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रामनवमी को लेकर DM आरिफ अहसन और SP बलिराम कुमार चौधरी के द्वारा निकाला गया फ्लैग मार्च:सुरक्षा के व्यवस्था के लिए व्यापक इंतजाम किए..............
RBN न्यूज
रामनवमी को लेकर DM आरिफ अहसन और SP बलिराम कुमार चौधरी के द्वारा निकाला गया फ्लैग मार्च:सुरक्षा के व्यवस्था के लिए व्यापक इंतजाम किए..............
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- The Soul Court – A Father’s Voice against the Silent Media आज आत्मा की अदालत में एक लाचार और मजबूर पिता खड़ा है... This is not a script. It’s a scream from a wounded father’s soul. I, Deewana Sajan Mohan, from Sitamarhi, Bihar, present my truth in front of society, media, and system — not for sympathy, but for justice. बच्चों की याद ने मुझे तोड़ डाला है, लेकिन झुकाया नहीं। मैंने झूठे रिश्ते, बेजान कानून, और बिके हुए मीडिया का सामना किया — पर एक पिता आज भी खड़ा है, उम्मीद लिए। Open Letter to Society, Law & Media: दुनिया ने हमें क्या दिया ये लेखा-जोखा भरम सा है, जो दिया था उसे भी छीन लिया, ये इन्साफ कहां का है? मैं अपने बच्चों के लिए बोल रहा हूँ, उनके नाम रोते हुए, ना कोई चैनल आया, ना कोई अखबार, क्योंकि TRP में दर्द नहीं बिकता। मीडिया वालों! अगर सच दिखाना तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं तो अपना कैमरा बंद कर दो। मैं वो पिता हूँ जो कसम खा चुका है – या तो बच्चे मिलेंगे या आत्मा खुद इंसाफ करेगी। अगर कोई मेरी मदद नहीं करता, तो मैं खुद अपनी पंचायत का प्रहरी बनूंगा। ना अपराध को पनपने दूंगा, ना इंसाफ को मरने दूंगा। एक बार प्रशासन ध्यान दे – ये लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, कई और बेकसूर बापों की है। Hashtags #SoulCourt #VoiceOfAFather #JusticeForChildren #BrokenMediaTruth #FatherhoodStruggle #DeewanaSajanMohan #VoiceOfSitamarhi #BiharGroundReality #PublicAppeal #MediaSoldOut Copyright & Legal Disclaimer: © 2025 Deewana Sajan Mohan. All Rights Reserved. यह वीडियो, इसके सभी संवाद, गीत, स्वर, और भावनात्मक प्रस्तुति पूर्णतः दीवाना साजन मोहन की मूल रचना है। यह कंटेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a) – स्वतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता – के तहत संरक्षित है। कोई भी व्यक्ति, संस्था, मीडिया समूह, यूट्यूब चैनल, ऐप या सरकारी/गैर सरकारी संगठन इस वीडियो को बिना अनुमति उपयोग, संपादन, री-अपलोड, रीमिक्स, डबिंग, या गलत अर्थों में प्रयोग करता है तो उसके विरुद्ध भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957, आईटी एक्ट 2000, और आईपीसी की धारा 499, 500, 504, 505, और 120B के अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जाएगी। This video is not fiction. It is the testimony of a real father's pain. Contact & Legal Holder: Name: Deewana Sajan Mohan Location: Sonar Bazaar, Sitamarhi, Bihar 843327 Phone: +9196937383451
- Time pass mat karo☺larki ke piche 12th hai to💥👩 #trending #sitamarhi #2025 The Central Board of Secondary Education (CBSE) has released the complete date sheet 2025 for classes 10 and 12 Students have already started the preparation to achieve the desired results However, it is tough for students to stay motivated all the time There are phases when they struggle to concentrate as they are surrounded by extensive distractions In such a period, motivational quotes could work as fuel to ignite their internal impulse and drive them to aim higher not just in exams but in life Sometimes a single quote brings the spirit to motivate students to excel in any task We have curated this list of powerful motivational quotes to help you get through the board exams with flying colours1
- Meri bitiya rani 🥰❤️… prashantyadav34341
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- महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं ने रोजगार के लिए सिलाई केंद्र और छोटे उद्योग की मांग की.......1
