क्या स्वतंत्रा सेनानी के हक अधिकार व सम्मान बलिदान के बदले सच्ची श्राजंली कब और कैसे दे गे ??? भारत देश के आजादी के 78वीं स्वतंत्रा दिवस पर आजाद भारत देश के झारखंड अलग राज्य के आन्दोलनकारियो /सेनानियों की दुर्दशा व त्रासदी आन्दोलनकारी की कहानी उन्ही की जुबानी झारखंड आंदोलनकारी अमर शहीद निर्मल महतो का 37 वा पुण्यतिथि मनाया गया। झारखंड आंदोलनकारी के संस्थापक सह प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने झारखंड के निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर सीधा प़हार करते हुए कहा कि झारखंडियों को पहचान और हक अधिकार एंव संमान देना होगा ??? साथ ही पिछले २४ सालो से चिन्हिकरण के नाम पर आन्दोलनकारी /सेनानियो को वगीकृत करने के बिरूद्द सन १५ नवंबर २००० से जोडकर पेशन संहित सरकारी योजनाओं मे 50% भागीदारी सुनिश्चित करें! आन्यथा आगामी चुनावी सरगर्मी मे खामियाजा भुगतने के लिये तैयार रहे ?? ऐसे सुन्दर झारखंड की परिकल्पाना की थी जंहा एक सुन्दर युवती सर से पांव तक सोने की श्रंगार से सुशोभित जंगल के रास्ते आकेली रात के 12 बजे बिना शंकोच भययुक्त सकुशल गुजरेगी ?? कौन लायेगा ऐसा सांमाराज्य ???जय झारखंड बोलो सबको साथ लेकर चलो !! 1 . झारखंड राज्य में आगामी चुनावी सरगर्मी मे पहला मुद्दा सडक , बिजली , पानी और मकान की बात नही है ???, बल्कि जनता जनादंन के लिये आपने क्या तय किया ? 2. प़त्याशी वादा करना छोड दे ,आपने जनता के सुख-दुख में क्या सहभागिता Giving ? 3. राज्य के अमन चैन, एंव सौहाद्रपूर्ण वातावरण के लिये क्या रणनिती है। 4. अपने भाषणों मे वेरोजगार से उगृवाद उनमुक्त के कारागार उपाय पर बिवेचना परस्तुति विश्वास भरोसा दिलाये ? 5.आन्दोलनकारी /सेनानियों के हक , अधिकार और सम्मान दिलाने के साथ ही बिकास कायृ मे सहभागिता परिपूर्ण रखने ? 6. सुन्दर सजग और भयमुक्त समाज का निमाणृ् के साथ साथ हत्या लूटपाट बालात्कार जैसी संघन आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने की साथृक पहल कीओर सजगता ? दोषी कौन ? झारखंड अलग राज्य के निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या आन्दोलनकारी /सेनानियो ने झारखंड अलग राज्य बनने के लिया दोषी कौन ? चिन्हिकरण आयोग या चिन्हिकरण मै शामिल अधिकारी या स्वयं आन्दोलनकारी /सेनानियो है ,जिन्होंने आन्दोलन से जुडे होने का परिपूर्ण परिचय-पत्र उपलब्ध कराने के बावजूद २४ बषृ का साथ तय किया है ??? खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड अलग राज्यों निमा्ण के बदले पुरूस्कार पाने की परिकल्पना आन्दोलनकारी /सेनानियो ने कभी नही की थी, जहां झारखंड के सुन्दरता को पिछले 23बषो में उग़वाद् ,हत्या लुटपाट बालात्कार जैसी संघन आपराधिक तत्वों का जमावडा के साथ ही बिकास मे बिफल राजनीतिक दलों का आखाड़ा माऋ बनकर रह गयी है उपरोक्त बाते लोहरदगा जिले के झारखंड आन्दोलनकारी /सेनानियो के अध्यक्षा बिजय कुमार बिधाथी ने मीडिया को बताया है ? उन्होंने कहा कि आधुनकिता के इस दौर में कोई भी राजनेता आन्दोलनकारी /सेनानियो के हक अधिकार की बात करने व उग़वाद उन्मुलन की बात तय करने से कतराते है ? .क्षी बिधाथी ने कहा कि अपनी हम आन्दोलनकारियो ने जिह तरह अपने खुन पसीने से झारखंड अलग राज्य की लडाई को सिंचा हैं भिख मे , हमे हक , अधिकार और सम्मान दिलाने की जरूरत नही है , हमे अपना अधिकार लेना जानते हैं, तुम देखना चाहते हो कि हम मंजदूरी नही कर सकते परिवार का लालन _पालन नही कर सकते तो , ये तुम्हारी भुल है , अपनी भुल सुधारो बरना कुसी की राजनीतिक करना छोड दो ? झारखंड अलग राज्य की लडाई आजसू/झामुमो के आन्दोलनकारीओं / सेनानियों की कुरबानियों के बल पर बना है ऐसे में निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के द्वारा आन्दोलनकारियो की अनदेखी करने के बिरूद्द ऐसे पदभ़ष्ठ राजनीतिक दलों को जड़ से उखाड फेकने का संकल्प व बीडा उठाया है ? सेनानियों की पहल और राजनीतिक स्तरपर अपना कदम आगे बढ़ना शुरू किया है !