*संयुक्त किसान मोर्चा,केंद्रीय श्रमिक संगठन ,खेत मजदूर संगठन का संयुक्त मंच* ================ की ओर से प्रेस हैंड नोट संयुक्त किसान मोर्चा, केन्द्रीय श्रमिक संगठन,खेत मजदूर संगठन के संयुक्त मंच के आह्वान पर देशव्यापी चेतावनी प्रदर्शन के मौके पर मजदूरों किसानों की समस्याओं व मांगों से सम्बन्धित प्रेस हैंडनोट संयुक्त किसान मोर्चा , केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों तथा खेत मजदूर संगठनों के संयुक्त मंच के देशव्यापी आह्वान पर 26 नवंबर 2024 को हम अपनी चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से आप के समक्ष अपने न्यायपूर्ण लम्बित मांगों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराते हुए उसे पूरा करने की मांग आप से कर रहे हैं। इस संदर्भ में हम यह कहना चाह रहे हैं कि हम संविधान दिवस और ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर देश के 500 से अधिक जिलों पर चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को आगाह कर रहे हैं कि यदि हमारी मांगे पूरी नहीं हुईं तो हम और बड़े आंदोलन की ओर कूच करेंगे । हमारा मानना है कि देश के विकास में मजदूरों, किसानों एवं अन्य मेहनतकश वर्गों का अहम योगदान है। उनकी उन्नति ही सही अर्थों में देश की प्रगति का सूचक है। लेकिन हमारे देश की सरकारें - चाहे केन्द्र की हो या राज्यों की - बड़े पूंजीपतियों, कारपोरेट घरानों और बड़े भूस्वामियों के निहित स्वार्थों में काम करती हैं। हमारे देश का शासक वर्ग साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ सांठगांठ करता है और साम्राज्यवादपरस्त नव उदारवादी नीतियों को लागू करता है। फलस्वरूप एक ओर जहां देश की आम जनता खासकर मेहनतकश अवाम बदहाली की शिकार है , वहीं मुट्ठी भर अमीरों, धन्नासेठों, पूंजीपतियों, भूस्वामियों एवं लुटेरों के पास देश की धन सम्पदा का बड़ा हिस्सा गिरवी है। ऐसी हालात में हम आपके माध्यम से सरकार से मांग करना चाहते हैं 1. सी 2+50 फीसदी के आधार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के साथ सभी फसलों की खरीद की गारंटी की जाए। 2. किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए एक सर्वसमावेशी ऋण माफी योजना बनाई जाए और आम जनता के लिए खाद्य सुरक्षा की गारंटी की जाए। 3. बिजली क्षेत्र का निजीकरण न हो-कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाये जाएं । 4. कॉरपोरेट कम्पनियों के लिए अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण बंद हो। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के प्रावधानों का सख्ती से पालन हो। 5. फसलों , पशुधन , बागवानी सहित कृषि के अन्य क्षेत्र में सार्वजनिक बीमा योजना लागू की जाए। 6. मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए। 7. आंगनबाड़ी, आशा, ममता, रसोइया सहित सभी योजनाकर्मियों एवं संगठित-असंगठित मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 26000 रुपए के न्यूनतम मासिक वेतन को लागू किया जाए। 8. साठ वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्ग व वृद्ध खेत मजदूरों एवं किसानों के लिए 10000 रुपए की मासिक पेंशन योजना लागू की जाए। 9. सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगायी जाए।श्रम में ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाए। 10. राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन को समाप्त किया जाए। 11. नई पेंशन स्कीम को खत्म कर पुराने पेंशन स्कीम को लागू किया जाए। भारतीय श्रम सम्मेलन प्रति वर्ष पुनः आयोजित किया जाए। 12. मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी देने और इसे कृषि, पशुपालन और वाटर शेड आधारित योजना से जोड़ने की गारंटी की जाए। 13. बिहार में डी. बंद्योपाध्याय भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और उसकी सिफारिशों को लागू किया जाए। 14. भूमि हदबंदी से फाजिल, भूदान एवं सरकारी गैर मजरूआ जमीन से प्राप्त या बंदोबस्त किये गये जमीन को गांव के खेतिहर मजदूरों एवं गरीब किसानों को भूमि रेकार्ड में सुनिश्चित करने और भूमि सम्बन्धी सभी दस्तावेजों को हिन्दी में उपलब्धता की गारंटी करने तथा जमीन रेकार्ड सम्बन्धी अशुद्धियों एवं गलतियों के परिष्कार के बाद ही विशेष भूमि सर्वेक्षण के काम को आगे बढ़ाया जाए। आनन-फानन एवं जल्दबाजी में भूमि सर्वेक्षण का काम नहीं किया जाए। 