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girholdih charch 22/07/25 चंगाई प्रार्थना
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- सिसई : *सोगड़ा कुधादामर में पुआल की गांज में लगी आग की चपेट में आने एस्बेस्टस का घर धू धू कर जलकर राख हो गया; घर में रखे सभी सामान जलकर हुआ राख* *ग्रामीणों के सहयोग से आग को बुझाया गया* सिसई (गुमला)। प्रखण्ड क्षेत्र के पंडरिया पंचायत अंतर्गत सोगड़ा कुधादामार गांव में पुआल की गांज में आग लगने से चपेट में आकर एस्बेस्टस घर भी जलकर राख हो गया। जिससे घर में रखे सभी सामान जल गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुधादामर निवासी समेश्वर साहु, पिता स्व हानू साहु का घर के पास रखे पुआल की गांज पर आग लग गया और एस्बेस्टस से बने घर भी जल गया। पीड़ित ने बताया कि गांव का ही एक छोटे बच्चे ने आग लगाया था जिस समय पुआल में आग लगा उस समय परिवार के सभी लोग घर पर नहीं थे। आग लगने से नया दरवाजा बनाने के लिए रखे चार दरवाजा का पल्ला, ठंडियां, चौखट जलकर राख हो गया साथ ही घर में रह रहे कुत्ता के चार बच्चे भी जल गए। सूचना मिलने के बाद आग बुझाने के लिए आ रही अग्नि शमन की गाड़ी रास्ता नहीं होने के कारण महुआटोली में फंस गई। उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से पानी मशीन के द्वारा आग को बुझाया गया। घटना की सूचना मिलने पर अंचलाधिकारी अशोक बड़ाइक और पंडरिया पंचायत के पंचायत सचिव गांव पहुंचे और पीड़ित परिवार को हर सम्भव सहयोग करने का आश्वासन दिया।1
- सिसई : *सिसई प्रखण्ड के पोटरो गांव में योग शिविर के पांचवे और अंतिम दिन; ध्यान व योग साधना के साथ हुआ समापन, साधकों के बीच कई प्रकार के औषधीय पौधों का किया गया वितरण* सिसई (गुमला)। भदौली पंचायत अंतर्गत पोटरो भंडार टोली में पांच दिनी योग शिविर के अंतिम दिन विभिन्न आसनों द्वारा कराया गया योगाभ्यास। पतंजलि योग समिति के प्रखण्ड योग प्रचारक सह योग गुरु गजराज महतो के सानिध्य में सभी ग्रामीणों ने योग किया। वहीं ग्रामीणों ने प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सपरिवार योग के विभिन्न आसन व प्राणायाम का अभ्यास करने की बातें कही। शिविर के अंतिम सत्र में प्रतिदिन की तरह ध्यान मुद्रा में बैठने की विधि बताई गई और कहा गया कि सुबह दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर इस मुद्रा में बैठने से मन संयमित व एकाग्रचित होता है ध्यान शक्ति का विकास होता है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं और स्मरण शक्ति का विकास होता है। योग गुरु जी ने पुनः सभी जीवनदायिनी प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए सभी योग साधकों से कहा कि आपके अंदर के प्राण शक्ति को विकसित करने का उत्तम व सरल माध्यम है, ये प्राणायाम इनके निरंतर अभ्यास से तन मन की शुद्धि होती है तन के सभी नस- नाड़ियां सक्रिय रहती हैं जिससे कभी भी ब्रेन स्ट्रोक, पैरालाइसिस (लकवा) जैसे असाध्य रोग नहीं होते हैं साथ ही शरीर से वात, पित्त, कफ का नाश होता है जिसके कारण हमें कोई भी रोग जल्दी नहीं होते हैं हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है आगे बैठकर करने वाले आसनों में मुख्यतः वज्रासन, मंडुकासन,शशकासन, वक्रासन, अर्द्धमक्षिंद्रासन का अभ्यास कराया गया जिससे सुगर, बीपी जैसी असाध्य बीमारी से निजात मिलता है। मन की शुद्धि एवं प्रभु शरणागति के लिए योग भजन कराया गया और फिर पीठ के बल लेटकर श्वासन का अभ्यास कराया गया और बताया गया कि इस आसान को हमें सप्ताह या फिर 15 दिनों के अंतराल में अवश्य करना चाहिए ताकि इस अभ्यास से शरीर के सभी अंगों में सक्रियता बनी रहे। संयमित मन के साथ गहरी नींद भी आती है और अपने आप से साक्षात्कार हो जाती है। शिविर के समापन पर सभी योग साधकों के बीच औषधीय गुणों से युक्त पौधों का वितरण किया गया। साथ ही इनके सेवन विधि के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। इनमें गिलोय, जिसे गुडुची व अमृता के नाम से भी जाना जाता है,पुनर्नवा जिसे स्थानीय भाषा में (खपड़ा साग) कहा जाता है, तुलसी एवं पत्थर चटा पौधा शामिल हैं तुलसी पौधा का वितरण करते हुए पूजनीय एवं इसके औषधीय गुणों को बताया और सभी साधकों से कहा कि तुलसी के पवित्र पौधे को अपने अपने आंगन में जरूर लगाएं। योग शिविर में शामिल होकर ग्रामीणों ने योग को अपनाकर निरोगी व आनंदमय जीवन जीने का संकल्प को दोहराया। शिविर में कृष्णा कुमार साहु, ओमप्रकाश साहु, शिवपूजन साहु, संदीप साहु, सत्यम साहु कमलेश साहु, अर्जुन उरांव, रीता देवी, दीपा अनुराधा कुमारी, मालती कुमारी, छोटी कुमारी, लालधर साहु, महावीर साहु, रामेश्वर साहु, राजू साहु सहित भारी संख्या में ग्रामीण महिला पुरुष व बच्चे शामिल थे।4