जीसका ठाचा बनकर तैयार है, जिसमे अमली पजामा पहनाने की जरूरत है ! उन्होने सच्चाईयां की ओर इंगित करते हुए कहा कि झारखंड में जितने भी मुख्यमंत्री हुए, , झा0 आन्दोलनकारी की बात को नजर अंदाज कर झारखंड को चारागाह का केंद्रबिंदु बना चुके हैं, जहां राजनीतिक का आखाड़ा में तब्दील युवक युवती के बीच हीन भावना से ग़सित हो कर एक दूसरे को नीचा दिखालाने की प़वृति जोर पकडती जा रही है! झामुमो /आजसू के आन्दोलनकारी /सेनानियो के कुरबानी के बाद बना झारखंड अलग राज्य के झामुमो के निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के शासनकाल में झामुमो आजसू के आन्दोलनकारियो ने देश के अन्य राज्यों में मंजदूरी कर रहे हैं ? झारखंड आन्दोलनकारी /सेनानियो ने पढाई के साथ - साथ झारखंड अलग राज्य की लडाई के बाद परिवार की पेट की ज्वाला शांत करने के लिये दुसरे राज्य मे मंजदूरी कर रहे है ! ऐसे में झारखंड के मंजदूर देश भर में कायृ है , उनका निबंधन उनके कायृ स्थलों पर निबंधित करने /प़ाण काड परिचय-पत्र उपलब्ध कराने और सरकार के द्वारा मिलने वाली सुबिधा का लाभ पहुचाने की पहल तो दुर की बात ठहरी ? वही दुसरी तरफ झारखंड अलग राज्य के लिये आन्दोलनकारी /सेनानियो को राज्य मिलने के 24 वी.बषृगाठ मनाने के आसार के बावजूद आन्दोलनकिरियो /सेनानियों को चिन्हिकरण नही किया जा सका है अल्बत्ता आन्दोलनकारियो को वगीकृत कर ,सरकारी नौकरी में उमर की पावंदी व रोजगार की कमी के कारण अबुआ दिसुम अबुआ राज्य की पहल ओर आन्दोलनकारियो के बलिदान पर बना झारखंड अलग राज्य के आन्दोलनकारीओं/ सेनानियों के हक अधिकार की बार तो दुर की ठहरी चिन्हिकरण का कायृ 24 बषृगाठ मनाने के बाद भी अधूरी है ? ऐसे मे झारखंड अलग राज्य बनाम बिधायक से सासंद बने सुखदेव भगत भले ही अपने शपत में सरना माँ की शौगध ली ? किन्तु आदिवासी बहुल झारखंड अलग राज्य में आदिवासियों के आरक्षण के बल पर बिधायक से सासंद बने सुखदेव सगत लोहरदगा जिले के बिकाश के लिये कारखाना स्थापित करने की बात की ओर , और औधौगिक नगरी के नाम पर पलामू में फैक्टरी स्थापित पर आपकी चुप्पी को जनता क्या समझे ?? रही बात झारखंड आन्दोलनकारीओं में अधिकाश आदिवासी समाज सेआते हैं उनकी चिन्हिकरण का मामला के 24 बषृ पूरे हुए पर कायृ अधुरापन ही रहा कुल मिलाकर जिसके दमपर बिधायक से सासंद तक का सफर आपने तय किया उसके लिए अपने क्या किया ? रही बात लोहरदगा जिले की बिकास की बात तो ये बात कोई गलत नही होगा कि लोग लोहरदगा को चारागाह का केन्दृ बिन्दु बनकर रह गया है, खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड अलग राज्य मे बेरोजगारी से परेशान कृषक मजदूरों का पालायन को रोक पाने मे बिफल राज्य सरकार के पास रोजगार के छोटे छोटे अवसरों को उपलब्धि कराने मे असमर्थ रही है!ऐसे मे राज्य की राजधानी के सबसे नजदीक जिले लोहरदगा जिले मे बृड गेज रेलवे लाईन के बिस्तार के साथ ही बिकास की पहली पडाव पार तो कर चुके हैं ? दुसरी पडाव नेतरहाट फिल्ड फायरिग की बारी है. जो बिश्व का दुसरा एवं एशिया की सबसे बड़ी मीलिटी छावनी बनने की बारी आती है. जिसके बनते ही उगृवाद,आपराधिक, हत्या,लुटपाट,बालात्कार जैसी संघन मामला अकुंश लगेगा और आथिक मजबूति स्थानिये लोगो को मिलने लगेगें ? ईसके लिये कौन आगे आयेगा देखना अभी बाकी हैं ?
