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अरावली को बचाने मुखर हुआ भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, डूंगरपुर में किया प्रदर्शन, र संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा (बीपीएमएम) प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में अरावली बचाओ आंदोलन को लेकर बीपीएमएम कार्यकर्ता मंगलवार को जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट पर एकत्रित हुए तथा अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर 2025 को पारित अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा, जिससे पर्वतमाला की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। ज्ञापन में चेताया गया कि यह तकनीकी हेरफेर अवैध खनन, वनों के विनाश और भू माफिया को खुली छूट देने के समान है। अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, जल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जैव-विविधता और वन्यजीवों का प्रमुख आवास भी है। आदिवासी क्षेत्रों में यह जल, जंगल और जमीन का जीवनाधार रही है और स्थानीय समुदाय सदियों से इसकी रक्षा करता आया है। अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से जलस्त्रोत सूखने, पर्यावरणीय असंतुलन और किसानों एवं पशुपालकों पर प्रतिकूल प्रभाव बढ़ेगा। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से आग्रह किया गया कि ऊँचाई आधारित तकनीकी दृष्टिकोण के बजाय भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक मानदंड अपनाए जाएँ। इसके साथ ही समस्त अरावली क्षेत्र को संरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्र मानते हुए खनन गतिविधियों पर रोक और कठोर निगरानी सुनिश्चित की जाए। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि जनहित, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करना पड़ेगा। ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अरावली पर्वतमाला को बचाना राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दायित्व है, क्योंकि यह केवल भूगोल नहीं बल्कि जीवन, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

2 hrs ago
user_Santosh vyas
Santosh vyas
Newspaper advertising department Dungarpur•
2 hrs ago

अरावली को बचाने मुखर हुआ भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, डूंगरपुर में किया प्रदर्शन, र संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा (बीपीएमएम) प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में अरावली बचाओ आंदोलन को लेकर बीपीएमएम कार्यकर्ता मंगलवार को जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट पर एकत्रित हुए तथा अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर 2025 को पारित अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा, जिससे पर्वतमाला की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। ज्ञापन में चेताया गया कि यह तकनीकी हेरफेर अवैध खनन, वनों के विनाश और भू माफिया को खुली छूट देने के समान है। अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, जल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जैव-विविधता और वन्यजीवों का प्रमुख आवास भी है। आदिवासी क्षेत्रों में यह जल, जंगल और जमीन का जीवनाधार रही है और स्थानीय समुदाय सदियों से इसकी रक्षा करता आया है। अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से जलस्त्रोत सूखने, पर्यावरणीय असंतुलन और किसानों एवं पशुपालकों पर प्रतिकूल प्रभाव बढ़ेगा। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से आग्रह किया गया कि ऊँचाई आधारित तकनीकी दृष्टिकोण के बजाय भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक मानदंड अपनाए जाएँ। इसके साथ ही समस्त अरावली क्षेत्र को संरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्र मानते हुए खनन गतिविधियों पर रोक और कठोर निगरानी सुनिश्चित की जाए। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि जनहित, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करना पड़ेगा। ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अरावली पर्वतमाला को बचाना राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दायित्व है, क्योंकि यह केवल भूगोल नहीं बल्कि जीवन, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

