*प्रातः स्मरणीय युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राज राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के द्विशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य मे गुरुदेव का रथ उनकी कर्म भूमि कुक्षी पहुंचा ।* *कुक्षी मे हुए अग्नि प्रकोप से दादा गुरुदेव ने सचेत कर लोगो को बचाया था.* *( देवेंद्र जैन , मोनेष शोभा जैन, ✍️ )* कलिकाल कल्पतरु युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के आने वाले 26 व 27 दिसंबर को भव्य रूप से द्विशताब्दी जन्म दिवस मध्य प्रदेश के मोहनखेड़ा महातीर्थ मे भव्य रूप से मनाया जाएगा, साथ ही पुरा वर्ष द्विशताब्दी के रूप मे पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। इसी कड़ी मे मुनिराज लावेश विजय मुनिराज जी की प्रेरणा से जनवरी 2025 से चल रहा दादा गुरुदेव का रथ सम्पूर्ण भारत मे भ्रमण कार्यक्रम चल रहा है जो महाराष्ट्र के पूना से प्रारम्भ हुआ जो कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तेलंगाना,राजस्थान, गुजरात से वर्तमान मे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ होते हुए दादा गुरुदेव के हृध्य मे बसी कुक्षी पहुंचा। दादा के रथ का स्वागत जैन संघरत्न श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहरलाल पुराणिक, समाज के वरिष्ठ संतोषी लाल जैन, अनील साहेब व समाज जनो द्वारा किया गया। रथ बड़े उपाश्रय पहुंचा वहा दादा गुरुदेव के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित हस्त चित्रण की प्रदर्शनी लगाई गईं। इसके अंतर्गत गुरुदेव के 421 चित्रों व उनके साहित्यों की प्रदर्शनी बड़ा उपाश्रय में लगाई गईं। प्रदर्शनी का उद्घाटन समाज जनो द्वारा रिबीन खोलकर किया गया। पश्चात् दादा गुरुदेव की आरती उतारी गईं व प्रदर्शनी को देखने सम्पूर्ण श्रीसंघ पधारे। इस प्रदर्शनी मे दादा गुरुदेव द्वारा कुक्षी को बचाया गया उसका भी जिक्र किया गया। मालवा के नगर कुक्षी (धार) में श्रीमद गुरुदेव राजेंद्र सुरिश्वरजी विराजमान थे । एक रात्रि में आप नियमित क्रम के अनुसार ध्यान विराजे थे कि उपाश्रय के पास की गली के अम्बाराम ब्राह्मण के घर से आग का प्रकोप उठता देखा । धूल भरे कृष्णवदन लड़के ने सात बार दरवाज़े पर मुक्के मारे और भागा नगर की गली-गली में। गुरुदेव का ध्यान भंग हुआ। उपाश्रय में हमेशा सोने वाले श्रावक उस समय जाग गये थे। गुरुदेव को आँगन में आकाश देखते देखकर कारण पूछा तब गुरुदेव ने कहा- वैशाख वदि 7 को कुक्षी में आग का भयंकर प्रकोप होगा। माणकचन्दजी खूंट वाले, चौधरी ओपाजी, हीराचन्दजी, जारोली रायचन्दजी आदि ने यह बात सुनी तो उन्होंने बचाव के प्रयत्न किये। जिस जिसने अपना माल असबाब अन्यत्र भिजवाया वे बच गये। गुरुदेव विहार करके राजगढ़ आ गये । अग्नि प्रकोप की बात कुछ लोग नहीं माने। और वैशाख वदि 7 को ही कुक्षी नगर मे आग लगी, जिसमे करीब 1500 मकान जलकर खाक हो गये। इस अग्निकांड में सबसे अधिक नुकसान जैन श्रीसंघ को हुआ। कुक्षी के शान्तिनाथ जिनालय के पास विशाल ज्ञान भंडार था। जिसमें तीस हजार से अधिक हस्त प्रतियाँ तथा 1235 ताडपत्र प्रतियाँ थीं। गुरुदेव ने बहुत समझाया पर लोग नहीं माने और आग ने अपार क्षति कर दी। फिर भी गुरुदेव ने उस अग्नि को बुझाने का प्रयत्न किया और अग्नि शांत हुई । इस अग्निकांड के कुछ अंश आज भी दिखाई देते है, ज़ब भी नगर मे कोई पुराना मकान टूटता है तो जमीन से जली हुई लकड़िया निकलती है। वही इस प्रदर्शनी मे कुक्षी की बेटी अमीषा अखिलेश चौधरी द्वारा भी हाथ से बनी गुरुदेव की पेंटिंग भी रखी गईं जो आकर्षण का केंद्र रही.
