मार्कंडेय महादेव मंदिर Markande Mahadev Temple वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर में महाशिवरात्री के अवसर पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। यह मंदिर वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर कैथी गांव के पास है। आगे की स्लाइड्स में जानें मंदिर का महात्म्य..महाशिवरात्री के अवसर पर यहां पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से लाखों भक्त जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। शिवरात्री के अवसर पर यहां काशी विश्वनाथ मंदिर से भी ज्यादा भीड़ होती है। सावन माह में भी एक माह का मेला लगता है। मार्कण्डेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है। विभिन्न प्रकार की परेशानियों से ग्रसित लोग अपनी दुःखों को दूर करने के लिए यहाँ आते हैं। मार्कण्डेय महादेव मंदिर की मान्यता है कि 'महाशिवरात्रि' और उसके दूसरे दिन श्रीराम नाम लिखा बेल पत्र अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर के बारे में और कई कहानियां प्रचलन में है।मार्कण्डेय महादेव मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि प्रचिन काल में जब मार्कण्डेय ऋषि पैदा हुए थे तो उन्हें आयु दोष था। उनके पिता ऋषि मृकण्ड को ज्योतिषियों ने बताया कि बालक की आयु मात्र 14 वर्ष है। यह सुन माता-पिता सदमें आ गए।ज्ञानी ब्राह्मणों की सलाह पर बालक मार्कण्डेय के माता-पिता ने गंगा गोमती संगम तट पर बालू से शिव विग्रह बनाकर शिव की अर्चना करने लगे। भगवान शंकर की घोर उपासना में लीन हो गये। बालक मार्कण्डेय के जैसे ही 14 वर्ष पूरे हुए तो यमराज उन्हें लेने आ गए। बालक मार्कण्डेय भी उस वक्त भगवान शिव की अराधना में लीन थे। उनके प्राण हरने के लिए जैसे ही यमराज आगे बढ़े तभी भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव के साक्षात प्रकट होते ही यमराज को अपने पांव वापस लेने पड़ा। उन्होंने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा , मुझसे पहले उसकी पूजा की जायेगी। तभी से उस जगह पर मार्कण्डेय जी व महादेव जी की पूजा की जाने लगी और तभी से यह स्थल मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। तभी से शंकर भगवान की मन्दिर में ही दिवाल में मार्कण्डेय महादेव की पूजा होने लगी। लोगों का ऐसा मानना है कि महाशिवरात्रि व सावन मास में यहां राम नाम लिखा बेलपत्र व एक लोटा जल चढाने से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है । मार्कण्डेय महादेव मंदिर में त्रयोदशी (तेरस) का भी बड़ा महत्व होता है। यहां पुत्र रत्न की कामना व पति के दीर्घायु की कामना को लेकर लोग आते है। यहां महामृत्युंजय, शिवपुराण , रुद्राभिषेक, व सत्यनारायण भगवान की कथा का भी भक्त अनुश्रवण करते हैं। महाशिवरात्रि पर दो दिनो तक अनवरत जलाभिषेक करने की परम्परा है।यहां दुसरे दिन ग्रामीण घरेलू सामानों की खरीदारी भी करते हैं। यहां मेले में भेड़ों की लड़ाई आकर्षक होती है। महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या गाजीपुर , मऊ , बलिया , गोरखपुर , देवरिया , आजमगढ ,समेत कई अन्य जनपदों के लोगों का जमघट देर शाम तक लग गया है। लगातार दो दिनों तक अनवरत जलाभिषेक होता रहेगा। markandey mahadev ki kahanimarkandey mahadev mandirmarkandey mahadev kaithi varanasimarkandey mahadev statusmarkandey mahadev songmarkandey mahadev ki kathamarkandey mahadev infotech gayamarkandey mahadev infotech pvt Itd gayamarkandey mahadev kathamarkandey mahadev storyVaranasi to Markandey Mahadev Temple distanceMarkandey Mahadev Temple Varanasi wikipediaMarkandey Mahadev distanceMarkandey Mahadev mandir VaranasiMarkandey Mahadev Temple timingsMarkandey Mahadev Temple Kaithi
मार्कंडेय महादेव मंदिर Markande Mahadev Temple वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित मार्कंडेय महादेव मंदिर में महाशिवरात्री के अवसर पर भक्तों का तांता लगा हुआ है। यह मंदिर वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर कैथी गांव के पास है। आगे की स्लाइड्स में जानें मंदिर का महात्म्य..महाशिवरात्री के अवसर पर यहां पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से लाखों भक्त जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। शिवरात्री के अवसर पर यहां काशी विश्वनाथ मंदिर से भी ज्यादा भीड़ होती है। सावन माह में भी एक माह का मेला लगता है। मार्कण्डेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है। विभिन्न प्रकार की परेशानियों से ग्रसित लोग अपनी दुःखों को दूर करने के लिए यहाँ आते हैं। मार्कण्डेय महादेव मंदिर की मान्यता है कि 'महाशिवरात्रि' और उसके दूसरे दिन श्रीराम नाम लिखा बेल पत्र अर्पित करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर के बारे में और कई कहानियां प्रचलन में है।मार्कण्डेय महादेव मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि प्रचिन काल में जब मार्कण्डेय ऋषि पैदा हुए थे तो उन्हें आयु दोष था। उनके पिता ऋषि मृकण्ड को ज्योतिषियों ने बताया कि बालक की आयु मात्र 14 वर्ष है। यह सुन माता-पिता सदमें आ गए।