देवभूमि उत्तराखण्ड में नाग के छोटे-बड़े अनेक मन्दिर हैं। वहाँ नागराज को आमतौर पर नाग देवता कहा जाता है और नागराज शब्द का प्रयोग यहां के लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उत्तराखण्ड में सिर्फ नागराजा शब्द का प्रयोग होता है और सेम मुखेम नागराजा उत्तराखण्ड का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है जहां कृष्ण भगवान नागराजा के रूप में पूजे जाते हैं और यह उत्तराकाशी जिले में है तथा श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर डाण्डा नागराज पौड़ी जिले में है। उत्तरकाशी में दो नाग कालिया और वासुकि नाग को नागराज के स्वरूप में पूजा जाता है। कालिया नाग को डोडीताल क्षेत्र में पूजा जाता है और वासुकी नाग को बदगद्दी में तथा टेक्नॉर में पूजा जाता है। मान्यता है कि वासुकी नाग का मुँह गनेशपुर में और पूँछ मानपुर में स्तिथ है । जय हो नागराजा गहर गाँव पट्टी ग्गवाडस्युँ पौड़ी गढ़वाल
देवभूमि उत्तराखण्ड में नाग के छोटे-बड़े अनेक मन्दिर हैं। वहाँ नागराज को आमतौर पर नाग देवता कहा जाता है और नागराज शब्द का प्रयोग यहां के लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उत्तराखण्ड में सिर्फ नागराजा शब्द का प्रयोग होता है और सेम मुखेम नागराजा उत्तराखण्ड का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है जहां कृष्ण भगवान नागराजा के रूप में पूजे जाते हैं और यह उत्तराकाशी जिले में है तथा श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर डाण्डा नागराज पौड़ी जिले में है। उत्तरकाशी में दो नाग कालिया और वासुकि नाग को नागराज के स्वरूप में पूजा जाता है। कालिया नाग को डोडीताल क्षेत्र में पूजा जाता है और वासुकी नाग को बदगद्दी में तथा टेक्नॉर में पूजा जाता है। मान्यता है कि वासुकी नाग का मुँह गनेशपुर में और पूँछ मानपुर में स्तिथ है । जय हो नागराजा गहर गाँव पट्टी ग्गवाडस्युँ पौड़ी गढ़वाल
- SUविजयDongargarh, Rajnandgaon🙏13 hrs ago
- देवभूमि उत्तराखण्ड में नाग के छोटे-बड़े अनेक मन्दिर हैं। वहाँ नागराज को आमतौर पर नाग देवता कहा जाता है और नागराज शब्द का प्रयोग यहां के लोगों द्वारा नहीं किया जाता है। उत्तराखण्ड में सिर्फ नागराजा शब्द का प्रयोग होता है और सेम मुखेम नागराजा उत्तराखण्ड का सबसे प्रसिद्ध तीर्थ है जहां कृष्ण भगवान नागराजा के रूप में पूजे जाते हैं और यह उत्तराकाशी जिले में है तथा श्रद्धालुओं में सेम नागराजा के नाम से प्रसिद्ध है। एक अन्य प्रसिद्ध मन्दिर डाण्डा नागराज पौड़ी जिले में है। उत्तरकाशी में दो नाग कालिया और वासुकि नाग को नागराज के स्वरूप में पूजा जाता है। कालिया नाग को डोडीताल क्षेत्र में पूजा जाता है और वासुकी नाग को बदगद्दी में तथा टेक्नॉर में पूजा जाता है। मान्यता है कि वासुकी नाग का मुँह गनेशपुर में और पूँछ मानपुर में स्तिथ है । जय हो नागराजा गहर गाँव पट्टी ग्गवाडस्युँ पौड़ी गढ़वाल1
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- #socialwork रूरल एंपावरमेंट एंड डेवलपमेंट, यूथ फाउंडेशन राजनांदगांव छत्तीसगढ़ समाजसेवी संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक भाई भावेश साहू जी के जन्मदिन के अवसर पर आस्था मुख बधिरशाला पर बच्चों को स्टेशनरी सामान और चॉकलेट दिया गया। साथ ही साथ दोपहर भोजन के समय पहुंचकर संस्था के सदस्यों द्वारा बच्चों को खाना परोस कर खिलाया गया । कार्यक्रम में आस्था मूकबधिरशाला परिवार का पूर्ण सहयोग मिला । रीड युथ फाउंडेशन से आज के कार्यक्रम में 22 समाजसेवी साथी शामिल हुए।1
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