क्या स्वतंत्रा सेनानी के हक अधिकार व सम्मान बलिदान के बदले सच्ची श्राजंली कब और कैसे दे गे ??? भारत देश के आजादी के 78वीं स्वतंत्रा दिवस पर आजाद भारत देश के झारखंड अलग राज्य के आन्दोलनकारियो /सेनानियों की दुर्दशा व त्रासदी आन्दोलनकारी की कहानी उन्ही की जुबानी झारखंड आंदोलनकारी अमर शहीद निर्मल महतो का 37 वा पुण्यतिथि मनाया गया। झारखंड आंदोलनकारी के संस्थापक सह प्रधान सचिव पुष्कर महतो ने झारखंड के निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर सीधा प़हार करते हुए कहा कि झारखंडियों को पहचान और हक अधिकार एंव संमान देना होगा ??? साथ ही पिछले २४ सालो से चिन्हिकरण के नाम पर आन्दोलनकारी /सेनानियो को वगीकृत करने के बिरूद्द सन १५ नवंबर २००० से जोडकर पेशन संहित सरकारी योजनाओं मे 50% भागीदारी सुनिश्चित करें! आन्यथा आगामी चुनावी सरगर्मी मे खामियाजा भुगतने के लिये तैयार रहे ?? ऐसे सुन्दर झारखंड की परिकल्पाना की थी जंहा एक सुन्दर युवती सर से पांव तक सोने की श्रंगार से सुशोभित जंगल के रास्ते आकेली रात के 12 बजे बिना शंकोच भययुक्त सकुशल गुजरेगी ?? कौन लायेगा ऐसा सांमाराज्य ???जय झारखंड बोलो सबको साथ लेकर चलो !! 1 . झारखंड राज्य में आगामी चुनावी सरगर्मी मे पहला मुद्दा सडक , बिजली , पानी और मकान की बात नही है ???, बल्कि जनता जनादंन के लिये आपने क्या तय किया ? 2. प़त्याशी वादा करना छोड दे ,आपने जनता के सुख-दुख में क्या सहभागिता Giving ? 3. राज्य के अमन चैन, एंव सौहाद्रपूर्ण वातावरण के लिये क्या रणनिती है। 4. अपने भाषणों मे वेरोजगार से उगृवाद उनमुक्त के कारागार उपाय पर बिवेचना परस्तुति विश्वास भरोसा दिलाये ? 5.आन्दोलनकारी /सेनानियों के हक , अधिकार और सम्मान दिलाने के साथ ही बिकास कायृ मे सहभागिता
परिपूर्ण रखने ? 6. सुन्दर सजग और भयमुक्त समाज का निमाणृ् के साथ साथ हत्या लूटपाट बालात्कार जैसी संघन आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने की साथृक पहल कीओर सजगता ? दोषी कौन ? झारखंड अलग राज्य के निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन या आन्दोलनकारी /सेनानियो ने झारखंड अलग राज्य बनने के लिया दोषी कौन ? चिन्हिकरण आयोग या चिन्हिकरण मै शामिल अधिकारी या स्वयं आन्दोलनकारी /सेनानियो है ,जिन्होंने आन्दोलन से जुडे होने का परिपूर्ण परिचय-पत्र उपलब्ध कराने के बावजूद २४ बषृ का साथ तय किया है ??? खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड अलग राज्यों निमा्ण के बदले पुरूस्कार पाने की परिकल्पना आन्दोलनकारी /सेनानियो ने कभी नही की थी, जहां झारखंड के सुन्दरता को पिछले 23बषो में उग़वाद् ,हत्या लुटपाट बालात्कार जैसी संघन आपराधिक तत्वों का जमावडा के साथ ही बिकास मे बिफल राजनीतिक दलों का आखाड़ा माऋ बनकर रह गयी है उपरोक्त बाते लोहरदगा जिले के झारखंड आन्दोलनकारी /सेनानियो के अध्यक्षा बिजय कुमार बिधाथी ने मीडिया को बताया है ? उन्होंने कहा कि आधुनकिता के इस दौर में कोई भी राजनेता आन्दोलनकारी /सेनानियो के हक अधिकार की बात करने व उग़वाद उन्मुलन की बात तय करने से कतराते है ? .