ई-चालान की मनमानी पर सवाल, सामाजिक कार्यकर्ता ने खोला मोर्चा गरीब मजदूरों की जेब पर डाका डाल रहा आरटीओ विभाग: मनेन्द्रगढ़/एमसीबी: मनेंद्रगढ़ और आसपास के 10 किलोमीटर के दायरे में इन दिनों आरटीओ विभाग की ई-चालान सिस्टम ने आम जनता की नींद उड़ा दी है। बिना पूर्व सूचना, बिना जागरूकता अभियान और बिना किसी तैयारी के, अचानक लगाए गए हाई-टेक कैमरे गरीब और मजदूर वर्ग पर आर्थिक चोट का बड़ा हथौड़ा साबित हो रहे हैं। इसी मनमानी और अत्याचार के खिलाफ शहर के युवा नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता यीशै दास ने कलेक्टर, विधायक/स्वास्थ्य मंत्री सहित संबंधित आरटीओ अधिकारियों को कड़ी आपत्ति जताते हुए विस्तृत पत्र भेजकर ध्यान आकर्षित कराया है। *बिना अधिसूचना, बिना नियम पालन के हुई चालानी कार्रवाई: यीशै दास ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि शासन के अनुसार कड़ीका 03 के तहत किसी भी प्रशासनिक नियम को लागू करने से लगभग एक माह पहले अधिसूचना जारी करना आवश्यक होता है, ताकि आम नागरिकों को नियम परिवर्तन की जानकारी मिल सके। परंतु मनेंद्रगढ़ आरटीओ विभाग ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए झगराखाड़, एनएच-43, घुटरीटोला, कठौतिया जैसे स्थानों पर अचानक कैमरे लगाकर चालानी कार्यवाही शुरू कर दी। न कोई सूचना, न कोई प्रचार, सीधे चालान। *मजदूरों पर सबसे बड़ा आर्थिक प्रहार: मनेंद्रगढ़ कस्बे व आसपास के गांवों से रोजाना सैकड़ों मजदूर मजदूरी के लिए निकलते हैं। दिन भर मेहनत करके वे 200 से 250 रुपये कमाते हैं। लेकिन अचानक कटने वाले भारी-भरकम ई-चालान, जिनकी राशि कई गुना ज़्यादा होती है, मजदूरों की कमर तोड़ दे रही है। यीशै दास ने कहा एक दिन की पूरी मजदूरी से भी कमाई नहीं होने वाली राशि का चालान भरना गरीब आदमी के लिए असंभव है। यह सीधे-सीधे उनके परिवार के पेट पर लात मारने जैसा है। जानकारी के अभाव में मजदूर ई-चालान की चपेट में आ रहे हैं और घर का खर्च चलाना तक मुश्किल हो गया है। यह स्थिति शासन की मंशा और नियमों के अमल पर गंभीर सवालिया निशान खड़े करती है। *सिस्टम लागू करो, लेकिन जनता को कुचलकर नहीं: सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रशासन से कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं-कम से कम 1 माह की छूट दी जाए। ताकि लोग अपने दस्तावेज सही करवा सकें और आर्थिक बोझ से बच सकें। अधिसूचना जारी हो और समाचार पत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाए। ताकि हर वाहन चालक को स्पष्ट जानकारी मिल सके। ई-चालान की कार्यवाही को नियमों के अनुरूप किया जाए। बिना सूचना और बिना प्रक्रिया जनता पर जुर्माने का पहाड़ न गिराया जाए। *प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में: जहां शासन नियम पालन की बात करता है, वहीं आरटीओ विभाग की यह जल्दबाजी और गुपचुप कैमरा इंस्टॉलेशन भ्रष्टाचार और लक्ष्यपूर्ति वाले अभियान की बू दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि विभाग रेवेन्यू बढ़ाने की जल्दबाजी में गरीब जनता को निशाना बना रहा है। *जनहित” में उठी यह आवाज़ अब आंदोलन का रूप ले सकती है: यीशै दास ने स्पष्ट शब्दों में कहा है जनता को जानकारी दिए बिना ई-चालान की कार्रवाई अन्यायपूर्ण है। यदि प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो यह मुद्दा बड़े स्तर पर उठाया जाएगा। मनेंद्रगढ़ में ई-चालान का उद्देश्य ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने के तरीके ने जनता के बीच भारी नाराजगी पैदा कर दी है। जनता उम्मीद कर रही है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले और गरीब-मजदूर वर्ग को राहत प्रदान करे।
