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विद्युत मंडल घोंसला जलमग्न हुआ

on 5 September
user_लोकल खबर महिदपुर,घोंसला
लोकल खबर महिदपुर,घोंसला
Voice of people Ujjain•
on 5 September

विद्युत मंडल घोंसला जलमग्न हुआ

  • user_लोकल खबर महिदपुर,घोंसला
    लोकल खबर महिदपुर,घोंसला
    Ujjain, Madhya Pradesh
    पानी ही पानी
    on 5 September
More news from Dewas and nearby areas
  • जिले में जल सरंक्षरण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाओं को किया पुरस्कृत आप देखिए पूरी खबर सी न्यूज़ भारत पर साजिद पठान की रिपोर्ट
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    जिले में जल सरंक्षरण के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाओं को किया पुरस्कृत
आप देखिए पूरी खबर सी न्यूज़ भारत पर साजिद पठान की रिपोर्ट
    user_Sajid Pathan
    Sajid Pathan
    Dewas•
    23 hrs ago
  • राज्य सफ़ाई कर्मचारी मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष करोसिया ने  जावरा नगर पालिका परिषद पर ली बैठक, सफ़ाई कर्मचारियों कि समस्याओं के निवारण के लिए सीएमओ को दिए दिशा निर्देश
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    राज्य सफ़ाई कर्मचारी मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष करोसिया ने  जावरा नगर पालिका परिषद पर ली बैठक, सफ़ाई कर्मचारियों कि समस्याओं के निवारण के लिए सीएमओ को दिए दिशा निर्देश
    user_Lakhan Panwar
    Lakhan Panwar
    Journalist Ratlam•
    23 hrs ago
  • Post by Kedar purbiya
    1
    Post by Kedar purbiya
    user_Kedar purbiya
    Kedar purbiya
    Samaj Sevak Shajapur•
    17 hrs ago
  • कन्नौद मे है मुक्ति धाम जहा मिलती है आध्यात्मिक शांति और जीवन से मुक्ति कन्नौद,मध्यप्रदेश के देवास जिले का कन्नौद नगर मैं चार इंसान के अंतिम विश्राम के स्थान है जहां नगर के नगरवासी अपने प्रियजनों के अंतिम विदाई देने आते हैं। इन चारों जीवन मुक्ति के स्थान में एक है भूतेश्वर मुक्ति धाम जहां इस आधुनिक युग में वह सब समुचित व्यवस्था मिलती है जो अंतिम विदाई के समय लगती है। अपने प्रियजन को कांधे पर रखकर लाने के लिए सीढ़ी , कपाल क्रिया से लेकर दाह संस्कार के लिए नाम मात्र के शुल्क पर लकड़ी उपलब्ध होती है। कोई पांच एकड़ भूमि में फैले यह धाम में गुलाव वाटिका,पितृ पर्वत,पक्की सिमेंट की सडक ,चारों तरफ हरियाली,शब रखने और श्रृद्धांजलि देने का बड़ा हाल , दो शिवालय , अस्थियां रखने का लाकर, चौबीस घंटे चौकीदार, गर्म और ठंडे पानी की मशीन,तीन जलस्त्रोत आमजन को गर्मी के समय गला तर करने की बड़ी पानी की टंकी,के साथ बहुत कुछ सुविधाएं आज यहा पर आप देख सकते हैं। सन 1976 तक उजाड़ पड़ा यह स्थान नगर की प्रगति का उपहास का केंद्र रहा पर उसके बाद नगर से ही तीन लोगों ने इसको संवारने के लिए मुक्ति धाम में अमावस की काली रात में सत्यकथा रखी और इस स्थान को संवारने का काम शुरू किया अनेक बाधा को पार करते हुए इस भूमि को चारों तरफ से तार फेंसिंग किया यह स्थान नगर से वाहर होने से इमारती लकड़ी चोरी से ले जाने का रास्ता रहा कारण इस भूमि के तीन ओर शासकीय सड़क मार्ग है। मुख्य गेट के सामने इन्दौर बेतूल मार्ग,एक तरफ पुराने स्टेट के