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कोटा टु अकलेरा
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Satish Jawli
कोटा टु अकलेरा
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- *जीवन जन्मदिन मनाने के लिए नही,हमें जन्मतिथि यह बताती है कि हम इतने वर्ष मृत्यु के समीप आ गये।* *छबड़ा ब्लॉक में धाकड़ युवा चेतनाअभियान का किया श्री गणेश,ग्राम-ग्राम जाकर बनावेगें निःशुल्क सदस्य।* *जन्म से लेकर अब तक हमने क्या किया?इसाब लगानें का वक्त है,माता,पिता,गुरु,सम्यक समाज के लिए हमनें क्या दिया जो याद रखा जा सकता है।* छबड़ा:धाकड़ समाज के वरिष्ठ सदस्य एवं समाज सुधारक रामदयाल जी धाकड़ खांखरा जो समाज सेवा में अपने विद्यार्थी जीवन से ही लगें हुए है।आज इनकी उम्र 75 पार कर चुकी है लेकिन इनमें धाकड़ समाज(नमक)यानी नागर,मालव,किराड़ के उत्थान के प्रति आज भी उत्साह है।इसी जज्बे को लेकर यह समाज के विभिन्न सेवाओं में काम कर सेवा निवृति ले चुके या अभी सेवा में है ओर केवल अपने पैसे से खुद का ही पेट पालन कर रहे है ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों से समाज के लिए तन,मन और धन की जरूरत पड़े तो उसके त्याग के लिए योगदान के लिए मिल रहे सम्पर्क कर रहें है।इनके ओर आपके अनुभव के मार्फ़त समाज की युवा पीढ़ी को सबल बनाने का धेय ओर उद्देश्य इनके मन मे है।इसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु 4 जनवरी,शनिवार 2025 से ब्लॉक छबड़ा के धाकड़ समाज के ग्रामों की यात्रा प्रारम्भ की गयीं है।इस यात्रा के दौरान पुरानी पीढ़ी से सम्पर्क कर नई पीढ़ी के युवाओं को ऑनलाइन,ऑफलाइन नाम,पिता का नाम, ग्राम ओर उनके स्मार्टफोन के पंजीकृत नम्बर से जोड़ सम्पर्क किया जा रहा है।सीबीईओ ऑफिस ब्लॉक छबड़ा से अभी हाल ही में सेवानिवृत हुए व्याख्याता शंकर लाल धाकड़ के अनुसार रामदयाल जी के समाज उत्थान के लिये किये जा रहे प्रयासों को ओर अधिक बल प्रदान करने के लिए धाकड़ समाज ब्लॉक छबड़ा-01नाम से प्रथम ग्रुफ का निर्माण और गठन कर शनिवार को मुंडला,दिलोद,कोलूखेड़ा, पीपल्या जांगीर के युवाओं को उनके घर के सदस्यों के परामर्श बाद जोड़ा गया है। इनमें से कुछ को वाट्सप ग्रुफ में एडमिन भी बनाया गया है।बनाए एडमिन धाकड़ समाज के युवाओं को ग्रुफ से जोड़े जिससें समाज उत्थान हेतु नई पीढ़ी ओर पुरानी पीढ़ी मिलकर समाज के आचार-विचार,आहार-विहार पर चिन्तन-मनन कर नव निर्माण में सहयोगी बन सकें।ग्रुफ का उद्देश्य समाज के चहुँमुखी विकास का धेय है इसमें आप कितने सहयोगी बन समाज के ऋण से उऋण होगें यह आगे आपके तप,सेवा,सुमरण,समर्पण पर निर्भर होगा।यह हमारा प्रयास भर है।सफलता युवा वर्ग पर है आपको याद हो ना हो आज स्टेशन रोड़ के रास्ते जो धाकड़ छात्रावास खड़ा है वो इनकी दूरदृष्टि का ही परिणाम है जिसमें प्रथम अभियान में इनके द्वारा पूर्व में गठन की गयीं रजिटर्ड संस्था धाकड़ विकास सेवा समिति का अहम रोल है।