क्षी बिधाथी ने कहा कि अपनी हम आन्दोलनकारियो ने जिह तरह अपने खुन पसीने से झारखंड अलग राज्य की लडाई को सिंचा हैं भिख मे , हमे हक , अधिकार और सम्मान दिलाने की जरूरत नही है , हमे अपना अधिकार लेना जानते हैं, तुम देखना चाहते हो कि हम मंजदूरी नही कर सकते परिवार का लालन _पालन नही कर सकते तो , ये तुम्हारी भुल है , अपनी भुल सुधारो बरना कुसी की राजनीतिक करना छोड दो ? झारखंड अलग राज्य की लडाई आजसू/झामुमो के आन्दोलनकारीओं / सेनानियों की कुरबानियों के बल पर बना है ऐसे में निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत
सोरेन की सरकार के द्वारा आन्दोलनकारियो की अनदेखी करने के बिरूद्द ऐसे पदभ़ष्ठ राजनीतिक दलों को जड़ से उखाड फेकने का संकल्प व बीडा उठाया है ? सेनानियों की पहल और राजनीतिक स्तरपर अपना कदम आगे बढ़ना शुरू किया है !जीसका ठाचा बनकर तैयार है, जिसमे अमली पजामा पहनाने की जरूरत है ! उन्होने सच्चाईयां की ओर इंगित करते हुए कहा कि झारखंड में जितने भी मुख्यमंत्री हुए, , झा0 आन्दोलनकारी की बात को नजर अंदाज कर झारखंड को चारागाह का केंद्रबिंदु बना चुके हैं, जहां राजनीतिक का आखाड़ा में तब्दील युवक युवती के बीच हीन भावना से ग़सित हो कर एक दूसरे को नीचा दिखालाने की प़वृति जोर पकडती जा रही है! झामुमो /आजसू के आन्दोलनकारी /सेनानियो के कुरबानी के बाद बना झारखंड अलग राज्य के झामुमो के निवृतमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के शासनकाल में झामुमो आजसू के आन्दोलनकारियो ने देश के अन्य राज्यों में मंजदूरी कर रहे हैं ? झारखंड आन्दोलनकारी /सेनानियो ने पढाई के साथ - साथ झारखंड अलग राज्य की लडाई के बाद परिवार की पेट की ज्वाला शांत करने के लिये दुसरे राज्य मे मंजदूरी कर रहे है ! ऐसे में झारखंड के मंजदूर देश भर में कायृ है , उनका निबंधन उनके कायृ स्थलों पर निबंधित करने /प़ाण काड परिचय-पत्र उपलब्ध कराने और सरकार के द्वारा मिलने वाली सुबिधा का लाभ पहुचाने की पहल तो दुर की बात ठहरी ? वही दुसरी तरफ झारखंड अलग राज्य के लिये आन्दोलनकारी /सेनानियो को राज्य मिलने के 24 वी.बषृगाठ मनाने के आसार के बावजूद आन्दोलनकिरियो /सेनानियों को चिन्हिकरण नही किया जा सका है अल्बत्ता आन्दोलनकारियो को वगीकृत कर ,सरकारी नौकरी में उमर की पावंदी व रोजगार की कमी के कारण अबुआ दिसुम अबुआ राज्य की पहल ओर आन्दोलनकारियो के बलिदान पर बना