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  • संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। जिले के सरोदा थाना क्षेत्र में युवक पर चाकू से जानलेवा हमला करने की वारदात का पुलिस ने महज 6 घंटे में खुलासा कर दिया। मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। घटना 21 दिसंबर की शाम की है, जब स्कूटी से घर लौट रहे युवक पर रास्ता रोककर हमला किया गया था। परिवादी नकुल सेवक निवासी सरोदा ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह अपने दोस्त चिरायु पंचाल के साथ स्कूटी से चिरायु के घर पर चल रहे निर्माण कार्य स्थल से वापस घर जा रहा था। शाम करीब 7 से 7:30 बजे नीलकंठ मोड़ के पास पीछे से मोटरसाइकिल पर सवार दो युवकों ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए गाली-गलौच शुरू कर दी। विरोध करने पर आरोपियों ने महुए के पेड़ के पास स्कूटी के आगे बाइक लगाकर रास्ता रोक लिया और मारपीट शुरू कर दी। इसी दौरान आरोपी गोपाल पाटीदार ने चाकू से चिरायु पंचाल के सीने पर दोनों तरफ लगातार वार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। बीच-बचाव करने पर नकुल सेवक के हाथ की उंगलियों में भी चोट आई। शोर सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे, तब तक आरोपी फरार हो गए। घायल चिरायु पंचाल को परिजन व स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया। मामले में सरोदा थाने में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। जिला पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश सांखला और वृत्ताधिकारी रूप सिंह के सुपरविजन में थानाधिकारी भुवनेश चौहान के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया। तकनीकी साक्ष्यों, मुखबिर तंत्र और फॉरेंसिक टीम की मदद से पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी गोपाल पुत्र देशराज पाटीदार और संजय पुत्र शिवराम पाटीदार निवासी करियाणा थाना सरोदा को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। मामले में अग्रिम अनुसंधान जारी है।
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    संवाददाता - संतोष व्यास
डूंगरपुर। जिले के सरोदा थाना क्षेत्र में युवक पर चाकू से जानलेवा हमला करने की वारदात का पुलिस ने महज 6 घंटे में खुलासा कर दिया। मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। घटना 21 दिसंबर की शाम की है, जब स्कूटी से घर लौट रहे युवक पर रास्ता रोककर हमला किया गया था।
परिवादी नकुल सेवक निवासी सरोदा ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह अपने दोस्त चिरायु पंचाल के साथ स्कूटी से चिरायु के घर पर चल रहे निर्माण कार्य स्थल से वापस घर जा रहा था। शाम करीब 7 से 7:30 बजे नीलकंठ मोड़ के पास पीछे से मोटरसाइकिल पर सवार दो युवकों ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए गाली-गलौच शुरू कर दी। विरोध करने पर आरोपियों ने महुए के पेड़ के पास स्कूटी के आगे बाइक लगाकर रास्ता रोक लिया और मारपीट शुरू कर दी।
इसी दौरान आरोपी गोपाल पाटीदार ने चाकू से चिरायु पंचाल के सीने पर दोनों तरफ लगातार वार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। बीच-बचाव करने पर नकुल सेवक के हाथ की उंगलियों में भी चोट आई। शोर सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे, तब तक आरोपी फरार हो गए। घायल चिरायु पंचाल को परिजन व स्थानीय लोगों की मदद से अस्पताल पहुंचाया गया।
मामले में सरोदा थाने में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। जिला पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश सांखला और वृत्ताधिकारी रूप सिंह के सुपरविजन में थानाधिकारी भुवनेश चौहान के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया।
तकनीकी साक्ष्यों, मुखबिर तंत्र और फॉरेंसिक टीम की मदद से पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी गोपाल पुत्र देशराज पाटीदार और संजय पुत्र शिवराम पाटीदार निवासी करियाणा थाना सरोदा को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। मामले में अग्रिम अनुसंधान जारी है।
