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छिबरामऊ तहसील रोड पर गड्ढा एवं भीषण जलभराव।
पत्रकार विकास दीक्षित संवाददाता छिबरामऊ
छिबरामऊ तहसील रोड पर गड्ढा एवं भीषण जलभराव।
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- राजेन्द्र सिंह धुऑंधार कन्नौज। जनपद में मिक्सर मशीन चालक की नृशंस हत्या के मामले ने उस समय और भयावह मोड़ ले लिया, जब हत्या के आरोपी का शव संदिग्ध परिस्थितियों में पेड़ से लटका मिला। घटना की सूचना मिलते ही गांव में सनसनी फैल गई, वहीं मौके पर पहुंची पुलिस को परिजनों और ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। जानकारी के अनुसार, सौंरिख थाना क्षेत्र की चौकी नादेमऊ अंतर्गत गांव कांकरकुई निवासी 26 वर्षीय श्याम सुंदर पुत्र शिवपाल की 18 दिसंबर की रात ईंट से कुचलकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक के पिता शिवपाल ने मिक्सर मशीन मालिक मधुपुरी गांव निवासी उदयवीर समेत कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस की शुरुआती जांच में शराब पीने के दौरान रुपयों के लेनदेन को लेकर हुए विवाद के बाद हत्या की बात सामने आई थी। हत्या के बाद से ही आरोपी उदयवीर पुलिस की पकड़ से बाहर था। उसकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने लगातार छापेमारी की, लेकिन आरोपी घर पर ताला लगाकर फरार मिला। पुलिस ने उसकी तलाश में औरैया व इटावा जनपदों में भी दबिश दी, परंतु कोई सुराग हाथ नहीं लग सका। इसी बीच सोमवार की सायं करीब तीन बजे इंदरगढ़ थाना क्षेत्र के महमूदापुर गांव के निकट चिल्ल के पेड़ से उदयवीर का शव फांसी के फंदे से लटका मिलने की सूचना मिली। शव खेत के पास कच्ची मिट्टी की दीवार के सहारे लटका हुआ था। घटना की खबर फैलते ही उदयवीर के परिजन और सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस को परिजनों के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। परिजनों ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार करते हुए उदयवीर की हत्या का आरोप लगाया और पुलिस कार्रवाई रोक दी। उनकी मांग थी कि पहले इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की जाए, तभी आगे की कार्रवाई होने दी जाएगी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तिर्वा सीओ कुलवीर सिंह सहित जिले के कई थानों की पुलिस, फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वायड मौके पर पहुंची। इसके बावजूद हंगामा जारी रहा। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीएसी बल भी तैनात करना पड़ा। काफी देर तक चले तनाव और हंगामे के बाद देर रात उच्चाधिकारियों द्वारा मुकदमा दर्ज किए जाने के आश्वासन पर परिजनों ने शव को उतरने दिया। खबर लिखे जाने तक पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई थी और दोनों घटनाओं को जोड़कर पूरे घटनाक्रम की गहनता से पड़ताल की जा रही है। जनपद में एक के बाद एक हुई इन दो मौतों ने न सिर्फ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल भी पैदा कर दिया है।2
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- *🟥 #बड़ी खबर | कॉलेज में तिलक लगाने पर छात्र से कथित भेदभाव, परीक्षा फॉर्म रोके जाने का गंभीर आरोप, जिलाधिकारी से शिकायत* _जागो न्यूज हरदोई उ.प्र._ *#हरदोई।* जनपद हरदोई के शाहाबाद क्षेत्र से एक बेहद गंभीर और संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा व्यवस्था, धार्मिक स्वतंत्रता और छात्र अधिकारों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बीएड प्रथम सेमेस्टर के एक छात्र ने कॉलेज प्रशासन पर धार्मिक आस्था के आधार पर मानसिक उत्पीड़न, भेदभाव और परीक्षा फॉर्म रोकने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। मामला बी एन डिग्री कॉलेज, शाहाबाद से जुड़ा बताया जा रहा है, जो मान्यवर श्रीकाशीराम लॉ कॉलेज के अंतर्गत संचालित है। पीड़ित छात्र अमित यादव पुत्र रामनरेश, निवासी खेड़ा बीबी जई, तहसील शाहाबाद, जिला हरदोई, ने जिलाधिकारी हरदोई को लिखित प्रार्थना पत्र देकर पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। 📌 क्या है पूरा मामला प्रार्थना पत्र के अनुसार, अमित यादव LLB प्रथम सेमेस्टर का नियमित छात्र है। वह अपने धार्मिक विश्वास के अनुसार माथे पर तिलक लगाकर कॉलेज आता-जाता है। आरोप है कि कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. उमर ने छात्र से आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि, > “यह बी एन डिग्री कॉलेज है, गुरुकुल नहीं, यहां तिलक लगाकर मत आओ।” छात्र का आरोप है कि इसके बाद से ही कॉलेज प्रशासन उससे रंजिश मानने लगा और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगा। सबसे गंभीर आरोप यह है कि छात्र का परीक्षा फॉर्म जानबूझकर नहीं भरवाया गया, जबकि फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 20 दिसंबर 2025 थी। 📌 भविष्य पर संकट परीक्षा फॉर्म न भर पाने के कारण छात्र का पूरा शैक्षणिक भविष्य संकट में पड़ गया है, क्योंकि बिना परीक्षा फॉर्म वह परीक्षा में बैठ ही नहीं सकता। छात्र का कहना है कि इस पूरे मामले के बाद वह भारी मानसिक तनाव में है, उसे लगातार अज्ञात नंबरों से फोन आ रहे हैं और डराया-धमकाया जा रहा है। 📌 धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल यह मामला केवल एक छात्र का नहीं, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) से भी जुड़ा हुआ है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या कोई शैक्षणिक संस्थान किसी छात्र को उसकी धार्मिक पहचान या आस्था के कारण प्रताड़ित कर सकता है? 📌 प्रशासन से मांग पीड़ित छात्र अमित यादव ने जिलाधिकारी हरदोई से मांग की है कि— उसका परीक्षा फॉर्म तत्काल भरवाया जाए, कॉलेज प्रधानाचार्य एवं संबंधित जिम्मेदारों के खिलाफ निष्पक्ष जांच कर उचित एवं कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी छात्र के साथ ऐसा न हो। 📌 शिक्षा विभाग की भूमिका पर भी सवाल यह प्रकरण शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न केवल शैक्षणिक अनुशासन का उल्लंघन है, बल्कि मानवाधिकार और संवैधानिक मूल्यों का भी हनन माना जाएगा। फिलहाल मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर आरोप को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या पीड़ित छात्र को न्याय मिल पाता है या नहीं। *(#संवाददाता आलोक सिंह की खास रिपोर्ट ✍️1
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