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- 🙏🚩🚩🕉️☪️✝️☸️🔯⚛️✡️🚩🚩🙏 कलियुग का अवतार कैसे होता है ? कि मनुष्य स्वर्ग की भूमि कौ नरक की भूमि कर दिया है, वा वह कौंसा-कारण है कि जिससे मनुष्य #स्वर्ग की भूमि कौ अब केवल केवल भूमि से परिचय किया है ?? अपुण्य शिशा, अपूण्य कार्य और अपूण्य मृत्यु ही मनूष्य के विनाश और पीणा का कारण है। यही उसके कर्म, दर्द और पीणा का कारण है जिसे मनुष्य ही खुद से अवतरित करता है जिससे मनुष्य को अकाल-मृत्यु को प्राप्त करता है। 🙏🚩🚩🕉️☪️✝️☸️🔯⚛️✡️🚩🚩🙏 जिस प्रकार मोबाइल और सिम के मेल से तीसरा कार्या हो पता है उसी प्रकार दो-जीव आतमा उदाहरण पर आधारित -: वरधा और गाय के मेंल से तीसरा जीव-आतमा (बचवा) के स्वरूप में अवतरित होता है आशा करते हैं यहां तक आपको भी परिचय है, पर इसका उद्देश्य यह कि, उस जीव-को हम सब कब और किस लिए पालते हैं, इसलिए कि उसकी अवस्यकता से हमें गाय-का-धार (दूध) की अवस्यकता की पूर्ति मनुष्य कौ प्राप्त होता है, कहानीकार (दूध को गाय-का-धार वा धार) कह रहा है, केवल शब्द की माध्यम से और यहां, सवाल है-: कि गाय-की-धार से मक्खन की प्राप्ति उत्पत्ति कैसे होती है ? हल-: उसके लिए सर्वप्रथम वह शब्द अवतरित होता है जिसके माध्यम से गाय-की-धार पर वह कार्य होता है जिससे कहते हैं (बोरिंग) जिससे धार से मक्खन की उत्पत्ति होती है। उसी प्रकार यहां नागन के विष से (नागमणि) की परापती उत्पत्ति कैसे होती है, यहां इस शिशा का तात्पर्य यह है कि शिशा वह अस्त्र-शस्त्र-शास्त्र है, जिससे विष, जहर, नागमणि, मणि इत्यादि अवतरित होता है, पर तय करता है उस शिष्य पर की वह किस पर निर्भर होता है, कि जिसे शिवकार कर वह है इस संसार में (सब में वह भाव अवतरित कर पाये कि सभी में उसी प्रकाश हो जिस प्रकार सूर्या का प्रकाश सभी के लिए एक ही भांति से कोई भी कार्य करता है। पर यदि वह किसी ऐसे शिशा कौ प्राप्त करता है जिससे सब में असत-भाव का बीज बोता है तो उसका मात्र यही कारण है कि वह #सात-भाव से शिशा को प्राप्त ही नई किया है उसी कार्य या कर्म पर आधारित है यह शब्द जिससे उसके ही कर्म का परिचय होता है कि जिससे उसकी उत्पत्ति होती/होता है, यह और आप चाहे जितनी भी (धर्म या अधर्म का कार्य करते हैं) पर सदा ईस्वर इसी तरह सबके संग होते हैं कि मनुष्य ईश्वर का कितनी मात्रा में परिचय किया है, उसी आधार पर उसका #नामकरण या उपवरगा होता है। #देवता-राक्षस (स्वर्ग - जीवात्मा) प्रभु/परमेंश्वर/भगवानी #देवता-असुर (सत युग - मनुष्य) प्रभु/परमेंश्वर/भगवानी #देवता-दानव। (त्रेता युग - मनुष्य) प्रभु/दास/भगवानी #देवता-दानव (द्वापर युग - मनुष्य) प्रभु/दास/भक्त #शुद्ध-बुधू (कल युग - मनुष्य) छुद्र/दास/भक्त #शुध-छुद्र-शुद्र (कलियुग - मनुष्य)छुद्र/दास/भक्त 1. यहां दो सवाल है -: कहानीकार गाय-का-धार किस लिए कहा है?? हल कीजिए -: 2. सभी में मनुष्य ही है पर ईस्वर कैसे उसके संग में हैं ? हल कीजिए -: 👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇👇 🙏🙏🚩🚩🕉️☪️✝️☸️🔯⚛️✡️🚩🚩🙏🙏 यदि आप में सात-भाव है, तव तो इस सवाल कौ हल किजिएगा वा यदि आप और हम सब ईश्वर का दास हैं इस राह पर हैं तब तो हमसे बात कीजिएगा इसलिए कि जिस पर आधारित सभी धम्म चल रहे हैं। इसलिए कि संसार के सभी धर्म और भाषा असली बीज ही ईश्वर हैं 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂 जिससे संसार में अलग-अलग धर्म वा उसके माध्यम से भाषा वा धर्म की सत्ता चला रहा है और उसी को, मनुष्य का ऐसा अभीमान हुआ है कि वह उसी ईश्वर को ही दोष दे रहा है और ? #खुद को देवता शिद्ध करके और ईश्वर को दास बता रहा है। किसी भी सवाल वा प्रसंग के लिए मिलिए पर इंसानियत की भाव से नई की केवल शुक(तोता) की तरह बस..... 🦜🦜🦜🦜🦜🦜🦜 👇👇👇👇👇👇 यदि आप आत्म निर्भर हैं वा आपमें सात-भाव का तत्व है तौव इस सवाल कौ हल कीजिए और मिलिए #कलि के (कलियुग) से और शीधा बात कीजिए। आपकी सेवा में हाजिर है - कलियुग https://www.youtube.com/@SattarSerial https://www.facebook.com/SattarSerial1
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