ई-चालान की मनमानी पर सवाल, सामाजिक कार्यकर्ता ने खोला मोर्चा गरीब मजदूरों की जेब पर डाका डाल रहा आरटीओ विभाग: मनेन्द्रगढ़/एमसीबी: मनेंद्रगढ़ और आसपास के 10 किलोमीटर के दायरे में इन दिनों आरटीओ विभाग की ई-चालान सिस्टम ने आम जनता की नींद उड़ा दी है। बिना पूर्व सूचना, बिना जागरूकता अभियान और बिना किसी तैयारी के, अचानक लगाए गए हाई-टेक कैमरे गरीब और मजदूर वर्ग पर आर्थिक चोट का बड़ा हथौड़ा साबित हो रहे हैं। इसी मनमानी और अत्याचार के खिलाफ शहर के युवा नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता यीशै दास ने कलेक्टर, विधायक/स्वास्थ्य मंत्री सहित संबंधित आरटीओ अधिकारियों को कड़ी आपत्ति जताते हुए विस्तृत पत्र भेजकर ध्यान आकर्षित कराया है। *बिना अधिसूचना, बिना नियम पालन के हुई चालानी कार्रवाई: यीशै दास ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा है कि शासन के अनुसार कड़ीका 03 के तहत किसी भी प्रशासनिक नियम को लागू करने से लगभग एक माह पहले अधिसूचना जारी करना आवश्यक होता है, ताकि आम नागरिकों को नियम परिवर्तन की जानकारी मिल सके। परंतु मनेंद्रगढ़ आरटीओ विभाग ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए झगराखाड़, एनएच-43, घुटरीटोला, कठौतिया जैसे स्थानों पर अचानक कैमरे लगाकर चालानी कार्यवाही शुरू कर दी। न कोई सूचना, न कोई प्रचार, सीधे चालान। *मजदूरों पर सबसे बड़ा आर्थिक प्रहार: मनेंद्रगढ़ कस्बे व आसपास के गांवों से रोजाना सैकड़ों मजदूर मजदूरी के लिए निकलते हैं। दिन भर मेहनत करके वे 200 से 250 रुपये कमाते हैं। लेकिन अचानक कटने वाले भारी-भरकम ई-चालान, जिनकी राशि कई गुना ज़्यादा होती है, मजदूरों की कमर तोड़ दे रही है। यीशै दास ने कहा एक दिन की पूरी मजदूरी से भी कमाई नहीं होने वाली राशि का चालान भरना गरीब आदमी के लिए असंभव है।
यह सीधे-सीधे उनके परिवार के पेट पर लात मारने जैसा है। जानकारी के अभाव में मजदूर ई-चालान की चपेट में आ रहे हैं और घर का खर्च चलाना तक मुश्किल हो गया है। यह स्थिति शासन की मंशा और नियमों के अमल पर गंभीर सवालिया निशान खड़े करती है। *सिस्टम लागू करो, लेकिन जनता को कुचलकर नहीं: सामाजिक कार्यकर्ता ने प्रशासन से कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं-कम से कम 1 माह की छूट दी जाए। ताकि लोग अपने दस्तावेज सही करवा सकें और आर्थिक बोझ से बच सकें। अधिसूचना जारी हो और समाचार पत्रों में जागरूकता अभियान चलाया जाए। ताकि हर वाहन चालक को स्पष्ट जानकारी मिल सके। ई-चालान की कार्यवाही को नियमों के अनुरूप किया जाए। बिना सूचना और बिना प्रक्रिया जनता पर जुर्माने का पहाड़ न गिराया जाए। *प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में: जहां शासन नियम पालन की बात करता है, वहीं आरटीओ विभाग की यह जल्दबाजी और गुपचुप कैमरा इंस्टॉलेशन भ्रष्टाचार और लक्ष्यपूर्ति वाले अभियान की बू दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि विभाग रेवेन्यू बढ़ाने की जल्दबाजी में गरीब जनता को निशाना बना रहा है। *जनहित” में उठी यह आवाज़ अब आंदोलन का रूप ले सकती है: यीशै दास ने स्पष्ट शब्दों में कहा है जनता को जानकारी दिए बिना ई-चालान की कार्रवाई अन्यायपूर्ण है। यदि प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो यह मुद्दा बड़े स्तर पर उठाया जाएगा। मनेंद्रगढ़ में ई-चालान का उद्देश्य ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना हो सकता है, लेकिन इसे लागू करने के तरीके ने जनता के बीच भारी नाराजगी पैदा कर दी है। जनता उम्मीद कर रही है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से ले और गरीब-मजदूर वर्ग को राहत प्रदान करे।
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