    user_Santosh vyas
    Santosh vyas
    Newspaper advertising department Dungarpur•
    1 hr ago
  • #15 दिनो पार्किग धरना प्रदर्शन होस्पिटल डूंगरपुर राजस्थान
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    #15 दिनो पार्किग धरना प्रदर्शन होस्पिटल डूंगरपुर राजस्थान
    user_Pappu Roat
    Pappu Roat
    Voice of people Dungarpur•
    13 hrs ago
  • ☘️☘️सभी किसानो को इस खाद की महंगाई को देखते हुए आने वाले 2026 में डबल इंजन सरकार को मुंहतोड़ जवाब देना है 🌿🌿 जय जवान 🌿 जय किसान ☘️☘️👏👏👏
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    ☘️☘️सभी किसानो को इस खाद की महंगाई को देखते हुए आने वाले   2026  में  डबल इंजन सरकार को  मुंहतोड़ जवाब देना है 🌿🌿 जय  जवान 🌿 जय  किसान ☘️☘️👏👏👏
    user_Rajendra Tabiyar
    Rajendra Tabiyar
    Cinema Banswara•
    8 hrs ago
  • छोटी सादड़ी आज हम एक ऐसे शमशान घाट की तस्वीर दिखाते हैं जहां पर कुछ देर रुकने प्रवेश सुकून महसूस करता है तहसील के कारुडा ग्राम जहां का श्मशान घाट पर मृत्यु लोक का आखरी पड़ाव यही रहता है लेकिन जो लेकर आते हैं कुछ वर्ष पूर्व यहां पर ने के लिए आते थे उन्हें काफी परेशानियां होती थी जंगल थी झाड़ियां थी कांटे थे लेकिन ग्राम वासियों के सहयोग से आज इलाके का सबसे शानदार श्मशान घाट बना हुआ है अंतिम संस्कार में यहां बैठकर भी काफी सुकून महसूस करते हैं
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    छोटी सादड़ी आज हम एक ऐसे शमशान घाट की तस्वीर दिखाते हैं जहां पर कुछ देर रुकने प्रवेश सुकून महसूस करता है तहसील के कारुडा ग्राम जहां का श्मशान घाट पर मृत्यु लोक का  आखरी पड़ाव यही रहता है लेकिन जो लेकर आते हैं  कुछ वर्ष पूर्व यहां पर ने के लिए आते थे उन्हें काफी परेशानियां होती थी जंगल थी झाड़ियां थी कांटे थे लेकिन ग्राम वासियों के सहयोग से आज इलाके का सबसे शानदार श्मशान घाट बना हुआ है अंतिम संस्कार में यहां बैठकर भी काफी सुकून महसूस करते हैं
    user_Reporter
    Reporter
    Journalist Pratapgarh•
    9 hrs ago
  • #Jaipur : अरावली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बीजेपी पर हमला कहा -BJP झूठ फैलाना बंद करे, 2010 में सुप्रीम कोर्ट जिस '100 मीटर' फार्मूले को खारिज किया, उसे 2024 में भाजपा सरकार ने रिपोर्ट देकर सही क्यों ठहराया? भाजपा सरकार प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ कर अरावली को माफियाओं को सौंपना चाहती है, कांग्रेस ने अवैध खनन माफिया पर हमेशा कड़ी कार्रवाई की, गहलोत ने कहा अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है।
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    #Jaipur : अरावली को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बीजेपी पर हमला
कहा -BJP झूठ फैलाना बंद करे, 2010 में सुप्रीम कोर्ट जिस '100 मीटर' फार्मूले को खारिज किया, उसे 2024 में भाजपा सरकार ने रिपोर्ट देकर सही क्यों ठहराया? भाजपा सरकार प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ कर अरावली को माफियाओं को सौंपना चाहती है, कांग्रेस ने अवैध खनन माफिया पर हमेशा कड़ी कार्रवाई की, गहलोत ने कहा अरावली केवल पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है।
    user_SIROHI TODAY NEWS
    SIROHI TODAY NEWS
    Journalist Sirohi•
    5 hrs ago
  • Post by JAGDISH KUMAR
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    Post by JAGDISH KUMAR
    user_JAGDISH KUMAR
    JAGDISH KUMAR
    Tour operator Sirohi•
    7 hrs ago
  • नीमच पुलिस का अवैध मादक पदार्थ गांजे की खेती पर कड़ा प्रहार जिले की तीन थानों की पुलिस ने कुकड़ेश्वर थाना क्षेत्र अंतर्गत गेहूं और रायड़े की फसल की आड़ में अवैध मादक पदार्थ गांजे की खेती पर पुलिस का शिकंजा। करीब 10 हजार गांजे के हरे गीले पौधे 03 क्विंटल 12 किलो, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 10 लाख रूपयें। थाना कुकड़ेश्वर पुलिस द्वारा मादक पदार्थ की अवैध खेती के विरुद्ध दूसरी बड़ी कार्रवाई....
