्य है ,उसे देखकर हर एक को उल्टी आ जाती है ।और एक बार आदमी यदि शौचालय के दरवाजे तक पहुंच भी जाए तो अंदर घुसने की हिम्मत नहीं कर पाता ।चाहे उसे पेंट में ही सब कुछ निपटाना क्यों ना पड़े। इस संबंध में जब तहसीलदार महोदय से हमने जानना चाहा कि यहां हर दिन 5000 लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं ।न्याय की उम्मीद में आते हैं ।और यहां शौचालय की इतनी गंदी व्यवस्था आखिर क्यों? तो उन्होंने बताया कि यहां 5000 लोग आते हैं लेकिन आसपास के जितने होटल हैं जितने दुकानदार है वह सब भी इसी शौचालय में निवृत होने आते हैं। इसी वजह से गंदगी है। उन्होंने बताया की नगर पंचायत का कर्मचारी सप्ताह में एक दिन साफ करने आता है।उसको कई बार बोला गया है लेकिन उसने एक दिन से ज्यादा सफाई कर पाने में असमर्थता जताई है ।दूसरी वजह उन्होंने यह बताया कि जो पानी की टंकी थी वह भी टूट चुकी है। और इसके लिए सरकार से कोई बजट नहीं आता है। बल्कि इसे हमें अपने पैसे से ही कराना पड़ता है। बहरहाल कुछ भी हो शौचालय की गंदगी से तहसील ऑफिस आने वाला हर व्यक्ति शौच की समस्या से जूझता है ।समाचार में खबर पढ़ने के बाद शायद इसके लिए जो जिम्मेदार है उनकी आंख खुलेगी। हमें इंतजार है और उम्मीद है कि हमारी यह खबर का असर होगा जरूर। सीतापुर से सुनील गुप्ता की रिपोर्ट
सीतापुर/सुनील गुप्ता/6/1/24 ये है तहसील कार्यालय सीतापुर। जहां प्रतिदिन 5000 से भी ज्यादा फरियादी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं अपने केस के लिए न्याय की उम्मीद में यहां हाजिरी लगाते हैं ।जहां सुबह से शाम तक लोगों को अपनी बारी आने का इंतजार रहता है ।और इस बीच में भूख प्यास से लेकर शौच तक की जरूरत हर एक आदमी को होती है। लेकिन विडंबना यह है कि यहां खाने के लिए तो आदमी होटल में चल देता है ,या घर से ले आता है ।लेकिन शौचालय के लिए आदमी घंटों घंटों तक अपने आप को रोक लेता है। वजह यह नहीं है यहां शौचालय नहीं है बल्कि वजह यह है कि यहां जो शौचालय है वह उपयोग के काबिल नहीं है। क्योंकि शौचालय के अंदर जो दृश्य है ,उसे देखकर हर एक को उल्टी आ जाती है ।और एक बार आदमी यदि शौचालय के दरवाजे तक पहुंच भी जाए तो अंदर घुसने की हिम्मत नहीं कर पाता ।चाहे उसे पेंट में ही सब कुछ निपटाना क्यों ना पड़े। इस संबंध में जब तहसीलदार महोदय से हमने जानना चाहा कि यहां हर दिन 5000
लोग अपनी फरियाद लेकर आते हैं ।न्याय की उम्मीद में आते हैं ।और यहां शौचालय की इतनी गंदी व्यवस्था आखिर क्यों? तो उन्होंने बताया कि यहां 5000 लोग आते हैं लेकिन आसपास के जितने होटल हैं जितने दुकानदार है वह सब भी इसी शौचालय में निवृत होने आते हैं। इसी वजह से गंदगी है। उन्होंने बताया की नगर पंचायत का कर्मचारी सप्ताह में एक दिन साफ करने आता है।उसको कई बार बोला गया है लेकिन उसने एक दिन से ज्यादा सफाई कर पाने में असमर्थता जताई है ।दूसरी वजह उन्होंने यह बताया कि जो पानी की टंकी थी वह भी टूट चुकी है। और इसके लिए सरकार से कोई बजट नहीं आता है। बल्कि इसे हमें अपने पैसे से ही कराना पड़ता है। बहरहाल कुछ भी हो शौचालय की गंदगी से तहसील ऑफिस आने वाला हर व्यक्ति शौच की समस्या से जूझता है ।समाचार में खबर पढ़ने के बाद शायद इसके लिए जो जिम्मेदार है उनकी आंख खुलेगी। हमें इंतजार है और उम्मीद है कि हमारी यह खबर का असर होगा जरूर। सीतापुर से सुनील गुप्ता की रिपोर्ट
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