ज्ञानी ब्राह्मणों की सलाह पर बालक मार्कण्डेय के माता-पिता ने गंगा गोमती संगम तट पर बालू से शिव विग्रह बनाकर शिव की अर्चना करने लगे। भगवान शंकर की घोर उपासना में लीन हो गये। बालक मार्कण्डेय के जैसे ही 14 वर्ष पूरे हुए तो यमराज उन्हें लेने आ गए। बालक मार्कण्डेय भी उस वक्त भगवान शिव की अराधना में लीन थे। उनके प्राण हरने के लिए जैसे ही यमराज आगे बढ़े तभी भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव के साक्षात प्रकट होते ही यमराज को अपने पांव वापस लेने पड़ा। उन्होंने कहा कि मेरा भक्त सदैव अमर रहेगा , मुझसे पहले उसकी पूजा की जायेगी। तभी से उस जगह पर मार्कण्डेय जी व महादेव जी की पूजा की जाने लगी और तभी से यह स्थल मार्कण्डेय महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। तभी से शंकर भगवान की मन्दिर में ही दिवाल में मार्कण्डेय महादेव की पूजा होने लगी। लोगों का ऐसा मानना है कि महाशिवरात्रि व सावन मास में यहां राम नाम लिखा बेलपत्र व एक लोटा जल चढाने से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है । मार्कण्डेय महादेव मंदिर में त्रयोदशी (तेरस) का भी बड़ा महत्व होता है। यहां पुत्र रत्न की कामना व पति के दीर्घायु की कामना को लेकर लोग आते है। यहां महामृत्युंजय, शिवपुराण , रुद्राभिषेक, व सत्यनारायण भगवान की कथा का भी भक्त अनुश्रवण करते हैं। महाशिवरात्रि पर दो दिनो तक अनवरत जलाभिषेक करने की परम्परा है।यहां दुसरे दिन ग्रामीण घरेलू सामानों की खरीदारी भी करते हैं। यहां मेले में भेड़ों की लड़ाई आकर्षक होती है। महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या गाजीपुर , मऊ , बलिया , गोरखपुर , देवरिया , आजमगढ ,समेत कई अन्य जनपदों के लोगों का जमघट देर शाम तक लग गया है। लगातार दो दिनों तक अनवरत जलाभिषेक होता रहेगा। markandey mahadev ki kahanimarkandey mahadev mandirmarkandey mahadev kaithi varanasimarkandey mahadev statusmarkandey mahadev songmarkandey mahadev ki kathamarkandey mahadev infotech gayamarkandey mahadev infotech pvt Itd gayamarkandey mahadev kathamarkandey mahadev storyVaranasi to Markandey Mahadev Temple distanceMarkandey Mahadev Temple Varanasi wikipediaMarkandey Mahadev distanceMarkandey Mahadev mandir VaranasiMarkandey Mahadev Temple timingsMarkandey Mahadev Temple Kaithi
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- Post by SONI DEVI1
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- Post by राजेश समाजसेवी1
- अनिल यादव के हत्यारे को पुलिस ने हथियार के साथ किया गिरफ्तार , हत्या में प्रयुक्त भुजाली और वह कार भी पुलिस ने बरामद कर लिया है जिससे लाश फेंकी गई थी । बीते रात अनिल यादव की हत्या के बाद आक्रोशित लोगों ने टावर चौक जाम कर दिया था और अपराधी को तुरंत गिरफ्तार की मांग की थी । इधर मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी दीपक कुमार शर्मा के द्वारा विशेष टीम का गठन किया गया था. डुमरी एसडीपीओ सुमित कुमार की अगुवाई में टीम बनायी गई. टीम में नगर थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर शैलेश प्रसाद, मुफस्सिल थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर श्याम किशोर महतो, पचम्बा इंस्पेक्टर मंटू कुमार के अलावा पीरटांड तथा मधुबन थाना प्रभारी को शामिल किया गया. इनके साथ टेक्निकल टीम को भी लगाया गया. रात में ही टीम ने अपना काम शुरू कर दिया और चंद घंटे में ही हत्यारोपी को गिरफ्त में ले लिया.1
- गाजीपुर। कासिमाबाद मे 2 दर्जन दुकानों पर चला बुलडोजर सरकारी जमीन पर बनी दुकानों पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही। हाई कोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने हटाया अतिक्रमण। पीडब्लूडी की जमीन पर अवैध रुप से बनी थी दुकाने।1
- CROUD CONTROL ( भीड़ नियंत्रण);- लिखते हैं इस संबंध में, ये पुलिस की डियूटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ये जो व्यक्ति मेले में मोज ले रहे हैं।या ऐसे अन्य जगह में भीड़ के शक्ल में हो उनका खयाल रखना है अब,,ये भीड़ में शामिल व्यक्ति का व्यक्तिगत ,, बिचार होगा कि महाशय किस प्रकार के मोज का चयन करें। पुलिस आपकी सेवा में 24×7 तत्पर है। बिगत कुछ महीने का कहीये या पुलिस की डियूटी के दरमियान जो अब तक का प्राप्त अनुभव रहा है। बहुत सांदार रहा है। बहुत कुछ सिखने को मिलता है। ऐसे तो पुलिस की चयन प्रक्रिया में मेरे समयावधि में जो व्यवस्था थी उसमें फार्म भरने से लेकर , 100/200 प्रतिभागियों का एक साथ दौड़ एवं अन्य प्रकिया में सब बहुत भीड़ होती थी। बर्ष 2011 का 34 Th National game, Devghar श्रावणी मेला (02) बार, मुखमा का एतिहासिक मेला, गिरीडीह मधुबन का मेला, विभिन्न धरना प्रदर्शन, विधानसभा सत्र, आदी आदी, तो कुल मिलाकर भीड़ नियंत्रण डियूटी में पुलिस का संयम का परिक्षा है कि आप कितने संयमित है। धन्यवाद1
- Dabang jila Ghazipur kasimabad up611