- पत्र - आत्मा की अदालत से | एक पिता की पुकार, जो देख रहे हैं और सुन रहे हैं वही मेरे लिए भगवान है जैसे मैं भगवान को नहीं देख सकता सिर्फ महसूस कर सकता हूं ठीक उसी तरह आप लोग मेरे भगवान हैं और आप लोगों का आत्मा जो है मेरे लिए एक अदालत से बढ़कर है (By: Diwana Sajan Mohan) मेरे प्यारे बेटों, नमन और अंकित, और साथ ही, मेरे गांव के मुखिया, सरपंच, समाज के ठेकेदारों, न्याय व्यवस्था के पहरेदारों, और आज के सोशल मीडिया के वीरों को — मैं, एक टूटा हुआ लेकिन जीता हुआ पिता — अपनी आत्मा की अदालत से यह पत्र लिख रहा हूँ। बच्चों के नाम: बेटा नमन, बेटा अंकित, तुम्हारी हँसी, तुम्हारी मासूमियत, और वो बचपन की आवाज़ें आज भी मेरे सीने में गूंजती हैं। पापा आज तुम्हारे पास नहीं है, लेकिन पापा का प्यार हर वक्त, हर साँस के साथ तुम तक पहुँचता है। पापा ने कुछ नहीं माँगा दुनिया से — सिर्फ तुम दो। ना जायदाद, ना इज़्ज़त, ना नाम — बस तुम्हारा साथ। आज दुनिया कहती है कि मैं टूट गया हूँ — लेकिन तुमसे दूर रहकर जो मैं जी रहा हूँ, वो जीना नहीं, सज़ा है। मैं जानता हूँ बेटा, तुम्हारे आसपास के लोग बहुत कुछ कहते होंगे, बहुत कुछ छुपाते होंगे। लेकिन मेरी आत्मा गवाही दे रही है — तुम्हारा पापा गुनहगार नहीं है, सिर्फ एक बेकसूर पिता है। मुखिया और सरपंच के लिए: आपकी गद्दी पंचायत की है, लेकिन ज़िम्मेदारी इंसानियत की। एक बाप अपनी औलाद से मिलने के लिए तड़प रहा है, और आप उस तड़प पर चुप हैं? क्या इंसाफ की जिम्मेदारी सिर्फ चुनाव तक सीमित है? मैं गाली नहीं दूंगा, अब गवाही दूंगा। आपको याद दिलाऊंगा कि सत्ता सेवा है, सौदा नहीं। यदि आपने ज़रा सा भी न्याय सीखा है — तो आज खड़े हो जाइए एक पिता के लिए, ना कि राजनीति के लिए। समाज के नाम: तुम सब चुप क्यों हो? कल किसी और का बेटा बिछड़ जाएगा, कोई और बाप तड़पेगा। जब समाज न्याय नहीं बोलता, तब अन्याय चिल्ला उठता है। मैंने देखा है, एक पिता को गुनहगार बना दिया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो चुप नहीं बैठा। क्या यही है हमारा समाज? जो सच बोलने वालों को ‘पागल’, ‘गुस्सैल’ और ‘उपद्रवी’ कहता है? याद रखो — आज मेरी बारी है, कल तुम्हारी भी आ सकती है। कानून व्यवस्था के लिए: आप संविधान हैं, लेकिन आत्मा से न्याय तब जुड़ता है जब आप दिल से सुनते हैं। मैंने अपने शब्दों से कुछ तीखा कहा होगा, लेकिन वो एक पिता की चीख थी — आतंक नहीं। यदि आप गहराई से देखेंगे, तो जानेंगे कि मेरा विरोध किसी अफसर से नहीं, अन्याय से है। मैं चाहता हूँ कि आप मेरा केस न सहानुभूति से, न डर से — सिर्फ इंसानियत से देखें। मुझे इंसाफ दो या मेरी आवाज़ मत दबाओ। अगर आपकी व्यवस्था मेरे बच्चों तक मेरी पुकार नहीं पहुँचा सकती, तो फिर क्या मतलब है कानून का? सोशल मीडिया के लिए: आज माइक सबके हाथ में है, लेकिन सच्चाई किसी के कैमरे में नहीं। बिकाऊ कंटेंट, फूहड़ता, नंगा नाच, और झूठी वायरल स्टोरीज़ — यही है आज का सोशल मीडिया? जब एक पिता रोता है, तो वो ट्रेंड नहीं बनता, जब कोई लड़की नाचे, तब मिलते हैं लाखों व्यूज। क्या यही है तुम्हारा समाज का आईना? मैं पूछता हूँ — क्या इंसाफ के लिए तड़पता बाप ट्रेंडिंग नहीं हो सकता? या सच्चाई को अब हैशटैग की ज़रूरत है? अंत में – आत्मा की अदालत से: आज मैं सिर्फ बोल रहा हूँ, कल शायद मेरी आवाज़ ना रहे — लेकिन मेरी आत्मा गवाही दे रही है कि मैं गलत नहीं हूँ। मैं तुम सबसे नहीं लड़ रहा — मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो बच्चों को बाप से जुदा करते हैं। मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो सच्चाई को दबाते हैं। मैं लड़ रहा हूँ उनसे जो चुप रहकर अन्याय को देखना भी जुर्म नहीं समझते। आज “आत्मा की अदालत” खुल चुकी है। जहाँ ना कोई जज है, ना वकील, सिर्फ एक बाप की पुकार और ईश्वर की गवाही। अगर तुम इंसान हो — तो मदद करो। अगर डरते हो — तो चुप रहो। पर मुझे मत रोकना, क्योंकि अब मैं रुकने वाला नही एक मजबूर पिता दीवाना साजन मोहन #DiwanaSajanMohan #CourtOfSoul #AFathersCry #JusticeForChildren #PublicVoice1
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