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#INDvsBAN 🏏 टेस्ट क्रिकेट मैच - ग्रीन पार्क, कानपुर में पुलिस सुरक्षा का मजबूत कवच! पुलिस आयुक्त महोदय के नेतृत्व में ग्रीन पार्क स्टेडियम में आयोजित भारत-बांग्लादेश टेस्ट मैच के दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा प्रबंधों की मिसाल कायम की। पुलिस अधिकारियों ने स्टेडियम और आसपास के क्षेत्रों में समुचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे मैच के दौरान दर्शकों और खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही। इस समर्पित प्रयास और पुलिस प्रशासन की सुदृढ़ रणनीति ने दर्शकों को एक सुरक्षित और शानदार मैच अनुभव प्रदान किया।
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#INDvsBAN 🏏 टेस्ट क्रिकेट मैच - ग्रीन पार्क, कानपुर में पुलिस सुरक्षा का मजबूत कवच! पुलिस आयुक्त महोदय के नेतृत्व में ग्रीन पार्क स्टेडियम में आयोजित भारत-बांग्लादेश टेस्ट मैच के दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा प्रबंधों की मिसाल कायम की। पुलिस अधिकारियों ने स्टेडियम और आसपास के क्षेत्रों में समुचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे मैच के दौरान दर्शकों और खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही। इस समर्पित प्रयास और पुलिस प्रशासन की सुदृढ़ रणनीति ने दर्शकों को एक सुरक्षित और शानदार मैच अनुभव प्रदान किया।
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- #INDvsBAN 🏏 टेस्ट क्रिकेट मैच - ग्रीन पार्क, कानपुर में पुलिस सुरक्षा का मजबूत कवच! पुलिस आयुक्त महोदय के नेतृत्व में ग्रीन पार्क स्टेडियम में आयोजित भारत-बांग्लादेश टेस्ट मैच के दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा प्रबंधों की मिसाल कायम की। पुलिस अधिकारियों ने स्टेडियम और आसपास के क्षेत्रों में समुचित सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे मैच के दौरान दर्शकों और खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही। इस समर्पित प्रयास और पुलिस प्रशासन की सुदृढ़ रणनीति ने दर्शकों को एक सुरक्षित और शानदार मैच अनुभव प्रदान किया।1
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- पुलिसिंग की पोल खुलने से दिन भर मचा रहा हड़कंप शाहाबाद (हरदोई) 4 अक्टूबर। गली की सड़क से घर में घसीटकर तीसरी बार पीटे गए युवक का मामला तूल पकड़ते ही पुलिसिंग की ऐसी पोल खुली कि शुक्रवार को दिन भर पुलिस महकमे में हड़कम्प मचा रहा। बताते चलें कि शाहाबाद कोतवाली की सरदार गंज पुलिस चौकी के पीछे वाले मोहल्ला महुआ टोला में रहने बाले युवक मोहित की तीसरी बार बंधक बनाकर बेरहमी से की गई पिटाई के बाद जब मामला प्रेस और मीडिया में तूल पकड़ा तो पुलिसिंग की पोल खुलकर आला अधिकारियों तक के संज्ञान में आकर रह गई। पीड़ित मोहित को उसके मोहल्ले के दबंगों ने पहली बार जब उसे लात घुसों डंडों से सरेआम पीटा तो उसने पहली तहरीर स्थानीय कोतवाली में 25 सितंबर को दी किन्तु उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई तो उसने 26 सितंबर को आईजीआरएस पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत की। फिर भी पुलिस ने पीड़ित मोहित की रिपोर्ट लिखने की बजाय 27 सितंबर