समय हरदा से इन्दौर जाने का झुनझुना मार्ग तक जाने का मार्ग और पीछे ना झुनझुना मार्ग जो सीधे पानीगांव होते हुए कमलापुर जाता था इस मार्ग का उपयोग चोरी से माल परिवहन होता था इस कारण मुक्ति धाम उन लोगों की शरणार्थी रहा है उनको रोकना भी अनेक बार सीधे मौत से साक्षात्कार था किन्तु किसी नेक काम का हौसला हो तो मौत से भी लड़कर जीत हो सकती है और हुआ भी यही । इस भूमि को अपराधियों से मुक्त कराने में तत्कालीन पुलिस अधिकारीयो का सहयोग आज की शान बनी है।‌इस भूमि पर आज हरे भरे छायादार और फलदार वृक्ष लगे हुए हैं। इस भूमि के संरक्षण में तीन से दो हुए फिर भी अविरल यह कारवां चलता रहा और सन दो हज़ार में नगर के कुछ लोग इस पुनीत सेवा में आगे बढ़े जिसमें प्रमुख रूप से श्री जोरावरसिह फौजी जो तभी से आज तक समिति के अध्यक्ष हैं श्री रमेशचन्द्र डाबी,श्री नरसिंह धूत,श्री राधेश्याम खत्री वार्ड पार्षद,श्री शंकरलाल दलवी लेखा-जोखा अधिकारी,श्री रमेश डाबी मुख्य पर्यावरण,श्री रमेश राठौर , श्री मधुर अग्रवाल, बृजेश धूत ,श्री संतोष पंडा ,पंडित प्रमोद मेहता आज इस अभियान के लिए सतत प्रयत्नशील है। इस भूमि के देखरेख नगर पंचायत अधिकारी श्री अनिल जोशी का सदैव विशेष सहयोग बना हुआ है। इस तरह से एक समिति के सदस्य तन-मन-धन से कार्यरत हैं। इस समिति के कुछ सदस्य पूर्व में अपने जीवन काल तक जुड़े रहे उसमें श्रीरामचंद्र जी अग्रवाल,श्री ब्यकंटेश सिंगी का सहयोग आज उनकी स्मृति करा रहा है। इसी के साथ असंख्य उन दानवीर भामाशाह पुरुष जिन्होंने इस समिति पर भरोसा कर अपनी ओर से अनेक सुविधाएं संस्था के नाम की है। भूतेश्वर मुक्ति धाम की अलौकिक यात्रा की एक झलक इस समाचार के साथ सभी के समक्ष साझा की जा रही है।
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    कन्नौद मे है मुक्ति धाम जहा मिलती है आध्यात्मिक शांति और जीवन से मुक्ति 
कन्नौद,मध्यप्रदेश के देवास जिले  का कन्नौद नगर मैं चार इंसान के अंतिम विश्राम के स्थान है जहां नगर के नगरवासी अपने प्रियजनों के अंतिम विदाई देने आते हैं।
इन चारों जीवन मुक्ति के स्थान में एक है भूतेश्वर मुक्ति धाम जहां इस आधुनिक युग में वह सब समुचित व्यवस्था मिलती है जो अंतिम विदाई के समय लगती है। अपने प्रियजन को कांधे पर रखकर लाने के लिए सीढ़ी , कपाल क्रिया से लेकर दाह संस्कार के लिए नाम मात्र के शुल्क पर लकड़ी उपलब्ध होती है। कोई पांच एकड़ भूमि में फैले यह धाम में गुलाव वाटिका,पितृ पर्वत,पक्की सिमेंट की सडक ,चारों तरफ हरियाली,शब रखने और श्रृद्धांजलि देने का बड़ा हाल , दो शिवालय , अस्थियां रखने का लाकर, चौबीस घंटे चौकीदार, गर्म और ठंडे पानी की मशीन,तीन जलस्त्रोत आमजन को गर्मी के समय गला तर करने की बड़ी पानी की टंकी,के साथ बहुत कुछ सुविधाएं आज यहा पर आप देख सकते हैं। सन 1976 तक उजाड़ पड़ा यह स्थान नगर  की प्रगति का उपहास का केंद्र रहा पर उसके बाद नगर से ही तीन लोगों ने इसको संवारने के लिए मुक्ति धाम में अमावस की काली रात में सत्यकथा रखी और इस स्थान को संवारने का काम शुरू किया अनेक बाधा को पार करते हुए इस भूमि को चारों तरफ से तार फेंसिंग किया यह स्थान नगर से वाहर होने से इमारती लकड़ी चोरी से ले जाने का रास्ता रहा कारण इस भूमि के तीन ओर शासकीय सड़क मार्ग है। मुख्य गेट के सामने इन्दौर बेतूल मार्ग,एक