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    नीमच पुलिस का अवैध मादक पदार्थ गांजे की खेती पर कड़ा प्रहार 
जिले की तीन थानों की पुलिस ने कुकड़ेश्वर थाना क्षेत्र अंतर्गत गेहूं और रायड़े की फसल की आड़ में अवैध मादक पदार्थ गांजे की खेती पर पुलिस का शिकंजा।
करीब 10 हजार गांजे के हरे गीले पौधे 03 क्विंटल 12 किलो, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 10 लाख रूपयें।
थाना कुकड़ेश्वर पुलिस द्वारा मादक पदार्थ की अवैध खेती के विरुद्ध दूसरी बड़ी कार्रवाई....
    user_Rahul Mehar Patrkar
    Rahul Mehar Patrkar
    Journalist Mandsaur•
    2 hrs ago
  • संवाददाता - संतोष व्यास डूंगरपुर। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा (बीपीएमएम) प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में अरावली बचाओ आंदोलन को लेकर बीपीएमएम कार्यकर्ता मंगलवार को जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट पर एकत्रित हुए तथा अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर 2025 को पारित अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा, जिससे पर्वतमाला की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। ज्ञापन में चेताया गया कि यह तकनीकी हेरफेर अवैध खनन, वनों के विनाश और भू माफिया को खुली छूट देने के समान है। अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, जल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जैव-विविधता और वन्यजीवों का प्रमुख आवास भी है। आदिवासी क्षेत्रों में यह जल, जंगल और जमीन का जीवनाधार रही है और स्थानीय समुदाय सदियों से इसकी रक्षा करता आया है। अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से जलस्त्रोत सूखने, पर्यावरणीय असंतुलन और किसानों एवं पशुपालकों पर प्रतिकूल प्रभाव बढ़ेगा। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से आग्रह किया गया कि ऊँचाई आधारित तकनीकी दृष्टिकोण के बजाय भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक मानदंड अपनाए जाएँ। इसके साथ ही समस्त अरावली क्षेत्र को संरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्र मानते हुए खनन गतिविधियों पर रोक और कठोर निगरानी सुनिश्चित की जाए। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि जनहित, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करना पड़ेगा। ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अरावली पर्वतमाला को बचाना राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दायित्व है, क्योंकि यह केवल भूगोल नहीं बल्कि जीवन, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
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    संवाददाता - संतोष व्यास
डूंगरपुर। भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा (बीपीएमएम) प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में अरावली बचाओ आंदोलन को लेकर बीपीएमएम कार्यकर्ता मंगलवार को जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट पर एकत्रित हुए तथा अरावली बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए धरना देते हुए जमकर नारेबाजी की। वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है। 
ज्ञापन में बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 20 नवंबर 2025 को पारित अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा पर पुनर्विचार की मांग की गई है। इस परिभाषा के अनुसार केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना जाएगा, जिससे पर्वतमाला की लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी।
ज्ञापन में चेताया गया कि यह तकनीकी हेरफेर अवैध खनन, वनों के विनाश और भू माफिया को खुली छूट देने के समान है। अरावली पर्वतमाला भूजल रिचार्ज, जल संरक्षण और मरुस्थलीकरण रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह जैव-विविधता और वन्यजीवों का प्रमुख आवास भी है। आदिवासी क्षेत्रों में यह जल, जंगल और जमीन का जीवनाधार रही है और स्थानीय समुदाय सदियों से इसकी रक्षा करता आया है।
अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से जलस्त्रोत सूखने, पर्यावरणीय असंतुलन और किसानों एवं पशुपालकों पर प्रतिकूल प्रभाव बढ़ेगा। ज्ञापन में केन्द्र सरकार से आग्रह किया गया कि ऊँचाई आधारित तकनीकी दृष्टिकोण के बजाय भूवैज्ञानिक, पारिस्थितिक और ऐतिहासिक मानदंड अपनाए जाएँ। इसके साथ ही समस्त अरावली क्षेत्र को संरक्षित पारिस्थितिकी क्षेत्र मानते हुए खनन गतिविधियों पर रोक और कठोर निगरानी सुनिश्चित की जाए।
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट किया कि यह केवल पर्यावरण का मामला नहीं, बल्कि जनहित, आजीविका और भविष्य की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आवश्यक कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करना पड़ेगा।
ज्ञापन में जोर देकर कहा गया कि अरावली पर्वतमाला को बचाना राष्ट्रीय और सांस्कृतिक दायित्व है, क्योंकि यह केवल भूगोल नहीं बल्कि जीवन, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
    user_Santosh vyas
    Santosh vyas
    Newspaper advertising department Dungarpur•
    2 hrs ago
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