को एक प्रशिक्षु उप निरीक्षक रोहित कुमार को जाँच हेतु भेजा गया जो कि बकौल उसके कि वह वाला वाला मोहल्ला महुआटोला चुंगी पहुँचा तो उसके द्वारा जनसुनवाई पोर्टल पर लगाई गई मनगढंत आख्या के अनुसार उसे वहाँ पर प्रथम पक्ष के मोहित पुत्र अजय उर्फ मुनक्कू उम 30 बर्ष एवं उसका भाई सागर पुत्र अजय उम्र 28 बर्ष व द्वितीय पक्ष का राजीव पुत्र पालू उम्र 30 बर्ष एवं शिवम पुत्र पालू उम्र 19 बर्ष एवं पवन पुत्र सुनील उम 26 वर्ष एवं गुड्डी उम्र 50 बर्ष सर्व निवासी मोहल्ला महुआटोला चुंगी थाना शाहाबाद जनपद हरदोई मिले। जाँच में उपनिरीक्षक उपरोक्त की आख्या के अनुसार दोनो पक्षो के मध्य शराब पीकर नशे की हालत मे दोनों पक्षो मे कहासुनी को लेकर विवाद की बात सामने आई और उपनिरीक्षक को ऐसा आभाष हुआ कि दोनों पक्ष आपस में कभी लड़ झगड़ कर शाति व्यवस्था भंग कर सकते हैं अतः उपरोक्त दोनो पक्षो का चालान अन्तर्गत धारा 126/135 बीएनएस में चालान किया गया और माननीय न्यायालय से पाबंद करने का अनुरोध किया गया। यही कारण रहा कि दबंगों ने पुनः पीड़ित मोहित को दूसरी बार जमकर पीटा। जिसकी तहरीर उसके द्वारा पुनः दूसरी बार कोतवाली में 28 अक्टूबर को दी गई लेकिन पुलिस तो 126/135 बीएनएस की कार्यवाही कर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर चुकी थी। इसीलिए पीड़ित की दूसरी तहरीर पर भी विधिक कार्यवाही नहीं की गई। यद्वपि प्रशिक्षु उप निरीक्षक रोहित कुमार द्वारा 28 अक्टूबर को ही उपरोक्त जनसुनवाई में ही जो आख्या प्रेषित की गई, वह इस प्रकार मालुम हुई कि जाँच सारांश शिकायती पत्र में जिन आरोपों का उल्लेख किया गया हैं, उन पर विन्दुवार आख्या के अनुसार लिखा गया कि श्रीमान जी आवेदक श्री मोहित पुत्र अजय निवासी मोहल्ला महुआटोला कस्बा व थाना शाहाबाद जनपद हरदोई द्रारा दिये गये प्रार्थना पत्र की जांच प्रशिक्षु उ०निरी0 मय हमराह का० श्याम सुन्दर द्रारा की गयी तो वाक्यात इस प्रकार पाए गए कि आवेदक श्री मोहित पुत्र अजय निवासी मो० महुआ टोला कस्बा व थाना शाहाबाद जनपद हरदोई का निवासी है। आवेदक मोहित एवं विपक्षीगण राजीव पुत्र पालू निवासी मो० महुआ टोला कस्बा व थाना शाहाबाद जनपद हरदोई आदि के मध्य आपसी कहासुनी हो गयी थी। उक्त प्रकरण के सम्बन्ध में दोनो पक्षो को समझाया बुझाया। शांति व्यवस्था के दृष्टिगत दिनांक 27.09.24 को अंतर्गत घारा 126/135 बीएनएसएस की निरोघात्मक कर्यवाही की जा चुकी है। श्रीमान जी रिपोर्ट सादर सेवा में प्रेषित है। परिणामस्वरूप एक बार फिर मनबढ़ दबंगों ने 1 अक्टूबर को घात लगाकर मोहित को उसके घर के सामने बाली गली की सड़क पर शाम करीब 7 बजे पकड़ लिया और मारते - पीटते घसीटते हुए उसे एक घर के अंदर खींच ले गए और फिर वहाँ पर उसे बंधक बनाकर बड़ी बेरहमी से पीट - पीटकर अधमरा कर दिया। गली में शोर शराबा चीख पुकार सुनकर बहुत से लोग बचाने दौड़े, लेकिन दबंगों से दहशतजदा होकर स्तब्ध रह गए। हालांकि कुछ महिलाओं ने डरते - डरते जैसे तैसे उल्टे सीधे मामले के फोटो वीडियो बना लिए, जो कि फिलहाल पुष्ट साक्ष्य के रूप में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। जिनके आधार पर खबरें भी प्रकाशित हुईं हैं। प्रथमदृश्यट्या झूठी है प्रशिक्षु दरोगा की जाँच आख्या शाहाबाद(हरदोई) 5 अक्टूबर। प्रशिक्षु दरोगा की जाँच आख्या