तरफ पुराने स्टेट के समय हरदा से इन्दौर जाने का झुनझुना मार्ग तक जाने का मार्ग और पीछे ना झुनझुना मार्ग जो सीधे पानीगांव होते हुए कमलापुर जाता  था इस मार्ग का उपयोग चोरी से माल परिवहन होता था इस कारण मुक्ति धाम उन लोगों की शरणार्थी रहा है उनको रोकना भी अनेक बार सीधे मौत से साक्षात्कार था किन्तु किसी नेक काम का हौसला हो तो मौत से भी लड़कर जीत हो सकती है और हुआ भी यही । इस भूमि को अपराधियों से मुक्त कराने में तत्कालीन पुलिस अधिकारीयो का सहयोग आज की शान बनी है।‌इस भूमि पर आज हरे भरे छायादार और फलदार वृक्ष लगे हुए हैं।  इस भूमि के संरक्षण में तीन से दो हुए फिर भी अविरल यह कारवां चलता रहा और सन दो हज़ार में नगर के कुछ लोग इस पुनीत सेवा में आगे बढ़े जिसमें प्रमुख रूप से श्री जोरावरसिह फौजी जो तभी से आज तक समिति के अध्यक्ष हैं श्री रमेशचन्द्र डाबी,श्री नरसिंह धूत,श्री राधेश्याम खत्री वार्ड पार्षद,श्री शंकरलाल दलवी लेखा-जोखा अधिकारी,श्री रमेश डाबी मुख्य पर्यावरण,श्री रमेश राठौर , श्री मधुर अग्रवाल, बृजेश धूत ,श्री संतोष पंडा ,पंडित प्रमोद मेहता आज इस अभियान के लिए सतत प्रयत्नशील है। इस भूमि के देखरेख नगर पंचायत अधिकारी श्री अनिल जोशी का सदैव विशेष सहयोग बना हुआ है। इस तरह से एक समिति के सदस्य तन-मन-धन से कार्यरत हैं। इस समिति के कुछ सदस्य पूर्व में अपने जीवन काल तक जुड़े रहे उसमें श्रीरामचंद्र जी अग्रवाल,श्री ब्यकंटेश सिंगी का सहयोग आज उनकी स्मृति करा रहा है। इसी के साथ असंख्य उन दानवीर भामाशाह पुरुष जिन्होंने इस समिति पर भरोसा कर अपनी ओर से अनेक सुविधाएं संस्था के नाम की है। भूतेश्वर मुक्ति धाम की अलौकिक यात्रा की एक झलक इस समाचार के साथ सभी के समक्ष साझा की जा रही है।
    user_Rajendra shreevas
    Rajendra shreevas
    Journalist Dewas•
    10 hrs ago
  • भोपाल मध्य प्रदेश में कड़ाके की सर्दी सबसे ज्यादा ठंड मालवा निमाड़ इंदौर उज्जैन संभाग में भोपाल में न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री
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    भोपाल मध्य प्रदेश में कड़ाके की सर्दी सबसे ज्यादा ठंड मालवा निमाड़ इंदौर उज्जैन संभाग में भोपाल में न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री
    user_अटल प्रदेश न्यूज़
    अटल प्रदेश न्यूज़
    Bhopal•
    7 hrs ago
  • Post by SWADESH KI AWAZ NEWS
    1
    Post by SWADESH KI AWAZ NEWS
    user_SWADESH KI AWAZ NEWS
    SWADESH KI AWAZ NEWS
    News Publisher Bhopal•
    19 hrs ago
  • भरी संसद को हिंदुत्व 2 मिटन में समझा दिया। ( केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी )
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    भरी संसद को हिंदुत्व 2 मिटन में समझा दिया। 
( केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी  )
    user_User4507 पारस गेहलोत हिंदू ⛳🏹
    User4507 पारस गेहलोत हिंदू ⛳🏹
    Kukshi, Dhar•
    20 hrs ago