झारखंड अलग राज्य के आन्दोलनकारीओं/ सेनानियों के हक अधिकार की बार तो दुर की ठहरी चिन्हिकरण का कायृ 24 बषृगाठ मनाने के बाद भी अधूरी है ? ऐसे मे झारखंड अलग राज्य बनाम बिधायक से सासंद बने सुखदेव भगत भले ही अपने शपत में सरना माँ की शौगध ली ? किन्तु आदिवासी बहुल झारखंड अलग राज्य में आदिवासियों के आरक्षण के बल पर बिधायक से सासंद बने सुखदेव सगत लोहरदगा जिले के बिकाश के लिये कारखाना स्थापित करने की बात की ओर , और औधौगिक नगरी के नाम पर पलामू में फैक्टरी स्थापित पर आपकी चुप्पी को जनता क्या समझे ?? रही बात झारखंड आन्दोलनकारीओं में अधिकाश आदिवासी समाज सेआते हैं उनकी चिन्हिकरण का मामला के 24 बषृ पूरे हुए पर कायृ अधुरापन ही रहा कुल मिलाकर जिसके दमपर बिधायक से सासंद तक का सफर आपने तय किया उसके लिए अपने क्या किया ? रही बात लोहरदगा जिले की बिकास की बात तो ये बात कोई गलत नही होगा कि लोग लोहरदगा को चारागाह का केन्दृ बिन्दु बनकर रह गया है, खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड अलग राज्य मे बेरोजगारी से परेशान कृषक मजदूरों का पालायन को रोक पाने मे बिफल राज्य सरकार के पास रोजगार के छोटे छोटे अवसरों को उपलब्धि कराने मे असमर्थ रही है!ऐसे मे राज्य की राजधानी के सबसे नजदीक जिले लोहरदगा जिले मे बृड गेज रेलवे लाईन के बिस्तार के साथ ही बिकास की पहली पडाव पार तो कर चुके हैं ? दुसरी पडाव नेतरहाट फिल्ड फायरिग की बारी है. जो बिश्व का दुसरा एवं एशिया की सबसे बड़ी मीलिटी छावनी बनने की बारी आती है. जिसके बनते ही उगृवाद,आपराधिक, हत्या,लुटपाट,बालात्कार जैसी संघन मामला अकुंश लगेगा और आथिक मजबूति स्थानिये लोगो को मिलने लगेगें ? ईसके लिये कौन आगे आयेगा देखना अभी बाकी हैं ?
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- भरनो में 101 फिट तिरंगा को देखने के लिए उमड़ी भीड़ शैलपुत्री फाउंडेशन स्कूल भरनो के बच्चो ने निकाली आकर्षक झांकी भरनो रिपोर्टर :की ख़ास खबर .स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर भरनो में शैलपुत्री फाउंडेशन इंग्लिश मीडियम स्कूल ने 101 फिट लम्बा तिरंगा को भरनो के मुख्य मार्ग में निकाला. इस तिरंगा को देlखने के लिए मेंन रोड में लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी. ललित उरांव मेमोरियल स्कूल परिसर से 101 फिट लम्बा तिरंगा को अपने हाथो में लेकर स्कूली बच्चे भारत माता की जय, वन्दे मातरम, बिरसा मुंडा अमर रहे जैसे अनेको नारे लगाते हुई देश भक्ति संगीत की धुन में बच्चे और टीचर स्कूल के निदेशक विनय केशरी की अगुवाई में निकल पडे. बच्चों में इतना उत्साह था, की अहले सुबह से ही बच्चे और बच्चिया अलग अलग वेश भूषा में भारत माता, भगत जी, बिरसा मुंडा, नेता जी सहित अलग अलग रूप में बन कर तिरगा यात्रा के साथ चल रहे थे. जो आकर्षक का मुख्य केंद्र बना. स्कूल के निदेशक विनय केशरी, विकास गुप्ता, सीनियर सेक्शन इंचार्ज अनीता बरला, सुमन तिर्की, दिप शिखा गुप्ता, प्रीति कुमारी, निर्मला कुमारी, जूनियर सेक्सन इंचार्ज बिमला कुजूर, राधिका कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, श्वेता कुमारी, अंजलि कुमारी सहित सभी टीचर और प्रेरेंट्स और बच्चे मौजूद थे.3
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