प्रथमदृश्यट्या फर्जी सिद्ध करने के लिए भी ज्यादा मगज़मारी नहीं करनी है, बल्कि केवल इतनी सी बात समझनी है कि जो प्रशिक्षु उप निरीक्षक रोहित कुमार पीड़ित मोहित की शिकायत की जाँच हेतु वाला वाला मोहल्ला महुआटोला चुंगी पहुँचा। जहाँ पर उसे प्रथम पक्ष के मोहित पुत्र अजय उर्फ मुनक्कू उम 30 बर्ष एवं उसका भाई सागर पुत्र अजय उम्र 28 बर्ष व द्वितीय पक्ष का राजीव पुत्र पालू उम्र 30 बर्ष एवं शिवम पुत्र पालू उम्र 19 बर्ष एवं पवन पुत्र सुनील उम 26 वर्ष एवं गुड्डी उम्र 50 बर्ष सर्व निवासी मोहल्ला महुआटोला चुंगी थाना शाहाबाद जनपद हरदोई मिले। जो कि बिना बुलाए वहाँ पर मिल ही नहीं सकते क्योंकि वहाँ पर उनका कोई घर मकान ठिकाना है ही नहीं, बल्कि महुआटोला चुंगी से दोनों पक्षो का मकान कमसेकम 2 फर्लांग से अधिक दूरी पर स्तिथ है। महुटोला चुंगी से किसी पक्ष का मकान या विवादित स्थल देख पाना भी असम्भव है। अंततः इसमें संदेह नहीं कि प्रशिक्षु उपनिरीक्षक रोहित सिंह घटनास्थल या विवादित पक्षो के मकान या उसके आसपास स्थान तक गया ही नहीं। बल्कि उसने कहीं अन्यत्र स्थान पर सरदारगंज पुलिस चौकी के किसी दलाल से कहीं मिल बैठकर वहीं से वाला वाला जाना और जाँच करना लिखकर अंततः मनगढंत आख्या लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। कुल मिलाकर प्रशिक्षु उपनिरीक्षक की अभी से इस तरह की कार्यशैली काफी विचारणीय है और उससे अधिक विचारणीय यह कि उसकी इस प्रकार की पक्षपाती कार्यप्रणाली के कारण एक युवक उपरोक्त की सड़क से घसीटकर उसे घर के अंदर बंधक बनाकर इतनी बेरहमी से पिटाई की गई कि वह मरते मरते मात्र इसलिए जीवित बच गया क्योंकि उस पर वही कहावत चरितार्थ हो गई कि जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय।। फिलहाल जिस प्रशिक्षु उप निरीक्षक की ट्रेनिंग इतनी निंदनीय हो सकती है, उसकी भविष्य में कार्यप्रणाली कितनी अमानवीय होगी। इसका कयास आसानी से लगाया जा सकता है। तीसरी बार पिटाई के बाद बमुश्किल लिखी गई रिपोर्ट शाहाबाद (हरदोई) 5 अक्टूबर। गली की सड़क से घसीट -घसीट कर घर के अंदर खींचकर बंधक बनाकर बेरहमी से पीटे जाने के बाद भी पीड़ित मोहित की रिपोर्ट लिखने में न केवल पुलिस ने काफी हीलाहवाली की बल्कि उल्टा उसे ही आरोपित करते हुए उसके समेत उसके पिता आदि को धमकाया और उसके बाद धमकी पर धमकी देते हुए उसे सीएचसी शाहाबाद प्राथमिक उपचार के लिए भेजा। जहाँ से उसे गंभीर हालत में हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। फिर भी उसकी तहरीर पर रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। अपितु उसकी रिपोर्ट कप्तान के हस्तक्षेप के बाद आधी रात से मात्र 2 मिनट पहले लिख दी गई। कप्तान हस्तक्षेप न करते तो नहीं लिखी जाती रिपोर्ट शाहाबाद(हरदोई) 5 अक्टूबर। निसंदेह कप्तान हस्तक्षेप न करते तो पीड़ित मोहित की रिपोर्ट तीसरी बार पिटने के बाबजूद नहीं लिखी जाती। इधर पीड़ित पक्ष से मालुम हुआ है कि वह 2 अक्टूबर को अपने परिजनों के साथ जाकर जनपद के ईमानदार कप्तान नीरज कुमार जादौन से मिला था और उन्हें पूरी बात बताई थी। हालांकि पीड़ित पक्ष ने कप्तान से मिलने के बाद स्थानीय पत्रकारों के सामने कार्यवाही की उम्मीद भी जताई। नतीजतन कोतवाली पुलिस ने पीड़ित की तीसरी तहरीर जो कि पहले से पुलिस ने अपने