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Munna Tiwari
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- गौतम बुद्ध, जिनका जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में हुआ था, बौद्ध धर्म के संस्थापक और एक महान धर्मगुरु थे। उनके जीवन और उपदेशों ने दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित किया। यहाँ गौतम बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों की पूरी जानकारी दी गई है:### 1. **प्रारंभिक जीवन**: - **जन्म**: गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी (आधुनिक नेपाल) में 563 ईसा पूर्व में एक शाक्य क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन और माता का नाम मायादेवी था। - **शाही जीवन**: सिद्धार्थ का पालन-पोषण बहुत ही विलासितापूर्ण वातावरण में हुआ। उनके पिता ने उन्हें संसार की दु:खद परिस्थितियों से बचाने के लिए तीन महल बनवाए थे, जहाँ वे सुख-सुविधाओं के बीच जीवन व्यतीत करते थे। - **चार दृश्य**: एक दिन, वे अपने महल से बाहर निकले और उन्होंने चार दृश्य देखे: एक वृद्ध व्यक्ति, एक बीमार व्यक्ति, एक मृत शरीर, और एक तपस्वी। इन दृश्यों ने उन्हें गहरे विचारों में डाल दिया और उन्हें संसार के दुःखों के बारे में चिंतन करने के लिए प्रेरित किया।### 2. **त्याग और संन्यास**: - **महाभिनिष्क्रमण**: 29 वर्ष की आयु में, सिद्धार्थ ने अपनी पत्नी यशोधरा और नवजात पुत्र राहुल को छोड़कर सत्य की खोज में अपना महल त्याग दिया। इसे महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है। - **तपस्या**: सिद्धार्थ ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की, लेकिन उन्हें निर्वाण (मोक्ष) की प्राप्ति नहीं हुई। उन्होंने यह समझा कि कठोर तपस्या भी मोक्ष का मार्ग नहीं है।### 3. **निर्वाण की प्राप्ति**: - **मध्य मार्ग**: सिद्धार्थ ने कठोर तपस्या का त्याग करके 'मध्य मार्ग' का अनुसरण किया, जो अत्यधिक विलासिता और कठोर तपस्या के बीच का रास्ता है। - **बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान**: उन्होंने बोधगया (आधुनिक बिहार, भारत) में बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान करना शुरू किया। छह वर्षों के कठोर तप के बाद, 35 वर्ष की आयु में उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे पूर्ण ज्ञान (निर्वाण) की प्राप्ति हुई और वे गौतम बुद्ध कहलाए।### 4. **धर्मचक्र प्रवर्तन**: - **पहला उपदेश**: गौतम बुद्ध ने अपने ज्ञान की प्राप्ति के बाद सारनाथ (उत्तर प्रदेश) में अपने पाँच साथियों को पहला उपदेश दिया। इसे 'धर्मचक्र प्रवर्तन' कहा जाता है। - **चार आर्य सत्य**: 1. **दु:ख**: संसार में दु:ख है। 2. **दु:ख समुदय**: दु:ख का कारण तृष्णा है। 3. **दु:ख निरोध**: दु:ख का निरोध संभव है। 4. **दु:ख निरोध गामिनी प्रतिपदा**: इस निरोध के लिए अष्टांगिक मार्ग का पालन करना चाहिए।### 5. **अष्टांगिक मार्ग**: - **सम्यक दृष्टि**: सत्य को जानना। - **सम्यक संकल्प**: अहिंसा और त्याग का संकल्प लेना। - **सम्यक वाक्**: सत्य और मधुर वाणी बोलना। - **सम्यक कर्मांत**: हिंसा, चोरी, और अनैतिक कार्यों से बचना। - **सम्यक आजीविका**: सही आजीविका अपनाना। - **सम्यक व्यायाम**: सही प्रयास करना। - **सम्यक स्मृति**: सही स्मृति रखना। - **सम्यक समाधि**: ध्यान और समाधि की सही अवस्था प्राप्त करना।### 6. **बौद्ध संघ की स्थापना**: - बुद्ध ने अपने अनुयायियों का एक संघ (संगठित समुदाय) स्थापित किया, जिसे 'संग' कहा जाता है। इसमें भिक्षु और भिक्षुणियाँ शामिल थीं। उन्होंने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया और जीवन में 'मध्य मार्ग' का पालन किया।### 7. **महापरिनिर्वाण**: - **महापरिनिर्वाण**: 80 वर्ष की आयु में, गौतम बुद्ध ने कुशीनगर (आधुनिक उत्तर प्रदेश, भारत) में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। उनके शरीर के अवशेषों को पूरे भारत में विभाजित किया गया और विभिन्न स्तूपों में रखा गया।### 8. **गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का सार**: - बुद्ध की शिक्षाओं का सार दु:ख और उसके निवारण में है। उन्होंने अज्ञानता, तृष्णा, और द्वेष को दु:ख का कारण बताया और उन्हें समाप्त करने के लिए अष्टांगिक मार्ग का पालन करने की सलाह दी।गौतम बुद्ध की शिक्षाएँ सदियों से लोगों को जीवन में संतुलन, शांति और करुणा की दिशा में प्रेरित कर रही हैं। उनके उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं और लोगों को जीवन के कठिनाइयों से निपटने का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।1
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