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भुंतर के एक होटल में पुलिस ने की रेड, 8 युवतियां की गई रेस्क्यू
Balbir Thakur
भुंतर के एक होटल में पुलिस ने की रेड, 8 युवतियां की गई रेस्क्यू
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- सैंज बस स्टैंड से वोदली माता तक 6 दिनों से बस नही चल रही है। वीते एक वर्ष से इसी सड़क पर सरकारी व प्राइवेट बसें दौड़ रही थी। लेकिन 31 जुलाई 2024 की रात को हुई बरसात की पहली बारिश के बाद बसे लाना बंद कर दिया। घाटी के मरीज स्कूली बच्चे छोटे-छोटे नन्हे बच्चों को गोद में लिए माता-पिता तथा बुजुर्ग करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर वोदली माता से सैंज बाजार पहुंचने को विवश है।1
- #kullu बंजार का हार्ड एरिया लौल स्कूल भी किया मर्ज,लौल के ग्रामीणों ने स्कूल को मर्ज करने पर उठाए सवाल निष्पक्ष जांच की मांग की ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कुल्लू। जिला कुल्लू की ग्राम पंचायत कोटला के अंतर्गत आने वाले राजकीय प्राथमिक पाठशाला लौल के मर्ज होने से अब गांव के बच्चों को 5 किलोमीटर पैदल चलकर कोटला शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचाना पड़ेगा। जिस कारण गांव के नन्हे नन्हे बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। स्कूल प्रबंधन समिति ने बताया कि लौल स्कूल को मर्ज करने से भले ही सरकार व शिक्षा विभाग को नाम मात्र फायदा होगा लेकिन गांव के वच्चो के भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान ने कहा कि सरकार ने लौल के बच्चों की सुलियत के लिए गांव में दशकों पहले स्कूल खोला है ताकि गांव के बच्चे शिक्षा से वंचित न रहे। हैवी स्नोफॉल एरिया का राजकीय प्राथमिक पाठशाला लौल को शिक्षा स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान यशपाल ने बताया कि अब लौल गांव के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए करीब 5 किलोमीटर दूर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक को पाठशाला कोटला जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कोटला स्कूल लौल गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर है और सर्दियों के दिनों में लौल गांव में हेवी स्नोफॉल होता है जिस कारण नन्हे नन्हे बच्चों को कोटला स्कूल पहुंचना संभव नहीं है। स्कूल प्रबंधन समिति लौल के सदस्यों ने सरकार और शिक्षा विभाग से आग्रह किया है कि लौल स्कूल को मर्ज करने के आदेश पर पुनः विचार किया जाए ताकि बच्चों का भविष्य दांव पर न लगे। उल्लेखनीय है शिक्षा खंड सैंज व बंजार में मात्र पांच प्राइमरी स्कूल मर्ज किए गए हैं इन स्कूलों के बच्चों का भविष्य अब दांव पर लग गया है। यहां के स्थानीय लोगों व स्कूल प्रबंधन समिति का आरोप है कि इनमें से अधिकतर स्कूलों को मापदंड के अनुरूप मर्ज नहीं किया गया है जिसका जीता जागता सबूत राजकीय प्राथमिक पाठशाला लौल है यहां पर शिक्षा विभाग ने ना तो स्नोफॉल हार्ड एरिया का ध्यान रखा है और ना ही स्कूल की दूरी को ध्यान में रख कर फैसला स्कूल को मर्ज करने का फैसला लिया है। लौल गांव के स्थानीय निवासी लीलामणी, नोक सिह, वेद राम, पुने सिह, राजकुमार, लोत राम व स्कूल प्रबंधन समिति के प्रधान यशपाल ने बताया कि सरकार व शिक्षा विभाग ने हार्ड एरिया एवं स्नोफॉल एरिया को देखते हुए स्कूल दिया था और कोटला स्कूल गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि हैरानी वाली बातत यह है कि सरकार ने 3 किलोमीटर के अंदर दो स्कूल होने की स्थिति में जहां पांच या इसे कम बच्चे हैं उन्हें मर्ज करने की बात कही थी लेकिन बंजार शिक्षा खंड के अंतर्गत आने वाले लौल स्कूल कोटला स्कूल से करीब 5 किलोमीटर दूर है फिर भी स्कूल को मर्ज किया गया है यह उनकी समझ से परे है। उन्होंने कहा कि शिक्षा खंड बंजार व सैंज में कोई ऐसे स्कूल है जहां बच्चों की संख्या बहुत कम है लेकिन सरकार ने 3 किलोमीटर से दूर वाले स्कूलों को मर्ज नहीं किया है उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने बंजार तहसील के अंतिम छोर पर बसे लौल के ग्रामीणों के साथ अन्याय किया है। उन्होंने शासन और प्रशासन से मांग की है कि लौल स्कूल को मर्ज करने के आदेश पर पुन विचार किया जाए और कमेटी का गठन कर लौल स्कूल का निरीक्षण किया जाए ताकि ग्रामीणों को न्याय मिल सके।1
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