*प्रातः स्मरणीय युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राज राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के द्विशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य मे गुरुदेव का रथ उनकी कर्म भूमि कुक्षी पहुंचा ।* *कुक्षी मे हुए अग्नि प्रकोप से दादा गुरुदेव ने सचेत कर लोगो को बचाया था.* *( देवेंद्र जैन , मोनेष शोभा जैन, ✍️ )* कलिकाल कल्पतरु युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के आने वाले 26 व 27 दिसंबर को भव्य रूप से द्विशताब्दी जन्म दिवस मध्य प्रदेश के मोहनखेड़ा महातीर्थ मे भव्य रूप से मनाया जाएगा, साथ ही पुरा वर्ष द्विशताब्दी के रूप मे पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। इसी कड़ी मे मुनिराज लावेश विजय मुनिराज जी की प्रेरणा से जनवरी 2025 से चल रहा दादा गुरुदेव का रथ सम्पूर्ण भारत मे भ्रमण कार्यक्रम चल रहा है जो महाराष्ट्र के पूना से प्रारम्भ हुआ जो कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तेलंगाना,राजस्थान, गुजरात से वर्तमान मे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ होते हुए दादा गुरुदेव के हृध्य मे बसी कुक्षी पहुंचा। दादा के रथ का स्वागत जैन संघरत्न श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहरलाल पुराणिक, समाज के वरिष्ठ संतोषी लाल जैन, अनील साहेब व समाज जनो द्वारा किया गया। रथ बड़े उपाश्रय पहुंचा वहा दादा गुरुदेव के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित हस्त चित्रण की प्रदर्शनी लगाई गईं। इसके अंतर्गत गुरुदेव के 421 चित्रों व उनके साहित्यों की प्रदर्शनी बड़ा उपाश्रय में लगाई गईं। प्रदर्शनी का उद्घाटन समाज जनो द्वारा रिबीन खोलकर किया गया। पश्चात् दादा गुरुदेव की आरती उतारी गईं व प्रदर्शनी को देखने सम्पूर्ण श्रीसंघ पधारे। इस प्रदर्शनी मे दादा गुरुदेव द्वारा कुक्षी को बचाया गया उसका भी जिक्र किया गया। मालवा के नगर कुक्षी (धार) में श्रीमद गुरुदेव राजेंद्र सुरिश्वरजी विराजमान थे । एक रात्रि में आप नियमित क्रम के अनुसार ध्यान विराजे थे कि उपाश्रय के पास की गली के अम्बाराम ब्राह्मण के घर से आग का प्रकोप उठता देखा । धूल भरे कृष्णवदन लड़के ने सात बार दरवाज़े पर मुक्के मारे और भागा नगर की गली-गली में। गुरुदेव का ध्यान भंग हुआ। उपाश्रय में हमेशा सोने वाले श्रावक उस समय जाग गये थे। गुरुदेव को आँगन में आकाश देखते देखकर कारण पूछा तब गुरुदेव ने कहा- वैशाख वदि 7 को कुक्षी में आग का भयंकर प्रकोप होगा। माणकचन्दजी खूंट वाले, चौधरी ओपाजी, हीराचन्दजी, जारोली रायचन्दजी आदि ने यह बात सुनी तो उन्होंने बचाव के प्रयत्न किये। जिस जिसने अपना माल असबाब अन्यत्र भिजवाया वे बच गये। गुरुदेव विहार करके राजगढ़ आ गये । अग्नि प्रकोप की बात कुछ लोग नहीं माने। और वैशाख वदि 7 को ही कुक्षी नगर मे आग लगी, जिसमे करीब 1500 मकान जलकर खाक हो गये। इस अग्निकांड में सबसे अधिक नुकसान जैन श्रीसंघ को हुआ। कुक्षी के शान्तिनाथ जिनालय के पास विशाल ज्ञान भंडार था। जिसमें तीस हजार से अधिक हस्त प्रतियाँ तथा 1235 ताडपत्र प्रतियाँ थीं। गुरुदेव ने बहुत समझाया पर लोग नहीं माने और आग ने अपार क्षति कर दी। फिर भी गुरुदेव ने उस अग्नि को बुझाने का प्रयत्न किया और अग्नि शांत हुई । इस अग्निकांड के कुछ अंश आज भी दिखाई देते है, ज़ब भी नगर मे कोई पुराना मकान टूटता है तो जमीन से जली हुई लकड़िया निकलती है। वही इस प्रदर्शनी मे कुक्षी की बेटी अमीषा अखिलेश चौधरी द्वारा भी हाथ से बनी गुरुदेव की पेंटिंग भी रखी गईं जो आकर्षण का केंद्र रही.