स्तर से लिखाकर रखी थी उसके आधार पर समुचित धाराओं की बजाय मामूली धाराओं में 2 अक्टूबर को ही जानकारी के अनुसार घटना के लगभग 28 घंटे बाद समय करीब 11: 58 बजे रात में मुकदमा दर्ज कर एक बार फिर अपने कर्तव्यों की इति श्री समझ ली अर्थात अभियुक्तों की गिरफ्तारी का भी प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं कप्तान के हस्तक्षेप के बाद न केवल कोतवाली पुलिस ने रिपोर्ट लिखने में जल्दबाजी की बल्कि बड़ी होशियारी भी दिखाई अन्यथा यही रिपोर्ट 2 अक्टूबर की बजाय मात्र 2 मिनट बाद ही 3 अक्टूबर में चली जाती क्योकि केवल 2 मिनट में ही ठीक 12 बजे तारीख बदल जाती। हालांकि यह भी कम विचारणीय नहीं है। कि तीसरी बार मारपीट में गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी पीड़ित की रिपोर्ट 28 घंटे बाद लिखने की शुरुआत क्यों की गई। ऐसी क्या मज़बूरी थी और इस बीच ऐसा कौन सा कार्य सरकार से सम्बन्धित अति आवश्यक कार्य थे कि रिपोर्ट दर्ज करने में पुलिस ने इतनी देर कर दी। कुल मिलाकर इस मामले एवं अन्य कई मामलों से एक बात साफ हो गई कि कोतवाली पुलिस केवल पीड़ितों को डरा-धमकाकर क्राइम कंट्रोल करने का प्रयास कर रही है जिसकी पीड़ित ने कप्तान के सामने कोतवाली पुलिस की पोल खोलते हुए पुलिस पर तमाम आरोप लगाकर कार्यवाई की गुहार लगाई। तभी उसे कुछ राहत मिल पाई। यद्वपि इस एक और मामले के बाद इधर इतना तो साबित हो ही गया कि पीड़ित पक्ष को, पुलिस से दबंगों की शिकायत करना बहुत भारी पड़ा है और पुलिस से पहली शिकायत के बाद भी दबंगों ने उसे पुनः दो बार पीटा है। जिसमें तीसरी बार गली से घसीटकर घर के अंदर बेरहमी से उसे बहुत पीटा गया है। जो गंभीर बिषय है और इससे भी गंभीर दुस्साहसपूर्ण बात यह कि इधर आरोपी पक्ष की पक्षधर बनी पुलिस ने दबंगों से भी एक तहरीर ले ली और उसी फर्जी तहरीर के बलबुते पुलिस फिर पीड़ितों को धमकी देती रही। इस मामले के तमाम फोटो, वीडियो तेजी से वायरल होने का सिलसिला जारी है। शाहाबाद कोतवाली के मोहल्ला महुआटोला का यह पूरा मामला मालुम हो रहा है। मामले में दबंगों द्वारा गली की सड़क से घसीटकर घर के अंदर बंधक बनाकर तीसरी बार बेरहमी से पीटे गए मोहित उपरोक्त की माँ शांती समेत उसके पिता अजय के पुलिस पर लगाए गए तमाम आरोपों समेत पीड़ित द्वारा दिए गए सभी प्रार्थनापत्र एवं पत्रकारों द्वारा बनाए गए तमाम वीडियो एवं बाइट वायरल नजर आ रहे हैं। हालांकि शुक्रवार को इस मामले को लेकर जहाँ तमाम खबरें चली वहीं पुलिस में काफी हड़कंप मालुम हुआ है। अब देखना यह है कि तमाम मामलों में शाहाबाद कोतवाली पुलिस की बहुचर्चित कार्यप्रणाली के बाद भी कोई प्रभावी कार्यवाही हो पाती है या अन्य मामलों की तरह यह मामला भी टांय टांय फिस्स होकर रह जाता है। इस सबंध में जहाँ हरदोई पुलिस की ओर से मालुम हुआ है कि संदर्भित प्रकरण के संबंध में क्षेत्राधिकारी शाहाबाद को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है वहीं हरदोई पुलिस की ओर से यह भी मालुम हुआ कि प्रकरण के संबंध में वादी मोहित पुत्र अजय निवासी महुआ टोला थाना शाहाबाद जनपद हरदोई ने थाने पर तहरीर दी कि शिवम राजीव अमित पुत्रगण पालू व पवन पुत्र सुनील सर्व निवासीगण मोहल्ला महुआ टोला कस्बा का थाना शाहाबाद जनपद हरदोई व 03 व्यक्ति नाम पता अज्ञात द्वारा