इसी समिति के सानिध्य में तत्कालीन समय धाकड़ जन चेतना विकास समिति का गठन कर भुवाखेड़ी के प्रेम नारायण जी नागर को अध्यक्ष और प्रेम नारायण जी होटल वालो को कोषाध्यक्ष तथा शंकर लाल नागर को मंत्री बना कर उपाध्यक्ष रामदयाल नागर,श्री लाल नागर,श्योनारायण जी सहित तत्कालीन समय लगभग हर ग्राम से सक्रिय सदस्य जोड़े गए थे बाद में छात्रावास के जयनारायण जी,रामदयाल जी आदि अध्यक्ष रहे जिनके कार्यकाल में वर्तमान में जो 10 दुकानें है इनके द्वारा प्रदान की गयीं सहयोग राशि से छात्रावास की नींव रखी जिसे रामदयाल जी के द्वारा समाज के सहयोग से आगे बढ़ाया ओर अभी रामेश्वर जी और उनकी गठित टीम नव निर्माण में कार्य कर रही है।समाज सेवक रामदयाल जी फिर से जीवन के अंतिम क्षण समाज सेवा को देने जा रहे है। हमें नकारात्मक विचारों का त्याग कर फिर से सकारात्मक विचारों के साथ समाज के कार्यों से जुड़ना है और अन्य समाजों से सीख लेकर हमारे समाज को भी अग्रिणी समाज का दर्जा देना है।आप इस ग्रुफ में बने रहे या लेफ्ट हो जावें यह आपका अपना निर्णय है।हमारा आवाहन है कि माता,पिता,गुरु की सेवा बाद हमारे ऊपर समाज का भी ऋण होता है जिसका माध्यम समाज से जुड़कर कुछ नया करना है जिससे हम धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष के चार पुरुषार्थों को प्राप्त कर सकें।आपके सकारात्मक विचारों का हम सदैव स्वागत करते है।धाकड़ ने अपने धाकड़ विचारों में युवाओं को संदेश दिया है कि आहार,निद्रा भय,मैथुन तो पशु-पक्षी के अंदर भी है,मनुष्य जीवन में कुछ ऐसा करो कि हमारी दानवीर संस्कृति के बीज जिन्हें हम सत्यता,पवित्रता के रूप जानते है इन आयामों के साथ हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक जुड़े जीवन के 16 संस्कार बनें रहे जिन्हें हमारा युवा समाज खोता जा रहा है और एक नई दिशाहीन संस्कृति की ओर मुड़ रहा है। यह संस्कार भोतिकवादी बन हमें ओर हमारे घर,परिवार,समाज को राम,बलराम,कृष्ण की उत्तर दिशा को छोड़ रावम की दक्षिण दिशा की ओर मोड़ रहा है जो हमें मिटा सकता है। इन कुरीतियों पर हमें युवाओ के साथ चिंतन-मनन करने की जरूरत आन पड़ी है सब हमे रामायण पढ़नी है या महाभारत यदि हमनें समाज के रीछपति,जाम्बवान,हनुमान,नल,नील,हनुमान नही खोजें तो हम सीता रूपी आत्मा को कभी अयोध्या नही ला पायेंगे।समाज के आधुनिकता की आंधी में एक दिन रिश्ते भी रिश्ते नजर आयेगें।आज के शादी- विवाह के तरीकों पर जरा नजर डालें युवा पीढ़ी पूरब की ओर जा रही या पश्चिम की ओर किसी से कुछ कहो तो समझ नही आता क्या किया जावें।हम सब जीवन के उत्साह के लिए जन्मदिन मनाने के लिए इक्कठे होते है और मोमबत्ती जला फिर उसे बुझाते है,हमें जन्मतिथि की बुझती मोमबती यह रीत बताती है कि हम इतने वर्ष मृत्यु के समीप आ गये।ऐसे ही क्षण-क्षण जीवन भीत रहा,कुछ ऐसा करें कि हमारी पीढ़ियों की संस्कृति की धरोवर बची रहे,बीड़ा कौन उठायेगा नई पीढ़ी या पुरानी।आओ हम सब समाज के सुधार का हिस्सा बनें और गुजर गया उसे जानें देवें ओर मिलकर समाज का फिर से नव निर्माण करें। *जय धाकड़*✍️4
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