- *प्रातः स्मरणीय युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राज राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के द्विशताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य मे गुरुदेव का रथ उनकी कर्म भूमि कुक्षी पहुंचा ।* *कुक्षी मे हुए अग्नि प्रकोप से दादा गुरुदेव ने सचेत कर लोगो को बचाया था.* *( देवेंद्र जैन , मोनेष शोभा जैन, ✍️ )* कलिकाल कल्पतरु युग पुरुष दादा गुरुदेव श्रीमद विजय राजेंद्र सूरीश्वर जी महाराजा के आने वाले 26 व 27 दिसंबर को भव्य रूप से द्विशताब्दी जन्म दिवस मध्य प्रदेश के मोहनखेड़ा महातीर्थ मे भव्य रूप से मनाया जाएगा, साथ ही पुरा वर्ष द्विशताब्दी के रूप मे पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। इसी कड़ी मे मुनिराज लावेश विजय मुनिराज जी की प्रेरणा से जनवरी 2025 से चल रहा दादा गुरुदेव का रथ सम्पूर्ण भारत मे भ्रमण कार्यक्रम चल रहा है जो महाराष्ट्र के पूना से प्रारम्भ हुआ जो कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु तेलंगाना,राजस्थान, गुजरात से वर्तमान मे मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ होते हुए दादा गुरुदेव के हृध्य मे बसी कुक्षी पहुंचा। दादा के रथ का स्वागत जैन संघरत्न श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहरलाल पुराणिक, समाज के वरिष्ठ संतोषी लाल जैन, अनील साहेब व समाज जनो द्वारा किया गया। रथ बड़े उपाश्रय पहुंचा वहा दादा गुरुदेव के सम्पूर्ण जीवन पर आधारित हस्त चित्रण की प्रदर्शनी लगाई गईं। इसके अंतर्गत गुरुदेव के 421 चित्रों व उनके साहित्यों की प्रदर्शनी बड़ा उपाश्रय में लगाई गईं। प्रदर्शनी का उद्घाटन समाज जनो द्वारा रिबीन खोलकर किया गया। पश्चात् दादा गुरुदेव की आरती उतारी गईं व प्रदर्शनी को देखने सम्पूर्ण श्रीसंघ पधारे। इस प्रदर्शनी मे दादा गुरुदेव द्वारा कुक्षी को बचाया गया उसका भी जिक्र किया गया। मालवा के नगर कुक्षी (धार) में श्रीमद गुरुदेव राजेंद्र सुरिश्वरजी विराजमान थे । एक रात्रि में आप नियमित क्रम के अनुसार ध्यान विराजे थे कि उपाश्रय के पास की गली के अम्बाराम ब्राह्मण के घर से आग का प्रकोप उठता देखा । धूल भरे कृष्णवदन लड़के ने सात बार दरवाज़े पर मुक्के मारे और भागा नगर की गली-गली में। गुरुदेव का ध्यान भंग हुआ। उपाश्रय में हमेशा सोने वाले श्रावक उस समय जाग गये थे। गुरुदेव को आँगन में आकाश देखते देखकर कारण पूछा तब गुरुदेव ने कहा- वैशाख वदि 7 को कुक्षी में आग का भयंकर प्रकोप होगा। माणकचन्दजी खूंट वाले, चौधरी ओपाजी, हीराचन्दजी, जारोली रायचन्दजी आदि ने यह बात सुनी तो उन्होंने बचाव के प्रयत्न किये। जिस जिसने अपना माल असबाब अन्यत्र भिजवाया वे बच गये। गुरुदेव विहार करके राजगढ़ आ गये । अग्नि प्रकोप की बात कुछ लोग नहीं माने। और वैशाख वदि 7 को ही कुक्षी नगर मे आग लगी, जिसमे करीब 1500 मकान जलकर खाक हो गये। इस अग्निकांड में सबसे अधिक नुकसान जैन श्रीसंघ को हुआ। कुक्षी के शान्तिनाथ जिनालय के पास विशाल ज्ञान भंडार था। जिसमें तीस हजार से अधिक हस्त प्रतियाँ तथा 1235 ताडपत्र प्रतियाँ थीं। गुरुदेव ने बहुत समझाया पर लोग नहीं माने और आग ने अपार क्षति कर दी। फिर भी गुरुदेव ने उस अग्नि को बुझाने का प्रयत्न किया और अग्नि शांत हुई । इस अग्निकांड के कुछ अंश आज भी दिखाई देते है, ज़ब भी नगर मे कोई पुराना मकान टूटता है तो जमीन से जली हुई लकड़िया निकलती है। वही इस प्रदर्शनी मे कुक्षी की बेटी अमीषा अखिलेश चौधरी द्वारा भी हाथ से बनी गुरुदेव की पेंटिंग भी रखी गईं जो आकर्षण का केंद्र रही.1
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- आज दोपहर 2 बजे से 🙏👍1