  • *प्रातः स्मरणीय युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राज राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के द्विशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य मे गुरुदेव का रथ उनकी कर्म भूमि कुक्षी पहुंचा ।* *कुक्षी मे हुए अग्नि प्रकोप से दादा गुरुदेव ने सचेत कर लोगो को बचाया था.* *( देवेंद्र जैन , मोनेष शोभा जैन, ✍️ )* कलिकाल कल्पतरु युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के आने वाले 26 व 27 दिसंबर को भव्य रूप से द्विशताब्दी जन्म दिवस मध्य प्रदेश के मोहनखेड़ा महातीर्थ मे भव्य रूप से मनाया जाएगा, साथ ही पुरा वर्ष द्विशताब्दी के रूप मे पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। इसी कड़ी मे मुनिराज लावेश विजय मुनिराज जी की प्रेरणा से जनवरी 2025 से चल रहा दादा गुरुदेव का रथ सम्पूर्ण भारत मे भ्रमण कार्यक्रम चल रहा है जो महाराष्ट्र के पूना से प्रारम्भ हुआ जो कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तेलंगाना,राजस्थान, गुजरात से वर्तमान मे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ होते हुए दादा गुरुदेव के हृध्य मे बसी कुक्षी पहुंचा। दादा के रथ का स्वागत जैन संघरत्न श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहरलाल पुराणिक, समाज के वरिष्ठ संतोषी लाल जैन, अनील साहेब व समाज जनो द्वारा किया गया। रथ बड़े उपाश्रय पहुंचा वहा दादा गुरुदेव के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित हस्त चित्रण की प्रदर्शनी लगाई गईं। इसके अंतर्गत गुरुदेव के 421 चित्रों व उनके साहित्यों की प्रदर्शनी बड़ा उपाश्रय में लगाई गईं। प्रदर्शनी का उद्घाटन समाज जनो द्वारा रिबीन खोलकर किया गया। पश्चात् दादा गुरुदेव की आरती उतारी गईं व प्रदर्शनी को देखने सम्पूर्ण श्रीसंघ पधारे। इस प्रदर्शनी मे दादा गुरुदेव द्वारा कुक्षी को बचाया गया उसका भी जिक्र किया गया। मालवा के नगर कुक्षी (धार) में श्रीमद गुरुदेव राजेंद्र सुरिश्वरजी विराजमान थे । एक रात्रि में आप नियमित क्रम के अनुसार ध्यान विराजे थे कि उपाश्रय के पास की गली के अम्बाराम ब्राह्मण के घर से आग का प्रकोप उठता देखा । धूल भरे कृष्णवदन लड़के ने सात बार दरवाज़े पर मुक्के मारे और भागा नगर की गली-गली में। गुरुदेव का ध्यान भंग हुआ। उपाश्रय में हमेशा सोने वाले श्रावक उस समय जाग गये थे। गुरुदेव को आँगन में आकाश देखते देखकर कारण पूछा तब गुरुदेव ने कहा- वैशाख वदि 7 को कुक्षी में आग का भयंकर प्रकोप होगा। माणकचन्दजी खूंट वाले, चौधरी ओपाजी, हीराचन्दजी, जारोली रायचन्दजी आदि ने यह बात सुनी तो उन्होंने बचाव के प्रयत्न किये। जिस जिसने अपना माल असबाब अन्यत्र भिजवाया वे बच गये। गुरुदेव विहार करके राजगढ़ आ गये । अग्नि प्रकोप की बात कुछ लोग नहीं माने। और वैशाख वदि 7 को ही कुक्षी नगर मे आग लगी, जिसमे करीब 1500 मकान जलकर खाक हो गये। इस अग्निकांड में सबसे अधिक नुकसान जैन श्रीसंघ को हुआ। कुक्षी के शान्तिनाथ जिनालय के पास विशाल ज्ञान भंडार था। जिसमें तीस हजार से अधिक हस्त प्रतियाँ तथा 1235 ताडपत्र प्रतियाँ थीं। गुरुदेव ने बहुत समझाया पर लोग नहीं माने और आग ने अपार क्षति कर दी। फिर भी गुरुदेव ने उस अग्नि को बुझाने का प्रयत्न किया और अग्नि शांत हुई । इस अग्निकांड के कुछ अंश आज भी दिखाई देते है, ज़ब भी नगर मे कोई पुराना मकान टूटता है तो जमीन से जली हुई लकड़िया निकलती है। वही इस प्रदर्शनी मे कुक्षी की बेटी अमीषा अखिलेश चौधरी द्वारा भी हाथ से बनी गुरुदेव की पेंटिंग भी रखी गईं जो आकर्षण का केंद्र रही.
