अद्भुत कथा: देवी शताक्षी की करुणा और शक्ति (स्रोत: देवी भागवत पुराण) बहुत समय पहले, जब पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा, और राक्षसों ने अन्न, जल और जीवन के स्रोतों को रोक दिया — तब मानवता ने युद्ध नहीं, बल्कि करुणा की पुकार लगाई। तभी देवी दुर्गा का एक दिव्य रूप प्रकट हुआ — पर इस बार वह क्रोध नहीं, करुणा की मूर्ति थीं। उनके हज़ार नेत्र थे — और हर नेत्र से आँसू बह रहे थे। इन आँसुओं से नदियाँ बनीं, खेतों में हरियाली लौटी। उन्हें कहा गया — शताक्षी, अर्थात "हज़ार आँखों वाली देवी"। उनकी दृष्टि में क्रोध नहीं, बल्कि हर जीव के लिए दया थी। भूख से तड़पते लोगों को अन्न देने के लिए उन्होंने स्वयं को अन्नपूर्णा के रूप में परिवर्तित किया — और उनके हाथों से फल, अन्न और जल बहने लगे। जब राक्षस दुर्गमासुर ने इन स्रोतों को नष्ट करना चाहा, तब देवी ने पहले आशा जगाई — और फिर अपने सिंह पर सवार होकर दिव्य अस्त्रों से राक्षस का अंत किया। युद्ध के बाद देवी स्वर्ग नहीं लौटीं — वह यहीं रहीं, अन्नपूर्णा के रूप में, हर भूखे को भोजन देने और हर भक्त को प्रेम देने। आज भी भारत के मंदिरों और रसोईघरों में भोजन से पहले उनका स्मरण किया जाता है — न केवल अन्न के लिए, बल्कि कृतज्ञता के लिए। वह देवी हैं — जिन्होंने हर आँसू को देखा… और उन्हें जीवनदायिनी नदियों में बदल दिया।
अद्भुत कथा: देवी शताक्षी की करुणा और शक्ति (स्रोत: देवी भागवत पुराण) बहुत समय पहले, जब पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा, और राक्षसों ने अन्न, जल और जीवन के स्रोतों को रोक दिया — तब मानवता ने युद्ध नहीं, बल्कि करुणा की पुकार लगाई। तभी देवी दुर्गा का एक दिव्य रूप प्रकट हुआ — पर इस बार वह क्रोध नहीं, करुणा की मूर्ति थीं। उनके हज़ार नेत्र थे — और हर नेत्र से आँसू बह रहे थे। इन आँसुओं से नदियाँ बनीं, खेतों में हरियाली लौटी। उन्हें कहा गया — शताक्षी, अर्थात "हज़ार आँखों वाली देवी"। उनकी दृष्टि में क्रोध नहीं, बल्कि हर जीव के लिए दया थी। भूख से तड़पते लोगों को अन्न देने के लिए उन्होंने स्वयं को अन्नपूर्णा के रूप में परिवर्तित किया — और उनके हाथों से फल, अन्न और जल बहने लगे। जब राक्षस दुर्गमासुर ने इन स्रोतों को नष्ट करना चाहा, तब देवी ने पहले आशा जगाई — और फिर अपने सिंह पर सवार होकर दिव्य अस्त्रों से राक्षस का अंत किया। युद्ध के बाद देवी स्वर्ग नहीं लौटीं — वह यहीं रहीं, अन्नपूर्णा के रूप में, हर भूखे को भोजन देने और हर भक्त को प्रेम देने। आज भी भारत के मंदिरों और रसोईघरों में भोजन से पहले उनका स्मरण किया जाता है — न केवल अन्न के लिए, बल्कि कृतज्ञता के लिए। वह देवी हैं — जिन्होंने हर आँसू को देखा… और उन्हें जीवनदायिनी नदियों में बदल दिया।
- नगर के सिद्ध धाम गंगा झिरिया में किया गया श्रमदान 2026 आने वाला है नगर के लोग पिकनिक मनाने के लिए2
- Post by Mohan Lodhi1
- Post by Mohan Lodhi1
- अपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित करने पुलिस अधीक्षक द्वारा चलाया गया न्यू दमोह में सर्च अभियान1
- आगवानी की करो तैयारी पारस चैनल के सबसे चर्चित कार्यक्रम शंकासमाधान के प्रणेता आचार्यश्री विद्यासागर जी के परम प्रभावक शिष्य भगवान महावीर स्वामी जी के बिहार जिनकी जन्मस्थली आने वाले है पुण्य धर्म नगरी गौरझामर भव्य अति भव्य आगवानी की तैयारी जोरो पर1
- सागर के कटरा बाजार और माता मढ़िया क्षेत्र में चाकू लहराकर दहशत फैलाने वाला मुख्य आरोपी नीलेश पटेल कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में। पुलिस ने आरोपी को बाजार में पैदल घुमाकर वारदात की तस्दीक कराई।1
- पन्ना गुनौर विधानसभा में विकास को मिलेगी नई रफ्तार विधायक डॉ. राजेश वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुनी जनसमस्याएं1
- Post by Mohan Lodhi1