15. बिहार में एपीएमसी कानून के तहत कृषि मंडी को पुनर्बहाल किया जाए। 16. बिहार में उचित जलप्रबंधन के जरिए बाढ़, जलजमाव एवं सुखाड़ की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। उत्तर कोयल एवं सोन नहर प्रणाली सहित तमाम सिंचाई परियोजनाओं का जीर्णोद्धार किया जाए। 17. वनाधिकार कानून 2006 को सख्ती से लागू किया जाए और वन क्षेत्र पर आदिवासियों के नैसर्गिक परम्परागत अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए। कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य बनाने की प्रस्तावित योजना को रद्द किया जाए। 18. असंगठित व भवन निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के जन कल्याण हेतु श्रम विभाग में संचित करोड़ों रुपए की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार एवं धांधली की निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच कराई जाए और दोषियों को दण्डित किया जाए। मजदूरों किसानों की इस चेतावनी रैली के माध्यम से हम केन्द्र सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम देने का संकल्प लेते हैं। यदि इस समय के भीतर मांगों को लागू नहीं किया गया, तो एसकेएम के घटक किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूरों के संगठनों को आपसी समन्वय स्थापित करके बड़े पैमाने पर अनिश्चितकालीन और देशव्यापी कॉरपोरेट विरोधी संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जब तक मजदूरों, किसानों एवं अन्य मेहनतकश वर्गों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, यह न्यायपूर्ण संघर्ष जारी रहेगा। निवेदक : *संयुक्त किसान मोर्चा*, *केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व खेत मजदूर संगठनों* का मंच , नालन्दा 24/11/2024 को हस्ताक्षरित 1. पाल बिहारी लाल 2. मकसूदन शर्मा 3. विनोद रजक 4. रामप्रीत केवट 5. बाढ़न पासवान
*संयुक्त किसान मोर्चा,केंद्रीय श्रमिक संगठन ,खेत मजदूर संगठन का संयुक्त मंच* ================ की ओर से प्रेस हैंड नोट संयुक्त किसान मोर्चा, केन्द्रीय श्रमिक संगठन,खेत मजदूर संगठन के संयुक्त मंच के आह्वान पर देशव्यापी चेतावनी प्रदर्शन के मौके पर मजदूरों किसानों की समस्याओं व मांगों से सम्बन्धित प्रेस हैंडनोट संयुक्त किसान मोर्चा , केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों तथा खेत मजदूर संगठनों के संयुक्त मंच के देशव्यापी आह्वान पर 26 नवंबर 2024 को हम अपनी चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से आप के समक्ष अपने न्यायपूर्ण लम्बित मांगों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराते हुए उसे पूरा करने की मांग आप से कर रहे हैं। इस संदर्भ में हम यह कहना चाह रहे हैं कि हम संविधान दिवस और ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर देश के 500 से अधिक जिलों पर चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को आगाह कर रहे हैं कि यदि हमारी मांगे पूरी नहीं हुईं तो हम और बड़े आंदोलन की ओर कूच करेंगे । हमारा मानना है कि देश के विकास में मजदूरों, किसानों एवं अन्य मेहनतकश वर्गों का अहम योगदान है। उनकी उन्नति ही सही अर्थों में देश की प्रगति का सूचक है। लेकिन हमारे देश की सरकारें - चाहे केन्द्र की हो या राज्यों की - बड़े पूंजीपतियों, कारपोरेट घरानों और बड़े भूस्वामियों के निहित स्वार्थों में काम करती हैं। हमारे देश का शासक वर्ग साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ सांठगांठ करता है और साम्राज्यवादपरस्त नव उदारवादी नीतियों को लागू करता है। फलस्वरूप एक ओर जहां देश की आम जनता खासकर मेहनतकश अवाम बदहाली की शिकार है , वहीं मुट्ठी भर अमीरों, धन्नासेठों, पूंजीपतियों, भूस्वामियों एवं लुटेरों के पास देश की धन सम्पदा का बड़ा हिस्सा गिरवी है। ऐसी हालात में हम आपके माध्यम से सरकार से मांग करना चाहते हैं 1. सी 2+50 फीसदी के आधार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के साथ सभी फसलों की खरीद की गारंटी की जाए। 2. किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए एक सर्वसमावेशी ऋण माफी योजना बनाई जाए और आम जनता के लिए खाद्य सुरक्षा की गारंटी की जाए। 3. बिजली क्षेत्र का निजीकरण न हो-कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाये जाएं । 4. कॉरपोरेट कम्पनियों के लिए अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण बंद हो। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के प्रावधानों का सख्ती से पालन हो। 5. फसलों , पशुधन , बागवानी सहित कृषि के अन्य क्षेत्र में सार्वजनिक बीमा योजना लागू की जाए। 6. मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए। 7. आंगनबाड़ी, आशा, ममता, रसोइया सहित सभी योजनाकर्मियों एवं संगठित-असंगठित मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 26000 रुपए के न्यूनतम मासिक वेतन को लागू किया जाए। 8. साठ वर्ष से अधिक उम्र
के सभी बुजुर्ग व वृद्ध खेत मजदूरों एवं किसानों के लिए 10000 रुपए की मासिक पेंशन योजना लागू की जाए। 9. सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर रोक लगायी जाए।श्रम में ठेकेदारी प्रथा को बंद किया जाए। 10. राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन को समाप्त किया जाए। 11. नई पेंशन स्कीम को खत्म कर पुराने पेंशन स्कीम को लागू किया जाए। भारतीय श्रम सम्मेलन प्रति वर्ष पुनः आयोजित किया जाए। 12. मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी देने और इसे कृषि, पशुपालन और वाटर शेड आधारित योजना से जोड़ने की गारंटी की जाए। 13. बिहार में डी. बंद्योपाध्याय भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए और उसकी सिफारिशों को लागू किया जाए। 14. भूमि हदबंदी से फाजिल, भूदान एवं सरकारी गैर मजरूआ जमीन से प्राप्त या बंदोबस्त किये गये जमीन को गांव के खेतिहर मजदूरों एवं गरीब किसानों को भूमि रेकार्ड में सुनिश्चित करने और भूमि सम्बन्धी सभी दस्तावेजों को हिन्दी में उपलब्धता की गारंटी करने तथा जमीन रेकार्ड सम्बन्धी अशुद्धियों एवं गलतियों के परिष्कार के बाद ही विशेष भूमि सर्वेक्षण के काम को आगे बढ़ाया जाए। आनन-फानन एवं जल्दबाजी में भूमि सर्वेक्षण का काम नहीं किया जाए। 15. बिहार में एपीएमसी कानून के तहत कृषि मंडी को पुनर्बहाल किया जाए। 16. बिहार में उचित जलप्रबंधन के जरिए बाढ़, जलजमाव एवं सुखाड़ की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। उत्तर कोयल एवं सोन नहर प्रणाली सहित तमाम सिंचाई परियोजनाओं का जीर्णोद्धार किया जाए। 17. वनाधिकार कानून 2006 को सख्ती से लागू किया जाए और वन क्षेत्र पर आदिवासियों के नैसर्गिक परम्परागत अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए। कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को बाघ अभयारण्य बनाने की प्रस्तावित योजना को रद्द किया जाए। 18. असंगठित व भवन निर्माण क्षेत्र के मजदूरों के जन कल्याण हेतु श्रम विभाग में संचित करोड़ों रुपए की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार एवं धांधली की निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच कराई जाए और दोषियों को दण्डित किया जाए। मजदूरों किसानों की इस चेतावनी रैली के माध्यम से हम केन्द्र सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम देने का संकल्प लेते हैं। यदि इस समय के भीतर मांगों को लागू नहीं किया गया, तो एसकेएम के घटक किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूरों के संगठनों को आपसी समन्वय स्थापित करके बड़े पैमाने पर अनिश्चितकालीन और देशव्यापी कॉरपोरेट विरोधी संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जब तक मजदूरों, किसानों एवं अन्य मेहनतकश वर्गों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, यह न्यायपूर्ण संघर्ष जारी रहेगा। निवेदक : *संयुक्त किसान मोर्चा*, *केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व खेत मजदूर संगठनों* का मंच , नालन्दा 24/11/2024 को हस्ताक्षरित 1. पाल बिहारी लाल 2. मकसूदन शर्मा 3. विनोद रजक 4. रामप्रीत केवट 5. बाढ़न पासवान
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- Post by Rama Shankar kumer1
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