वादी के साथ गाली गलौज मारपीट व जान से मारने की धमकी दी गई थी। वादी की तहरीर के आधार पर थाना शाहाबाद पर मु0अ0संख्या 506/24 धारा 115(2) 352/351(3) 127(2) बीएनएस बनाम उपरोक्त पंजीकृत किया गया है। अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु पुलिस द्वारा सार्थक प्रयास किया जा रहे हैं। आवश्यक वैधानिक कार्यवाही प्रचलित है। हरदोई पुलिस द्वारा एक्स पर दी गई सूचना की क्षेत्राधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा है कि जल्द अभियुक्तों की गिरफ्तारी करते हुए पूरे मामले की जाँच की जा रही है। पीड़ित पक्ष ने कोतवाल पर भी लगाए हैरतअंगेज आरोप शाहाबाद(हरदोई) 5 अक्टूबर। महुआटोला मोहल्ले की एक गली से दबंगों द्वारा घसीट - घसीट कर, घर के अंदर बंधक बनाकर तीसरी बार बेरहमी से पीटे गए पीड़ित मोहित समेत उसके माता-पिता द्वारा प्रभारी निरीक्षक शाहाबाद निर्भय कुमार सिंह पर भी काफी गंभीर आरोप लगाए गए। जिनमें पीड़ित के पिता अजय को भी फर्जी मुकदमा लिखकर जेल भेज देने की धमकी और उसकी माता को धमकी देते हुए अत्यंत अश्लील शब्दों का प्रयोग न केवल काफी काबिलेगौर है बल्कि सीधे जनपद के सर्वविदित ईमानदार कप्तान के लिए जाँच एवं कार्यवाही का बिषय इसलिए और भी है क्योंकि आजकल इधर शाहाबाद क्षेत्र में भी यही चर्चा आम है कि लगभग 30 साल बाद जनपद की कुर्सी पर सर्वाधिक कर्मठ एवं ईमानदार कप्तान बैठा है। जहाँ न्याय सर्वोपरि है। फिलहाल अब उनके रहते निर्दोष गरीबों निरीहों असहायों को न्यायायय जाने की जरुरत नहीं है। फिर भी यह पुलिस अपनी आदतों से बाज नहीं आ रही है आखिर यह भी गंभीर चिन्ता का बिषय अवश्य है। इस सम्बन्ध में प्रभारी निरीक्षक शाहाबाद से पत्रकारों ने बात करने का प्रयास किया किन्तु उनसे सीधे मुलाकात नहीं हो सकी और सीयुजी नम्बर किसी दूसरे ने रिसीब कर प्रतिउत्तर में सम्बंधित बिषय पर कुछ भी बता पाने में असमर्थता जताई। शुक्रवार को सीओ द्वारा बुलाया गया था पीड़ित पक्ष शाहाबाद (हरदोई) 5 अक्टूबर। महुआ टोला मोहल्ले के बहुचर्चित मामले के पीड़ित पक्ष को क्षेत्राधिकारी शाहाबाद द्वारा बुलाए जाने की जानकारी मिली है और यह मालुम हुआ है कि जब पीड़ित पक्ष सीओ पेशी में पहुंचा तो सीओ पेशी के एक दीवान द्वारा पीड़ित मोहित और उसके भाई सागर के बयान अलग - अलग कागज पर लिखे गए। और उसके बाद दोनों समेत साथ में रहे उसके परिजनों को कोतवाली जाने के लिए कहा गया तो पीड़ित पक्ष कोतवाली गया, जहाँ पर उसे उसकी पंजीकृत रिपोर्ट की एक प्रिंटेड प्रति उपलब्ध करा दी गई। यद्वपि इस सम्बन्ध में सूत्रों के जरिए पीड़ित पक्ष से जब जानकारी की गई तो उसने बताया कि वह फिर कप्तान साहब के पास जाएगा और अगर फिर भी उसके मामले में पूरी कार्यवाही नहीं की गई तो वह कोर्ट जाएगा क्योंकि वह अब भी पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है। उसका कहना है कि पुलिस ने उसके द्वारा स्वेच्छा से दी गई एप्लिकेशन पर रिपोर्ट नहीं लिखी बल्कि पुलिस ने जो एप्लिकेशन लिखाकर उससे दस्तखत करा लिए थे, उसके अनुसार रिपोर्ट लिखी है। इस सम्बन्ध में सीओ अनुज मिश्रा ने बताया कि उसकी तहरीर के आधार पर ही मुकदमा पंजीकृत किया गया है। बांकी पूरे मामले की जाँच उनके स्तर से की जा रही है।4
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