देश आजाद हुआ संविधान का निर्माण हुआ और संविधान को देश में लागू किया और आदिवासी समुदाय के लिए बहुत से हक अधिकार संविधान में उल्लेखित किये पर धीरे धीरे देश की बागडोर अंधभक्त पाखंडी मनुवादियों के हाथ में चली गई जिसके कारण आदिवासियों की निष्पक्ष स्वतंत्र आवाज़ देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में नहीं पहुंची थी पर जैसे जैसे आदिवासी समाज में जागरूकता आई और अपने हक अधिकारो को जानने के लिए संविधान को पढ़ने लगे अपने Right जानने लगे और समाज में बदलाव आता गया और आदिवासी परिवार ने एक व्यवस्था बनाई इसमें अन्याय अत्याचार से शोषित पीड़ित लोग जुड़ते गए और आज इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय पार्टियों को पटकनी देकर आदिवासियों के हक अधिकारों को जीवित रखने के लिए आदिवासी परिवार की व्यवस्था विचारधारा के तहत बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से नवनिर्वाचित BAP सांसद राजकुमार जी रोत के रुप में संसद भवन में आवाज़ पहुंचा दी वो आवाज़ आदिवासियों की सुरक्षा विस्थापन व बांसवाड़ा में लग रहे न्यूक्लियर पावर प्लांट को रोकने के लिए आज संसद भवन में शेर की तरह दहाड़ रही है और विपक्षियों के पसीने छूट रहे हैं
देश आजाद हुआ संविधान का निर्माण हुआ और संविधान को देश में लागू किया और आदिवासी समुदाय के लिए बहुत से हक अधिकार संविधान में उल्लेखित किये पर धीरे धीरे देश की बागडोर अंधभक्त पाखंडी मनुवादियों के हाथ में चली गई जिसके कारण आदिवासियों की निष्पक्ष स्वतंत्र आवाज़ देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में नहीं पहुंची थी पर जैसे जैसे आदिवासी समाज में जागरूकता आई और अपने हक अधिकारो को जानने के लिए संविधान को पढ़ने लगे अपने Right जानने लगे और समाज में बदलाव आता गया और आदिवासी परिवार ने एक व्यवस्था बनाई इसमें अन्याय अत्याचार से शोषित पीड़ित लोग जुड़ते गए और आज इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय पार्टियों को पटकनी देकर आदिवासियों के हक अधिकारों को जीवित रखने के लिए आदिवासी परिवार की व्यवस्था विचारधारा के तहत बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से नवनिर्वाचित BAP सांसद राजकुमार जी रोत के रुप में संसद भवन में आवाज़ पहुंचा दी वो आवाज़ आदिवासियों की सुरक्षा विस्थापन व बांसवाड़ा में लग रहे न्यूक्लियर पावर प्लांट को रोकने के लिए आज संसद भवन में शेर की तरह दहाड़ रही है और विपक्षियों के पसीने छूट रहे हैं
- देश आजाद हुआ संविधान का निर्माण हुआ और संविधान को देश में लागू किया और आदिवासी समुदाय के लिए बहुत से हक अधिकार संविधान में उल्लेखित किये पर धीरे धीरे देश की बागडोर अंधभक्त पाखंडी मनुवादियों के हाथ में चली गई जिसके कारण आदिवासियों की निष्पक्ष स्वतंत्र आवाज़ देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में नहीं पहुंची थी पर जैसे जैसे आदिवासी समाज में जागरूकता आई और अपने हक अधिकारो को जानने के लिए संविधान को पढ़ने लगे अपने Right जानने लगे और समाज में बदलाव आता गया और आदिवासी परिवार ने एक व्यवस्था बनाई इसमें अन्याय अत्याचार से शोषित पीड़ित लोग जुड़ते गए और आज इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय पार्टियों को पटकनी देकर आदिवासियों के हक अधिकारों को जीवित रखने के लिए आदिवासी परिवार की व्यवस्था विचारधारा के तहत बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से नवनिर्वाचित BAP सांसद राजकुमार जी रोत के रुप में संसद भवन में आवाज़ पहुंचा दी वो आवाज़ आदिवासियों की सुरक्षा विस्थापन व बांसवाड़ा में लग रहे न्यूक्लियर पावर प्लांट को रोकने के लिए आज संसद भवन में शेर की तरह दहाड़ रही है और विपक्षियों के पसीने छूट रहे हैं1
- सांसद राजकुमार रोत डूंगरपुर बांसवाड़ा में सोलर प्लांट के रोकने की मांग की !!1
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- गोरेश्वर महादेव Sagwara Times1
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