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    *प्रातः स्मरणीय युग पुरुष  दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राज राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के द्विशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य मे गुरुदेव का रथ उनकी कर्म भूमि कुक्षी पहुंचा ।*
*कुक्षी मे हुए अग्नि प्रकोप से दादा गुरुदेव ने सचेत कर लोगो को बचाया था.*
*( देवेंद्र जैन , मोनेष शोभा जैन, ✍️ )*
कलिकाल कल्पतरु युग पुरुष  दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के आने वाले 26 व 27 दिसंबर को भव्य रूप से द्विशताब्दी  जन्म दिवस मध्य प्रदेश के मोहनखेड़ा महातीर्थ मे भव्य रूप से मनाया जाएगा, साथ ही पुरा वर्ष द्विशताब्दी के रूप मे पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। इसी कड़ी मे मुनिराज लावेश विजय मुनिराज जी की प्रेरणा से जनवरी 2025 से चल रहा दादा गुरुदेव का रथ सम्पूर्ण भारत मे भ्रमण कार्यक्रम चल रहा है जो महाराष्ट्र के पूना से प्रारम्भ हुआ जो कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तेलंगाना,राजस्थान, गुजरात से वर्तमान मे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ होते हुए दादा गुरुदेव के हृध्य मे बसी कुक्षी पहुंचा। दादा के रथ का स्वागत जैन संघरत्न श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहरलाल पुराणिक, समाज के वरिष्ठ संतोषी लाल जैन, अनील साहेब व समाज जनो द्वारा किया गया।
रथ बड़े उपाश्रय पहुंचा वहा दादा गुरुदेव के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित हस्त चित्रण की प्रदर्शनी लगाई गईं। इसके अंतर्गत गुरुदेव  के 421 चित्रों व उनके साहित्यों की प्रदर्शनी बड़ा उपाश्रय  में लगाई गईं। प्रदर्शनी का उद्घाटन समाज जनो द्वारा रिबीन खोलकर किया गया। पश्चात् दादा गुरुदेव की आरती उतारी गईं व प्रदर्शनी को देखने सम्पूर्ण श्रीसंघ पधारे। इस प्रदर्शनी मे दादा गुरुदेव द्वारा कुक्षी को बचाया गया उसका भी जिक्र किया गया। मालवा के नगर कुक्षी (धार) में श्रीमद गुरुदेव राजेंद्र सुरिश्वरजी विराजमान थे । एक रात्रि में आप नियमित क्रम के अनुसार ध्यान विराजे थे कि उपाश्रय के पास की गली के अम्बाराम ब्राह्मण के घर से आग का प्रकोप उठता देखा । धूल भरे कृष्णवदन लड़के ने सात बार दरवाज़े पर मुक्के मारे और भागा नगर की गली-गली में। गुरुदेव का ध्यान भंग हुआ। उपाश्रय में हमेशा सोने वाले श्रावक उस समय जाग गये थे। गुरुदेव को आँगन में आकाश देखते देखकर कारण पूछा तब गुरुदेव ने कहा- वैशाख वदि 7 को कुक्षी में आग का भयंकर प्रकोप होगा। माणकचन्दजी खूंट वाले, चौधरी ओपाजी, हीराचन्दजी, जारोली रायचन्दजी आदि ने यह बात सुनी तो उन्होंने बचाव के प्रयत्न किये। जिस जिसने अपना माल असबाब अन्यत्र भिजवाया वे बच गये। गुरुदेव विहार करके राजगढ़ आ गये । अग्नि प्रकोप की बात कुछ लोग नहीं माने। और वैशाख वदि 7 को ही कुक्षी नगर मे आग लगी, जिसमे करीब 1500  मकान जलकर खाक हो गये। इस अग्निकांड में सबसे अधिक नुकसान जैन श्रीसंघ को हुआ। कुक्षी के शान्तिनाथ जिनालय के पास विशाल ज्ञान भंडार था। जिसमें तीस हजार से अधिक हस्त प्रतियाँ तथा 1235 ताडपत्र प्रतियाँ थीं। गुरुदेव ने बहुत समझाया पर लोग नहीं माने और आग ने अपार क्षति कर दी। फिर भी गुरुदेव ने उस अग्नि को बुझाने का प्रयत्न किया और अग्नि शांत हुई । इस अग्निकांड के कुछ अंश आज भी दिखाई देते है, ज़ब भी नगर मे कोई पुराना मकान टूटता है तो जमीन से जली हुई लकड़िया निकलती है। वही इस प्रदर्शनी मे कुक्षी की बेटी अमीषा अखिलेश चौधरी द्वारा भी हाथ से बनी गुरुदेव की पेंटिंग भी रखी गईं जो आकर्षण का केंद्र रही.
    user_MP 11 NEWS
    MP 11 NEWS
    Journalist कुक्षी, धार, मध्य प्रदेश•
    23 hrs ago
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